Short Questions Answer
प्रश्न: मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: 1886 में झाँसी के पास चिरगाँव में।
प्रश्न: मैथिलीशरण गुप्त को किस उपाधि से जाना जाता है?
उत्तर: राष्ट्रकवि।
प्रश्न: गुप्त जी की कविता की भाषा कैसी है?
उत्तर: विशुद्ध खड़ी बोली।
प्रश्न: गुप्त जी की प्रमुख कृतियों के नाम बताइए।
उत्तर: साकेत, यशोधरा, जयद्रथ वध।
प्रश्न: गुप्त जी के पिता का नाम क्या था?
उत्तर: सेठ रामचरण दास।
प्रश्न: कविता में सुमृत्यु किसे कहा गया है?
उत्तर: ऐसी मृत्यु जो सभी को याद रहे।
प्रश्न: कविता में पशु-प्रवृत्ति किसे कहा गया है?
उत्तर: जो केवल अपने लिए जीता है।
प्रश्न: कविता में उदार व्यक्ति की कीर्ति कैसी बताई गई है?
उत्तर: सजीव और मधुर ध्वनि करने वाली।
प्रश्न: दधीचि ने परोपकार के लिए क्या दिया?
उत्तर: अपनी हड्डियों का जाल।
प्रश्न: कविता में त्रिलोकनाथ किसे कहा गया है?
उत्तर: दयालु दीनबंधु (ईश्वर) को।
Long Questions Answer
प्रश्न: मैथिलीशरण गुप्त के जीवन और उनकी काव्य विशेषताओं के बारे में बताइए।
उत्तर: मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 1886 में झाँसी के पास चिरगाँव में हुआ था। वे राष्ट्रकवि के रूप में प्रसिद्ध हुए। उनकी शिक्षा घर पर ही हुई और वे संस्कृत, बांग्ला, मराठी और अंग्रेजी में निपुण थे। वे रामभक्त कवि थे और उनकी कविताएँ भारतीय इतिहास और संस्कृति से प्रेरित थीं। उनकी कविता की भाषा विशुद्ध खड़ी बोली थी, जिसमें संस्कृत का प्रभाव दिखता है। उनकी प्रमुख कृतियाँ साकेत, यशोधरा और जयद्रथ वध हैं। उनकी कविताएँ भारतीय अतीत को गौरवमयी ढंग से प्रस्तुत करती हैं।
प्रश्न: कविता ‘मनुष्यता’ में कवि ने मनुष्य और पशु की प्रवृत्ति में क्या अंतर बताया है?
उत्तर: कवि ने बताया है कि पशु केवल अपने लिए जीता है और अपने हिस्से का भोजन खाकर संतुष्ट हो जाता है। लेकिन मनुष्य ऐसा नहीं होता। मनुष्य दूसरों के लिए भी सोचता है और उनके सहयोग से काम करता है। कवि कहते हैं कि असली मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीए और उनके लिए मरे। जो केवल अपने लिए जीता है, वह पशु-प्रवृत्ति वाला है।
प्रश्न: कविता में सुमृत्यु का क्या अर्थ है और कवि ने इसे कैसे परिभाषित किया है?
उत्तर: सुमृत्यु का अर्थ है ऐसी मृत्यु जो दूसरों के लिए उपयोगी हो और जिसे लोग हमेशा याद रखें। कवि कहते हैं कि मनुष्य को मृत्यु से नहीं डरना चाहिए। उसे ऐसा जीवन जीना चाहिए कि उसकी मृत्यु के बाद भी लोग उसे याद करें। जो केवल अपने लिए जीता है, उसकी मृत्यु और जीवन दोनों व्यर्थ हैं। सुमृत्यु वही है जो दूसरों के लिए हो।
प्रश्न: कविता में उदार व्यक्ति की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर: कवि ने उदार व्यक्ति को वह बताया है जो दूसरों के लिए जीता और मरता है। उसकी कीर्ति सजीव रहती है और सृष्टि उसे पूजती है। उदार व्यक्ति का आत्मभाव विश्व में फैलता है। वह दूसरों के हित के लिए अपने सुख और जीवन का त्याग करता है, जैसे रंतिदेव, दधीचि और कर्ण ने किया। ऐसा व्यक्ति सहानुभूति और परोपकार से भरा होता है।
प्रश्न: कविता में रंतिदेव, दधीचि और कर्ण के उदाहरणों से कवि ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर: कवि ने रंतिदेव, दधीचि और कर्ण के उदाहरण देकर बताया है कि सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए अपना सब कुछ त्याग दे। रंतिदेव ने भूखे को अपना भोजन दे दिया, दधीचि ने अपनी हड्डियाँ दीं और कर्ण ने अपने शरीर का कवच तक दान कर दिया। इन उदाहरणों से कवि यह संदेश देता है कि मनुष्य को परोपकार और त्याग की भावना से जीना चाहिए।
प्रश्न: कविता में ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ का अर्थ है कि सभी मनुष्य एक-दूसरे के भाई हैं। कवि कहते हैं कि सभी मनुष्यों का पिता एक ही है, जो स्वयंभू (ईश्वर) है। कर्मों के कारण बाहरी भेद हो सकते हैं, लेकिन आत्मा की एकता सभी में समान है। इसलिए मनुष्य को एक-दूसरे की व्यथा को समझना चाहिए और परस्पर सहायता करनी चाहिए।
प्रश्न: कविता में कवि ने सबको एकजुट होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?
उत्तर: कवि ने सबको एकजुट होकर चलने की प्रेरणा दी है ताकि समाज में आपसी प्रेम और सहयोग बना रहे। वे कहते हैं कि सभी को एक ही रास्ते पर, बिना किसी भेदभाव के, सावधानी और एकता के साथ चलना चाहिए। इससे न केवल व्यक्तिगत विकास होगा, बल्कि समाज भी उन्नति करेगा। एकता से ही सभी विपत्तियों को दूर किया जा सकता है।
प्रश्न: कविता के आधार पर व्यक्ति को कैसा जीवन जीना चाहिए?
उत्तर: कविता के आधार पर व्यक्ति को ऐसा जीवन जीना चाहिए जिसमें वह दूसरों के लिए काम करे। उसे परोपकार, सहानुभूति और त्याग की भावना रखनी चाहिए। उसे गर्व और धन के अहंकार से दूर रहना चाहिए। व्यक्ति को सभी को बंधु मानकर, एकता और प्रेम के साथ, विपत्तियों को हटाते हुए इच्छित मार्ग पर चलना चाहिए। ऐसा जीवन ही सार्थक और यादगार होता है।
प्रश्न: निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए:
सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही; वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
उत्तर: इन पंक्तियों में कवि कहता है कि सहानुभूति सबसे बड़ी संपत्ति है। जो व्यक्ति दूसरों के दुख-दर्द को समझता है, वही सच्चा मनुष्य है। ऐसी सहानुभूति के कारण पूरी पृथ्वी उसके वश में हो जाती है। कवि बुद्ध के उदाहरण से कहता है कि उनकी दया और करुणा ने लोगों को उनके सामने झुकने के लिए मजबूर कर दिया था।
प्रश्न: ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि का मुख्य संदेश है कि सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीए और मरे। मनुष्य को अपने स्वार्थ को छोड़कर परोपकार, सहानुभूति और त्याग की भावना अपनानी चाहिए। उसे सभी को बंधु मानकर एकता और प्रेम के साथ जीवन जीना चाहिए। ऐसा जीवन ही सुमृत्यु की ओर ले जाता है, जो युगों तक याद रहता है।
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