Short Questions Answer
प्रश्न: सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी-अलमोड़ा में।
प्रश्न: पंत जी को किस उपाधि से जाना जाता है?
उत्तर: छायावाद के प्रमुख स्तंभ।
प्रश्न: पंत जी ने कविता लिखना कब शुरू किया?
उत्तर: बचपन से, सात साल की उम्र में।
प्रश्न: पंत जी को पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार कब मिला?
उत्तर: 1969 में।
प्रश्न: पंत जी की प्रमुख कृतियों के नाम बताइए।
उत्तर: वीणा, पल्लव, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्णकिरण, लोकायतन।
प्रश्न: कविता में पर्वत को किस आकार का बताया गया है?
उत्तर: मेखलाकार।
प्रश्न: झरनों की तुलना किससे की गई है?
उत्तर: मोती की लड़ियों से।
प्रश्न: कविता में तालाब की तुलना किससे की गई है?
उत्तर: दर्पण (आईना) से।
प्रश्न: पर्वत के पेड़ किसकी ओर देख रहे हैं?
उत्तर: नीरव नभ (शांत आकाश) की ओर।
प्रश्न: कविता में इंद्र क्या खेल रहा है?
उत्तर: इंद्रजाल (जादूगरी)।
Long Questions Answer
प्रश्न: सुमित्रानंदन पंत के जीवन और साहित्यिक योगदान के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर: सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी-अलमोड़ा में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही कविता लिखना शुरू कर दिया और सात साल की उम्र में स्कूल में काव्य पाठ के लिए पुरस्कृत हुए। 1915 में उन्होंने साहित्य सृजन शुरू किया और छायावाद के प्रमुख कवि बने। उनकी कविताओं में शुरू में प्रकृति प्रेम और रहस्यवाद दिखता है, बाद में वे मार्क्स, गांधी और अरविंद दर्शन से प्रभावित हुए। वे उदयशंकर संस्कृति केंद्र, आकाशवाणी और लोकायतन संस्था से जुड़े। उन्हें 1961 में पद्मभूषण और 1969 में चिदंबरा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। उनकी प्रमुख कृतियाँ वीणा, पल्लव, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्णकिरण और लोकायतन हैं। उनका निधन 1977 में हुआ।
प्रश्न: कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ में पावस ऋतु में प्रकृति के कौन-कौन से परिवर्तन दिखाए गए हैं?
उत्तर: कविता में पावस ऋतु में प्रकृति का पल-पल बदलता रूप दिखाया गया है। पर्वत अपनी विशालता में झरनों और तालाबों के साथ सुंदर दिखते हैं। झरने झाग के साथ मोती की लड़ियों जैसे बहते हैं। पेड़ ऊँची आकांक्षाओं के साथ आकाश की ओर देखते हैं। बादल गरजते हैं, और ऐसा लगता है मानो आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। शाल के पेड़ भयभीत होकर धरती में धँस जाते हैं, और तालाब का पानी धुएँ में बदल जाता है। ये सभी परिवर्तन प्रकृति की जीवंतता और गतिशीलता को दर्शाते हैं।
प्रश्न: ‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ क्या है और कवि ने इसका प्रयोग क्यों किया होगा?
उत्तर: ‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ है करघनी (कमरबंद) के आकार की पहाड़ी ढाल। कवि ने इसका प्रयोग पर्वत की विशाल और गोलाकार संरचना को दर्शाने के लिए किया। यह शब्द पर्वत की भव्यता और सुंदरता को चित्रित करता है, जैसे कि पर्वत अपनी कमर पर करघनी पहने हुए हो। इससे कविता में चित्रात्मकता और सौंदर्य बढ़ता है।
प्रश्न: कविता में ‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है और इसका प्रयोग किसके लिए किया गया है?
उत्तर: ‘सहस्र दृग-सुमन’ का अर्थ है हजारों पुष्प रूपी आँखें। कवि ने इस पद का प्रयोग पर्वत के लिए किया है। इससे यह तात्पर्य है कि पर्वत अपनी असंख्य आँखों (जैसे फूलों) से बार-बार नीचे तालाब में अपने विशाल रूप को देख रहा है। यह मानवीकरण अलंकार का प्रयोग है, जो पर्वत को जीवंत और चेतन बनाता है।
प्रश्न: कवि ने तालाब की तुलना दर्पण से क्यों की है?
उत्तर: कवि ने तालाब की तुलना दर्पण (आईना) से की है क्योंकि तालाब का शांत और साफ पानी पर्वत के विशाल रूप का प्रतिबिंब दिखाता है, जैसे दर्पण में कोई छवि दिखती है। यह तुलना तालाब की सुंदरता और उसकी स्पष्टता को दर्शाती है, जो पर्वत की भव्यता को और भी उभारता है।
प्रश्न: कविता में पर्वत के पेड़ आकाश की ओर क्यों देख रहे हैं और वे किस भाव को व्यक्त करते हैं?
उत्तर: कविता में पर्वत के पेड़ (तरुवर) उच्चाकांक्षाओं से भरे हुए आकाश की ओर एकटक देख रहे हैं। वे शांत और चिंतित भाव से नभ को निहारते हैं। यह दृश्य उनकी ऊँचा उठने की इच्छा और आकांक्षा को व्यक्त करता है। पेड़ों का यह व्यवहार मानव की महत्वाकांक्षा और उच्च लक्ष्यों की ओर बढ़ने की भावना को प्रतिबिंबित करता है।
प्रश्न: कविता में शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?
उत्तर: कविता में शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए क्योंकि बादलों की गर्जना और वर्षा की तीव्रता से ऐसा लगता है मानो आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। यह प्राकृतिक प्रकोप इतना भयानक है कि शाल के वृक्ष भय के कारण धरती में समा गए। यह दृश्य प्रकृति की शक्ति और उसकी भयावहता को दर्शाता है।
प्रश्न: निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए:
है टूट पड़ा भू पर अंबर।
उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने वर्षा की तीव्रता को चित्रित किया है। जब बादल गरजते हैं और भारी बारिश होती है, तो ऐसा लगता है मानो पूरा आकाश धरती पर टूटकर गिर रहा हो। यह पंक्ति प्रकृति की विशाल शक्ति और वर्षा के प्रभाव को दर्शाती है, जो पर्वत प्रदेश में एक रोमांचक और भयावह दृश्य बनाती है।
प्रश्न: निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए:
यों जलद-यान में विचर-विचर, था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
उत्तर: इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा को एक जादुई दृश्य के रूप में प्रस्तुत किया है। ‘जलद-यान’ का अर्थ है बादल रूपी विमान, जिसमें इंद्र (वर्षा का देवता) विचरण कर रहा है। इंद्रजाल का अर्थ है जादूगरी। कवि कहता है कि इंद्र बादलों में घूमते हुए प्रकृति पर जादू बिखेर रहा है, जिससे वर्षा का सुंदर और रहस्यमयी दृश्य बनता है।
प्रश्न: कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग कैसे किया गया है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग प्रकृति के विभिन्न रूपों को मानव जैसी भावनाएँ और कार्य देने के लिए किया गया है। उदाहरण के लिए, ‘मेखलाकार पर्वत अपार अपने सहस्र दृग-सुमन फाड़, अवलोक रहा है बार-बार’ में पर्वत को आँखों से देखने वाला और अपने रूप को निहारने वाला बताया गया है। इसी तरह, ‘गिरिवर के उर से उठ-उठ कर, उच्चाकांक्षाओं से तरुवर’ में पेड़ों को उच्चाकांक्षा से भरा और आकाश को एकटक देखने वाला बताया गया है। ये उदाहरण प्रकृति को मानव जैसे गुण देकर कविता को जीवंत बनाते हैं।
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