Short Questions Answer
प्रश्न 1. यशपाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: सन् 1903 में पंजाब के फ़िरोज़पुर छावनी में।
प्रश्न 2. यशपाल की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई?
उत्तर: काँगड़ा में।
प्रश्न 3. यशपाल ने बी.ए. कहाँ से किया?
उत्तर: लाहौर के नेशनल कॉलेज से।
प्रश्न 4. यशपाल का परिचय किन क्रांतिकारियों से हुआ?
उत्तर: भगत सिंह और सुखदेव से।
प्रश्न 5. यशपाल की मृत्यु कब हुई?
उत्तर: सन् 1976 में।
प्रश्न 6. यशपाल के दो प्रसिद्ध कहानी संग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर: ज्ञानदान और पिंजरे की उड़ान।
प्रश्न 7. यशपाल का प्रसिद्ध उपन्यास कौन-सा है जो भारत विभाजन की त्रासदी पर आधारित है?
उत्तर: झूठा सच।
प्रश्न 8. “लखनवी अंदाज़” में लेखक किस सज्जन से मिले?
उत्तर: लखनऊ की नवाबी नस्ल के एक सफ़ेदपोश सज्जन से।
प्रश्न 9. नवाब साहब खीरे पर क्या छिड़कते थे?
उत्तर: जीरा-मिला नमक और लाल मिर्च।
प्रश्न 10. लेखक ने नवाब साहब को किस वर्ग का प्रतिनिधि बताया है?
उत्तर: पतनशील सामंती वर्ग का।
Long Questions Answer
प्रश्न 1. यशपाल का जीवन परिचय लिखिए।
उत्तर: यशपाल का जन्म 1903 में फ़िरोज़पुर छावनी (पंजाब) में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा काँगड़ा में और बी.ए. लाहौर के नेशनल कॉलेज से किया। वे भगत सिंह और सुखदेव से जुड़े और स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल गए। 1976 में उनका निधन हुआ।
प्रश्न 2. यशपाल की साहित्यिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: वे यथार्थवादी लेखक थे। उनकी रचनाओं में आम आदमी की समस्याएँ, सामाजिक विषमता, राजनीतिक पाखंड और रूढ़ियों के विरोध की आवाज़ मिलती है। उनकी भाषा सहज और सजीव थी।
प्रश्न 3. यशपाल की प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: उनके कहानी संग्रह हैं – ज्ञानदान, तर्क का तूफान, पिंजरे की उड़ान, वा दुलरिया, फूलों का कुर्ता। उपन्यास – झूठा सच, अमिता, दिव्या, पार्टी कामरेड, दादा कामरेड और मेरी तेरी उसकी बात।
प्रश्न 4. “लखनवी अंदाज़” कहानी का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर: इसमें लेखक ने सामंती वर्ग की बनावटी जीवनशैली और दिखावटी तहज़ीब पर व्यंग्य किया है। यह दिखाता है कि यह वर्ग असलियत से कटकर केवल आडंबर में जीता है।
प्रश्न 5. लेखक को नवाब साहब के हावभाव से क्या महसूस हुआ?
उत्तर: लेखक को लगा कि नवाब साहब उनसे बात करने में उत्सुक नहीं थे। उनकी आँखों में अकेले रहने की चाह और दूसरे के आने से असंतोष झलक रहा था।
प्रश्न 6. नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को क्यों बाहर फेंक दिया?
उत्तर: उन्होंने केवल रसास्वादन की कल्पना कर संतुष्ट होने का दिखावा किया। असल में यह उनकी बनावटी तहज़ीब और दिखावटी खानदानी रईसी का परिचायक था।
प्रश्न 7. लेखक ने खीरे की घटना से क्या निष्कर्ष निकाला?
उत्तर: लेखक ने सोचा कि जब खीरे की सुगंध और कल्पना से पेट भरा जा सकता है तो बिना विचार और घटना के भी केवल लेखक की इच्छा से कहानी लिखी जा सकती है।
प्रश्न 8. “लखनवी अंदाज़” शीर्षक की सार्थकता बताइए।
उत्तर: लखनऊ अपनी तहज़ीब और नफ़ासत के लिए प्रसिद्ध है। नवाब साहब ने खीरे खाने में भी बनावटी तहज़ीब दिखाई। इसलिए कहानी का शीर्षक “लखनवी अंदाज़” उपयुक्त है।
प्रश्न 9. कहानी में सामंती वर्ग की कौन-सी कमजोरी उजागर होती है?
उत्तर: यह वर्ग वास्तविकता से कटकर आडंबर और दिखावे में जीता है। अपनी भूख और जरूरतों को भी छिपाकर बनावटी शिष्टाचार दिखाता है।
प्रश्न 10. कहानी “लखनवी अंदाज़” से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: यह कहानी सिखाती है कि दिखावा और बनावटी जीवन टिकाऊ नहीं होता। सच्ची संस्कृति और शिष्टाचार वही है जो व्यवहार में सरल और स्वाभाविक हो।
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