Short Questions Answer
प्रश्न 1: सीताराम सेकसरिया का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: 1892 में राजस्थान के नवलगढ़ में।
प्रश्न 2: सीताराम सेकसरिया का अधिकांश जीवन कहाँ बीता?
उत्तर: कलकत्ता (कोलकाता) में।
प्रश्न 3: सीताराम सेकसरिया को भारत सरकार ने किस सम्मान से सम्मानित किया?
उत्तर: पद्मश्री (1962 में)।
प्रश्न 4: सीताराम सेकसरिया की शिक्षा कैसी थी?
उत्तर: स्वाध्याय से पढ़ना-लिखना सीखा, विद्यालयी शिक्षा नहीं मिली।
प्रश्न 5: सीताराम सेकसरिया की प्रमुख कृतियों के नाम बताइए।
उत्तर: स्मृतिकण, मन की बात, बीता युग, नयी याद, एक कार्यकर्ता की डायरी (दो भाग)।
प्रश्न 6: डायरी में 26 जनवरी 1931 को क्या मनाया गया?
उत्तर: स्वतंत्रता दिवस।
प्रश्न 7: डायरी में पुलिस ने क्या प्रदर्शन किया?
उत्तर: अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर।
प्रश्न 8: डायरी में गुजराती सेविका संघ की ओर से क्या निकला?
उत्तर: जुलूस, जिसमें बहुत-सी लड़कियाँ थीं।
प्रश्न 9: डायरी में सुभाष बाबू को कहाँ भेजा गया?
उत्तर: लालबाजार लॉकअप में।
प्रश्न 10: सीताराम सेकसरिया का देहावसान कब हुआ?
उत्तर: 1982 में।
Long Questions Answer
प्रश्न 1: सीताराम सेकसरिया के जीवन और उनके योगदान के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर: सीताराम सेकसरिया का जन्म 1892 में राजस्थान के नवलगढ़ में हुआ था। उनका अधिकांश जीवन कलकत्ता (कोलकाता) में बीता। वे व्यापार-व्यवसाय से जुड़े थे और अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा नारी शिक्षण संस्थाओं के प्रेरक, संस्थापक और संचालक रहे। उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। वे गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस के करीबी थे। सत्याग्रह आंदोलन के दौरान जेल गए और कुछ साल आज़ाद हिंद फ़ौज के मंत्री रहे। भारत सरकार ने उन्हें 1962 में पद्मश्री से सम्मानित किया। उन्हें विद्यालयी शिक्षा नहीं मिली, लेकिन स्वाध्याय से पढ़ना-लिखना सीखा। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- स्मृतिकण, मन की बात, बीता युग, नयी याद और दो भागों में एक कार्यकर्ता की डायरी।
प्रश्न 2: डायरी के पन्ने में 26 जनवरी 1931 को कलकत्ता में स्वतंत्रता दिवस की क्या तैयारियाँ की गईं?
उत्तर: डायरी में बताया गया है कि 26 जनवरी 1931 को स्वतंत्रता दिवस की पुनरावृत्ति थी, जिसके लिए पहले से तैयारियाँ की गईं। लेखक ने प्रचार में दो हज़ार रुपया खर्च किया। बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहराया गया और कई मकान इतने सजाए गए कि लगता था स्वतंत्रता मिल गई हो। कलकत्ता के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए। रास्तों में उत्साह और नवीनता महसूस होती थी। लोग कहते थे कि ऐसी सजावट पहले नहीं हुई। कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर समझाया गया। शाम को मोनुमेंट के नीचे सभा होने वाली थी। भोर में कई जगह झंडा फहराया गया।
प्रश्न 3: डायरी में पुलिस के व्यवहार और कार्रवाइयों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: डायरी में पुलिस ने अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन किया। मोटर लारियों में गोरखे तथा सारजेंट प्रत्येक मोड़ पर तैनात थे। कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं। घुड़सवारों का प्रबंध था। ट्रैफ़िक पुलिस नहीं थी, सारी पुलिस इसी काम में लगाई गई। बड़े-बड़े पार्कों और मैदानों को सवेरे से घेर लिया गया। मोनुमेंट को भोर में छह बजे से घेर लिया। श्रद्धानंद पार्क में अविनाश बाबू को झंडा गाड़ने पर पकड़ लिया और लोगों को मारा या हटा दिया। तारा सुंदरी पार्क में हरिश्चंद्र सिंह को रोका और मारपीट हुई। गुजराती सेविका संघ के जुलूस को गिरफ़्तार किया। दो-तीन बजे पूर्णोदास और पुरुषोत्तम राय को पकड़ा।
प्रश्न 4: डायरी में महिलाओं और लड़कियों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर: डायरी में महिलाओं और लड़कियों ने सक्रिय भूमिका निभाई। गुजराती सेविका संघ की ओर से जुलूस निकला जिसमें बहुत-सी लड़कियाँ थीं, उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने 11 बजे अपने विद्यालय में झंडोत्सव मनाया। जानकीदेवी, मदालसा आदि गईं और लड़कियों को उत्सव का मतलब समझाया गया। स्त्री समाज अपनी तैयारी में लगा था। जगह-जगह से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने की कोशिश कर रही थीं। वे ठीक स्थान पर पहुँचने की कोशिश कर रही थीं।
प्रश्न 5: डायरी में सुभाष बाबू के जुलूस और गिरफ्तारी का वर्णन कीजिए।
उत्तर: डायरी में सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था, लेकिन उन्होंने प्रबंध कर लिया था। सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया गया। पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था। तीन बजे से मैदान में हज़ारों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान की ओर घूमने लगे।
प्रश्न 6: डायरी के पन्ने में स्वतंत्रता दिवस के महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर: डायरी में 26 जनवरी को अमर दिन बताया गया है। आज के ही दिन सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। इस वर्ष उसकी पुनरावृत्ति थी। गत वर्ष हिस्सा साधारण था, लेकिन इस वर्ष जितना दे सकते थे, दिया। यह दिन आज़ादी की कामना और संघर्ष का प्रतीक था। 26 जनवरी 1930 को गुलाम भारत में पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया और यह सिलसिला जारी रहा। आजादी के ढाई साल बाद 1950 में यह दिन गणतंत्र दिवस बना।
प्रश्न 7: डायरी में शहर की सजावट और लोगों के उत्साह का वर्णन कीजिए।
उत्तर: डायरी में बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था। कई मकान इतने सजाए गए कि लगता था स्वतंत्रता मिल गई हो। कलकत्ता के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए। रास्तों में उत्साह और नवीनता महसूस होती थी। लोगों का कहना था कि ऐसी सजावट पहले नहीं हुई। एक बार मोटर में घूमकर देखा तो बहुत अच्छा लगा। जगह-जगह फ़ोटो उतारे जा रहे थे। तीन बजे से मैदान में हज़ारों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान की ओर घूमने लगे।
प्रश्न 8: निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए और सरल, संयुक्त तथा मिश्र वाक्यों को छाँटकर लिखिए (पाठ से उदाहरण लेकर)।
उत्तर: सरल वाक्य: पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थी। संयुक्त वाक्य: बड़े बाजार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और कई मकान तो ऐसे सजाए गए थे कि ऐसा मालूम होता था कि मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। मिश्र वाक्य: कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं।
प्रश्न 9: पाठ में दिए गए शब्दों की संधि कीजिए।
उत्तर: 1. श्रद्धा + आनंद = श्रद्धानंद। 2. प्रति + एक = प्रत्येक। 3. पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम। 4. झंडा + उत्सव = झंडोत्सव। 5. पुनः + आवृत्ति = पुनरावृत्ति। 6. ज्योतिः + मय = ज्योतिमय।
प्रश्न 10: पाठ ‘डायरी का एक पन्ना’ का मुख्य प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: पाठ ‘डायरी का एक पन्ना’ सीताराम सेकसरिया की डायरी का 26 जनवरी 1931 का लेखाजोखा है। यह कलकत्ता में स्वतंत्रता दिवस के जोश-खरोश को दर्शाता है। अंग्रेज़ प्रशासकों ने इसे अपराध मानकर लोगों पर जुल्म ढाए, गिरफ्तारियाँ कीं और मारपीट की। पाठ क्रांतिकारियों की कुर्बानियों की याद दिलाता है और बताता है कि संगठित समाज कृतसंकल्प हो तो कुछ भी कर सकता है।
Leave a Reply