Solutions For All Chapters Kshitij 10
प्रश्न 1.
फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
उत्तर-
देवदार का वृक्ष आकार में लंबा-चौड़ा होता है तथा छायादार भी होता है। फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही है। जिस प्रकार देवदार का वृक्ष वृहदाकार होने के कारण लोगों को छाया देकर शीतलता प्रदान करता है। ठीक उसी प्रकार फ़ादर बुल्के भी अपने शरण में आए लोगों को आश्रय देते थे। तथा दु:ख के समय में सांत्वना के वचनों द्वारा उनको शीतलता प्रदान करते थे।
प्रश्न 2.
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
उत्तर-
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग बन चुके थे। उन्होंने भारत में रहकर अपने देश घर-परिवार आदि को पूरी तरह से भुला दिया था। 47 वर्षों तक भारत में रहने वाले फ़ादर केवल तीन बार ही अपने परिवार से मिलने बेल्जियम गए। वे भारत को ही अपना देश समझने लगे थे। वे भारत की मिट्टी और यहाँ की संस्कृति में रच बस गए थे। पहले तो उन्होंने यहाँ रहकर पढ़ाई की फिर डॉ. धीरेंद्र वर्मा के सान्निध्य में रामकथा उत्पत्ति और विकास पर अपना शोध प्रबंध पूरा किया। उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश भी तैयार किया। इस तरह वे भारतीय संस्कृति के होकर रह गए थे।
प्रश्न 3.
पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
उत्तर-
फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट करने वाले प्रसंग निम्नलिखित हैं
- फ़ादर बुल्के ने कोलकाता से बी०ए० करने के बाद हिंदी में एम०ए० इलाहाबाद से किया।
- उन्होंने प्रामाणिक अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश तैयार किया।
- मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड’ का हिंदी में ‘नील पंछी’ नाम से रूपांतरण किया।
- इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ‘रामकथा-उत्पत्ति एवं विकास’ पर शोध प्रबंध लिखा।
- परिमल नामक हिंदी साहित्यिक संस्था के सदस्य बने।
- वे हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलवाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे।
प्रश्न 4.
इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
फ़ादर बुल्के एक निष्काम कर्मयोगी थे। वे लम्बे, गोरे, भूरी दाढ़ी व नीली आँखों वाले चुम्बकिय आकर्षण से युक्त संन्यासी थे। अपने हर प्रियजन के लिए उनके ह्रदय में ममता व अपनत्व की अमृतमयी भावना उमड़ती रहती थी। उनके व्यक्तित्व में मानवीय करुणा की दिव्य चमक थी। वे अपने प्रिय जनों को आशीषों से भर देते थे। वे भारत को ही अपना देश मानते हुए यहीं की संस्कृति में रच -बस गए थे। वे हिंदी के प्रकांड विद्वान थे एवं हिंदी के उत्थान के लिए सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने हिंदी में पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त ”ब्लू-बर्ड ”ताठा ”बाइबिल ”का हिंदी अनुवाद भी किया। फ़ादर बुल्के अपने स्नेहीजनों के व्यक्तिगत सुख -दुख का सदा ध्यान रखते थे। वे रिश्ते बनाते थे ,तो तोड़ते नहीं थे। उनके सांत्वना भरे शब्दों से लोगों का हृदय प्रकाशित हो उठता था। अपने व्यक्तित्व की महानता के कारण ही वे सभी की श्रद्धा के पात्र थे।
प्रश्न 5.
लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
उत्तर-
लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा है क्योंकि फ़ादर नेक दिल वाले वह व्यक्ति थे जिनकी रगों में दूसरों के लिए प्यार, अपनत्व और ममता भरी थी। वह लोभ, क्रोध कटुभाषिता से कोसों दूर थे। वे अपने परिचितों के लिए स्नेह और ममता रखते थे। वे दूसरों के दुख में सदैव शामिल होते थे और अपने सांत्वना भरे शब्दों से उसका दुख हर लेते थे। लेखक को अपनी पत्नी और बच्चे की मृत्यु पर फ़ादर के सांत्वना भरे शब्दों से शांति मिली थी। वे अपने प्रेम और वत्सलता के लिए जाने जाते थे।
प्रश्न 6.
फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है, कैसे?
उत्तर-
परंपरागत रूप से संन्यासी एक अलग छवि लेकर जीते हैं। उनका विशेष पहनावा होता है। वे सांसारिकता से दूर होकर एकांत में जीवन बिताते हैं। उन्हें मानवीय संबंधों और मोह-माया से कुछ लेना-देना नहीं होता है। वे लोगों के सुख-दुख से तटस्थ रहते हैं और ईश वंदना में समय बिताते हैं।
फ़ादर बुल्के परंपरागत संन्यासियों से भिन्न थे। वे मन के नहीं संकल्प के संन्यासी थे। वे एक बार संबंध बनाकर तोड़ना नहीं जानते थे। वे लोगों से अत्यंत आत्मीयता से मिलते थे। वे अपने परिचितों के दुख-सुख में शामिल होते थे और देवदारु वृक्ष की सी शीतलता से भर देते थे। इस तरह उन्होंने परंपरागत संन्यासी से हटकर अलग छवि प्रस्तुत की।
प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
उत्तर-
(क) आशय यह है कि फ़ादर की मृत्यु पर अनेक साहित्यकार, हिंदी प्रेमी, ईसाई धर्मानुयायी एवं अन्य लोग इतनी संख्या में उपस्थित होकर शोक संवेदना प्रकट कर रहे थे कि उनकी गणना करना कठिन एवं उनके बारे में लिखना स्याही बर्बाद करने जैसा था अर्थात् उनकी संख्या अनगिनत थी।
(ख) आशय यह है कि फ़ादर को याद करते ही उनका करुणामय, शांत एवं गंभीर व्यक्तित्व हमारे सामने आ जाता है। उनकी याद हमारे उदास मन को विचित्र-सी उदासी एवं शांति से भर देती है। ऐसा लगता है जैसे हम एक उदाससा संगीत सुन रहे हैं।
रचना एवं अभिव्यक्ति
प्रश्न 8.
आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
उत्तर-
भारत की गणना प्राचीनकाल से ही ज्ञान और आध्यात्म का केंद्र रहा है। यह ऋषियों-मुनियों की पावनभूमि है जहाँ गंगा-यमुना जैसी मोक्षदायिनी नदियाँ बहती हैं। इसी भूमि पर राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, गुरुनानक, रैदास, तुलसीदास आदि महापुरुषों ने जन्म लिया और अपने कार्य-व्यवहार से दुनिया को शांति का संदेश दिया। फ़ादर बुल्के इन महापुरुषों से प्रभावित हुए होंगे और भारत आने का मन बनाया होगा।
प्रश्न 9.
‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रैम्सचैपल।’-इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
उत्तर-
‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रैम्सचैपल’ इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के का अपनी मातृभूमि के प्रति असीम लगाव प्रकट हुआ है। इसी लगाव एवं मातृभूमि से प्रेम के कारण उन्हें मातृभूमि सुंदर लग रही है। मैं भी अपनी मातृभूमि के बारे में फ़ादर बुल्के जैसी ही सुंदर भावनाएँ रखता हूँ। मेरी जन्मभूमि स्वर्ग के समान सुंदर तथा समस्त सुखों का भंडार है। यह हमारा पोषण करती है तथा हमें स्वस्थ एवं बलवान बनाती है। यह हमारी माँ के समान है। एक ओर यहाँ की छह ऋतुएँ इसकी जलवायु को उत्तम बनाती हैं तो दूसरी ओर अमृततुल्य जल से भरी गंगा-यमुना प्राणियों की प्यास बुझाती हैं। मैं अपनी मातृभूमि पर गर्व करता हूँ और इसकी रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व अर्पित करने को तत्पर रहता हूँ।
भाषा अध्यन
प्रश्न 12. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोध छाँटकर अलग लिखिए – (क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।
उत्तर
(क) और
(ख) कि
(ग) तो
(घ) जो
(ङ) लेकिन
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
प्रश्न 1.
फ़ादर बुल्के की मृत्यु से लेखक आहत क्यों था?
उत्तर-
फ़ादर बुल्के लोगों से सद्व्यवहार करते हुए हमेशा प्यार बाँटते रहे। उन्हें किसी पर क्रोध करते हुए लेखक ने नहीं देखा था। उनके मन में दूसरों के लिए सदैव सहानुभूति एवं करुणा भरी रहती थी। ऐसे व्यक्ति की मृत्यु ज़हरबाद नामक कष्टदायी फोड़े से हुई। फ़ादर जैसे उदार महापुरुष की ऐसी मृत्यु के बारे में जानकर लेखक आहत हो गया।
प्रश्न 2.
लेखक ने फ़ादर का शब्द चित्र किस तरह खींचा है?
उत्तर-
लेखक ने फ़ादर का शब्द चित्र खींचते हुए लिखा है-एक लंबी पादरी के सफ़ेद चोगे से ढकी आकृति, गोरा रंग, सफ़ेद झाँई मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखें, बाँहे खोलकर गले लगाने को आतुर, जिनका दबाव लेखक अपनी छाती पर महसूस करता है।
प्रश्न 3.
‘परिमल’ क्या है? लेखक को परिमल के दिन क्यों याद आते हैं?
उत्तर-
‘परिमल’ इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी ‘परिमल’ से जुड़े। वे लेखक एवं अन्य साहित्यकारों के हँसी-मजाक में शामिल होते, गोष्ठियों में गंभीर बहस करते और लेखकों की रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते थे।
प्रश्न 4.
फ़ादर का सान्निध्य पाकर लेखक को ऐसा क्यों लगन्ना कि वह किसी देवदारु वृक्ष की छाया में खड़ा हो ?
उत्तर-
फ़ादर का सान्निध्य और उत्सवों के अवसर पर फ़ादर बड़े भाई और पुरोहित के समान साथ खड़े होते और आशीर्वाद से भर देते। लेखक को उसका बच्चा और उसके मुँह में फ़ादर द्वारा अन्न डालना और उनकी आँखों में चमकता वात्सल्य अब भी याद है। यह वात्सल्य और सान्निध्य उसी तरह शीतलता से भर देता, जैसे देवदारु वृक्ष की शीतल छाया किसी यात्री को शीतलता से भर देती है।
प्रश्न 5.
फ़ादर की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनका स्वभाव भी किसी सीमा तक उन्हें संन्यासी बनाने में सहायक सिद्ध हुई’–स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
फ़ादर के परिवार में उनके माता-पिता, दो भाई और एक बहन थे। उनके पिता व्यवसायी थे। एक भाई बेल्जियम में ही पादरी हो गया था। दूसरा भाई काम करता था, उसका भरा-पूरा परिवार था। उनकी बहन जिद्दी और सख्त थी। उसने । बहुत देर से शादी की। पिता और भाइयों के प्रति फ़ादर के मन में शुरू से ही लगाव न था, पर वे अपनी माँ को बराबर याद किया करते थे। इस तरह उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और स्वभाव उन्हें संन्यासी बनाने में सहायक सिद्ध हुआ।
प्रश्न 6.
संन्यासी बनने से पूर्व फ़ादर ने धर्म गुरु के सामने क्या शर्त रखी और क्यों?
उत्तर-
संन्यासी बनने से पूर्व फ़ादर जब इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे, तो उसे बीच में ही छोड़कर धर्मगुरु के पास गए और संन्यास लेने की बात कही। उन्होंने धर्मगुरु के सामने भारत जाने की शर्त रखी क्योंकि भारत की प्राचीन संस्कृति और यहाँ जन्म ले चुके महापुरुषों ने उनके मन में भारत के प्रति आकर्षण पैदा किया होगा।
प्रश्न 7.
भारत आने के लिए पूछने पर फ़ादर क्या जवाब देते थे?
उत्तर-
फ़ादर बुल्के से अब पूछा जाता था कि आप भारत क्यों आए तो वे बड़ी सरलता से कह देते थे-प्रभु की इच्छा। वे यह भी बताते थे कि उनकी माँ ने बचपन में ही कह दिया था कि यह लड़का तो गया हाथ से। सचमुच माँ की यह भविष्यवाणी सत्य साबित होती गई। फ़ादर के मन में संन्यासी (पादरी) बनने की इच्छा बलवती होती गई और वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधूरी छोड़कर भारत आ गए।
प्रश्न 8.
फ़ादर बुल्के ने भारत में बसने के लिए क्या आवश्यक समझा? उन्हें किस तरह हासिल किया?
अथवा
भारत आने पर फ़ादर द्वारा शिक्षा-दीक्षा प्राप्ति के सोपानों का क्रमिक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत आने पर फ़ादर ने सबसे पहले यहाँ शिक्षा-दीक्षा लेना आवश्यक समझा। इसके लिए उन्होंने ‘जिसेट संघ’ में पहले दो साल पादरियों के बीच धर्माचार की पढ़ाई की, फिर नौ-दस वर्ष दार्जिलिंग में पढ़ते रहे। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता से बी०ए० किया और फिर इलाहाबाद से एम०ए० करने के उपरांत अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
प्रश्न 9.
‘संन्यासी होने के बाद भी फ़ादर का अपनी माँ से स्नेह एवं प्रेम कम न हुआ’–स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
लेखक और फ़ादर के घनिष्ठ संबंध थे। फ़ादर लेखक को अक्सर माँ की स्मृतियों में डूबा हुआ देखा करता था। फ़ादर की माँ की चिट्ठियाँ प्रायः उनके पास आया करती थीं। इन चिट्ठियों को वे अपने अभिन्न मित्र डॉ. रघुवंश को दिखाया करते थे। भारत बसने के बाद भी वे अपनी माँ और मातृभूमि को नहीं भूल पाए थे। इससे स्पष्ट है कि संन्यासी होने के बाद भी फ़ादर का अपनी माँ से स्नेह एवं प्रेम कम न हुआ
प्रश्न 10.
फ़ादर बुल्के ने हिंदी के उत्थान के लिए क्या-क्या प्रयास किए?
उत्तर-
भारत में रहते हुए फ़ादर ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम०ए० किया। इससे ज्ञात होता है कि हिंदी से उन्हें विशेष लगाव था। उन्होंने हिंदी के उत्थान के लिए
- हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अकाट्य तर्क प्रस्तुत करते।
- हर मंच से हिंदी की दुर्दशा पर दुख प्रकट करते।
- हिंदी वालों द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर दुख प्रकट करते।
- वे हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के लिए चिंतित रहते।
प्रश्न 11.
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर फ़ादर की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ से फ़ादर बुल्के की निम्नलिखित विशेषताओं का ज्ञान होता है
- फ़ादर संकल्प के संन्यासी थे, मन के नहीं।
- फ़ादर संबंध बनाकर उसे निभाना जानते थे।
- फ़ादर अपने परिचितों एवं परिवार वालों के साथ स्नेहमय संबंध रखते थे।
- वे सुख-दुख में परिवार के सदस्यों की भाँति खड़े नजर आते थे।
- वे भारत और हिंदी से असीम लगाव रखते थे।
प्रश्न 12.
फ़ादर पास्कल ने ऐसा क्यों कहा कि इस धरती से ऐसे और रत्न पैदा हों?
उत्तर-
फ़ादर कामिल बुल्के वास्तव में रत्न थे। वे करुणा, सहानुभूति और ममत्व से भरपूर थे। वे सदा दूसरों में प्यार बाँटते थे। क्रोध उन्हें छू भी न सका था। भारत आने के बाद वे भारत के होकर रह गए और यहीं की संस्कृति में रचबसकर रह गए। वे दुख में सांत्वना देते तथा सुख और उत्सव में बड़े भाई-सा आशीर्वाद देते। उनका साथ देवदारु वृक्ष की छाया जैसा होता। उनके मानवीय गुणों को याद कर फ़ादर पास्कल ने कहा कि धरती से ऐसे और रत्न पैदा हों।
प्रश्न 13.
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ नामक पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ नामक पाठ के माध्यम से हमें फ़ादर जैसे ‘मानवीय करुणा के सागर’ बुल्के की तरह करुणा एवं सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करने का संदेश मिलता है, वहीं यह भी संदेश मिलता है कि हमें अपनी मातृभूमि से असीम प्यार करना चाहिए। इसके अलावा हम भारतवासियों को विदेश में बसने का लोभ त्यागकर अपने देश की सेवा करनी चाहिए। हमें हिंदी और भारत दोनों का ही भरपूर आदर करने का संदेश भी मिलता है।
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