Solutions For All Chapters Kshitij 10
प्रश्न 1. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
उत्तर: गोपियों ने उद्धव को भाग्यवान कहा क्योंकि वे कभी प्रेम और स्नेह में नहीं बँधे। इसीलिए वे विरह की पीड़ा से अनजान और निश्चिंत हैं। यहाँ व्यंग्य यह है कि उद्धव का हृदय प्रेम से खाली और कठोर है।
प्रश्न 2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
उत्तर: उद्धव के निष्ठुर और प्रेमहीन व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की गई है, जो पानी में रहकर भी भीगता नहीं, और तेल से भरे घड़े से की गई है, जिस पर पानी की बूँद टिकती नहीं।
प्रश्न 3. गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?
उत्तर: गोपियों ने उद्धव को उलाहने देते हुए उदाहरण दिए –
- कमल के पत्ते का,
- तेल से भरे घड़े का,
- हारिल पक्षी की लकड़ी का,
- करुई ककड़ी (कड़वी ककड़ी) का।
प्रश्न 4. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?
उत्तर: गोपियाँ पहले से ही विरह की पीड़ा से व्याकुल थीं। उद्धव ने जब योग और ज्ञान का शुष्क संदेश सुनाया तो उनकी पीड़ा और भी बढ़ गई। इसलिए यह संदेश उनकी विरहाग्नि में घी डालने जैसा सिद्ध हुआ।
प्रश्न 5. ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?
उत्तर: यहाँ यह कहा गया है कि अब प्रेम की मर्यादा नहीं रह गई। गोपियों की प्रेम-भावना और अभिलाषाएँ मन में ही रह गईं, पर उन्हें पूरा होने का अवसर नहीं मिला।
प्रश्न 6. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?
उत्तर: गोपियों ने कहा कि वे मन, वचन और कर्म से केवल कृष्ण को ही अपना मानती हैं। वे जागते, सोते और सपनों में भी केवल कृष्ण का स्मरण करती हैं। उनका प्रेम हारिल पक्षी की लकड़ी की तरह अटूट है।
प्रश्न 7. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर: गोपियों ने कहा कि योग का संदेश उन लोगों को देना चाहिए जिनका मन चंचल और अस्थिर है। पर उनके लिए योग व्यर्थ है क्योंकि उनका मन पहले से ही कृष्ण में स्थिर है।
प्रश्न 8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
उत्तर: गोपियाँ योग-साधना को नीरस और अप्राकृतिक मानती हैं। वे प्रेम के मार्ग को श्रेष्ठ और सहज मानती हैं। उनके लिए ज्ञान और योग का कोई मूल्य नहीं, सच्चा मार्ग केवल प्रेम है।
प्रश्न 9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
उत्तर: गोपियों ने कहा कि राजा का धर्म प्रजा का हित करना और अन्याय से उन्हें बचाना है। जो दूसरों की अनीति दूर करता है, उसे स्वयं अनीति नहीं करनी चाहिए। यही राजधर्म है।
प्रश्न 10. गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?
उत्तर: गोपियों को लगा कि अब कृष्ण राजनीति पढ़ आए हैं और व्यवहार में पहले जैसे नहीं रहे। वे पहले सरल और प्रेममय थे, अब बुद्धि और चतुराई से काम लेते हैं। इसलिए गोपियाँ कहती हैं कि वे अपना मन वापस पा सकती हैं।
प्रश्न 11. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: गोपियों के वाक्चातुर्य की विशेषताएँ हैं –
- व्यंग्य और तर्कपूर्ण कथन।
- उपमाओं और उदाहरणों का सुंदर प्रयोग।
- अपनी भावनाओं को सजीव और प्रभावी ढंग से रखना।
- प्रेम को ज्ञान से श्रेष्ठ सिद्ध करना।
प्रश्न 12. संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- गोपियों की विरह-वेदना और प्रेमाभिव्यक्ति का सुंदर चित्रण।
- उद्धव पर व्यंग्य और तर्कपूर्ण बातें।
- प्रेम और भक्ति को ज्ञान से श्रेष्ठ मानना।
- भाषा – सहज, सरल और ब्रजभाषा की मधुरता।
- वाक्चातुर्य और लोकधर्मी भाव।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 13. गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।
उत्तर: गोपियों ने उद्धव से कहा कि योग और ज्ञान का संदेश उनके लिए व्यर्थ है, क्योंकि उनका मन पहले ही कृष्ण में रमा है। मेरी कल्पना से और तर्क हो सकते हैं –
- प्रेम हृदय का अनुभव है, इसे शास्त्रों और नियमों से नहीं बाँधा जा सकता।
- जो मन कृष्ण की भक्ति में डूब चुका है, उसे योग की आवश्यकता नहीं है।
- योग मन को एकाग्र करता है, पर हमारा मन तो पहले से ही कृष्ण में एकाग्र है।
- ज्ञान केवल मस्तिष्क को तृप्त करता है, पर प्रेम आत्मा को संतुष्ट करता है।
प्रश्न 14. उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखरित हो उठी?
उत्तर: गोपियों के पास सच्चे प्रेम और भक्ति की शक्ति थी।
- उनके वाक्चातुर्य में भावनाओं की गहराई थी।
- उनकी बातें अनुभव और सच्चाई से भरी हुई थीं।
- वे प्रेम को ज्ञान से श्रेष्ठ सिद्ध करती थीं।
- इसी शक्ति ने उन्हें उद्धव जैसे ज्ञानी के सामने भी विजयी बना दिया।
प्रश्न 15. गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- गोपियों ने कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं क्योंकि वे पहले जैसे सरल और निष्कपट नहीं रहे।
- उनके आचरण में चतुराई और नीति की झलक दिखने लगी है।
- अब वे प्रेम की जगह बुद्धि और स्वार्थ से कार्य करने लगे हैं।
समकालीन राजनीति में विस्तार:
- आज की राजनीति में भी यही प्रवृत्ति दिखाई देती है।
- नेता जनता से प्रेम और सेवा का दिखावा करते हैं, पर उनके काम में स्वार्थ और चालाकी छिपी रहती है।
- राजनीति में नीति और कूटनीति तो है, पर सच्चा त्याग और निस्वार्थ भाव बहुत कम है।
- इस प्रकार गोपियों का कथन आज की राजनीति में भी पूरी तरह प्रासंगिक है।
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