Solutions For All Chapters Kshitij 10
प्रश्न 1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
उत्तर: लक्ष्मण ने कहा कि यह धनुष बहुत पुराना और जीर्ण-शीर्ण था। राम ने इसे उठाया तो वह छूते ही टूट गया, इसमें राम का कोई दोष नहीं है।
प्रश्न 2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: राम शांत, विनम्र और धैर्यशील थे, उन्होंने परशुराम का सम्मान किया और विवाद टालना चाहा। लक्ष्मण साहसी, निर्भीक और व्यंग्यप्रिय थे, उन्होंने परशुराम के क्रोध और घमंड का कटाक्ष करते हुए सामना किया।
प्रश्न 3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।
उत्तर:
- परशुराम: “किसने यह शिवधनुष तोड़ा? मैं उसे दंड दूँगा।”
- लक्ष्मण: “धनुष तो पुराना था, छूते ही टूट गया। इसमें दोष किसका है?”
- परशुराम: “मैं क्षत्रियों का शत्रु हूँ, मेरा फरसा देखो।”
- लक्ष्मण: “केवल फरसा दिखाने से वीरता नहीं सिद्ध होती, यहाँ कोई इतना निर्बल नहीं है कि उँगली देखकर डर जाए।”
प्रश्न 4. परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए।
उत्तर: परशुराम ने कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी और क्षत्रियकुल के शत्रु हैं। उन्होंने अपने बल से पृथ्वी को राजाओं से खाली किया और देवताओं को बार-बार दान दिया। वे सहस्रबाहु की भुजाएँ काट चुके हैं और उनका फरसा इतना घोर है कि गर्भस्थ शिशुओं का भी संहार कर सकता है।
प्रश्न 5. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?
उत्तर: लक्ष्मण ने कहा कि सच्चा वीर बल के साथ-साथ विनम्रता और शांति से महान बनता है। वीर को क्रोध और घमंड नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 6. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर: साहस और शक्ति से मनुष्य दूसरों पर विजय पा सकता है, परंतु विनम्रता से वह सबके हृदय को जीत लेता है। क्रोध और घमंड वीरता को कलंकित करते हैं, जबकि विनम्रता से वीरता और महान हो जाती है।
प्रश्न 7 (क). भाव स्पष्ट कीजिए –
बिहसि लखनु बोले बोले मृदु बानी। अहो । अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।
उत्तर: इन पंक्तियों में लक्ष्मण व्यंग्यपूर्वक परशुराम से कहते हैं कि आप अपने कुठार (फरसे) को बार-बार दिखा रहे हैं, मानो किसी पहाड़ को फूँक मारकर उड़ाना चाहते हों। वे परशुराम की वीरता को मज़ाक बनाकर उनकी शेख़ी पर कटाक्ष कर रहे हैं।
प्रश्न 7 (ख). भाव स्पष्ट कीजिए –
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
उत्तर: इन पंक्तियों में लक्ष्मण कहते हैं कि यहाँ कोई कुम्हड़े की बेल जैसी निर्बल वस्तु नहीं है, जो आपकी उँगली या शस्त्र देखकर डर जाए। मैं आपकी शेख़ी देखकर व्यंग्य और अभिमान सहित बातें कर रहा हूँ। यहाँ पर लक्ष्मण का निर्भीक और कटाक्षपूर्ण स्वभाव प्रकट होता है।
प्रश्न 8. पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
- तुलसी की भाषा सरल, सहज और मधुर है।
- संवादों में व्यंग्य और विनोद की छटा है।
- वीर रस और हास्य रस का अद्भुत मिश्रण है।
- उपमाओं और अलंकारों का सुंदर प्रयोग है।
- ब्रज और अवधी मिश्रित भाषा की मधुरता है।
- पात्रों के स्वभाव के अनुसार भाषा का चयन हुआ है।
- लक्ष्मण के वचनों में कटाक्ष और व्यंग्य की शैली है।
- परशुराम के वचनों में वीरता और क्रोध की झलक है।
- भाषा में लय, गति और सरलता है।
- संवाद इतने जीवंत हैं कि पात्र सामने बोलते हुए प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 9. इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस प्रसंग में व्यंग्य का सौंदर्य लक्ष्मण के वचनों में दिखाई देता है। उदाहरणस्वरूप –
“इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं” कहकर वे परशुराम के क्रोध और शेख़ी पर कटाक्ष करते हैं।
“पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू” कहकर फरसा दिखाने की आदत का मज़ाक उड़ाते हैं।
इन व्यंग्यों से प्रसंग में रोचकता और हास्य का अनूठा सौंदर्य प्रकट होता है।
प्रश्न 10 (क). बालकु बोलि बधौं नहि तोही। – इसमें कौन-सा अलंकार है?
उत्तर: इसमें उपमा अलंकार है, क्योंकि परशुराम ने लक्ष्मण को बालक कहकर उनकी तुलना की है।
(ख). कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। – इसमें कौन-सा अलंकार है?
उत्तर: इसमें उपमा अलंकार है, क्योंकि लक्ष्मण के वचन की तुलना करोड़ों वज्र (कुलिश) से की गई है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 11. “सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।
उत्तर: यह कथन बिल्कुल सही है। क्रोध हमेशा नकारात्मक नहीं होता। जब अन्याय और अत्याचार बढ़ता है तब क्रोध हमें साहस और शक्ति देता है। यदि क्रोध नियंत्रित हो तो यह समाज में बुराइयों को समाप्त करने का साधन बन सकता है।
प्रश्न 12. अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: मेरा एक मित्र बहुत ईमानदार और परिश्रमी है। वह सबके साथ नम्रता से पेश आता है। उसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि वह हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखता है और जरूरत पड़ने पर दूसरों की मदद करता है।
प्रश्न 13. दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए – इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।
उत्तर: एक विद्यालय में एक छात्र पढ़ाई में कमजोर था। सब उसका मज़ाक उड़ाते थे। खेलकूद प्रतियोगिता में उसी छात्र ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। तब सबको यह सीख मिली कि हर व्यक्ति में कोई-न-कोई विशेष क्षमता होती है। इसलिए हमें किसी की क्षमता को कभी कम नहीं समझना चाहिए।
प्रश्न 14. उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
उत्तर: एक बार विद्यालय में कुछ बड़े छात्र छोटे बच्चों का सामान छीन रहे थे। मैंने और मेरे दोस्तों ने उन्हें रोका और अध्यापक को सारी बात बताई। अध्यापक ने उन छात्रों को दंडित किया। इस तरह हमने अन्याय का प्रतिकार किया।
प्रश्न 15. अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
उत्तर: अवधी भाषा आज उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र जैसे लखनऊ, अयोध्या, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ आदि जिलों में, बिहार के कुछ हिस्सों और मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में बोली जाती है।
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