एक कहानी यह भी
अध्याय – एक कहानी यह भी (मन्नू भंडारी) : सारांश
मन्नू भंडारी का जन्म सन् 1931 में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में हुआ था। वे स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कथा साहित्य की प्रमुख हस्ताक्षर रहीं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में आपका बंटी और महाभोज उपन्यास, मैं हार गई और त्रिशंकु कहानी-संग्रह शामिल हैं। उनकी रचनाओं में सहज भाषा, सादगी और स्त्री-मन की अनुभूतियों की गहरी अभिव्यक्ति मिलती है।
प्रस्तुत आत्मकथ्य “एक कहानी यह भी” में मन्नू भंडारी ने अपने जीवन से जुड़ी स्मृतियों और अनुभवों को साझा किया है। लेखिका बताती हैं कि उनका बचपन अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले में बीता। उनके पिता विद्वान, सम्मानित और समाजसेवी थे, जिन्होंने अंग्रेज़ी-हिंदी का पहला विषयवार शब्दकोश बनाया। लेकिन आर्थिक संकट और असफलताओं ने उनके स्वभाव को क्रोधी और शक्की बना दिया था। दूसरी ओर उनकी माँ बेहद धैर्यवान, त्यागमयी और सहनशील थीं। लेखिका के व्यक्तित्व पर पिता की कठोरता और माँ की सादगी – दोनों का गहरा प्रभाव पड़ा।
लेखिका स्वीकार करती हैं कि अपने रंग-रूप और स्वभाव के कारण उनमें हीनभावना घर कर गई थी। पिता जी की कठोरता से उनका टकराव अक्सर होता रहा। वहीं, मोहल्ले का खुला वातावरण, पड़ोस का अपनापन और साथियों का मेल-जोल उनके जीवन की यादगार पूँजी बनी। इसी मोहल्ले के अनेक चरित्र उनकी कहानियों का आधार बने।
उनके जीवन में निर्णायक मोड़ तब आया जब कॉलेज में हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से उनका परिचय हुआ। उन्होंने मन्नू को साहित्य की दुनिया से जोड़ दिया। प्रेमचंद, जैनेंद्र, अज्ञेय जैसे लेखकों की कृतियों को पढ़ने-समझने का अवसर मिला और साहित्य के प्रति उनमें गंभीरता आई। शीला अग्रवाल ने ही उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। प्रभात फेरियों, हड़तालों और जुलूसों में भाग लेकर मन्नू भंडारी का व्यक्तित्व और अधिक निखर गया।
उनके पिता कभी उनकी गतिविधियों से नाराज़ हो जाते, तो कभी गर्व भी महसूस करते। यह विरोधाभास उनके जीवन का हिस्सा रहा। इसी दौर में देश की आज़ादी की आँधी ने उनके व्यक्तित्व को नया मोड़ दिया और वे स्वतंत्रता आंदोलन से गहराई से जुड़ गईं।
कुल मिलाकर, इस आत्मकथ्य में मन्नू भंडारी ने अपने बचपन, पारिवारिक परिस्थितियों, साहित्यिक रुचि के विकास और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ाव की घटनाओं का सजीव चित्रण किया है। यह लेख दिखाता है कि कैसे साधारण-सी लड़की असाधारण परिस्थितियों से गुजरकर एक प्रसिद्ध लेखिका और जागरूक नागरिक बनी।
Leave a Reply