जननी तुल्यवत्सला (माँ सभी संतानों के प्रति समान स्नेह रखती है)
1. एकपदेन उत्तरं लिखत –
(एक शब्द में उत्तर दीजिए)
(क) वृषभः दीनः इति जानन्नपि कः तं नुदन् आसीत्? (बैल दीन है यह जानकर भी कौन उसे हाँक रहा था?)
उत्तरम् – कृषकः। (किसान)
(ख) वृषभः कुत्र पपात ? (बैल कहाँ गिर पड़ा?)
उत्तरम् – क्षेत्रे। (खेत में)
(ग) दुर्बले सुते कस्याः अधिका कृपा भवति ? (दुर्बल पुत्र पर किसकी अधिक कृपा होती है?)
उत्तरम् – मातुः। (माता की)
(घ) कयोः एकः शरीरेण दुर्बलः आसीत् ? (दो बैलों में से कौन शारीरिक रूप से दुर्बल था?)
उत्तरम् – बलीवर्दयोः। (बैलों में से एक।)
(ङ) चण्डवातेन मेघरवैश्च सह कः समजायत ? (आँधी और बादलों के गर्जन के साथ क्या हुआ?)
उत्तरम् – प्रवृष्टिः। (वर्षा।)
2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
(संस्कृत में उत्तर दीजिए)
(क) कृषकः किं करोति स्म ? (किसान क्या कर रहा था?)
उत्तरम् – क्षेत्रकर्षणं करोति स्म। (वह खेत जोत रहा था।)
(ख) माता सुरभिः किमर्थम् अश्रूणि मुञ्चति स्म ? (माता सुरभि आँसू क्यों बहा रही थी?)
उत्तरम् – पुत्रस्य दैन्यं दृष्ट्वा। (पुत्र का दुःख देखकर।)
(ग) सुरभिः इन्द्रस्य प्रश्नस्य किमुत्तरं ददाति ? (सुरभि ने इन्द्र के प्रश्न का क्या उत्तर दिया?)
उत्तरम् – “दीनस्य सुते मातुः अधिका कृपा भवति” इति। (कि दुर्बल पुत्र पर माता की अधिक कृपा होती है।)
(घ) मातुः अधिका कृपा कस्मिन् भवति ? (माता की अधिक कृपा किस पर होती है?)
उत्तरम् – दुर्बले सुते। (दुर्बल पुत्र पर।)
(ङ) इन्द्र: दुर्बलवृषभस्य कष्टानि अपाकर्तुं किं कृतवान्? (इन्द्र ने दुर्बल बैल की पीड़ा दूर करने के लिए क्या किया?)
उत्तरम् – वर्षां कृतवान्। (वर्षा की।)
(च) जननी कीदृशी भवति ? (जननी कैसी होती है?)
उत्तरम् – तुल्यवत्सला। (सब पुत्रों के प्रति समान स्नेह रखने वाली।)
(छ) पाठेऽस्मिन् कयोः संवादः विद्यते ? (इस पाठ में किसका संवाद है?)
उत्तरम् – सुरभेः इन्द्रस्य च। (सुरभि और इन्द्र का।)
3. ‘क’ स्तम्भे दत्तानां पदानां मेलनं ‘ख’ स्तम्भे दत्तैः समानार्थकपदैः कुरुत
(शब्दों का मिलान करें)
उत्तरम् –
क स्तम्भ | ख स्तम्भ |
---|---|
(क) कृच्छ्रेण | (vi) काठिन्येन |
(ख) चक्षुर्भ्याम् | (iii) नेत्राभ्याम् |
(ग) जवेन | (v) द्रुतगत्या |
(घ) इन्द्रः | (ii) वासवः |
(ङ) पुत्राः | (vii) सुता: |
(च) शीघ्रम् | (iv) अचिरम |
(छ) बलीवर्दः | (i) वृषभः |
हिंदी व्याख्या:
कृच्छ्रेण (कठिनाई से) = काठिन्येन (कठिनता से)
चक्षुर्भ्याम् (आँखों से) = नेत्राभ्याम् (आँखों से)
जवेन (तेजी से) = द्रुतगत्या (तेज गति से)
इन्द्रः (इंद्र) = वासवः (इंद्र का दूसरा नाम)
पुत्राः (पुत्र) = सुता: (पुत्र)
शीघ्रम् (शीघ्र) = अचिरम (शीघ्र)
बलीवर्दः (बैल) = वृषभः (बैल)
प्रश्न 4 : स्थूलपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाएँ)
(क) सः कृच्छ्रेण भारम् उद्वहति। (वह कठिनाई से बोझ उठाता है।)
उत्तरम्: सः केन/कथम् भारम् उद्वहति? (वह किससे / कैसे बोझ उठाता है?)
(ख) सुराधिपः ताम् अपृच्छत्। (सुराधिप ने उससे प्रश्न किया।)
उत्तरम्: कः ताम् अपृच्छत्? (किसने उससे प्रश्न किया?)
(ग) अयम् अन्येभ्यो दुर्बलः। (यह दूसरों से दुर्बल है।)
उत्तरम्: अयम् केभ्यः/केभ्यो दुर्बलः? (यह किनसे दुर्बल है?)
(घ) धेनूनाम् माता सुरभिः आसीत्। (सुरभि गायों की माता थी।)
उत्तरम्: कासाम् माता सुरभिः आसीत्? (सुरभि किसकी माता थी?)
(ङ) सहस्राधिकेषु पुत्रेषु सत्स्वपि सा दुःखी आसीत्। (हजारों पुत्रों के रहते हुए भी वह दुखी थी।)
उत्तरम्: कति पुत्रेषु सत्स्वपि सा दुःखी आसीत्? (कितने पुत्रों के रहते हुए भी वह दुखी थी?)
प्रश्न 5. रेखांकितपदे यथास्थानं सन्धि विच्छेद वा कुरुत-
(रेखांकित शब्दों का संधि या विच्छेद करें)
(क) कृषक: क्षेत्रकर्षणं कुर्वन् + आसीत्। (किसान खेत जोत रहा था।)
उत्तराणि: कुर्वन्नासीत्
(ख) तयोरेक: वृषभः दुर्बलः आसीत्। (उन दोनों में से एक बैल कमजोर था।)
उत्तराणि: तयोः + एकः
(ग) तथापि वृषः न + उत्थितः। (फिर भी बैल नहीं उठा।)
उत्तराणि: नोत्थितः
(घ) सत्स्वपि बहुषु पुत्रेषु अस्मिन् वात्सल्यं कथम्? (अनेक पुत्रों के रहते हुए भी इस पर स्नेह क्यों?)
उत्तराणि: सत्सु + अपि
(ङ) तथा + अपि + अहम् + एतस्मिन् स्नेहम् अनुभवामि। (फिर भी मैं इस पर स्नेह अनुभव करती हूँ।)
उत्तराणि: तथाप्यहमेतस्मिन्
(च) मे बहूनि + अपत्यानि सन्ति। (मेरी बहुत सी संतानें हैं।)
उत्तराणि: बहून्यपत्यानि
(छ) सर्वत्र जलोपप्लवः संजात:। (सर्वत्र जलप्लावन हुआ।)
उत्तराणि: जल + उपलव:
6. अधोलिखितेषु वाक्येषु रेखांकितं सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम् –
(रेखांकित सर्वनाम किसके लिए प्रयुक्त है)
(क) सा च अवदत् भो वासव ! अहम् भृशं दुःखिता अस्मि ।
👉 “सा” = सुरभिः।
हिन्दी अनुवाद:
वह बोली — हे वासव! मैं अत्यन्त दुखी हूँ।
“सा” शब्द सुरभि माता के लिए प्रयुक्त है।
(ख) पुत्रस्य दैन्यं दृष्ट्वा अहम् रोदिमि।
👉 “अहम्” = सुरभिः।
हिन्दी अनुवाद:
पुत्र की दीनता देखकर मैं रोती हूँ।
“अहम्” शब्द सुरभि माता के लिए प्रयुक्त है।
(ग) सः दीनः इति जानन् अपि कृषकः तं पीडयति ।
👉 “सः” = वृषभः (दुर्बल बैल)।
हिन्दी अनुवाद:
वह दीन है यह जानते हुए भी किसान उसे पीड़ा देता है।
“सः” शब्द दुर्बल वृषभ (बैल) के लिए प्रयुक्त है।
(घ) मम बहूनि अपत्यानि सन्ति ।
👉 “मम” = सुरभिः।
हिन्दी अनुवाद:
मेरे बहुत से पुत्र हैं।
“मम” शब्द सुरभि माता के लिए प्रयुक्त है।
(ङ) सः च ताम् एवम् असान्त्वयत्।
👉 “सः” = इन्द्रः
हिन्दी अनुवाद:
वह (इन्द्र) ने उसे (सुरभि को) इस प्रकार सान्त्वना दी।
(च) सहस्रेषु पुत्रेषु सत्स्वपि तव अस्मिन् प्रीतिः अस्ति ।
👉 तव = सुरभ्यै
हिन्दी अनुवाद:
हिंदी उत्तर: “तव” सुरभि के लिए प्रयुक्त है।
हजारों पुत्रों में भी (तुम्हें) उससे प्रेम है।
7. ‘क’ स्तम्भे विशेषणपदं लिखितम्, ‘ख’ स्तम्भे पुनः विशेष्यपदम्। तयोः मेलनं कुरुत
(विशेषण और विशेष्य का मिलान करें)
क स्तम्भ ख स्तम्भ
(क) कश्चित् (i) वृषभम्
(ख) दुर्बलम् (ii) कृपा
(ग) क्रुद्धः (iii) कृषीवलः
(घ) सहस्राधिकेषु (iv) आखण्डल:
(ङ) अभ्यधिका (v)जननी
(च) विस्मितः (vi) पुत्रेषु
(छ) तुल्यवत्सला (vii) कृषकः
क स्तम्भ (विशेषण) | ख स्तम्भ (विशेष्य) |
---|---|
(क) कश्चित् | (vii) कृषकः |
(ख) दुर्बलम् | (i) वृषभम् |
(ग) क्रुद्धः | (iii) कृषीवलः |
(घ) सहस्राधिकेषु | (vi) पुत्रेषु |
(ङ) अभ्यधिका | (ii) कृपा |
(च) विस्मितः | (iv) आखण्डलः |
(छ) तुल्यवत्सला | (v) जननी |
हिन्दी अनुवाद:
कश्चित् (कोई) = कृषकः (किसान)
दुर्बलम् (कमजोर) = वृषभम् (बैल)
क्रुद्धः (क्रोधित) = कृषीवलः (किसान)
सहस्राधिकेषु (हزارों से अधिक) = पुत्रेषु (पुत्रों में)
अभ्यधिका (अधिक) = कृपा (कृपा)
विस्मितः (आश्चर्यचकित) = आखण्डलः (इंद्र)
तुल्यवत्सला (समान स्नेह वाली) = जननी (माता)
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