सुभाषितानि (मधुर वाणी)
1. एकपदेन उत्तरं लिखत –
(एक शब्द में उत्तर लिखें)
(क) मनुष्याणां महान् रिपुः कः ? (मनुष्यों का सबसे बड़ा शत्रु कौन है?)
उत्तर: आलस्यम् (आलस्य)
(ख) गुणी किं वेत्ति ? (गुणी क्या जानता है?)
उत्तर: गुणम् (गुण)
(ग) केषां सम्पत्तौ च विपत्तौ च महताम् एकरूपता ? (किनकी समृद्धि और विपत्ति में समानता होती है?)
उत्तर: महताम् (महान व्यक्तियों की)
(घ) पशुना अपि कीदृशः गृह्यते ? (पशु द्वारा भी कैसा अर्थ ग्रहण किया जाता है?)
उत्तर: उदीरितः (उच्चारित)
(ङ) उदयसमये अस्तसमये च कः रक्तः भवति ? (उदय और अस्त के समय कौन लाल होता है?)
उत्तर: सविता (सूर्य)
2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत –
(संस्कृत भाषा में उत्तर लिखें)
(क) केन समः बन्धुः नास्ति ? (किसके समान मित्र नहीं है?)
उत्तर: उद्यमेन समः बन्धुः नास्ति। (परिश्रम के समान मित्र नहीं है।)
(ख) वसन्तस्य गुणं कः जानाति ? (वसंत के गुण को कौन जानता है?)
उत्तर: पिकः वसन्तस्य गुणं जानाति। (कोयल वसंत के गुण को जानता है।)
(ग) बुद्धयः कीदृश्यः भवन्ति ? (बुद्धियाँ कैसी होती हैं?)
उत्तर: बुद्धयः परेङ्गितज्ञानफलाः भवन्ति। (बुद्धियाँ दूसरों के इशारों को समझने वाली होती हैं।)
(घ) नराणां प्रथमः शत्रुः कः ? (मनुष्यों का पहला शत्रु कौन है?)
उत्तर: क्रोधः नराणां प्रथमः शत्रुः। (क्रोध मनुष्यों का पहला शत्रु है।)
(ङ) सुधियः सख्यं केन सह भवति ? (बुद्धिमान लोग किसके साथ मित्रता करते हैं?)
उत्तर: सुधियः सुधीभिः सह सख्यं भवति। (बुद्धिमान लोग बुद्धिमानों के साथ मित्रता करते हैं।)
(च) अस्माभिः कीदृशः वृक्षः सेवितव्यः ? (हमें किस प्रकार के वृक्ष की सेवा करनी चाहिए?)
उत्तर: फलच्छायासमन्वितः महावृक्षः अस्माभिः सेवितव्यः। (फल और छाया से युक्त बड़े वृक्ष की हमें सेवा करनी चाहिए।)
3. अधोलिखिते अन्वयद्वये रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत –
(नीचे दिए गए अन्वय (संतुलित वाक्य) में खाली स्थान भरें।)
(क) यः _______ उद्दिश्य प्रकुप्यति तस्य _____ सः ध्रुवं प्रसीदति । यस्य मनः अकारणद्वेषि अस्ति, ________ तं कथं परितोषयिष्यति ?
( जो ______ के कारण क्रोधित होता है, उसके ______ पर वह निश्चित रूप से शांत हो जाता है। जिसका मन बिना कारण द्वेष करता है, ______ उसे कैसे संतुष्ट करेगा?)
उत्तर: यः निमित्तम् उद्दिश्य प्रकुप्यति तस्य निमित्तापगमे सः ध्रुवं प्रसीदति। यस्य मनः अकारणद्वेषि अस्ति, जनः तं कथं परितोषयिष्यति ?
(जो कारण के कारण क्रोधित होता है, उसके कारण के हटने पर वह निश्चित रूप से शांत हो जाता है। जिसका मन बिना कारण द्वेष करता है, लोग उसे कैसे संतुष्ट करेंगे?)
(ख) ______ संसारे खलु ______ निरर्थकम् नास्ति । अश्वः चेत् _____ वीरः, खरः _____ वहने (वीरः) (भवति)
( ______ संसार में वास्तव में ______ निरर्थक नहीं है। यदि घोड़ा ______ में वीर है, तो गधा ______ वहन में (वीर) है।)
उत्तर: विचित्रे संसारे खलु किञ्चित् निरर्थकम् नास्ति। अश्वः चेत् धावने वीरः, खरः भारस्य वहने (वीरः) (भवति)।
(विचित्र संसार में वास्तव में कुछ भी निरर्थक नहीं है। यदि घोड़ा दौड़ने में वीर है, तो गधा भार वहन में (वीर) है।)
4. अधोलिखितानां वाक्यानां कृते समानार्थकान् श्लोकांशान् पाठात् चित्वा लिखत –
(पाठ से समानार्थक श्लोकांश चुनकर लिखें)
(क) विद्वान् स एव भवति यः अनुक्तम् अपि तथ्यं जानाति । (विद्वान वही होता है जो बिना कहे भी सत्य को जान लेता है।)
उत्तर: अनुक्तमप्यूहति पण्डितो जनः (बिना कहे भी विद्वान व्यक्ति समझ लेता है।)
(ख) मनुष्यः समस्वभावैः जनैः सह मित्रतां करोति । (मनुष्य समान स्वभाव वाले लोगों के साथ मित्रता करता है।)
उत्तर: समान-शील-व्यसनेषु सख्यम् (समान स्वभाव और रुचियों में मित्रता होती है।)
(ग) परिश्रमं कुर्वाणः नरः कदापि दुःखं न प्राप्नोति । (परिश्रम करने वाला मनुष्य कभी दुख नहीं पाता।)
उत्तर: नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति (परिश्रम के समान कोई मित्र नहीं, जिसे करने से दुख नहीं होता।)
(घ) महान्तः जनाः सर्वदैव समप्रकृतयः भवन्ति । (महान लोग हमेशा समान स्वभाव वाले होते हैं।)
उत्तर: संपत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता (समृद्धि और विपत्ति में महान लोगों की समानता होती है।)
5. यथानिर्देशं परिवर्तनं विधाय वाक्यानि रचयत –
(निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन करें)
(क) गुणी गुणं जानाति । (बहुवचने)
उत्तर: गुणिनः गुणान् जानन्ति।
हिन्दी प्रश्न: गुणी गुण को जानता है। (बहुवचन में)
गुणी लोग गुणों को जानते हैं।
(ख) पशुः उदीरितम् अर्थं गृह्णाति । (कर्मवाच्ये)
उत्तर: पशुना उदीरितः अर्थः गृह्यते।
हिन्दी प्रश्न: पशु उच्चारित अर्थ को ग्रहण करता है। (कर्मवाच्य में)
पशु द्वारा उच्चारित अर्थ ग्रहण किया जाता है।
(ग) मृगाः मृगैः सह अनुव्रजन्ति । (एकवचने)
उत्तर: मृगः मृगेन सह अनुव्रजति।
हिन्दी प्रश्न: मृग मृगों के साथ चलते हैं। (एकवचन में)
मृग मृग के साथ चलता है।
(घ) कः छायां निवारयति । (कर्मवाच्ये)
उत्तर: केन छाया निवार्यते।
हिन्दी प्रश्न: कौन छाया को रोकता है? (कर्मवाच्य में)
किसके द्वारा छाया रोकी जाती है?
(ङ) तेन एव वह्निना शरीरं दह्यते । (कर्तृवाच्ये)
उत्तर: सः एव वह्निः शरीरं दहति।
हिन्दी प्रश्न: उसी अग्नि से शरीर जलाया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
वही अग्नि शरीर को जलाती है।
6. (अ) सन्धिं / सन्धिविच्छेदं कुरुत –
(संधि या संधि-विच्छेद करें)
(क) न + अस्ति + उद्यमसमः = ______
उत्तर: नास्त्युद्यमसमः
(ख) ____ + ____ = तस्यापगमे
उत्तर: तस्य + अपगमे = तस्यापगमे
(ग) अनुक्तम् + अपि + ऊहति = ______
उत्तर: अनुक्तमप्यूहति
(घ) ___ + ____ = गावश्च
उत्तर: गावः + च = गावश्च
(ङ) ___ + ___ = नास्ति
उत्तर: न + अस्ति = नास्ति
(च) रक्तः + च + अस्तमये = ________
उत्तर: रक्तश्चास्तमये
(छ) _____ + _____ = योजकस्तत्र
उत्तर: योजकः + तत्र = योजकस्तत्र
(आ) समस्तपदं / विग्रहं लिखत –
(समस्त पद या विग्रह लिखें)
(क) उद्यमसमः _____
उत्तर: उद्यमेन समः (परिश्रम के समान)
(ख) शरीरे स्थितः _____
उत्तर: शरीरस्थितः (शरीर में स्थित)
(ग) निर्बलः _____
उत्तर: बलरहितः (बल से रहित)
(घ) देहस्य विनाशनाय _____
उत्तर: देहविनाशनाय (देह के विनाश के लिए)
(ङ) महावृक्षः _____
उत्तर: महान् वृक्षः (बड़ा वृक्ष)
(च) समानं शीलं व्यसनं येषां तेषु _____
उत्तर: समानशीलव्यसनेषु (समान स्वभाव और रुचि वालों में)
(छ) अयोग्यः _____
उत्तर: योग्यतारहितः (योग्यता से रहित)
7. अधोलिखितानां पदानां विलोमपदानि पाठात् चित्वा लिखत-
(पाठ से विलोम शब्द चुनकर लिखें)
(क) प्रसीदति – अवसीदति
👉 हिन्दी: प्रसन्न होता है – उदास होता है।
(ख) मूर्खः – पण्डितः
👉 हिन्दी: मूर्ख – विद्वान।
(ग) बली – निर्बलः
👉 हिन्दी: बलवान – कमजोर।
(घ) सुलभः – दुर्लभः
👉 हिन्दी: आसानी से मिलने वाला – कठिनाई से मिलने वाला।
(ङ) संपत्ती – विपत्ती
👉 हिन्दी: संपत्ति/सुख-समृद्धि – विपत्ति/दुःख।
(च) अस्तमये – उदये
👉 हिन्दी: अस्त होने पर – उदय होने पर।
(छ) सार्थकम् – निरर्थकम्
👉 हिन्दी: सार्थक – निरर्थक।
(अ) संस्कृतेन वाक्यप्रयोगं कुरुत –
(संस्कृत में वाक्य प्रयोग करें)
(क) वायसः _________________________________
(ख) निमित्तम् _________________________
(ग) सूर्य : _____________________
(घ) पिक: ____________________
(ङ) वह्निः _______________________
उत्तराणि:
(क) कौआ – वायसः कृष्णवर्णः भवति।
(ख) कारण – त्वं किं निमित्तं दृष्ट्वा अत्र तिष्ठसि?
(ग) सूर्य – सूर्यः पूर्व दिशायाम् उदयति।
(घ) कोयल – पिकः मधुरं कूजति।
(ङ) आग – तत्र सुदीप्तः वह्निः प्रज्वलति।
Leave a Reply