Ila Sachani: Embroidering Dreams with her Feet – Part 3
The chapter Ila Sachani: Embroidering Dreams with Her Feet tells the inspiring story of Ila Sachani, a remarkable woman from Gujarat, who overcame physical challenges to become a skilled artist in Kathiawar embroidery. Despite being born without the use of her hands, Ila did not let this hold her back. Her journey of perseverance and determination serves as an example of how challenges can be transformed into success.
Ila was born into a farmer’s family in Amreli, Gujarat. Unlike other children, she couldn’t use her hands to do everyday tasks. She often wondered why she couldn’t draw figures or play like the other kids. However, with the strong support of her mother and grandmother, who were skilled in the traditional art of Kathiawar embroidery, Ila learned to use her feet to create intricate designs. This was not an easy task, but with her family’s encouragement and her own willpower, Ila mastered the art.
Her family taught her how to do everyday tasks using her legs, such as eating and combing her hair. She even learned to thread a needle with her feet, which was a difficult challenge. Over time, Ila became an expert not only in Kathiawar embroidery but also in other embroidery styles like Kachhi, Kashmiri, and Lucknawi. Initially, Ila created beautiful patterns only for her family and friends, who were amazed by her talent.
As word of her skill spread, her embroidery caught the attention of government officials in Surat. They displayed her work at a state exhibition, which opened new opportunities for her. Her creations, all done with her feet, were admired and purchased by many. This marked the beginning of her journey to fame.
Encouraged by the recognition she received, Ila participated in more exhibitions at both state and national levels. She won several awards, including the prestigious President’s Medal, for her artistry and for overcoming her physical limitations. Ila’s success brought her financial independence and immense joy, as she was able to earn a living by doing what she loved.
The chapter concludes with the powerful message that art can rise above physical boundaries and touch the soul. Ila Sachani’s life story shows that with determination, focus, and positivity, anyone can turn challenges into victories. Her journey serves as an inspiration to others facing difficulties in their lives.
Summary in hindi
अध्याय ईला सचानी: अपने पैरों से सपनों को कढ़ाई में बुनना गुजरात की एक प्रेरणादायक महिला, ईला सचानी की कहानी बताता है, जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हुए काठियावाड़ी कढ़ाई में महारत हासिल की। ईला बिना हाथों के पैदा हुई थीं, लेकिन उन्होंने इसे कभी अपनी सफलता के रास्ते में नहीं आने दिया। यह कहानी उनके दृढ़ संकल्प और मेहनत की गाथा है, जो दिखाती है कि कैसे किसी भी चुनौती को सफलता में बदला जा सकता है।
ईला का जन्म गुजरात के अमरेली में एक किसान परिवार में हुआ था। अन्य बच्चों के विपरीत, वह अपने हाथों का उपयोग नहीं कर पाती थीं। वह अक्सर सोचती थीं कि वह अन्य बच्चों की तरह आकृतियां क्यों नहीं बना सकतीं या खेल नहीं सकतीं। हालांकि, उनकी मां और दादी, जो काठियावाड़ी कढ़ाई में निपुण थीं, ने उन्हें अपने पैरों से कढ़ाई करना सिखाया। यह कोई आसान काम नहीं था, लेकिन अपने परिवार के समर्थन और अपनी इच्छाशक्ति के कारण, ईला ने इस कला में महारत हासिल की।
ईला ने अपने पैरों से रोज़मर्रा के काम जैसे खाना खाना और बालों में कंघी करना भी सीखा। उन्होंने अपने पैरों से सुई में धागा डालने की कला भी सीखी, जो बेहद चुनौतीपूर्ण था। समय के साथ, ईला न केवल काठियावाड़ी कढ़ाई में बल्कि कच्छी, कश्मीरी, और लखनऊवी कढ़ाई में भी माहिर हो गईं। पहले, ईला अपने परिवार और दोस्तों के लिए ही कढ़ाई करती थीं, जो उनकी प्रतिभा से आश्चर्यचकित थे।
धीरे-धीरे, उनकी कला की प्रशंसा गुजरात के सरकारी अधिकारियों तक पहुंची, जिन्होंने उनके काम को राज्य स्तरीय प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किया। उनकी कढ़ाई के नमूने, जो उन्होंने अपने पैरों से बनाए थे, कई लोगों द्वारा पसंद किए गए और खरीदे गए। यह उनके प्रसिद्धि के सफर की शुरुआत थी।
सराहना और पहचान मिलने के बाद, ईला ने और भी प्रदर्शनियों में भाग लिया और राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीते, जिसमें राष्ट्रपति पदक भी शामिल था। उनकी कलात्मकता और शारीरिक सीमाओं को पार करने की उनकी क्षमता ने उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता भी दिलाई, और उन्होंने अपने पसंदीदा काम से जीविका अर्जित करना शुरू किया।
अध्याय इस संदेश के साथ समाप्त होता है कि कला शारीरिक सीमाओं से परे जाकर आत्मा को छू सकती है। ईला सचानी की जीवन कहानी यह दिखाती है कि दृढ़ संकल्प, ध्यान और सकारात्मकता से कोई भी चुनौती को जीत में बदला जा सकता है। उनकी यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
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