उद्यानस्य चित्रम् उपरि प्रदर्शितम्। एतत् राष्ट्रपतिभवनस्य परिसरे विद्यमानम् अमृत-उद्यानम् अस्ति। अत्र शताधिक-प्रकारकाणि पाटलपुष्पाणि सन्ति। सामान्यतः पञ्चसहस्राधिकानि कुसुमपुष्पाणि च सन्ति। रमणीयः निसर्गः विविधैः वर्णैः सर्वेषां चित्तम् आकर्षति। तादृशानां वर्णानां परिचयम् अस्मिन् पाठे प्राप्नुमः।
हिंदी अनुवाद:
ऊपर प्रदर्शित चित्र राष्ट्रपति भवन के परिसर में स्थित अमृत उद्यान का है। यहाँ सौ से अधिक प्रकार के गुलाब के फूल हैं। सामान्यतः पाँच हजार से अधिक अन्य फूल भी हैं। सुंदर प्रकृति अपने विविध रंगों से सभी के मन को आकर्षित करती है। इस पाठ में हमें ऐसे रंगों का परिचय प्राप्त होगा।
शिक्षक और छात्रों का संवाद
शिक्षकः – वयम् अत्र किं किं पश्यामः?
श्रद्धा – सर्वत्र विविधानि पुष्पाणि, हरितानि पर्णानि, खगाः जन्तवः च सन्ति इति पश्यामः।
हिंदी अनुवाद:
शिक्षक: हम यहाँ क्या-क्या देखते हैं?
श्रद्धा: हम हर जगह विभिन्न फूल, हरे पत्ते, पक्षी और जानवर देखते हैं।
शिक्षकः – सत्यम्। एवमेव तेषां वर्णाः अपि विविधाः। यथा श्रद्धा वदति ‘हरितानि पर्णानि’ इति, अत्र पर्णानां कः वर्णः?
सर्वे – (सर्वे) हरितः।
हिंदी अनुवाद:
शिक्षक: सत्य है। इसी तरह उनके रंग भी विविध हैं। जैसा कि श्रद्धा कहती है ‘हरे पत्ते’, यहाँ पत्तों का रंग क्या है?
सभी: (सर्वे) हरा।
श्रद्धा – अत्र वृक्षस्य उपरि शुकः अस्ति। सः अपि हरितवर्णः शोभते।
शिक्षकः – श्रद्धे, तव इष्टवर्णः हरितः इति चिन्तयामि। अत एव हरितवर्णम् एव पश्यसि खलु।
हिंदी अनुवाद:
श्रद्धा: यहाँ पेड़ पर एक तोता है। वह भी हरे रंग में सुशोभित है।
शिक्षक: श्रद्धा, मैं सोचता हूँ कि तुम्हारा प्रिय रंग हरा है। इसलिए तुम केवल हरा रंग ही देखती हो, है ना?
मेधा – आचार्य! अत्र काकः अपि अस्ति, यस्य वर्णः कृष्णः। एवं पिकस्य अपि वर्णः कृष्णः।
हिंदी अनुवाद:
मेधा: आचार्य! यहाँ एक कौआ भी है, जिसका रंग काला है। और कोयल का रंग भी काला है।
शिक्षकः – आम्। उत्तमम्। सर्वं दृष्टवर्णं भवत्याः। छात्राः! पश्यन्तु, अत्र पुष्पाणि अपि सन्ति। मनीष! लक्षतु जपापुष्पम्। वदतु, अस्य वर्णः कः?
मनीषः – रक्तवर्णः आचार्य! शुकस्य चञ्चुः अपि रक्तवर्णः। पाटलपुष्पम् अपि रक्तवर्णं युक्तम्।
हिंदी अनुवाद:
शिक्षक: हाँ। बहुत अच्छा। तुमने सब रंग देखे। छात्रों! देखो, यहाँ फूल भी हैं। मनीष! गुड़हल के फूल को देखो। बता, इसका रंग क्या है?
मनीष: लाल रंग, आचार्य! तोते की चोंच भी लाल रंग की है। गुलाब का फूल भी लाल रंग से युक्त है।
शिक्षकः – शोभनम्। चित्रवर्णाः शुकाः अपि अत्र सन्ति इति जानन्ति किम्?
आदित्यः – आचार्य! ते कीदृशाः भवन्ति? वयं द्रष्टुम् इच्छामः।
हिंदी अनुवाद:
शिक्षक: सुंदर। क्या तुम जानते हो कि यहाँ रंग-बिरंगे तोते भी हैं?
आदित्य: आचार्य! वे कैसे होते हैं? हम उन्हें देखना चाहते हैं।
शिक्षकः – तादृशान् शुकान् वयं प्रभातः जन्तुशालायां पश्यामः। तेषां पक्षाः नीला: पीता: रक्ताः च भवन्ति।
हिंदी अनुवाद:
शिक्षक: ऐसे तोतों को हम सुबह चिड़ियाघर में देखेंगे। उनके पंख नीले, पीले और लाल होते हैं।
मञ्जुलः – आचार्य! पाटलपुष्पाणि अपि विविधवर्णयुक्तानि भवन्ति। मम उद्याने पीतवर्णानि, श्वेतवर्णानि, नीललोहितवर्णानि, केसरवर्णानि च पाटलपुष्पाणि छन्।
हिंदी अनुवाद:
मञ्जुल: आचार्य! गुलाब के फूल भी विभिन्न रंगों वाले होते हैं। मेरे बगीचे में पीले, सफेद, जामुनी और केसरिया रंग के गुलाब के फूल हैं।
शिक्षकः – उत्तमम्। परन्तु, हंसः श्वेतः। तथा अन्ये के श्वेतवर्णाः?
मेधा – आचार्य! बकः शशः च। तथा भवतः प्रावारकम् अपि श्वेतम्।
हिंदी अनुवाद:
शिक्षक: बहुत अच्छा। लेकिन, हंस सफेद है। और अन्य कौन-कौन सफेद रंग के हैं?
मेधा: आचार्य! बगुला और खरगोश। और आपका कोट भी सफेद है।
शिक्षकः – आम्। सम्यक्। सर्वे स्वस्य अन्येषां च वस्त्राणां वर्णान् अवलोकयन्तु।
हिंदी अनुवाद:
शिक्षक: हाँ। ठीक है। सभी अपने और दूसरों के कपड़ों के रंग देखें।
मञ्जुलः – आचार्य! इन्द्रधनुः तु बहुवर्णमयं खलु। तत्र सप्त वर्णाः भवन्ति।
हिंदी अनुवाद:
मञ्जुल: आचार्य! इंद्रधनुष तो बहुत रंगों वाला है। उसमें सात रंग होते हैं।
शिक्षकः – आम्। सर्वं अपि निसर्गः बहुवर्णमयः। तेन संसारः सुन्दरः। वर्णाः एव अस्माकं जीवनम् अपि मनोरमं कुरुति। तत्र ‘वर्णयोजकः चित्रकारः कः’ इति जानन्ति किम्?
सर्वे – (उच्चैः) परमेश्वरः परमेश्वरः।
शिक्षकः – आम्। सः एव महान् चित्रकारः।
हिंदी अनुवाद:
शिक्षक: हाँ। समस्त प्रकृति बहुत रंगों वाली है। इससे संसार सुंदर है। रंग ही हमारे जीवन को भी मनोरम बनाते हैं। वहाँ ‘रंगों का चित्रकार कौन है’ यह जानते हो?
सभी: (जोर से) परमेश्वर! परमेश्वर!
शिक्षक: हाँ। वही महान चित्रकार है।
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