बुद्धिः सर्वार्थसाधिका
संसारे उत्तमजीवनाय बुद्धिपूर्वकः व्यवहारः आवश्यकः भवति। बुद्धिपूर्वकं व्यवहारेण कठिनमपि कार्यं सहजं भवति। विशेषतः स्पर्धायाः समये यदि प्रतिपक्षः अतीव प्रबलः तर्हि बुद्धिवशेन विजयं तु जामः। शारीरबलात् बुद्धिबलस्य महत्त्वं कथम् अधिकम् इति एषा कथा प्रतिपादयति। एतां कथां वयं पठामः।
हिंदी अनुवाद:
संसार में उत्तम जीवन के लिए बुद्धिपूर्वक व्यवहार आवश्यक होता है। बुद्धिमानी से व्यवहार करने से कठिन कार्य भी आसान हो जाता है। विशेष रूप से प्रतिस्पर्धा के समय, यदि प्रतिद्वंद्वी बहुत शक्तिशाली हो, तो बुद्धि के बल से ही विजय प्राप्त होती है। शारीरिक बल से बुद्धि का बल कैसे अधिक महत्वपूर्ण है, यह कथा बताती है। इस कथा को हम पढ़ते हैं।
एकस्मिन् वने एकः नित्यजलपूर्णः महान् सरोवरः अस्ति। कदाचिद् एकं पिपासाकुलं गजमूथं वनान्तरात् तत्र आगच्छति। तस्मिन् सरोवरे ते गजाः स्वेच्छया जले पीत्वा, स्नात्वा, क्रीडित्वा च सायमसमये निर्गच्छन्ति। तस्य च सरोवरस्य तीरे समन्तात् सुकोमलभूमौ बहूनि शशक-विलानि सन्ति, येषु बहवः शशकाः निवसन्ति। गजानां परिभ्रमणेन तेषु विलेषु निवसन्तः बहवः शशकाः क्षतविक्षताः भवन्ति, केचन पुनः मृताः अपि भवन्ति। ततः शशकाः भीताः चिन्तामनाः च भवन्ति। ते दुःखम् अनुभवन्ति। स्वरक्षार्थं च ते उपायं चिन्तयन्ति।
हिंदी अनुवाद:
एक जंगल में एक बड़ा सरोवर था, जो हमेशा जल से भरा रहता था। कभी-कभी प्यासा हाथियों का झुंड जंगल के भीतर से वहाँ आता था। उस सरोवर में वे हाथी मनमर्जी से पानी पीते, नहाते और खेलते थे, फिर शाम के समय चले जाते थे। उस सरोवर के किनारे चारों ओर नरम भूमि पर खरगोशों के कई बिल थे, जिनमें बहुत से खरगोश रहते थे। हाथियों के घूमने-फिरने से उन बिलों में रहने वाले कई खरगोश घायल हो जाते थे, और कुछ तो मर भी जाते थे। इससे खरगोश डर जाते और चिंतित हो जाते थे। वे दुख का अनुभव करते थे। अपनी रक्षा के लिए वे उपाय सोचने लगे।
एकस्मिन् दिने सायङ्काले तेषां शशकानां सभा भवति। सर्वं शशकाः स्वमतं प्रकाशयन्ति। परं ते समाधानं न प्राप्नुवन्ति। अन्ते शशकराजः वदति- “अहमेव उपायं चिन्तयामि। अधुना वयं सर्वं स्वगृहं गच्छामः।”
हिंदी अनुवाद:
एक दिन शाम के समय उन खरगोशों की सभा हुई। सभी खरगोशों ने अपने विचार व्यक्त किए। लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। अंत में खरगोशों का राजा बोला- “मैं ही उपाय सोचता हूँ। अब हम सभी अपने घर जाएँ।”
अन्यस्मिन् दिवसे रात्रौ सः शशकराजः यूथाधिपस्य गजराजस्य समीपं गच्छति। सः गजराजं कथयति- “हे गजराज! एषः सरोवरः चन्द्रस्य वासस्थानम् अस्ति। वयं शशकाः तस्य प्रजाः स्मः अत एव सः शशाङ्कः इति नाम्ना प्रसिद्धः। यदा शशकाः जीवन्ति तदा एव चन्द्रः प्रसन्नः भवति।”
हिंदी अनुवाद:
अगले दिन रात में वह खरगोशों का राजा हाथियों के राजा के पास गया। उसने हाथी राजा से कहा- “हे गजराज! यह सरोवर चंद्रमा का निवास स्थान है। हम खरगोश उनकी प्रजा हैं, इसलिए वे शशांक (चंद्रमा) के नाम से प्रसिद्ध हैं। जब खरगोश जीवित रहते हैं, तभी चंद्रमा प्रसन्न रहते हैं।”
गजराजः पृच्छति- “कथम् अहं विश्वासं करोमि? किं सत्यमेव चन्द्रः सरोवरे तिष्ठति?” यदि सरोवरः चन्द्रदेवस्य वासस्थानं तर्हि तत् प्रदर्शयत। शशकः कथयति- “आम्, चन्द्रस्य दर्शनाय आवाम् अधुना एव सरोवरं प्रति चलावः।”
हिंदी अनुवाद:
हाथी राजा ने पूछा- “मैं कैसे विश्वास करूँ? क्या वास्तव में चंद्रमा सरोवर में रहते हैं?” यदि सरोवर चंद्रदेव का निवास स्थान है, तो वह दिखाओ। खरगोश ने कहा- “हाँ, चंद्रमा के दर्शन के लिए हम दोनों अभी सरोवर की ओर चलें।”
गजराजः शशकराजेन सह सरोवरस्य समीपं गच्छति। सः जले चन्द्रस्य प्रतिबिम्बं पश्यति, चकितः च भवति। सः भयेन चन्द्रं नमति। ततः सः गजयूथेन सह अन्यत्र गच्छति। सः गजयूथः पुनः कदापि तस्य सरोवरस्य समीपं न आगच्छति। शशकाः तत्र सुखेन तिष्ठन्ति। सत्यम् एव उक्तम् ‘बुद्धिः सर्वत्र साधिका’।
हिंदी अनुवाद:
हाथी राजा खरगोशों के राजा के साथ सरोवर के पास गया। उसने पानी में चंद्रमा का प्रतिबिंब देखा और चकित हो गया। वह भय से चंद्रमा को नमस्कार करने लगा। फिर वह अपने हाथी झुंड के साथ कहीं और चला गया। वह हाथी झुंड फिर कभी उस सरोवर के पास नहीं आया। खरगोश वहाँ सुख से रहने लगे। सच ही कहा गया है कि ‘बुद्धि हर जगह सफल होती है’।
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