यो जानाति सः पण्डितः
संस्कृत-साहित्ये प्रहेलिकानां विशिष्टं स्थानम् अस्ति। प्रहेलिकाः आनन्दस्य मानसिकम् उल्लासं जनयन्ति। बुद्धेः तार्किकशक्तिं वर्धयन्ति। चिन्तनक्षमतां विकासयन्ति। पूर्वजानां कवीनां बुद्धिमत्तां कल्पनाशक्तिं च दर्शयन्ति।
हिंदी अनुवाद:
संस्कृत साहित्य में प्रहेलिकाओं का विशेष स्थान है। प्रहेलिकाएँ आनंद और मानसिक उत्साह उत्पन्न करती हैं। बुद्धि की तार्किक शक्ति को बढ़ाती हैं। चिंतन क्षमता का विकास करती हैं। पूर्वज कवियों की बुद्धिमत्ता और कल्पनाशक्ति को दर्शाती हैं।
प्रहेलिका 1
भोजनान्ते च किं पेयं जयन्तः कस्य वै सुतः।
कथं विष्णुपदं प्रोक्तं तक्रं शक्रस्य दुर्लभम्॥
विवरणम् – भोजनस्य अन्ते किं पानीयम्? ( )। जयन्तः कस्य पुत्रः? ( )। विष्णोः सान्निध्यं कथम् उक्तम्? ( )।
हिंदी अनुवाद:
भोजन के बाद क्या पीना चाहिए, जयंत किसका पुत्र है?
विष्णु का स्थान कैसे कहा गया, छाछ जो इंद्र के लिए दुर्लभ है?
विवरण – भोजन के बाद क्या पेय पदार्थ है? ( )। जयंत किसका पुत्र है? ( )।
विष्णु की निकटता को कैसे कहा गया है? ( )।
प्रहेलिका 2
न तस्यादिनं तस्यान्तो मध्ये यस्तस्य तिष्ठति।
तवाप्यस्ति समाप्यस्ति यद्धि जानासि तद्धद॥
विवरणम् – तस्य आदिः न अस्ति, तस्य अन्तः अपि न अस्ति, तस्य मध्ये यः तिष्ठति। तत् तव अपि अस्ति। मम अपि अस्ति। यदि जानासि तत् वद् – ( )।
हिंदी अनुवाद:
जिसका न आदि है, न अंत है, उसके मध्य में जो रहता है।
वह तुममें भी है, मुझमें भी है, यदि तुम जानते हो तो बताओ।
विवरण – इसका न आदि है, न अंत है, इसके मध्य में जो रहता है। वह तुममें भी है।
मुझमें भी है। यदि तुम जानते हो तो बताओ – ( )।
प्रहेलिका 3
वृक्षस्याग्रं फलं दृष्टं फलाग्रे वृक्ष एव च।
अकारादिं सकारान्तं यो जानाति स पण्डितः॥
विवरणम् – वृक्षस्य अग्रे फलं दृष्टम् फलस्य अग्रे वृक्षः एव च। अकारः यस्य आदिः तथैव सकारः यस्य अन्तं अस्ति, तत् पदं यः जानाति सः पण्डितः – ( )।
हिंदी अनुवाद:
वृक्ष की चोटी पर फल दिखा, फल की चोटी पर वृक्ष ही है।
‘अ’ से शुरू और ‘स’ पर खत्म, जो यह शब्द जानता है, वह पंडित है।
विवरण – वृक्ष की चोटी पर फल दिखा, फल की चोटी पर वृक्ष ही है। ‘अ’ इसका आदि है और ‘स’ इसका अंत है, वह शब्द जो जानता है, वह पंडित है – ( )।
प्रहेलिका 4
किमिच्छति नरः काश्यां भूपानां को रणे हितः।
को वन्द्यः सर्वदेवानां दीयतामेकमुत्तरम्॥
विवरणम् – मनुष्यः काश्यां किम् इच्छति? ( )। युद्धे महाराजानां कः हितः? ( )। कः सर्वदेवानां वन्दनीयः? एकपदेन उत्तरं ददातु – ( )।
हिंदी अनुवाद:
मनुष्य काशी में क्या चाहता है? युद्ध में राजाओं का कौन हितकारी है?
सभी देवताओं का कौन वंदनीय है? एक शब्द में उत्तर दो।
विवरण – मनुष्य काशी में क्या चाहता है? ( )। युद्ध में राजाओं का कौन हितकारी है? ( )। सभी देवताओं का कौन वंदनीय है? एक शब्द में उत्तर दो – ( )।
प्रहेलिका 5
कुलालस्य गृहे ह्यर्थं तदर्धं हस्तिनापुरे।
द्वयं मिलित्वा लङ्कायां यो जानाति स पण्डितः॥
विवरणम् – कुम्भकारस्य गृहे एकम् अर्थं किम् अस्ति? ( )। हस्तिनापुरे तस्य अपरम् अर्थं किम् अस्ति? ( )। द्वयं मिलित्वा पूर्णरूपं लङ्कायाम् किम् अस्ति? उत्तरं यः जानाति सः पण्डितः – ( )।
हिंदी अनुवाद:
कुम्हार के घर में आधा, हस्तिनापुर में उसका दूसरा आधा।
दोनों मिलकर लंका में पूर्ण, जो जानता है वह पंडित है।
विवरण – कुम्हार के घर में एक आधा क्या है? ( )। हस्तिनापुर में उसका दूसरा आधा क्या है? ( )। दोनों मिलकर लंका में पूर्ण रूप क्या है? जो उत्तर जानता है, वह पंडित है – ( )।
प्रहेलिकाओं के उत्तर
१. तक्रं/शक्रस्य/दुर्लभम्
२. नाभम्
३. अङ्गम्
४. मृत्युञ्जयः
५. कुम्भकर्णः
हिंदी अनुवाद:
१. छाछ/इंद्र के लिए/दुर्लभ
२. नाभि
३. अंग
४. मृत्युंजय
५. कुम्भकर्ण
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