Imp Questions For All Chapters – विज्ञान Class 7
Short Questions
प्रश्न: जैव प्रक्रम क्या हैं?
उत्तर: पोषण, श्वसन, उत्सर्जन और जनन जैसे कार्य जो सजीवों की उत्तरजीविता के लिए आवश्यक हैं।
प्रश्न: मानव पाचन तंत्र में आहार नाल के मुख्य भाग कौन-कौन से हैं?
उत्तर: मुख, ग्रासनली, आमाशय, क्षुद्रांत्र, बृहदांत्र और गुदा।
प्रश्न: मुख में भोजन का पाचन कैसे शुरू होता है?
उत्तर: दाँतों से चर्वण और लार से मंड को शर्करा में विघटन।
प्रश्न: लार की मुख्य भूमिका क्या है?
उत्तर: मंड को शर्करा में विघटित करना और भोजन को नरम बनाना।
प्रश्न: ग्रासनली में भोजन कैसे आगे बढ़ता है?
उत्तर: लहरदार संकुचन और शिथिलन से, जिसे क्रमाकुंचन कहते हैं।
प्रश्न: आमाशय में स्रावित होने वाले मुख्य पदार्थ क्या हैं?
उत्तर: अम्ल, पाचक रस और श्लेष्मा।
प्रश्न: पित्तरस किससे स्रावित होता है?
उत्तर: यकृत से।
प्रश्न: क्षुद्रांत्र में पोषकों का अवशोषण कैसे होता है?
उत्तर: भित्तियों पर उँगली जैसे प्रवर्ध (विलाई) से, जो सतही क्षेत्रफल बढ़ाते हैं।
प्रश्न: बृहदांत्र की मुख्य भूमिका क्या है?
उत्तर: बिना पचे भोजन से जल और लवण अवशोषित करना।
प्रश्न: रोमंथी जंतु कौन से हैं?
उत्तर: घास खाने वाले जंतु जैसे गाय और भैंस।
प्रश्न: पक्षियों में भोजन विघटन के लिए क्या उपयोग होता है?
उत्तर: पेषणी (गिजार्ड) में संकुचन और कंकड़ों से।
प्रश्न: श्वसन क्या है?
उत्तर: पोषकों को ऊर्जा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया।
प्रश्न: अंतःश्वसन और उच्छ्वसन में क्या अंतर है?
उत्तर: अंतःश्वसन में वायु अंदर जाती है, उच्छ्वसन में बाहर निकलती है।
प्रश्न: फेफड़ों में गैस विनिमय कहाँ होता है?
उत्तर: कूपिकाओं में।
प्रश्न: मछलियाँ श्वास कैसे लेती हैं?
उत्तर: क्लोम (गलफड़ों) से।
Long Questions
प्रश्न: मानव में भोजन का पाचन मुख से कैसे शुरू होता है और इसमें लार की क्या भूमिका है?
उत्तर: भोजन मुख में प्रवेश करते ही पाचन शुरू हो जाता है। दाँत भोजन को छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं, जिसे यांत्रिक पाचन कहते हैं। लार स्रावित होती है जो मंड (कार्बोहाइड्रेट) को शर्करा में विघटित करती है। लार भोजन को नरम और आर्द्र बनाती है ताकि इसे आसानी से निगला जा सके। जिह्वा भोजन को लार के साथ मिलाती है और आगे धकेलती है। इससे भोजन आंशिक रूप से पच जाता है।
प्रश्न: क्रियाकलाप 9.1 में उबले चावल पर आयोडीन डालने से क्या होता है और इससे क्या सिद्ध होता है?
उत्तर: क्रियाकलाप में दो परखनलियाँ ली जाती हैं। परखनली ‘क’ में उबले चावल और परखनली ‘ख’ में चबाए चावल डालकर आयोडीन मिलाया जाता है। परखनली ‘क’ में नीला-काला रंग आता है क्योंकि मंड मौजूद है, जो आयोडीन से अभिक्रिया करता है। परखनली ‘ख’ में रंग नहीं बदलता या हल्का बदलता है क्योंकि लार मंड को शर्करा में विघटित कर देती है। इससे सिद्ध होता है कि लार मंड को पचाती है।
प्रश्न: आमाशय में भोजन का पाचन कैसे होता है और अम्ल तथा श्लेष्मा की भूमिका क्या है?
उत्तर: आमाशय में भोजन मंथन होता है, जहाँ भित्तियाँ संकुचित और शिथिल होती हैं। आमाशय का स्राव अम्ल, पाचक रस और श्लेष्मा होता है। पाचक रस प्रोटीन को सरल रूपों में विघटित करता है। अम्ल प्रोटीन विघटन में मदद करता है और हानिकारक जीवाणुओं को मारता है। श्लेष्मा आमाशय की भित्ति को अम्ल से बचाती है। इससे भोजन अर्धतरल हो जाता है और आगे पाचन के लिए तैयार होता है।
प्रश्न: क्षुद्रांत्र में भोजन का पाचन और अवशोषण कैसे होता है?
उत्तर: क्षुद्रांत्र लगभग 6 मीटर लंबी है। यहाँ यकृत से पित्तरस, अग्न्याशय से अग्न्याशयी रस और क्षुद्रांत्र से पाचक रस स्रावित होते हैं। पित्तरस अम्ल को उदासीन करता है और वसा को छोटी गोलिकाओं में तोड़ता है। अग्न्याशयी रस कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा विघटित करता है। क्षुद्रांत्र का रस इन्हें और सरल बनाता है। अवशोषण भित्तियों के प्रवर्ध (विलाई) से होता है, जो सतही क्षेत्रफल बढ़ाते हैं और पोषकों को रक्त में भेजते हैं।
प्रश्न: रोमंथी जंतुओं में पाचन कैसे होता है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर: रोमंथी जंतु जैसे गाय और भैंस घास को आंशिक चबाकर निगलते हैं। यह आमाशय में जाता है जहाँ आंशिक पाचन होता है। फिर भोजन मुँह में वापस आता है और धीरे-धीरे चबाया जाता है, जिसे रोमंथन कहते हैं। गाय दिन में 8 घंटे चबाती है। फिर यह आगे पाचन के लिए आहार नाल में जाता है। इससे जटिल घास का पाचन आसान होता है।
प्रश्न: श्वास लेने की क्रियाविधि क्या है? डायाफ्राम और पसलियों की भूमिका समझाइए।
उत्तर: श्वास लेना अंतःश्वसन और उच्छ्वसन की प्रक्रिया है। अंतःश्वसन में पसलियाँ ऊपर और बाहर जाती हैं, डायाफ्राम नीचे जाता है, वक्ष गुहा फैलती है और वायु फेफड़ों में आती है। उच्छ्वसन में पसलियाँ नीचे आती हैं, डायाफ्राम ऊपर जाता है, गुहा सिकुड़ती है और वायु बाहर निकलती है। इससे ऑक्सीजन अंदर और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर जाती है।
प्रश्न: क्रियाकलाप 9.3 में चूने के पानी पर क्या प्रयोग किया जाता है और इससे क्या सिद्ध होता है?
उत्तर: दो परखनलियाँ ली जाती हैं, दोनों में चूने का पानी। परखनली ‘क’ में सामान्य वायु डाली जाती है, जो अंतःश्वसन वाली है। परखनली ‘ख’ में उच्छ्वसित वायु फूँकी जाती है। ‘ख’ में पानी दूधिया हो जाता है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड चूने से अभिक्रिया करता है। इससे सिद्ध होता है कि उच्छ्वसित वायु में अंतःश्वसित वायु से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड होती है।
प्रश्न: फेफड़ों में गैस विनिमय कैसे होता है?
उत्तर: फेफड़ों की कूपिकाएँ वायु से भरती हैं। कूपिकाओं की पतली भित्तियाँ रक्त-वाहिकाओं से घिरी होती हैं। रक्त कार्बन डाइऑक्साइड को कूपिकाओं में लाता है, जो वायु में निकल जाती है। ऑक्सीजन कूपिकाओं से रक्त में जाती है और शरीर के भागों में पहुँचती है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और अपशिष्ट निकलता है।
प्रश्न: श्वसन और श्वास लेने में क्या अंतर है?
उत्तर: श्वास लेना शारीरिक प्रक्रिया है जिसमें वायु फेफड़ों में जाती है (अंतःश्वसन) और बाहर निकलती है (उच्छ्वसन)। श्वसन रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें ऑक्सीजन भोजन (ग्लूकोस) को विघटित करती है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड, जल और ऊर्जा निकलती है। श्वास लेना ऑक्सीजन लाता है, श्वसन ऊर्जा बनाता है। दोनों जीवित रहने के लिए जरूरी हैं।
प्रश्न: विभिन्न जंतुओं में श्वास लेने के तरीके कैसे भिन्न हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर: जंतु अपने पर्यावास के अनुसार श्वास लेते हैं। पक्षी, हाथी, शेर, गाय फेफड़ों से श्वास लेते हैं, लेकिन फेफड़ों की संरचना अलग होती है। मछली क्लोम (गलफड़ों) से जल में घुली ऑक्सीजन लेती हैं। मेंढक जैसे उभयचर टैडपोल अवस्था में क्लोम, वयस्क में फेफड़े या त्वचा से श्वास लेते हैं। केंचुए नम त्वचा से गैस विनिमय करते हैं। इससे वे विभिन्न जगहों पर जीवित रहते हैं।
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