Notes For All Chapters – विज्ञान Class 7
परिचय
- धातुएँ और अधातुएँ दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण।
- यशवंत और आनंदी लोहार से मिलते हैं जो लोहे से तवा, बाल्टी, फावड़ा, कुल्हाड़ी आदि बनाते हैं।
- लोहार लोहे को गर्म कर हथौड़े से पीटकर आकार देता है।
4.1 सामग्रियों के गुण
4.1.1 आघातवर्धनीयता
- परिभाषा: सामग्री को हथौड़े से पीटकर पतली चादर में बदलने का गुण।
- धातुएँ: ताँबा, ऐलुमिनियम, लोहा – चपटी हो जाती हैं (उदा., ऐलुमिनियम फॉइल, चाँदी का वर्क)।
- सोना और चाँदी सबसे अधिक आघातवर्धनीय।
- अधातुएँ: कोयला, सल्फर – भंगुर, टुकड़ों में टूटते हैं।
- लकड़ी न आघातवर्धनीय न भंगुर।
- क्रियाकलाप 4.1:
- सामग्री: ताँबा, ऐलुमिनियम, लोहा, कोयला, सल्फर, लकड़ी।
- अवलोकन: धातुएँ चमकदार, कठोर, चपटी होती हैं; अधातुएँ चमकहीन, भंगुर।
4.1.2 तन्यता
- परिभाषा: सामग्री को खींचकर तार में बदलने का गुण।
- धातुएँ: ताँबा, ऐलुमिनियम, सोना – तार बनते हैं (उदा., विद्युत तार, आभूषण, संगीत वाद्ययंत्र)।
- 1 ग्राम सोने से 2 किमी तार बनता है।
- अधातुएँ: कोयला, सल्फर – तन्य नहीं।
- उदाहरण: स्टील (लोहा+कार्बन) के तार क्रेन, झूलते पुलों में उपयोग।
4.1.3 ध्वानिकता
- परिभाषा: टकराने पर निनाद ध्वनि उत्पन्न करने का गुण।
- धातुएँ: चम्मच, सिक्का – निनाद ध्वनि (उदा., स्कूल की घंटी)।
- अधातुएँ: कोयला, लकड़ी – हल्की ध्वनि, ध्वानिक नहीं।
- क्रियाकलाप 4.2: धातु की वस्तुएँ निनाद ध्वनि देती हैं।
4.1.4 ऊष्मा का चालन
- परिभाषा: ऊष्मा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का गुण।
- धातुएँ: ताँबा, ऐलुमिनियम – सुचालक, खाना पकाने के पात्र।
- अधातुएँ: लकड़ी – कुचालक, हत्थे बनाने में उपयोग।
- क्रियाकलाप 4.3: धातु का चम्मच गर्म पानी में अधिक गर्म, लकड़ी का कम।
4.1.5 विद्युत का चालन
- परिभाषा: विद्युत प्रवाहित करने का गुण।
- धातुएँ: ऐलुमिनियम, लोहा, ताँबा – सुचालक, बल्ब जलाते हैं।
- अधातुएँ: सल्फर, कोयला, लकड़ी, रबड़ – कुचालक, बल्ब नहीं जलता।
- क्रियाकलाप 4.4: धातुएँ बल्ब जलाती हैं, अधातुएँ नहीं।
- उपयोग: रबड़/प्लास्टिक के दस्ताने, पेचकस के हत्थे – विद्युत से बचाव।
4.2 धातुओं पर वायु और जल का प्रभाव – लोहा
- जंग: नम वायु में लोहे पर भूरा निक्षेप (जंग) बनता है।
- क्रियाकलाप 4.5:
- बोतल ‘क’: शुष्क वायु (सिलिका जैल) – कोई जंग नहीं।
- बोतल ‘ख’: केवल जल (उबला हुआ+तेल) – कोई जंग नहीं।
- बोतल ‘ग’: जल+वायु – जंग बनती है।
- निष्कर्ष: जंग के लिए वायु और जल दोनों जरूरी।
- संक्षारण: धातुओं का ह्रास (उदा., ताँबे पर हरी परत, चाँदी पर काली परत)।
- जंग से बचाव: रंग-रोगन, तेल, ग्रीस, गैल्वेनाइजेशन (जिंक की परत)।
- तथ्य: दिल्ली का लौह स्तंभ (1600 वर्ष) जंग-प्रतिरोधी।
4.3 वायु और जल का अन्य धातुओं पर प्रभाव
- मैग्नीशियम: जलने पर सफेद ज्वाला, मैग्नीशियम ऑक्साइड बनता है (क्षारीय, लाल लिटमस को नीला करता है)।
- क्रियाकलाप 4.6: मैग्नीशियम रिबन जलाने पर श्वेत चूर्ण (क्षारीय)।
- सोडियम: ऑक्सीजन, जल से तीव्र अभिक्रिया, मिट्टी के तेल में रखा जाता है।
- निष्कर्ष: धातु ऑक्साइड क्षारीय होते हैं।
4.4 अधातुएँ और उनका व्यवहार
- अधातुएँ: सल्फर, फॉस्फोरस, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन।
- नरम, द्युतिहीन, भंगुर, गैर-तन्य, गैर-ध्वानिक, ऊष्मा/विद्युत कुचालक।
- क्रियाकलाप 4.7: सल्फर जलने पर सल्फर डाइऑक्साइड (अम्लीय, नीले लिटमस को लाल करता है)।
- क्रियाकलाप 4.8: सल्फर जल में अभिक्रिया नहीं करता।
- फॉस्फोरस: वायु में आग पकड़ता है, जल में संग्रहित।
- निष्कर्ष: अधातु ऑक्साइड अम्लीय, जल के साथ अभिक्रिया नहीं।
4.5 अधातुओं का महत्व
- ऑक्सीजन: श्वसन, जीवन के लिए आवश्यक।
- कार्बन: प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट का हिस्सा।
- नाइट्रोजन: उर्वरक, पौधों की वृद्धि।
- क्लोरीन: जल शुद्धिकरण।
- आयोडीन: घावों पर रोगाणुरोधक।
- नोट: प्लास्टिक, काँच, लकड़ी, रबड़ – तत्व नहीं, धातु/अधातु नहीं।
संक्षेप
- धातुएँ: चमकदार, कठोर, आघातवर्धनीय, तन्य, ध्वानिक, ऊष्मा/विद्युत सुचालक, क्षारीय ऑक्साइड, संक्षारण।
- अधातुएँ: द्युतिहीन, भंगुर, गैर-तन्य, गैर-ध्वानिक, ऊष्मा/विद्युत कुचालक, अम्लीय ऑक्साइड, जल से अभिक्रिया नहीं।
- दोनों दैनिक जीवन में उपयोगी।
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