Notes For All Chapters – विज्ञान Class 7
परिचय
- ऊष्मा का स्थानांतरण: ऊष्मा (गर्मी) का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
- सूर्य पृथ्वी पर ऊष्मा और प्रकाश का मुख्य स्रोत है।
- अलग-अलग स्थान अलग-अलग तापमान (ठंडे या गर्म) होते हैं क्योंकि:
- भूमध्य रेखा के पास सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं, इसलिए वहाँ गर्मी अधिक होती है (जैसे केरल)।
- समुद्र तट के पास आर्द्रता और गर्मी अधिक होती है।
- ऊष्मा के स्थानांतरण की तीन प्रक्रियाएँ: चालन, संवहन, और विकिरण।
7.1 ऊष्मा का चालन
- चालन: ऊष्मा का गरम भाग से ठंडे भाग की ओर स्थानांतरण, जिसमें कण अपनी जगह पर रहते हैं।
- सुचालक: वे पदार्थ जो ऊष्मा को आसानी से प्रवाहित करते हैं, जैसे धातु (एल्यूमिनियम, लोहा, स्टील)।
- कुचालक: वे पदार्थ जो ऊष्मा को आसानी से प्रवाहित नहीं करते, जैसे लकड़ी, काँच, मिट्टी, चीनी मिट्टी, वायु।
- उदाहरण:
- भोजन पकाने के लिए धातु के बर्तन (सुचालक)।
- चाय/कॉफी के लिए मिट्टी के कप (कुचालक)।
- ऊनी कपड़े और कंबल वायु को फंसाकर शरीर को गर्म रखते हैं।
- क्रियाकलाप 7.1:
- धातु की पट्टी को गर्म करने पर पिनें क्रम में गिरती हैं (पहले नजदीकी पिन)।
- कारण: ऊष्मा गरम छोर से ठंडे छोर की ओर चालन द्वारा जाती है, मोम पिघलता है, और पिनें गिरती हैं।
- कुचालकों का उपयोग:
- घरों में लकड़ी, मिट्टी, या गोबर का उपयोग दीवारों में ऊष्मा की हानि रोकने के लिए।
- खोखली ईंटें: वायु (कुचालक) के कारण गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म रखती हैं।
7.2 संवहन
- संवहन: द्रव (जल) या गैस (वायु) में कणों की गति से ऊष्मा का स्थानांतरण।
- प्रक्रिया:
- गरम होने पर द्रव/गैस हल्की होकर ऊपर उठती है, ठंडी भारी हवा/जल नीचे आता है।
- यह चक्र तब तक चलता है जब तक पूरा द्रव/गैस गरम न हो जाए।
- क्रियाकलाप 7.2:
- मोमबत्ती के नीचे कागज का कप गर्म होने पर ऊपर उठता है।
- कारण: गर्म हवा हल्की होकर ऊपर जाती है।
- क्रियाकलाप 7.3:
- बीकर में जल को गर्म करने पर पोटैशियम परमैंगनेट की रंगीन धारी ऊपर उठती है, फिर किनारों से नीचे आती है।
- कारण: गर्म जल हल्का होकर ऊपर जाता है, ठंडा जल भारी होकर नीचे आता है।
- उदाहरण:
- अगरबत्ती का धुआँ गर्म होने के कारण ऊपर उठता है।
- गुब्बारे में गर्म हवा फैलकर इसे बड़ा करती है।
7.2.1 स्थल समीर और समुद्र समीर
- स्थल और जल का तापमान:
- मृदा (रेत) जल की तुलना में जल्दी गर्म और जल्दी ठंडी होती है।
- क्रियाकलाप 7.4: धूप में मृदा का तापमान जल से अधिक बढ़ता है।
- समुद्र समीर (दिन में):
- स्थल जल से जल्दी गर्म होता है, गर्म हवा ऊपर उठती है, समुद्र से ठंडी हवा स्थल की ओर आती है।
- यह तटीय क्षेत्रों में ठंडक देता है।
- स्थल समीर (रात में):
- स्थल जल से जल्दी ठंडा होता है, ठंडी हवा समुद्र की ओर बहती है।
- समुद्र की गर्म हवा ऊपर उठती है।
7.3 विकिरण
- विकिरण: ऊष्मा का स्थानांतरण बिना किसी माध्यम के, जैसे सूर्य से पृथ्वी तक।
- विशेषताएँ:
- सभी वस्तुएँ ऊष्मा विकिरित करती हैं।
- गर्म पात्र ठंडा होने पर ऊष्मा विकिरण द्वारा खोता है।
- वस्त्रों का रंग:
- हल्के रंग (श्वेत): ऊष्मा परावर्तित करते हैं, गर्मी में आरामदायक।
- गहरे रंग: ऊष्मा अवशोषित करते हैं, सर्दी में आरामदायक।
- उदाहरण:
- आग की गर्मी विकिरण द्वारा महसूस होती है।
- बुखारी (हिमालयी हीटर): चालन (लोहा), संवहन (हवा), और विकिरण (गर्मी) से काम करता है।
- जल को गर्म करना:
- लौ से पात्र तक: चालन।
- पात्र में जल: संवहन।
- आसपास की गर्मी: विकिरण।
7.4 जल चक्र
- जल की अवस्थाएँ:
- द्रव: समुद्र, नदियाँ, झीलें।
- ठोस: हिम (ग्लेशियर)।
- गैस: जलवाष्प (वायुमंडल में)।
- जल चक्र की प्रक्रिया:
- वाष्पीकरण: सूर्य की ऊष्मा से जल (समुद्र, झील) और पौधों से जलवाष्प बनता है।
- संघनन: जलवाष्प ठंडी होकर बादल बनाती है।
- वर्षण: बादलों से वर्षा, हिम, या ओलें गिरते हैं।
- जल चक्र जल के पुनर्वितरण और पुनर्भरण में मदद करता है।
- उदाहरण:
- गीले कपड़े धूप में जल्दी सूखते हैं (वाष्पीकरण)।
- हिम गर्मी में पिघलकर नदियों में बहता है, सर्दी में जमता है।
7.4.1 जल का अंतःस्यंदन
- अंतःस्यंदन: सतही जल का मृदा और चट्टानों से रिसकर भौम जल बनना।
- क्रियाकलाप 7.5:
- बजरी में जल तेजी से रिसता है, बालू में धीमा, मृदा में सबसे धीमा।
- कारण: बजरी में कणों के बीच बड़े रिक्त स्थान होते हैं।
- भौम जल: मृदा और चट्टानों के छिद्रों में संग्रहीत जल।
- जलभृत: जल संग्रहीत करने वाली भूमिगत परतें।
- समस्याएँ:
- बढ़ती जनसंख्या और कंक्रीट सतहों से अंतःस्यंदन कम, भौम जल का अवक्षय।
- समाधान: वर्षा जल संग्रहण, पुनर्भरण गड्ढे।
- हिम स्तूप (लद्दाख):
- सर्दी में जल को जमाकर शंकु बनाया जाता है, जो वसंत में पिघलकर खेती के लिए जल देता है।
संक्षेप
- ऊष्मा स्थानांतरण के प्रकार:
- चालन: ठोस में, कण स्थिर, जैसे धातु में ऊष्मा।
- संवहन: द्रव/गैस में, कणों की गति, जैसे समुद्र समीर।
- विकिरण: बिना माध्यम, जैसे सूर्य की गर्मी।
- सुचालक: धातु (लोहा, स्टील)।
- कुचालक: लकड़ी, मिट्टी, वायु।
- जल चक्र: वाष्पीकरण, संघनन, वर्षण से जल का पुनर्वितरण।
- अंतःस्यंदन: जल का मृदा/चट्टानों में रिसना, भौम जल बनाना।
- जलभृत: जल संग्रहीत करने वाली परतें।
- जल संरक्षण: हिम स्तूप, वर्षा जल संग्रहण।
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