Solutions For All Chapters – विज्ञान Class 7
आइए, और अधिक सीखें
1. रिक्त बक्सों को उपयुक्त भागों से भर कर आहार नाल के द्वारा भोजन की यात्रा को पूरा कीजिए।
भोजन → मुख → ________________ → आमाशय → ___________ → ________________ → गुदा
उत्तर: भोजन → मुख → ग्रासनली → आमाशय → क्षुद्रांत्र → बृहदांत्र → गुदा
2. साहिल ने परखनली ‘क’ में रोटी के कुछ टुकड़े डाले। नेहा ने परखनली ‘ख’ में रोटी के टुकड़ों को चबा कर डाला और संतुष्टि ने परखनली ‘ग’ में उबले हुए आलू मसल कर डाले। उन सभी ने क्रमशः परखनली ‘क’, ‘ख’ और ‘ग’ में आयोडीन विलयन की कुछ बूँदें डालीं। उनके क्या अवलोकन होंगे? कारण बताइए।
उत्तर: परखनली ‘क’ में रोटी के टुकड़ों का रंग आयोडीन डालने पर नीला-काला हो जाएगा, क्योंकि रोटी में मंड (कार्बोहाइड्रेट) मौजूद है, जो आयोडीन के साथ प्रतिक्रिया करता है। परखनली ‘ख’ में चबाई गई रोटी का रंग परिवर्तित नहीं होगा या बहुत हल्का नीला-काला होगा, क्योंकि लार ने मंड को शर्करा में विघटित कर दिया है। परखनली ‘ग’ में उबले हुए आलू का रंग भी नीला-काला हो जाएगा, क्योंकि आलू में भी मंड मौजूद है।
3.श्वास लेने में डायाफ्राम की क्या भूमिका है?
(i) वायु को निस्यंदित करना
(ii) ध्वनि उत्पन्न करना
(iii) अंतःश्वसन और उच्छ्वसन में सहायता करना
(iv) ऑक्सीजन अवशोषित करना
उत्तर: (iii) अंतःश्वसन और उच्छ्वसन में सहायता करना
4. निम्नलिखित का मिलान कीजिए
क्रम | अंग | संगत विवरण |
---|---|---|
(i) | नासाद्वार | (क) बाहर से हवा प्रवेश करती है। |
(ii) | नासा पथ | (ख) गैसों का विनिमय होता है। |
(iii) | श्वासनली | (ग) फेफड़ों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। |
(iv) | कूपिकाएँ | (घ) सूक्ष्म रोम और श्लेष्मा हमारे द्वारा ग्रहण की गई वायु में से धूल और गंदगी को रोकने में सहायक हैं। |
(v) | पसली पिंजर | (ङ) इस भाग से होकर वायु हमारे फेफड़ों तक पहुँचती है। |
उत्तर:-
क्रम | अंग | क्रियाएँ / विवरण |
---|---|---|
(i) | नासाद्वार | (क) बाहर से हवा प्रवेश करती है। |
(ii) | नासा पथ | (घ) सूक्ष्म रोम और श्लेष्मा हमारे द्वारा ग्रहण की गई वायु में से धूल और गंदगी को रोकने में सहायक हैं। |
(iii) | श्वासनली | (ङ) इस भाग से होकर वायु हमारे फेफड़ों तक पहुँचती है। |
(iv) | कूपिकाएँ | (ख) गैसों का विनिमय होता है। |
(v) | पसली पिंजर | (ग) फेफड़ों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। |
5. अनिल ने अपनी सहपाठी सान्वी से कहा कि श्वसन और श्वास लेना एक ही प्रक्रिया है। अनिल को यह समझाने के लिए कि यह कथन सही नहीं है, सान्वी उससे क्या प्रश्न पूछ सकती है?
उत्तर: सान्वी अनिल से पूछ सकती है: “अगर श्वास लेना और श्वसन एक ही प्रक्रिया है, तो श्वास लेना एक शारीरिक प्रक्रिया क्यों है और श्वसन एक रासायनिक प्रक्रिया क्यों है?” या “श्वास लेने से ऑक्सीजन शरीर में कैसे जाती है और श्वसन में उसका उपयोग कैसे होता है?”
6. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है और क्यों?
अनु – हम वायु को अंतःश्वसित करते हैं।
शानू – हम ऑक्सीजन को अंतःश्वसित करते हैं।
तनु – हम ऑक्सीजन से समृद्ध वायु को अंतः श्वसित करते हैं।
उत्तर: तनु का कथन सत्य है। हम ऑक्सीजन से समृद्ध वायु को अंतःश्वसित करते हैं, क्योंकि अंतःश्वसित वायु में लगभग 21% ऑक्सीजन होती है, जैसा कि चित्र 9.13 में दर्शाया गया है। अनु का कथन पूरी तरह सही नहीं है, क्योंकि हम केवल वायु को अंतःश्वसित करते हैं, न कि शुद्ध ऑक्सीजन। शानू का कथन भी सही नहीं है, क्योंकि हम शुद्ध ऑक्सीजन नहीं, बल्कि ऑक्सीजन युक्त वायु लेते हैं।
7. जब हम श्वास के साथ धूल भरी वायु को अंदर लेते हैं तो प्रायः हम छींकते हैं। इसके संभावित कारण क्या हो सकते हैं?
उत्तर: जब हम धूल भरी वायु को श्वास के साथ अंदर लेते हैं, तो नासाद्वार में मौजूद सूक्ष्म रोम और श्लेष्मा धूल को पाशित करते हैं। यह धूल नासा पथ में जलन पैदा करती है, जिसके कारण हम छींकते हैं।
8.कक्षा 7 की छात्राएँ परिधि और अनुषा ने अपने प्रातःकालीन व्यायाम के लिए दौड़ना आरंभ किया। अपनी दौड़ पूरी करने के बाद उन्होंने प्रति मिनट ली जाने वाली श्वासों की गिनती की। अनुषा परिधि की अपेक्षा अधिक तेजी से श्वास ले रही थी। परिधि की अपेक्षा अनुषा द्वारा अधिक तेजी से श्वास लेने के कम से कम दो संभावित कारण बताइए।
उत्तर: (i) अनुषा ने परिधि की तुलना में अधिक तेजी से या अधिक दूरी तक दौड़ा होगा, जिससे उसके शरीर को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता हुई।
(ii) अनुषा की शारीरिक क्षमता या फिटनेस स्तर परिधि से कम हो सकता है, जिसके कारण उसे दौड़ने के बाद अधिक तेजी से श्वास लेने की जरूरत पड़ी।
9. यदु ने अपने एक विचार के परीक्षण के लिए एक प्रयोग किया। उसने दो परखनलियाँ ‘क’ और ‘ख’ लीं। परखनलियों को पानी से आधा भरकर और उनमें एक चुटकी चावल का आटा मिला कर उन्हें अच्छी तरह हिलाया। परखनली ‘ख’ में उसने कुछ बूँदें लार की मिलाई। दोनों परखनलियों को उसने 35-40 मिनट के लिए यथावत रहने दिया। उसके बाद उसने दोनों परखनलियों में आयोडीन विलयन डाला। प्रयोग के परिणाम चित्र 9.15 में दर्शाए गए हैं। आपके विचार से वह क्या परीक्षण करना चाहता है?
उत्तर: यदु यह परीक्षण करना चाहता है कि लार मंड (चावल के आटे) को शर्करा में विघटित करती है या नहीं। परखनली ‘ख’ में लार मिलाने के कारण मंड शर्करा में बदल गया, इसलिए आयोडीन डालने पर रंग नीला-काला नहीं हुआ, जबकि परखनली ‘क’ में मंड की उपस्थिति के कारण रंग नीला-काला हो गया।
10. रक्षिता ने दो स्वच्छ परखनलियाँ ‘क’ और ‘ख’ लेकर एक परीक्षण अभिकल्पित किया। उसने दोनों परखनलियों को चित्र में दर्शाए अनुसार चूने के पानी से भर दिया। परखनली ‘क’ में अंतःश्वसित वायु को नली द्वारा चूषित करके प्रवाहित किया गया। परखनली ‘ख’ में नली के द्वारा उच्छवसित वायु को फूंक कर प्रवाहित किया गया। (चित्र 9.16) आपके विचार से वह क्या जाँचना चाहती है? वह कैसे अपने निष्कर्षों की पुष्टि कर सकती है?
उत्तर: रक्षिता यह जाँचना चाहती है कि उच्छवसित वायु में अंतःश्वसित वायु की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड होती है। वह अपने निष्कर्षों की पुष्टि कर सकती है, क्योंकि परखनली ‘ख’ में उच्छवसित वायु डालने पर चूने का पानी दूधिया हो गया, जो कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति को दर्शाता है, जबकि परखनली ‘क’ में अंतःश्वसित वायु से चूने का पानी दूधिया नहीं हुआ।
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