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संस्कृत Class 8 || Menu
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संस्कृत Notes Class 8 Sanskrit Chapter 9 सप्तभगिन्यः

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मूलपाठः, अन्वयः, शब्दार्थः सरलार्थ

अध्यापिका – सुप्रभातम्।
छात्राः सुप्रभातम्। सुप्रभातम्।
अध्यापिका – भवतु। अद्य किं पठनीयम्?
छात्राः – वयं सर्वे स्वदेशस्य राज्यानां विषये ज्ञातुमिच्छामः।
अध्यापिका – शोभनम्। वदत। अस्माकं देशे कति राज्यानि सन्ति?
सायरा – चतुर्विंशतिः महोदये!
सिल्वी – न हि न हि महाभागे! पञ्चविंशतिः राज्यानि सन्ति।
अध्यापिका – अन्यः कोऽपि …?
स्वरा – ( मध्ये एव) महोदये! मे भगिनी कथयति यदस्माकं देशे नवविंशतिः राज्यानि सन्ति। एतदतिरिच्य सप्त केन्द्रशासितप्रदेशाः अपि सन्ति।

शब्दार्थ-
भवतु-ठीक है (अच्छा)।
ज्ञातुम्-जानने के लिए।
अद्य-आज।
इच्छामः-चाहते हैं।
शोभनम्-सुन्दर।
चतुर्विंशतिः-चौबीस
भगिनी-बहन।
अतिरिच्य-अतिरिक्त।
मध्ये एव-बीच में ही।
कति-कितने।
पञ्चविंशतिः-पच्चीस।
अष्टाविंशतिः-अट्ठाईस।
सप्त-सात

सरलार्थ –
अध्यापिका – सुप्रभात।
छात्राएँ – सुप्रभात, सुप्रभात।
अध्यापिका – अच्छा, आज क्या पढ़ना है?
छात्राएँ – हम सभी अपने देश के राज्यों के विषय में जानना चाहती हैं।
अध्यापिका – सुन्दर। बोलो। हमारे देश में कितने राज्य हैं?
सायरा – महोदया, चौबीस।
सिल्वी – नहीं, नहीं। महाभागा! पच्चीस राज्य हैं।
अध्यापिका – कोई अन्य भी …………।
स्वरा – (बीच में ही) महोदया, मेरी बहन कहती है कि हमारे देश में अट्ठाईस राज्य हैं। इसके अतिरिक्त सात केन्द्रशासित प्रदेश भी हैं।

(ख) अध्यापिका – सम्यग्जानाति ते भगिनी। भवतु, अपि जानीथ यूयं यदेतेषु राज्येषु सप्तराज्यानाम् एकः समवायोऽस्ति यः सप्तभगिन्यः इति नाम्ना प्रथितोऽस्ति।
सर्वे – (साश्चर्यम् परस्परं पश्यन्तः) सप्तभगिन्यः? सप्तभगिन्यः?
निकोलसः – इमानि राज्यानि सप्तभगिन्यः इति किमर्थं कथ्यन्ते?
अध्यापिका – प्रयोगोऽयं प्रतीकात्मको वर्तते। कदाचित् सामाजिक-सांस्कृतिक
परिदृश्यानां साम्याद् इमानि उक्तोपाधिना प्रथितानि।
समीक्षा – कौतूहलं मे न खलु शान्तिं गच्छति, श्रावयतु तावद्यत् कानि तानि राज्यानि?

शब्दार्थ-
सम्यक्-अच्छी प्रकार।
जानाति-जानती है।
ते-तेरी।
जानीथ-जानती हो।
यदेतेषु-इनमें।
समवायः-समूह।
प्रथितः-प्रसिद्ध।
किमर्थम्-किसलिए।
प्रतीकात्मकः-सांकेतिक
कदाचित्-संभवतः
साम्याद्-समानता से।
उक्त०-कही गई उपाधि से।
कौतूहलम्-जिज्ञासा
श्रावयतु-सुनाओ।
साश्चर्यम्-आश्चर्य के साथ
परस्परं-एक-दूसरे को।
पश्यन्तः-देखते हुए।

सरलार्थ –
अध्यापिका –
तुम्हारी बहन अच्छी प्रकार जानती है। ठीक है, क्या तुम जानते हो कि इन राज्यों में सात राज्यों का एक समूह है, जो ‘सात बहनें’ इस नाम से प्रसिद्ध है। सभी (आश्चर्यपूर्वक एक-दूसरे को देखते हुए) सात बहनें? सात बहनें?
निकोलस – ये राज्य ‘सात बहनें’ इस नाम से किस प्रकार कहे जाते हैं?
अध्यापिका – यह प्रयोग सांकेतिक है। संभवतः सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण की समानता के कारण ये उक्त उपाधि (अर्थात् विशेषण) के द्वारा प्रसिद्ध हो गए हों।
समीक्षा – मेरी जिज्ञासा शान्त नहीं हो रही है। सुनाइए, वे कौन-से राज्य हैं?

(ग) अध्यापिका – शृणुत!
अद्वयं मत्रयं चैव न-त्रि-युक्तं तथा द्वयम्।
सप्तराज्यसमूहोऽयं भगिनीसप्तकं मतम्॥
इत्थं भगिनीसप्तके इमानि राज्यानि सन्ति-अरुणाचलप्रदेशः, असमः, मणिपुरम्, मिजोरमः, मेघालयः, नगालैण्डः, त्रिपुरा चेति। यद्यपि क्षेत्रपरिमाणैः इमानि लघूनि वर्तन्ते तथापि गुणगौरवदृष्ट्या बृहत्तराणि प्रतीयन्ते।
सर्वे – कथम्? कथम्?

अन्वयः-
अद्वयं तथा मत्रयं चैव नत्रियुक्तं द्वयम्। सप्तराज्यसमूहः अयं भगिनीसप्तकं मतम्।

शब्दार्थ-
शृणुत-सुनो।
अद्वयम्-‘अ’ से प्रारम्भ होने वाले दो।
मत्रयम्-‘म’ से प्रारम्भ होने वाले तीन।
न-त्रि-युक्तम्-‘न’ से तथा ‘त्रि’ से प्रारम्भ होने वाले।
द्वयम् – दो।
अयम्- यह।
मतम्-माना गया है।
इत्थम्-इस प्रकार।
क्षेत्रपरिमाणैः-क्षेत्रफल की दृष्टि से।
लघूनि-छोटे।
वर्तन्ते-हैं।
तथापि-फिर भी।
गुणगौरवदृष्ट्या -गुण और गौरव की दृष्टि से।
बृहत्तराणि-बड़े।
प्रतीयन्ते-प्रतीत होते हैं।

सरलार्थ –
अध्यापिका – सुनो,
‘अ’ वर्ण से प्रारम्भ होने वाले (अरुणाचल और असम) दो, ‘म’ वर्ण से प्रारम्भ होने वाले (यथा मणिपुर, मिजोरम और मेघालय) तीन, तथा ‘न’ वर्ण और ‘त्रि’ से प्रारम्भ होने वाले (यथा-नगालैण्ड और त्रिपुरा) दो-यह सात राज्यों का समूह ‘भगिनी सप्तक’ के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार ‘भगिनी सप्तक’ में ये राज्य हैं-अरुणाचलप्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नगालैण्ड और त्रिपुरा। यद्यपि क्षेत्रफल की दृष्टि से ये (राज्य) छोटे हैं, फिर भी गुण और गौरव की दृष्टि से बड़े प्रतीत होते हैं।
सभी – कैसे? कैसे?

(घ) अध्यापिका – इमाः सप्तभगिन्यः स्वीये प्राचीनेतिहासे प्रायः स्वाधीनाः एव दृष्टाः। न केनापि शासकेन इमाः स्वायत्तीकृताः।
अनेक-संस्कृति-विशिष्टायां भारतभूमौ एतासां भगिनीनां संस्कृतिः महत्त्वाधायिनी इति।
तन्वी – अयं शब्दः सर्वप्रथमं कदा प्रयुक्तः?
अध्यापिका – श्रुतमधुरशब्दोऽयं सर्वप्रथमं विगतशताब्दस्य द्विसप्ततितमे वर्षे त्रिपुराराज्यस्योद्घाटनक्रमे केनापि प्रवर्तितः। अस्मिन्नेव काले एतेषां राज्यानां पुनः सचटनं विहितम्।

शब्दार्थ-
स्वीये-अपने।
दृष्टाः -दृष्टिगोचर होते हैं
केनापि-किसी के द्वारा भी।
इमाः -ये
स्वायत्तीकृताः-अपने अधीन किए गए हैं।
एतासाम्-इनकी।
भगिनीनाम्-बहनों की।
महत्त्वाधायिनी-महत्त्वपूर्ण
कदा-कब।
श्रुतमधुर०-सुनने में मधुर।
विगतशताब्दस्य-बीते हुए सौ वर्ष के।
अस्मिन्नेव-इसमें ही।
विहितम्-विधिपूर्वक किया गया।
स्वाधीनाः-स्वतन्त्र
भारतभूमौ-भारतभूमि पर।
प्रयुक्तः-प्रयोग हुआ
सङ्घटनं-संगठन (गठन)
प्रवर्तितः-प्रारंभ किया गया

सरलार्थ –
अध्यापिका – ये सात बहनें अपने प्राचीन इतिहास में प्रायः स्वाधीन ही दृष्टिगोचर होती हैं। किसी भी शासक ने इन्हें अपने अधीन नहीं किया। अनेक संस्कृतियों से विशिष्ट भारतभूमि में इन बहनों की संस्कृति महत्त्वपूर्ण है।
तन्वी – सबसे पहले इस शब्द का प्रयोग कब हुआ?
अध्यापिका – सुनने में मधुर लगने वाला यह शब्द गत शती के बहत्तरवें साल में (1972 ई.) त्रिपुरा राज्य के उद्घाटन
क्रम में किसी के द्वारा प्रयोग किया गया। इस समय ही इन राज्यों का पुनः गठन किया गया।

(ङ) स्वरा – अन्यत् किमपि वैशिष्ट्यमस्ति एतेषाम्?
अध्यापिका – नूनम् अस्ति एव। पर्वत-वृक्ष-पुष्प-प्रभृतिभिः प्राकृतिकसम्पद्भिः सुसमृद्धानि
सन्ति इमानि राज्यानि।भारतवृक्षे च पुष्पस्तबकसदृशानि विराजन्ते एतानि।
राजीवः – भवति! गृहे यथा सर्वाधिका रम्या मनोरमा च भगिनी भवति तथैव
भारतगृहेऽपि सर्वाधिकाः रम्याः इमाः सप्तभगिन्यः सन्ति।

शब्दार्थ
अन्यत्-अन्य (दूसरा)
वैशिष्ट्य म्-विशिष्टता
पुष्प०-फूल।
प्राकृतिकसम्पद्भिः-प्राकृतिक सम्पदाओं के द्वारा
पुष्पस्तबक०-फूलों का गुच्छा
सर्वाधिका:-सबसे अधिक
तथैव-उसी प्रकार।
किमपि-कोई भी।
नूनम्-अवश्य
प्रभृतिभिः-आदि के द्वारा।
सुसमृद्धानि-समृद्ध
विराजन्ते-विराजमान हैं
रम्या-रमणीय
सदृश-जैसे।
भारतवक्षे-भारत रूपी वृक्ष में/पर।

सरलार्थ –
स्वरा – इनकी दूसरी भी कोई विशेषता है।
अध्यापिका – अवश्य ही है। पर्वत, वृक्ष तथा पुष्प आदि प्राकृतिक सम्पदाओं के द्वारा ये राज्य समृद्ध हैं। भारत रूपी वृक्ष पर ये (राज्य) फूलों के गुच्छों के समान विराजमान हैं।
राजीव – आप! जिस प्रकार घर में बहन सबसे अधिक रमणीय और सुन्दर होती है, उसी प्रकार भारत रूपी घर में ये सात बहनें सबसे अधिक सुन्दर हैं।

(च) अध्यापिका – मनस्यागता ते इयं भावना परमकल्याणमयी परं सर्वे न तथा अवगच्छन्ति। अस्तु, अस्ति तावदेतेषां विषये किञ्चिद् वैशिष्ट्यमपि कथनीयम्। सावहित मनसा शृणुत जनजातिबहुलप्रदेशोऽयम्। गारो-खासी-नगा-मिजो-प्रभृतयः बहवः जनजातीयाः अत्र निवसन्ति। शरीरेण ऊर्जस्विनः एतत्प्रादेशिकाः बहुभाषाभिः समन्विताः, पर्वपरम्पराभिः परिपूरिताः, स्वलीलाकलाभिश्च निष्णाताः सन्ति।
मालती – महोदये! तत्र तु वंशवृक्षा अपि प्राप्यन्ते?

शब्दार्थ-
मनसि-मन में।
परम्-परन्तु।
अस्तु-ठीक है।
वैशिष्ट्यम्-विशिष्टता।
शृणुत-सुनो।
निवसन्ति-निवास करते हैं।
समन्विताः-समन्वित (युक्त)।
परम्पराभि:-परम्पराओं के द्वारा
निष्णाताः-कुशल
वंशवृक्षाः -बाँस के वृक्ष
अवगच्छन्ति-जानते हैं
सावहितमनसा-सावधान मन से।
बहवः-अनेक।
ऊर्जस्विनः-ऊर्जा से युक्त
पर्व-त्योहारों की
प्राप्यन्ते-प्राप्त होते हैं।
प्रभृतयः-आदि।
बहुभाषिभिः-बहुत भाषाओं से।
स्वलीलाकलाभिः-अपनी क्रिया और कलाओं से।

सरलार्थ –
अध्यापिका – तुम्हारे मन में आई हुई यह भावना परमकल्याणमयी है, परन्तु सभी ऐसा नहीं सोचते हैं। ठीक है, इनके विषय में कुछ विशेषता भी कहनी चाहिए। सावधान मन से सुनो यह जनजाति बहुल प्रदेश है। गारो, खासी, नगा तथा मिजो आदि अनेक जनजातियाँ यहाँ निवास करती हैं। शरीर से ऊर्जा से भरे हुए इन प्रदेशों के निवासी अनेक भाषाओं से युक्त त्योहारों की परम्पराओं से पूर्ण अपनी क्रियाओं और कलाओं में प्रवीण होते हैं।
मालती – महोदया! वहाँ तो बाँस के वृक्ष भी प्राप्त होते हैं?

(छ) अध्यापिका – आम्। प्रदेशेऽस्मिन् हस्तशिल्पानां बाहुल्यं वर्तते। आवस्त्राभूषणेभ्यः
गृहनिर्माणपर्यन्तं प्रायः वंशवृक्षनिर्मितानां वस्तूनाम् उपयोगः क्रियते। यतो हि अत्र वंशवृक्षाणां प्राचुर्यं विद्यते। साम्प्रतं वंशोद्योगोऽयं अन्ताराष्ट्रियख्यातिम् अवाप्तोऽस्ति।
अभिनवः – भगिनीप्रदेशोऽयं बह्वाकर्षकः इति प्रतीयते।
सलीमः – किं भ्रमणाय भगिनीप्रदेशोऽयं समीचीनः?
सर्वे छात्राः – (उच्चैः) महोदये! आगामिनि अवकाशे वयं तत्रैव गन्तुमिच्छामः।
स्वरा – भवत्यपि अस्माभिः सार्द्धं चलतु।
अध्यापिका – रोचते मेऽयं विचारः। एतानि राज्यानि तु भ्रमणार्थं स्वर्गसदृशानि इति।

शब्दार्थ-
आम्-हाँ।
आ-से लेकर।
क्रियते-किया जाता है।
प्राचुर्यम्-अधिकता (प्रचुरता)
अवाप्तः-प्राप्त।
प्रतीयते-प्रतीत (ज्ञात) होता है
आगामिनि-आने वाले।
इच्छामः-चाहते हैं
भ्रमणार्थम्-भ्रमण के लिए
भवत्यपि-आप भी।
रोचते-अच्छा लगता है।
बाहुल्यं-अधिकता।
निर्मितानाम्-बनी हुई का।
यतो हि-क्योंकि।
वंशोद्योगः-बाँसों का उद्योग।
बह्वाकर्षकः-अत्यधिक आकर्षक।
समीचीन:-उचित।
गन्तुम्-जाना।
सार्धम्-साथ।
हस्तशिल्पानाम्-हाथ से बनी वस्तुओं की
ख्यातिम्-प्रसिद्धि को।

सरलार्थ-
अध्यापिका – हाँ। इस प्रदेश में हस्तशिल्पों की अधिकता है। वस्त्र व आभूषणों से लेकर घरों के निर्माण तक प्रायः बाँस के वृक्षों से निर्मित वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। क्योंकि यहाँ बाँस के वृक्षों की अधिकता है। अब यह बाँसों का उद्योग (व्यवसाय) अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि को प्राप्त हो गया है।
अभिनव – यह भगिनीप्रदेश अत्यधिक आकर्षक ज्ञात होता है।
सलीम – क्या भ्रमण के लिए यह भगिनीप्रदेश उचित है?
सभी छात्र – (जोर से) महोदया! आने वाले अवकाश में हम वहाँ ही जाना चाहते हैं।
स्वरा – आप भी हमारे साथ चलें।
अध्यापिका – मुझे यह विचार अच्छा लगता है। ये राज्य भ्रमण के लिए स्वर्ग के समान हैं।

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