संगच्छध्वं संवदध्वम्
(एक साथ मिलें और बात करें)
अभ्यासात् जायते सिद्धिः
१. संज्ञानसूक्तं सस्वरं पठत स्मरत लिखत च ।
(“संज्ञान सूक्त को आवाज़ के साथ पढ़ो, याद करो और लिखो।” )
२. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत-
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में लिखिए।)
(क) सर्वेषां मनः कीदृशं भवेत् ? (सभी का मन कैसा होना चाहिए?)
उत्तरम् : सर्वेषां मनः सामञ्जस्ययुक्तं सौहार्दपूर्णं च भवेत्। (सभी का मन मेल-जोल से भरा और सौहार्दपूर्ण होना चाहिए।)
(ख) “सङ्गच्छध्वं संवदध्वम्” इत्यस्य कः अभिप्रायः ? (“संगच्छध्वं संवदध्वम्” का क्या अभिप्राय है?)
उत्तरम् : “सङ्गच्छध्वं संवदध्वम्” इत्यस्य अभिप्रायः अस्ति यः मानवः समाजे ऐक्यभावेन मिलित्वा गच्छेत् तथा परस्परं सम्यक् विचारविनिमयं कुर्यात्। (“संगच्छध्वं संवदध्वम्” का अर्थ है कि सभी मनुष्य समाज में एकता के साथ मिलकर चलें और परस्पर अच्छे विचारों का आदान-प्रदान करें।)
(ग) सर्वे किं परित्यज्य ऐक्यभावेन जीवेयुः? (सभी लोग किसे त्यागकर एकता के भाव से जिएँ?)
उत्तरम् : सर्वे वैमनस्यं परित्यज्य ऐक्यभावेन जीवेयुः। (सभी लोग वैर-भाव को त्यागकर एकता के भाव से जीवन व्यतीत करें।)
(घ) अस्मिन् पाठे का प्रेरणा अस्ति? (इस पाठ में क्या प्रेरणा दी गई है?)
उत्तरम् : अस्मिन् पाठे मानवजातेः ऐक्यभावेन सहकार्यं कृत्वा सुखपूर्वकं जीवनं यापनस्य प्रेरणा अस्ति। (इस पाठ में मानव समाज को एकता के साथ मिलकर कार्य करते हुए सुखपूर्वक जीवन जीने की प्रेरणा दी गई है।)
३. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न बनाइए।)
(क) परमेश्वरः सर्वत्र व्याप्तः अस्ति। (परमेश्वर सर्वत्र व्याप्त है।)
उत्तरम्: कः सर्वत्र व्याप्तः अस्ति? (कौन सर्वत्र व्याप्त है?)
(ख) वयम् ईश्वरं नमामः। (हम ईश्वर को नमस्कार करते हैं।)
उत्तरम्: वयं कं नमामः? (हम किसे नमस्कार करते हैं?)
(ग) वयम् ऐक्यभावेन जीवामः। (हम एकता के भाव से जीते हैं।)
उत्तरम्: वयं कथं जीवामः? (हम कैसे जीते हैं?)
(घ) ईश्वरस्य प्रार्थनया शान्तिः प्राप्यते। (ईश्वर की प्रार्थना से शांति प्राप्त होती है।)
उत्तरम्: कस्य प्रार्थनया शान्तिः प्राप्यते? (किसकी प्रार्थना से शांति प्राप्त होती है?)
(ङ) अहं समाजाय श्रमं करोमि। (मैं समाज के लिए श्रम करता हूँ।)
उत्तरम्: कस्मै अहं श्रमं करोमि? (मैं किसके लिए श्रम करता हूँ?)
(च) अयं पाठः ऋग्वेदात् सङ्कलितः। (यह पाठ ऋग्वेद से संकलित है।)
उत्तरम्: अयं पाठः कस्मात् सङ्कलितः? (यह पाठ किससे संकलित है?)
(छ) वेदस्य अपरं नाम श्रुतिः। (वेद का दूसरा नाम श्रुति है।)
उत्तरम्: कस्य अपरं नाम किम्? (किसका दूसरा नाम श्रुति है।)
(ज) मन्त्राः वेदेषु भवन्ति। (मंत्र वेदों में होते हैं।)
उत्तरम्: मन्त्राः कुत्र भवन्ति? (मंत्र कहाँ होते हैं?)
४. पट्टिकातः शब्दान् चित्वा अधोलिखितेषु मन्त्रेषु रिक्तस्थानानि पूरयत.
(तालिका से शब्द चुनकर नीचे लिखे मंत्रों में रिक्त स्थान भरें।)
संवदध्वं, समितिः, आकूतिः, भागं, मनः, हृदयानि, जानाना, समानं, मनो, हविषा, सुसहासति, मनांसि
(क) सङ्गच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।
देवा भागं यथा पूर्वे सं जानाना उपासते।
हिंदी अनुवाद
एक साथ चलो, एक स्वर में बोलो, तुम्हारे मन एक-दूसरे को जानें।
जैसे प्राचीन काल में देवता अपने-अपने भाग को स्वीकार करके समन्वय के साथ कर्तव्यों का पालन करते थे।
(ख)
समानो मन्त्रः समितिः समानी समानं मनः सह चित्तमेषाम्।
समानं मन्त्रमभिमन्त्रये वः समानेन वो हविषा जुहोमि।
हिंदी अनुवाद
इनका विचार समान हो, लक्ष्य की प्राप्ति समान हो, इनका मन सौहार्दपूर्ण हो, और इनका चित्त एक हो।
मैं तुम्हारे सामूहिक विचार को संस्कारित करके प्रचारित करता हूँ और तुम्हारी सामूहिक प्रार्थना से ज्ञान-यज्ञ को सिद्ध करता हूँ।
(ग)
समानी व आकूतिः समाना हृदयानि वः।
समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति।
हिंदी अनुवाद
तुम्हारा संकल्प समान हो, तुम्हारे हृदय सामरस्यपूर्ण हों।
तुम्हारा मन एकरूप हो ताकि तुम्हारा संगठन उत्तम और शोभन हो।
4. पाठे प्रयुक्तान् शब्दान् भावानुसारं परस्परं योजयत –
(पाठ में प्रयुक्त शब्दों को उनके भाव (अर्थ) के अनुसार परस्पर जोड़ें।)
(क) संगछध्वम् सेवन्ते
(ख) संवदध्वम् चित्तम्
(ग) मनः मिलित्वा चलत
(घ) उपासते सङ्कल्पः
(ङ) वसूनि समस्तानि
(च) विश्वानि एकस्वरेण वदत
(छ) आकूतिः धनानि
उत्तरम्:
संख्या | स्तम्भ (A) | स्तम्भ (B) |
---|---|---|
(क) | संगच्छध्वम् (मिलकर चलो) | मिलित्वा चलत (साथ मिलकर आगे बढ़ो) |
(ख) | संवदध्वम् (एक स्वर में बोलो) | एकस्वरेण वदत (एकता से बोलना) |
(ग) | मनः (मन) | चित्तम् (चित्त / चेतना / बुद्धि) |
(घ) | उपासते (उपासना करते हैं) | सेवन्ते (सेवा करते हैं) |
(ङ) | वसूनि (वस्तुएं / धन) | धनानि (धन / संपत्ति) |
(च) | विश्वानि (सारे जगत की वस्तुएँ) | समस्तानि (सभी वस्तुएँ) |
(छ) | आकूतिः (आकांक्षा / इच्छा) | सङ्कल्पः (संकल्प / उद्देश्य) |
६. उदाहरणानुसारेण लट्-लकारस्य वाक्यानि लोट्-लकारेण परिवर्तयत –
(उदाहरण के अनुसार लट् लकार के वाक्यों को लोट् लकार में परिवर्तित करें।)
यथा— बालिकाः नृत्यन्ति ‘बालिकाः नृत्यन्तु
(क) बालकाः हसन्ति —————–
(ख) युवां तत्र गच्छथः —————–
(ग) यूयं धावथ —————–
(घ) आवां लिखावः —————–
(ङ) वयं पठामः —————–
उत्तरम्:
संख्या | लट्-लकार | लोट्-लकार |
---|---|---|
(क) | बालकाः हसन्ति (बालक हँसते हैं। ) | बालकाः हसन्तु (बालक हँसें। (आज्ञा दी जा रही है)) |
(ख) | युवां तत्र गच्छथः (तुम दोनों वहाँ जाते हो।) | युवां तत्र गच्छतम् (तुम दोनों वहाँ जाओ।) |
(ग) | यूयं धावथ (तुम लोग दौड़ते हो।) | यूयं धावत (तुम लोग दौड़ो।) |
(घ) | आवां लिखावः (हम दोनों लिखते हैं।) | आवां लिखाव (हम दोनों लिखें। (संकल्प/प्रस्ताव)) |
(ङ) | वयं पठामः (हम पढ़ते हैं।) | वयं पठाम (हम पढ़ें। (संकल्प/आमन्त्रण)) |
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