अभ्यासात् जायते सिद्धिः
१. निम्नलिखितेषु वाक्येषु रक्तवर्णीयानि स्थूलपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) वीरवरो पत्नीं पुत्रं दुहितरञ्च प्राबोधयत्। (वीरवर ने पत्नी, पुत्र और पुत्री को जगाया।)
प्रश्न (संस्कृत): कः पत्नीं पुत्रं दुहितरञ्च प्राबोधयत्? (किसने पत्नी, पुत्र और पुत्री को जगाया?)
(ख) ततस्ते सर्वे सर्वमङ्गलाया आयतनं गताः। (फिर वे सभी मंगलमय देवी के मंदिर को चले गये ।)
प्रश्न (संस्कृत): ततस्ते सर्वे जनाः कुत्र गताः? (फिर वे सभी सब लोग कहाँ गए?)
(ग) वीरवरः वर्तनस्य निस्तारं पुत्रोत्सर्गेण अकरोत्। (वीरवर ने अपने कर्तव्य का निर्वाह किसके त्याग से किया?)
प्रश्न (संस्कृत): वीरवरः वर्तनस्य निस्तारं केन अकरोत्? (वीरवर ने अपने पुत्र के त्याग से कर्तव्य का निर्वाह किया।)
(घ) राजा स्वप्रासादं प्राविशत्। (राजा ने अपने महल में प्रवेश किया।)
प्रश्न (संस्कृत): राजा कुत्र प्राविशत्? (राजा ने कहाँ प्रवेश किया?)
(ङ) महीपतिः वीरवराय समग्रकर्णाटप्रदेशम् अयच्छत्। (राजा ने वीरवर को पूरा कर्नाट प्रदेश दिया।)
प्रश्न (संस्कृत): महीपतिः कस्य समग्रकर्णाटप्रदेशं अयच्छत्? (राजा ने समस्त कर्नाट प्रदेश किसको दिया?)
२. अधोलिखितान् प्रश्नान् उत्तरत –
(क) वीरवरः किम् अवर्णयत् ? (वीरवर ने क्या वर्णन किया?)
उत्तरम् – वीरवरः अखिलराजलक्ष्मीसंवादं अवर्णयत्। (वीरवर ने सम्पूर्ण राजलक्ष्मी संवाद का वर्णन किया।)
(ख) प्राज्ञः धनानि जीवितञ्च केभ्यः उत्सृजेत् ? (बुद्धिमान व्यक्ति धन और जीवन किसके लिए त्याग दे?)
उत्तरम् – प्राज्ञः परार्थे धनानि जीवितञ्च उत्सृजेत्। (बुद्धिमान व्यक्ति परोपकार के लिए धन और जीवन का त्याग कर देता है।)
(ग) केन सदृशः लोके न भूतो न भविष्यति ? (संसार में किसके समान कोई न पहले हुआ और न आगे होगा?)
उत्तरम् – वीरवरेण सदृशः लोके न भूतो न भविष्यति। (वीरवर के समान संसार में न कोई पहले हुआ और न आगे होगा।)
(घ) का अदृश्या अभवत्? (कौन अदृश्य हो गई?)
उत्तरम् – भगवती सर्वमङ्गला अदृश्या अभवत्। (देवी सर्वमंगल अदृश्य हो गई।)
(ङ) सपरिवारः वीरवरः कुत्र गतवान्? (वीरवर अपने परिवार के साथ कहाँ गया?)
उत्तरम् – सपरिवारः वीरवरः स्वगृहं गतवान्। (वीरवर अपने परिवार सहित अपने घर गया।)
३. अधोलिखितेषु वाक्येषु रक्तवर्णीयपदानि केभ्यः प्रयुक्तानि इति उदाहरणानुगुणं लिखत-
(क) भगवति ! न “मे” प्रयोजनं राज्येन जीवितेन वा ।
उत्तरम् – राज्ञः
हिंदी अनुवाद –
हे माँ! मुझे राज्य और जीवन से कोई प्रयोजन नहीं है।
(यहाँ “मे” = मम = मेरा; प्रयुक्तः = राजा/राज्ञः)
(ख) वत्स ! अनेन “ते” सत्त्वोत्कर्षेण भृत्यवात्सल्येन च परं प्रीतास्मि ।
उत्तरम् – राज्ञः
हिंदी अनुवाद –
बेटा! तुम्हारी इस उत्कृष्ट शक्ति और सेवक-प्रेम से मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ।
(यहाँ “ते” = तव = तुम्हारे; प्रयुक्तः = राजा/राज्ञः)
(ग) धन्याहं “यस्या” ईदृशो जनको भ्राता च ।
उत्तरम् – वीरवत्या
हिंदी अनुवाद –
मैं धन्य हूँ जिसके ऐसे पिता और भाई हैं।
(यहाँ “यस्या” = जिसकी; प्रयुक्तः = वीरवती, पुत्री के लिए)
(घ) तदेतत्परित्यक्तेन “मम” राज्येनापि किं प्रयोजनम् !
उत्तरम् – राज्ञः
हिंदी अनुवाद –
यह सब त्याग देने के बाद मेरे राज्य का भी क्या उपयोग है?
(यहाँ “मम” = मेरा; प्रयुक्तः = राजा/राज्ञः)
(ङ) “अयम्” अपि सपरिवारो जीवतु ।
उत्तरम् – वीरवरः
हिंदी अनुवाद –
यह राजपुत्र भी अपने परिवार सहित जीवित रहे।
(यहाँ “अयम्” = यह; प्रयुक्तः = वीरवरः)
४. उदाहरणानुसारं निम्नलिखितानि वाक्यानि अन्वयरूपेण लिखत
यथा – कृतो मया गृहीतस्वामिवर्तनस्य निस्तारो स्वपुत्रोत्सर्गेण ।
गृहीतस्वामिवर्तनस्य निस्तारो मया स्वपुत्रोत्सर्गेण कृतः।
(क) नेदानीं राज्यभङ्गस्ते भविष्यति। (अब तुम्हारा राज्य टूटेगा नहीं।)
अन्वय: ते राज्यभङ्गः अब भविष्यति नहीं। (तुम्हारा राज्य अब नहीं टूटेगा।)
(ख) तेन पातितं स्वशिरः स्वकरस्थखड्गेन। (उसने अपने हाथ में रखे तलवार से अपना सिर काटा।)
अन्वय: तेन स्वकरस्थखड्गेन स्वशिरः पातितम्। (उसने अपने सिर को अपने हाथ में रखे तलवार से काटा।)
(ग) तदा ममायुःशेषेणापि जीवतु राजपुत्रो वीरवरः सह पुत्रेण पत्न्या दुहित्रा च। (तब मेरे शेष जीवन से भी राजकुमार वीरवर अपने पुत्र, पत्नी और पुत्री के साथ जीवित रहे।)
अन्वय: तदा राजपुत्रः वीरवरः मम आयुःशेषेणापि सह पुत्रेण पत्न्या च दुहित्रा जीवतु। (तब राजकुमार वीरवर मेरे शेष जीवन से भी अपने पुत्र, पत्नी और पुत्री के साथ जीवित रहा।)
(घ) तत्क्षणादेव देवी गताऽदर्शनम्। (उसी समयदेवी अदृश्य हो गई।)
अन्वय: देवी तत्क्षणादेव गताऽदर्शनम्। (देवी उसी समयअदृश्य हो गई।)
(ङ) महीपतिस्तस्मै प्रायच्छत् समग्रकर्णाटप्रदेशं राजपुत्राय वीरवराय। (राजा ने राजकुमार वीरवर को समग्र कर्नाट प्रदेश दिया।)
अन्वय: महीपतिः तस्मै राजपुत्राय वीरवराय समग्रकर्णाटप्रदेशम् प्रायच्छत्। (राजा ने राजकुमार वीरवर को समग्र कर्नाट प्रदेश दिया।)
(च) जायन्ते च म्रियन्ते च मादृशाः क्षुद्रजन्तवः। (मेरे जैसे छोटे जीव जन्मते और मरते हैं।)
अन्वय: मादृशाः क्षुद्रजन्तवः जायन्ते च म्रियन्ते च। (मेरे जैसे छोटे जीव जन्मते और मरते हैं।)
५. उदाहरणानुगुणम् अधोलिखितानां पदानां पदच्छेदं कुरुत-
यथा –
यद्येवमस्मत्कुलोचितम् = यदि-एवम्-अस्मत्-कुलोचितम्
सत्त्वोत्कर्षेण = ‘सत्त्व – उत्कर्षेण
(क) गृहीतस्वामिवर्तनस्य = गृहीत-स्वामि-वर्तनस्य
हिंदी अनुवाद: स्वामी द्वारा दिए गए वेतन का
(ख) निस्तारोपायः = निस्तार-उपायः
हिंदी अनुवाद: ऋण चुकाने का उपाय
(ग) गृह्यतामेष = गृह्यताम्-एष
हिंदी अनुवाद: इसे ग्रहण करो
(घ) स्वपुत्रोत्सर्गेण = स्व-पुत्र-उत्सर्गेण
हिंदी अनुवाद: अपने पुत्र के त्याग से
(ङ) स्वकरस्थखड्गेन = स्व-कर-स्थ-खड्गेन
हिंदी अनुवाद: अपने हाथ में रखे खड्ग से
(च) तदेतत्परित्यक्तेन = तत्-एतत्-परित्यक्तेन
हिंदी अनुवाद: उस सब को त्यागने वाले द्वारा
(छ) स्वशिरश्छेदनार्थमुत्क्षिप्तः = स्व-शिरः-छेदन-अर्थम्-उत्क्षिप्तः
हिंदी अनुवाद: अपने सिर काटने के लिए उठाया हुआ
(ज) मद्दर्शनाददृश्यताम् = मत्-दर्शनात्-दृश्यताम्
हिंदी अनुवाद: मेरे दर्शन से अदृश्य होना
(झ) तत्क्षणादेव = तत्-क्षणात्-एव
हिंदी अनुवाद: उसी क्षण ही
(ञ) लब्धजीवितः = लब्ध-जीवितः
हिंदी अनुवाद: जीवन प्राप्त हुआ
६. (क) उदाहरणानुसार पाठगत पदों से रिक्त स्थानों की पूर्ति सन्धियुक्त शब्दों द्वारा करें —
संधि | सन्धियुक्त शब्द | हिंदी अर्थ |
---|---|---|
तत् + श्रुत्वा | तच्छ्रुत्वा | उसे सुनकर |
दुहितरम् + च | दुहितरञ्च | पुत्री और |
धन्यः + अहम् | धन्याहम् | मैं धन्य हूँ |
जीवितम् + च + एव | जीवितमेव | केवल जीवन |
विलम्बः + तात | विलम्बस्तात | विलंब क्यों, पिताजी? |
कः + अधुना | कोऽधुना | अब कौन? |
न + आचरितव्यम् | नाचरितव्यम् | आचरण नहीं किया जाना चाहिए |
धन्या + अहम् | धन्याहम् | मैं धन्य हूँ |
निस्तारः + उपायः | निस्तारोपायः | छुड़ाने का उपाय |
वीरवरः + अवदत् | वीरवरोऽवदत् | वीरवर ने कहा |
ततः + असौ | ततोऽसौ | तब वह |
ततः + ते | ततस्ते | तब वे |
(ख) निम्नलिखितपदानां सन्धिच्छेदं कुरुत-
शूद्रकोऽपि
➤ शूद्रकः + अपि
(शूद्रक भी)
पुनर्भूपालेन
➤ पुनः + भूपालेन
(फिर राजा के द्वारा)
महीपतिस्तस्मै
➤ महीपतिः + तस्मै
(राजा ने उसे)
प्रायच्छत्
➤ प्रा + अयच्छत्
(दिया / प्रदान किया)
नृपतिरपि
➤ नृपतिः + अपि
(राजा भी)
सर्वेषामदृश्य
➤ सर्वेषाम् + अदृश्य
(सभी के लिए अदृश्य)
वार्ताऽन्या
➤ वार्ता + अन्या
(कोई अन्य समाचार)
राज्यभङ्गस्ते
➤ राज्यभङ्गः + ते
(तुझे राज्यभंग नहीं होगा)
गतिर्गन्तव्या
➤ गतिः + गन्तव्या
(गति प्राप्त करनी चाहिए)
इत्युक्त्वा
➤ इति + उक्त्वा
(ऐसा कहकर)
नेदानीं
➤ न + इदानीं
(अब नहीं)
प्रीतास्मि
➤ प्रीता + अस्मि
(मैं प्रसन्न हूँ)
७. अधोलिखितानि कथनानि कथायाः घटनानुसारं लिखत
(घ) वीरवरो गृहं गत्वा पत्नीं पुत्रं पुत्रीञ्च प्राबोधयत्, सर्वां च वार्ताम् अकथयत्।
(ख) पितुः वार्तां श्रुत्वा शक्तिधरः प्रसन्नतया स्वस्य समर्पणार्थं सिद्धः अभवत्।
(छ) वीरवरः परिवारेण सह सर्वस्वसमर्पणम् अकरोत्।
(क) सर्वं दृष्ट्वा राजा शूद्रकः अपि सर्वस्वसमर्पणार्थं सिद्धः अभवत्।
(च) भगवती प्रसन्ना अभवत्। भगवत्याः कृपया सर्वे जीवितवन्तः।
(ग) प्रातः राजा वीरवरम् अपृच्छत् ‘ह्यः रात्रौ किम् अभवत्’?
(ङ) वीरवरेण उक्तम् – स्वामिन् ! न कापि वार्ता । सा नारी अदृश्या अभवत्।
घटनानुसार क्रमबद्ध कथन (हिन्दी में):
(घ) वीरवर अपने घर गया, पत्नी, पुत्र और पुत्री को जगाया, और सारा संवाद बताया।
(ख) पिता की बात सुनकर शक्तिधर प्रसन्नतापूर्वक अपने समर्पण के लिए तैयार हुआ।
(छ) वीरवर ने अपने परिवार सहित सम्पूर्ण समर्पण कर दिया।
(क) यह सब देखकर राजा शूद्रक भी सम्पूर्ण समर्पण के लिए तैयार हो गया।
(च) भगवती प्रसन्न हुई। भगवती की कृपा से सभी जीवित रहे।
(ग) प्रातः राजा ने वीरवर से पूछा – “कल रात्रि क्या हुआ?”
(ङ) वीरवर ने कहा – “स्वामी! कोई विशेष बात नहीं। वह स्त्री अदृश्य हो गई।”
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