सम्यग्वर्णप्रयोगेण ब्रह्मलोके महीयते
(सही वर्णों के प्रयोग से (या शुद्ध उच्चारण द्वारा) व्यक्ति ब्रह्मलोक में प्रतिष्ठित होता है।)
प्रश्नः / उत्तरः
१. प्रश्नः – वृत्रासुरेण कः यज्ञः कारितः? (वृत्रासुर ने कौन-सा यज्ञ कराया?)
👉 उत्तरम् – वृत्रासुरेण ‘इन्द्रशत्रुः वर्धस्व’ इति मन्त्रेण यज्ञः कारितः। (वृत्रासुर ने ‘इन्द्रशत्रुः वर्धस्व’ मन्त्र से यज्ञ कराया।)
२. प्रश्नः – ऋत्विजः मन्त्रे किं परिवर्तनं कृतवन्तः? (ऋत्विजों ने मन्त्र में क्या परिवर्तन किया?)
👉 उत्तरम् – ऋत्विजः मन्त्रे स्वरं परिवर्तितवन्तः। (ऋत्विजों ने मन्त्र में स्वर का परिवर्तन किया।)
३. प्रश्नः – स्वरपरिवर्तनात् कस्य बलं वर्धितम्? (स्वर परिवर्तन से किसका बल बढ़ा?)
👉 उत्तरम् – स्वरपरिवर्तनात् इन्द्रस्य बलं वर्धितम्। (स्वर परिवर्तन से इन्द्र का बल बढ़ा।)
४. प्रश्नः – इन्द्रः वृत्रासुरं केन हत्वा? (इन्द्र ने वृत्रासुर को किससे मारा?)
👉 उत्तरम् – इन्द्रः वज्रेण वृत्रासुरं हत्वा। (इन्द्र ने वृत्रासुर को वज्र से मारा।)
५. प्रश्नः – वर्णोच्चारणे शुद्धतायाः महत्त्वं कथं दर्शितम्? (वर्णोच्चारण में शुद्धता का महत्व कैसे बताया गया?)
👉 उत्तरम् – ‘स्वजनः-श्वजनः’, ‘सकलं-शकलं’ इत्यादि उदाहरणैः दर्शितम्। (‘स्वजनः-श्वजनः’, ‘सकलं-शकलं’ आदि उदाहरणों से बताया गया।)
६. प्रश्नः – व्याघ्री स्वपुत्रान् कथं हरति? (व्याघ्री अपने बच्चों को कैसे ले जाती है?)
👉 उत्तरम् – व्याघ्री दंष्ट्राभ्यां पुत्रान् हरति, परन्तु न पीडयति। (व्याघ्री अपने बच्चों को दाँतों से ले जाती है, परन्तु उन्हें कष्ट नहीं देती।)
७. प्रश्नः – पाठकस्य षड्गुणाः के के? (पाठक के छह गुण कौन-से हैं?)
👉 उत्तरम् – माधुर्यम्, अक्षरव्यक्ति, पदच्छेदः, सुस्वरः, धैर्यम्, लयसमर्थम्। (माधुर्य, अक्षर स्पष्टता, पदविभाजन, मधुर स्वर, धैर्य और लय की समझ।)
८. प्रश्नः – अधमपाठकाः के के सन्ति? (अधम पाठक कौन-कौन हैं?)
👉 उत्तरम् – गीती, शीघ्री, शिरःकम्पी, लिखितपाठकः, अनर्थज्ञः, अल्पकण्ठः। (गाने जैसा पढ़ने वाला, शीघ्र पढ़ने वाला, सिर हिलाकर पढ़ने वाला, लिखित पाठक, अर्थ न जानने वाला और धीमे स्वर वाला।)
९. प्रश्नः – षट् वेदाङ्गानि के? (छह वेदाङ्ग कौन-से हैं?)
👉 उत्तरम् – शिक्षा, कल्पः, व्याकरणम्, निरुक्तम्, छन्दः, ज्योतिषम्। (शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष।)
१०. प्रश्नः – सम्यग्वर्णप्रयोगेण किम् लभ्यते? (सही अक्षर उच्चारण से क्या प्राप्त होता है?)
👉 उत्तरम् – सम्यग्वर्णप्रयोगेण ब्रह्मलोके सम्मानः लभ्यते। (सही उच्चारण से ब्रह्मलोक में सम्मान प्राप्त होता है।)
रिक्तस्थानपूर्तिः
१. भीता __________ तद्वद् वर्णान् प्रयोजयेत्।
👉 उत्तरम् – पतनभेदाभ्याम्।
हिंदी अनुवाद : डरी हुई व्याघ्री जैसे गिरने और टूटने के भय से बच्चों को ले जाती है, वैसे ही वर्णों का प्रयोग करना चाहिए।
२. माधुर्यम् अक्षरव्यक्तिः पदच्छेदः तु __________ च षडेते पाठका गुणाः।
👉 उत्तरम् – सुस्वरः धैर्यं लयसमर्थं।
हिंदी अनुवाद : मधुरता, अक्षरों की स्पष्टता, पदों का विभाजन, मधुर स्वर, धैर्य और लय की समर्थता – ये छह पाठक के गुण हैं।
३. गीती शीघ्री शिरःकम्पी तथा __________।
👉 उत्तरम् – लिखितपाठकः।
हिंदी अनुवाद : गाने के समान पढ़ने वाला, तेज गति से पढ़ने वाला, सिर हिलाकर पढ़ने वाला तथा लिखकर पढ़ने वाला।
४. एवं वर्णाः प्रयोक्तव्या नाव्यक्ता न च __________।
👉 उत्तरम् – पीडिताः।
हिंदी अनुवाद : इस प्रकार वर्णों का प्रयोग करना चाहिए – न तो अस्पष्ट और न ही पीड़ित।
५. स्वजनः श्वजनः माभूत् सकलं __________ सकृत् शकृत्।
👉 उत्तरम् – शकलं।
हिंदी अनुवाद : ‘स्वजन’ की जगह ‘श्वजन’, ‘सकल’ की जगह ‘शकल’, और ‘सकृत्’ की जगह ‘शकृत्’ न हो।
६. सम्यग्वर्णप्रयोगेण __________ महीयते।
👉 उत्तरम् – ब्रह्मलोके।
हिंदी अनुवाद : सही उच्चारण से मनुष्य ब्रह्मलोक में सम्मानित होता है।
७. व्याघ्री यथा हरेत् पुत्रान् __________ न च पीडयेत्।
👉 उत्तरम् – दंष्ट्राभ्याम्।
हिंदी अनुवाद : व्याघ्री जैसे दाँतों से अपने बच्चों को ले जाती है और उन्हें पीड़ा नहीं देती।
८. __________ पठ पुत्र व्याकरणम्।
👉 उत्तरम् – यद्यपि बहु न अधीषे तथापि।
हिंदी अनुवाद : हे पुत्र! यद्यपि तुम अधिक नहीं पढ़ते हो, तथापि व्याकरण अवश्य पढ़ो।
९. षट् वेदाङ्गानि सन्ति – शिक्षा, कल्पः, व्याकरणम्, निरुक्तम्, छन्दः, __________।
👉 उत्तरम् – ज्योतिषम्।
हिंदी अनुवाद : छह वेदांग हैं – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष।
१०. गीती शीघ्री शिरःकम्पी तथा लिखितपाठकः __________ च षडेते पाठकाधमाः।
👉 उत्तरम् – अनर्थज्ञोऽल्पकण्ठः।
हिंदी अनुवाद : गाने के समान पढ़ने वाला, तेज गति से पढ़ने वाला, सिर हिलाकर पढ़ने वाला, लिखकर पढ़ने वाला, अर्थ न समझने वाला और धीमी आवाज में पढ़ने वाला – ये छह अधम पाठक हैं।
(सत्य / असत्य)
१. गानसहितं पठनं पाठकस्य गुणः भवति। (गाना मिलाकर पढ़ना पाठक का गुण होता है।)
👉 उत्तरम् – असत्य। (यह दोष है)
२. पदच्छेदः पाठकानां गुणः अस्ति। (पदच्छेद (शब्दों का सही विभाजन) पाठकों का गुण है।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
३. शकृत् शब्दस्य अर्थः एकवारम् इति भवति। (“शकृत्” शब्द का अर्थ “एक बार” होता है।)
👉 उत्तरम् – असत्य। (इसका अर्थ “विष्ठा/मल” है)
४. सकृत् इत्यस्य अर्थः “एकवारम्” अस्ति। (“सकृत्” शब्द का अर्थ “एक बार” होता है।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
५. स्वजनः इति शब्दस्य अर्थः बन्धुः भवति। (“स्वजनः” का अर्थ “बंधु” (रिश्तेदार) होता है।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
६. श्वजनः इत्यस्य अर्थः कुक्कुरः (शुनकः) भवति। (“श्वजनः” का अर्थ “कुत्ता” होता है।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
७. व्याघ्री दंष्ट्राभ्यां पुत्रान् हरति परं पीडयति च। (बाघिन अपने बच्चों को दाँतों से ले जाती है और उन्हें कष्ट भी देती है।)
👉 उत्तरम् – असत्य। (वह उन्हें बिना पीड़ा दिए ले जाती है)
८. अव्यक्ताः वर्णाः प्रयोक्तव्याः भवन्ति। (अस्पष्ट अक्षरों का उच्चारण करना चाहिए। )
👉 उत्तरम् – असत्य। (वर्ण स्पष्ट उच्चारित होने चाहिए)
९. पाठकस्य माधुर्यं, अक्षरव्यक्तिः, सुस्वरः च गुणाः भवन्ति। (पाठक का मधुर उच्चारण, अक्षरों की स्पष्टता और सुन्दर स्वर उसके गुण हैं।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
१०. गीती, शीघ्री, शिरःकम्पी च अधमपाठकाः भवन्ति। (गाकर पढ़ने वाला, बहुत तेज पढ़ने वाला और सिर हिलाकर पढ़ने वाला – ये अधम पाठक कहलाते हैं। )
👉 उत्तरम् – सत्य।
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