सुभाषितस्सं पीत्वा जीवनं सफलं कुरु
(सुंदर वचनों (सुभाषितों) से अपना जीवन सफल बनाओ।)
प्रश्नः / उत्तरः
१. प्रश्नः – सुभाषितानि किम्? (सुभाषित क्या हैं?)
उत्तरः – शोभनानि वचनानि सुभाषितानि इति कथ्यन्ते। (अच्छे, सुंदर और उपयोगी वचन ही सुभाषित कहलाते हैं।)
२. प्रश्नः – सुभाषितपठनस्य कः लाभः? (सुभाषित पढ़ने का क्या लाभ है?)
उत्तरः – सुभाषितपठनेन आदर्शमानवजीवनस्य निर्माणाय प्रेरणा लभ्यते। (सुभाषित पढ़ने से आदर्श मानव जीवन बनाने की प्रेरणा मिलती है।)
३. प्रश्नः – देवाः भारतभूमेः विषये किं गायन्ति? (देवता भारतभूमि के विषय में क्या गाते हैं?)
उत्तरः – देवाः गायन्ति यत् भारतभूमौ जन्म लब्ध्वा मानवाः धन्याः भवन्ति। (देवता कहते हैं कि भारतभूमि में जन्म लेने वाले लोग धन्य होते हैं।)
४. प्रश्नः – “गुणी गुणं वेत्ति, न वेत्ति निर्गुणः” – इत्यस्य तात्पर्यम् किम्? (“गुणी गुणं वेत्ति, न वेत्ति निर्गुणः” का तात्पर्य क्या है?)
उत्तरः – केवल गुणी पुरुष ही दूसरों के गुण को पहचानता है, गुणहीन व्यक्ति नहीं। (इसका अर्थ है कि केवल गुणवान व्यक्ति ही दूसरों के गुणों को पहचान सकता है, गुणहीन नहीं।)
५. प्रश्नः – तरवः फलोद्गमैः कदा नम्राः भवन्ति? (वृक्ष कब नम्र होते हैं?)
उत्तरः – फलभारैः युक्ताः सन्तः तरवः नम्राः भवन्ति। (जब वे फलों से लदे होते हैं, तब वे झुककर नम्र हो जाते हैं।)
६. प्रश्नः – पुरुषः केन प्रकारेण परीक्ष्यते? (मनुष्य की परीक्षा किस प्रकार होती है?)
उत्तरः – पुरुषः कुलेन, शीलेन, गुणेन, कर्मणा च परीक्ष्यते। (मनुष्य की परीक्षा उसके कुल, स्वभाव, गुण और कर्म से होती है।)
७. प्रश्नः – अष्टौ गुणाः के के मानवं दीपयन्ति? (कौन-से आठ गुण मनुष्य को प्रकाशित करते हैं?)
उत्तरः – प्रज्ञा, कौल्यं, दमः, श्रुतम्, पराक्रमः, अबहुभाषिता, दानं यथाशक्ति, कृतज्ञता च। (विशेषज्ञान, कुलीनता, संयम, शास्त्रज्ञान, साहस, मितभाषिता, सामर्थ्यानुसार दान और कृतज्ञता।)
८. प्रश्नः – “न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धाः” – इत्यस्य अर्थः कः? ( “न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धाः” का अर्थ क्या है?)
उत्तरः – जहाँ विद्वान वृद्धजन धर्म और सत्य का उपदेश न दें, वह सभा नहीं मानी जाती। (वह सभा नहीं कहलाती जहाँ वृद्ध और विद्वान धर्म-सत्य की बात न करें।)
९. प्रश्नः – दुर्जनेन सह सख्यं किमर्थं न करणीयम्? (दुष्ट व्यक्ति से मित्रता क्यों नहीं करनी चाहिए?)
उत्तरः – यतः दुर्जनः उष्णाङ्गारवत् सर्वदा हानिकरः भवति। (क्योंकि दुष्ट व्यक्ति उष्ण अंगारे की तरह हमेशा हानिकारक होता है।)
१०. प्रश्नः – पुरुषार्थं विना दैवं किमर्थं न सिध्यति? (पुरुषार्थ के बिना भाग्य क्यों सफल नहीं होता?)
उत्तरः – यतः यथा रथस्य गतिः द्वाभ्यां चक्राभ्यां भवति, एवं प्रयत्नेन एव दैवं फलदं भवति। (क्योंकि जैसे रथ केवल दो पहियों से चलता है, वैसे ही भाग्य भी प्रयास के बिना फल नहीं देता।)
रिक्तस्थानपूर्तिः
१. सुभाषितानि ____________ वचनानि भवन्ति।
👉 उत्तरम् – शोभनानि।
हिंदी अनुवाद: सुभाषित ____________ वचन होते हैं।
👉 उत्तर – अच्छे (शोभन)।
२. सुभाषितपठनेन ____________ मानवजीवनाय प्रेरणा लभ्यते।
👉 उत्तरम् – आदर्श।
हिंदी अनुवाद: सुभाषित पढ़ने से ____________ मानव जीवन के लिए प्रेरणा मिलती है।
👉 उत्तर – आदर्श।
३. देवाः गायन्ति यत् ____________ जन्म लब्ध्वा मानवाः धन्याः भवन्ति।
👉 उत्तरम् – भारतभूमौ।
हिंदी अनुवाद: देवता कहते हैं कि ____________ जन्म लेने वाले लोग धन्य होते हैं।
👉 उत्तर – भारतभूमि में।
४. गुणी गुणं वेत्ति, न वेत्ति ____________।
👉 उत्तरम् – निर्गुणः।
हिंदी अनुवाद: गुणी गुण को पहचानता है, गुणहीन ____________।
👉 उत्तर – नहीं पहचानता।
५. तरवः ____________ नम्राः भवन्ति।
👉 उत्तरम् – फलोद्गमैः।
हिंदी अनुवाद: वृक्ष ____________ झुककर नम्र हो जाते हैं।
👉 उत्तर – फलों के भार से।
६. पुरुषः कुलेन, शीलेन, गुणेन च ____________ परीक्ष्यते।
👉 उत्तरम् – कर्मणा।
हिंदी अनुवाद: मनुष्य की परीक्षा कुल, स्वभाव, गुण और ____________ होती है।
👉 उत्तर – कर्म से।
७. अष्टौ गुणाः पुरुषं दीपयन्ति – प्रज्ञा, कौल्यं, दमः, श्रुतम्, पराक्रमः, अबहुभाषिता, दानं यथाशक्ति, ____________।
👉 उत्तरम् – कृतज्ञता।
हिंदी अनुवाद: आठ गुण मनुष्य को प्रकाशित करते हैं – प्रज्ञा, कुलीनता, संयम, शास्त्रज्ञान, साहस, मितभाषिता, सामर्थ्यानुसार दान और ____________।
👉 उत्तर – कृतज्ञता।
८. न सा सभा यत्र न सन्ति ____________।
👉 उत्तरम् – वृद्धाः।
हिंदी अनुवाद: वह सभा नहीं है जहाँ ____________ न हों।
👉 उत्तर – वृद्धजन।
९. दुर्जनेन सह ____________ न करणीयम्।
👉 उत्तरम् – सख्यम्।
हिंदी अनुवाद: दुष्ट व्यक्ति से ____________ नहीं करना चाहिए।
👉 उत्तर – मित्रता।
१०. यथा एकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्, तथा पुरुषकारेण विना ____________ न सिध्यति।
👉 उत्तरम् – दैवम्।
हिंदी अनुवाद: जैसे एक पहिये से रथ की गति नहीं होती, वैसे ही पुरुषार्थ के बिना ____________ सफल नहीं होता।
👉 उत्तर – भाग्य।
(सत्य / असत्य)
१. सुभाषितानि शोभनानि वचनानि भवन्ति। (सुभाषित अच्छे वचन होते हैं।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
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२. सुभाषितपठनं मानवजीवनाय निरर्थकं भवति। (सुभाषित पढ़ना मानव जीवन के लिए निरर्थक है।)
👉 उत्तरम् – असत्य।
३. देवाः गायन्ति यत् भारतभूमौ जन्म लब्ध्वा मानवाः धन्याः भवन्ति। (देवता कहते हैं कि भारतभूमि में जन्म लेने वाले लोग धन्य होते हैं।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
४. निर्गुणः अपि अन्येषां गुणं वेत्ति। (गुणहीन भी दूसरों के गुण पहचानता है।)
👉 उत्तरम् – असत्य।
५. तरवः फलोद्गमैः नम्राः भवन्ति। (वृक्ष फलों के भार से झुककर नम्र हो जाते हैं।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
६. पुरुषः केवलं कुलस्य आधारात् परीक्ष्यते। (मनुष्य की परीक्षा केवल कुल के आधार पर होती है।)
👉 उत्तरम् – असत्य।
७. अष्टौ गुणाः – प्रज्ञा, कौल्यं, दमः, श्रुतम्, पराक्रमः, अबहुभाषिता, दानं यथाशक्ति, कृतज्ञता च। (आठ गुण – प्रज्ञा, कुलीनता, संयम, शास्त्रज्ञान, पराक्रम, मितभाषिता, दान और कृतज्ञता।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
८. सा सभा सफलाभवति, यत्र वृद्धाः धर्मं न वदन्ति। (वह सभा सफल होती है जहाँ वृद्धजन धर्म की बातें न करें।)
👉 उत्तरम् – असत्य। (सा सभा सफलाभवति, यत्र वृद्धाः धर्मं वदन्ति।)
९. दुर्जनेन सह सख्यं करणीयं भवति। (दुष्ट व्यक्ति से मित्रता करनी चाहिए।)
👉 उत्तरम् – असत्य। (दुर्जनः उष्णाङ्गारवत् हानिकरः भवति।)
१०. पुरुषार्थं विना दैवं न सिध्यति। (पुरुषार्थ (प्रयास) के बिना भाग्य सफल नहीं होता।)
👉 उत्तरम् – सत्य।
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