Notes For All Chapters – संस्कृत Class 8
सुभाषितस्सं पीत्वा जीवनं सफलं कुरु
(सुंदर वचनों (सुभाषितों) का सेवन करके अपना जीवन सफल बनाओ।)
१. पाठस्य नामः
- सुभाषितरसं पीत्वा जीवनं सफलं कुरु
हिन्दी अनुवाद
पाठ का नाम
- सुभाषितरस पीकर जीवन को सफल बनाओ
२. पाठस्य विषयवस्तु
- सुभाषितानि = सुन्दराणि, हितकराणि वचनानि।
- एतानि वचनानि मानवजीवनस्य मार्गदर्शकानि भवन्ति।
- धर्मः, सत्यं, विनयः, गुणः, पुरुषार्थः, मित्रविवेकः च अत्र प्रतिपाद्यन्ते।
हिन्दी अनुवाद
२. विषयवस्तु
- सुभाषित = अच्छे और श्रेष्ठ वचन।
- ये वचन मनुष्य को सन्मार्ग पर चलना सिखाते हैं।
- इसमें धर्म, सत्य, नम्रता, गुण, पुरुषार्थ और विवेक की बातें कही गई हैं।
३. श्लोकानां सारः
1. भारतभूमेः माहात्म्यम्
- भारतभूमिः पुण्यभूमिः।
- अत्र जन्मः महत् सौभाग्यम्।
- देवाः अपि अस्मिन् भूमौ जन्मं कर्तुम् इच्छन्ति।
हिन्दी अनुवाद
भारतभूमि का महत्त्व
- भारतभूमि पवित्र और पुण्य भूमि है।
- यहाँ जन्म लेना महान सौभाग्य है।
- देवता भी इस भूमि पर जन्म लेना चाहते हैं।
2. गुणज्ञानम्
- गुणी एव गुणिनं जानाति, निर्गुणः न।
- बली एव अन्यबलं जानाति, निर्बलः न।
- पिकः वसन्तस्य माधुर्यं जानाति, वायसः न।
- गजः सिंहस्य बलं जानाति, मूषकः न।
हिन्दी अनुवाद
गुणों की पहचान
- केवल गुणी व्यक्ति ही दूसरे गुणी को पहचानता है।
- बलवान ही दूसरे बलवान की शक्ति समझता है।
- कोयल वसन्त ऋतु के गुण जानती है, कौआ नहीं।
- हाथी ही सिंह की शक्ति जानता है, चूहा नहीं।
3. नम्रतायाः महत्त्वम्
- फलैः युक्ताः वृक्षाः नम्राः भवन्ति।
- जलैः पूर्णाः मेघाः भूमिं प्रति नम्राः।
- सज्जनाः समृद्धौ अपि विनीताः भवन्ति।
हिन्दी अनुवाद
नम्रता का महत्व
- फल से लदे वृक्ष झुक जाते हैं।
- जल से भरे बादल पृथ्वी की ओर झुकते हैं।
- सज्जन लोग सम्पन्नता में भी विनम्र बने रहते हैं।
4. अष्टगुणाः पुरुषस्य शोभायाः कारणम्
- प्रज्ञा = विशेषबुद्धिः।
- कौल्यं = श्रेष्ठवंशे जन्मः।
- दमः = इन्द्रियनिग्रहः।
- श्रुतम् = शास्त्रज्ञानम्।
- पराक्रमः = साहसः।
- अबहुभाषिता = अल्पवक्तृत्वम्।
- यथाशक्ति दानम्।
- कृतज्ञता = उपकारस्मरणम्।
हिन्दी अनुवाद
मनुष्य की शोभा बढ़ाने वाले आठ गुण
- प्रज्ञा (विशेष बुद्धि)
- कुलीनता (श्रेष्ठ वंश)
- संयम (इन्द्रिय-निग्रह)
- शास्त्रज्ञान
- पराक्रम (साहस)
- मितभाषिता (कम बोलना)
- यथाशक्ति दानशीलता
- कृतज्ञता (उपकार को याद रखना)
5. सभायाः स्वरूपम्
- सा सभा न यत्र वृद्धाः सन्ति।
- सा सभा न यत्र धर्मवक्ता अस्ति।
- धर्मः न यदि सत्यं न।
- सत्यं न यदि छलयुक्तम्।
हिन्दी अनुवाद
सभा का स्वरूप
- वही सभा है, जहाँ वृद्ध और विद्वान लोग हों।
- वही धर्म है, जिसमें सत्य हो।
- वही सत्य है, जिसमें छल न हो।
6. दुर्जनसङ्गस्य दोषः
- दुर्जनेन सह मैत्री न करणीयम्।
- अङ्गारः उष्णः दहति, शीतः मलिनं करोति।
- एवं दुर्जनः सर्वदा अहितं करोति।
हिन्दी अनुवाद
दुष्ट संगति का दोष
- दुष्ट के साथ कभी मित्रता नहीं करनी चाहिए।
- अंगारा जलता हो तो जलाता है, ठंडा हो तो हाथ काला करता है।
- वैसे ही दुष्ट हर समय नुकसान ही करता है।
7. पुरुषार्थस्य महत्त्वम्
- यथा रथः द्वाभ्यां चक्राभ्यां एव चलति।
- एवं भाग्यं पुरुषकारं विना व्यर्थम्।
- प्रयत्नः च भाग्यं च जीवनरथस्य द्वे चक्रे।
हिन्दी अनुवाद
पुरुषार्थ का महत्व
- जैसे रथ दो पहियों पर चलता है।
- वैसे ही जीवन प्रयत्न और भाग्य – दोनों पर निर्भर है।
- केवल भाग्य से सफलता नहीं मिलती, प्रयत्न भी आवश्यक है
४. संस्कृतशब्दाः – अर्थाः
- धन्यः = भाग्यशाली
- गुणी = सद्गुणयुक्तः
- नम्रः = विनीतः
- परोपकारी = अन्यहितकर्ता
- प्रज्ञा = विवेकः
- दमः = संयमः
- मितभाषिता = अल्पवक्तृत्वम्
- कृतज्ञता = उपकारस्मरणम्
हिन्दी अनुवाद
४. शब्दार्थ
- धन्य = भाग्यशाली
- गुणी = सद्गुणों वाला
- नम्र = विनम्र
- परोपकारी = दूसरों का हित करने वाला
- प्रज्ञा = विशेष बुद्धि
- दम = इन्द्रिय संयम
- मितभाषिता = कम बोलना
- कृतज्ञता = उपकार को याद रखना
५. शिक्षाः (पाठोपदेशाः)
- जन्मभूमेः गौरवम् अनुभवनीयम्।
- गुणाः एव व्यक्तिम् शोभयन्ति।
- नम्रता = महानुभावस्य लक्षणम्।
- मनुष्यस्य शोभा केवलं रूपेण न, अपि तु गुणैः।
- सभा, धर्मः, सत्यं – एतेषां पावित्र्यं अनिवार्यम्।
- दुर्जनसङ्गः सर्वथा त्याज्यः।
- प्रयत्नं विना भाग्यम् व्यर्थम्।
हिन्दी अनुवाद
५. शिक्षाएँ
- अपनी जन्मभूमि का सम्मान करना चाहिए।
- गुण ही मनुष्य का असली आभूषण हैं।
- नम्रता महानता की निशानी है।
- सभा, धर्म और सत्य का पवित्र होना आवश्यक है।
- दुष्ट की संगति से हमेशा हानि होती है।
- केवल भाग्य पर नहीं, बल्कि पुरुषार्थ पर भी विश्वास करना चाहिए।
६. निष्कर्षः
- सुभाषितानि केवलं सुन्दरवाक्यानि न, किन्तु जीवनोपदेशः।
- सत्यं, धर्मः, नम्रता, पुरुषार्थः – जीवनस्य आधारभूतमूल्याः।
- एतेषां आचरणेन एव जीवनं सफलं भवति।
हिन्दी अनुवाद
६. निष्कर्षः
- सुभाषितानि केवलं सुन्दरवाक्यानि न, किन्तु जीवनोपदेशः।
- सत्यं, धर्मः, नम्रता, पुरुषार्थः – जीवनस्य आधारभूतमूल्याः।
- एतेषां आचरणेन एव जीवनं सफलं भवति।
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