Solutions For All Chapters – संस्कृत Class 8
प्रणम्यो देशभक्तोऽयं गोपबन्धुर्महामनाः
(यह गोपबन्धु, महान मन वाला देशभक्त, वंदन के योग्य है।)
अभ्यासात् जायते सिद्धिः
१. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तरं लिखत –
(नीचे लिखे गए प्रश्नों के एक-शब्द में उत्तर लिखो।)
(क) समाज – दिनपत्रिकायाः प्रतिष्ठाता कः? (‘समाज’ दैनिक समाचार-पत्र का संस्थापक कौन था?)
उत्तरम्: गोपबन्धुः (गोपबंधु)
(ख) गोपबन्धुः कस्मै स्वभोजनं दत्तवान्? (गोपबंधु ने अपना भोजन किसे दिया?)
उत्तरम्: भिक्षुकाय (भिखारी को)
(ग) मरणासन्नः कः आसीत्? (मरणासन्न कौन था?)
उत्तरम्: पुत्रः (पुत्र)
(घ) गोपबन्धुः केन उपाधिना सम्मानितः अभवत्? (गोपबंधु को किस उपाधि से सम्मानित किया गया?)
उत्तरम्: उत्कलमणिः (उत्कलमणि)
(ङ) गोपबन्धुः कति वर्षाणि कारावासं प्राप्तवान्? (गोपबंधु को कितने वर्षों तक कारावास मिला?)
उत्तरम्: द्वे (दो)
२. एकवाक्येन उत्तरं लिखत –
(एक वाक्य में उत्तर लिखो।)
(क) गोपबन्धुः किमर्थम् अश्रुपूर्णनयनः अभवत्?
उत्तरम्: गोपबन्धुः अश्रुपूर्णनयनः अभवत् यः भिक्षुकः . दिनत्रयात् न भुक्तः इति क्रन्दति स्म ।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु आँसू भरी आँखों वाले क्यों हो गए?
उत्तर: गोपबन्धु की आँखें आँसुओं से भर गई थीं, क्योंकि एक भिक्षुक तीन दिनों से भोजन न मिलने के कारण रो रहा था।
(ख) कीदृशं पुत्रं विहाय गोपबन्धुः समाजसेवाम् अकरोत्?
उत्तरम्: मरणासन्नं पुत्रं विहाय गोपबन्धुः समाजसेवाम् अकरोत्।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु ने किस प्रकार के पुत्र को छोड़कर समाजसेवा की?
उत्तर: गोपबन्धु ने मृत्यु के निकट पुत्र को छोड़कर समाजसेवा की।
(ग) गोपबन्धोः कृते “उत्कलमणिः” इति उपाधिः किमर्थं प्रदत्ता?
उत्तरम्: देशसेवायै तस्य असीमं त्यागं दृष्ट्वा गोपबन्धोः कृते उत्कलमणिः इति उपाधिः प्रदत्तः।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु को “उत्कलमणि” की उपाधि क्यों दी गई?
उत्तर: देश-सेवा के लिए उनके असीम त्याग को देखकर गोपबन्धु को ‘उत्कलमणि’ की उपाधि दी गई।
(घ) गोपबन्धुः कुत्र जन्म लब्धवान्?
उत्तरम्: गोपबन्धुः ओडिशाराज्ये जन्म लब्धवान्।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु ने कहाँ जन्म लिया?
उत्तर: गोपबन्धु ने ओडिशा राज्य में जन्म लिया।
(ङ) गोपबन्धुः सर्वदा केषाम् उपयोगं कृतवान्?
उत्तरम्: गोपबन्धुः स्वदेशस्यैव वस्त्राणां वस्तूनां च सर्वदा उपयोगं कृतवान्।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु हमेशा किनका उपयोग करते थे?
उत्तर: गोपबन्धु हमेशा अपने देश के ही वस्त्रों और वस्तुओं का उपयोग करते थे।
३. कोष्ठके दत्तानि पदानि उपयुज्य वाक्यानि रचयत –
(कोष्ठक में दिए गए शब्दों का प्रयोग करके वाक्य बनाइए।)
सेवाम् = सेवा (सेवा करना / सेवा)
सुस्वादूनि = स्वादिष्ट (स्वादिष्ट वस्तुएँ / रुचिकर)
सहायताम् = सहायता (मदद)
स्वदेशवस्त्राणि = स्वदेशी वस्त्र (देश में बने कपड़े)
अन्यतमः = किसी एक / उनमें से एक
(क) ————————————————————
(ख) ————————————————————
(ग) ————————————————————-
(घ) ————————————————————-
(ङ) ————————————————————-
उत्तरम्:
(क) सेवाम् – गोपबन्धुः सर्वदा समाजसेवायै सेवाम् अकरोत्।
हिंदी अनुवाद: गोपबन्धु ने सदा समाज की सेवा की।
(ख) सुस्वादूनि – माता सुस्वादूनि भोजनानि पचति।
हिंदी अनुवाद: माँ स्वादिष्ट भोजन पकाती हैं।
(ग) सहायताम् – विपत्तौ मित्रात् सहाय्यताम् अपेक्षितव्यम्।
हिंदी अनुवाद: संकट में मित्र से सहायता की अपेक्षा करनी चाहिए।
(घ) स्वदेशवस्त्राणि – बालेन स्वदेशवस्त्राणि धारितानि।
हिंदी अनुवाद: बालक ने देशी वस्त्र पहने।
(ङ) अन्यतमः – गोपबन्धुः देशसेवकानाम् अन्यतमः आसीत्।
हिंदी अनुवाद: गोपबन्धु देशसेवकों में से एक प्रमुख थे।
४. चित्रं दृष्ट्वा पञ्च वाक्यानि रचयत -
(चित्र देखकर पाँच वाक्य बनाएँ।)
(क) ……………………………………………….
(ख) ……………………………………………….
(ग) ……………………………………………….
(घ) ……………………………………………….
(ङ) ……………………………………………….
उत्तरम्:
(क) अस्मिन् चित्रे एक: चिकित्सालय : दृश्यते । (इस चित्र में एक चिकित्सालय (अस्पताल) दिखाई देता है।)
(ख) चित्रे एक : रूग्णः बालकः दृश्यते ? (चित्र में एक रोगी बालक दिखाई देता है।)
(ग) एक: पुरुष रुग्ण – बालस्य सहायता करोति । (एक पुरुष रोगी बालक की सहायता करता है।)
(घ) चित्रे करुणा एवं सेवा-भावना द्रष्टव्या अस्ति । (चित्र में करुणा एवं सेवा-भावना दिखाई देती है।)
(ङ) चित्रं नरस्य सेवाभावं दर्शयति । (चित्र मनुष्य के सेवा-भाव को दर्शाता है।)
५. समुचितेन पदेन श्लोकं पूरयत –
(उचित शब्द से श्लोक को पूरा कीजिए।)
(क) ———————— मम लीयतां तनुः
(ख) उत्कलमणिरित्याख्यः प्रसिद्धो ————————–
(ग) स्वदेशलोकास्तदनु ———————– नु
(घ) स्वराज्यमार्गे यदि ———————,
(ङ)———————-परिपूरितास्तु सा
उत्तरम्:
(क) स्वदेशभूमौ मम लीयतां तनुः
हिंदी अनुवाद: मेरे शरीर को स्वदेश की भूमि में विलीन हो जाना चाहिए।
(ख) उत्कलमणिरित्याख्यः प्रसिद्धो लोकसेवकः
हिंदी अनुवाद: उत्कलमणि के नाम से प्रसिद्ध लोकसेवक।
(ग) स्वदेशलोकास्तदनु प्रयान्तु नु
हिंदी अनुवाद: देशवासी मेरे पीछे चलें।
(घ) स्वराज्यमार्गे यदि गर्तमालिका
हिंदी अनुवाद: स्वतंत्रता के मार्ग में यदि गड्ढों की माला हो।
(ङ) ममास्थिमांसैः परिपूरितास्तु सा
हिंदी अनुवाद: मेरे अस्थियों और मांस से वे गड्ढे भर जाएँ।
६. उदाहरणानुसारं क्रियापदं स्त्रीलिङ्गे परिवर्तयत –
(उदाहरण के अनुसार क्रियापद को स्त्रीलिंग में बदलो।)
(यथा – गतवान् = गतवती)
| संस्कृत (पुंलिङ्ग) | स्त्रीलिङ्ग रूप | हिन्दी अनुवाद |
|---|---|---|
| (क) प्राप्तवान् | प्राप्तवती | प्राप्त हुई |
| (ख) उपविष्टवान् | उपविष्टवती | बैठी हुई |
| (ग) भुक्तवान् | भुक्तवती | भोजन कर चुकी |
| (घ) कृतवान् | कृतवती | किया हुआ |
| (ङ) गृहीतवान् | गृहीतवती | ग्रहण किया हुआ |
७. समुचितेन पदेन सह स्तम्भौ मेलयत –
(उचित शब्द के साथ स्तम्भों का मिलान कीजिए।)
| संस्कृत (स्तम्भ अ) | संस्कृत (स्तम्भ इ) | हिन्दी अनुवाद |
|---|---|---|
| 1. समाजः | दिनपत्रिका | ‘समाज’ एक समाचार-पत्र (अखबार) है। |
| 2. ममास्थिमांसैः | परिपूरितास्तु | मेरी हड्डियाँ और मांस से भरे हुए हों। |
| 3. उत्कलमणिः | गोपबन्धुः | ‘उत्कलमणि’ उपाधि गोपबन्धु को दी गई थी। |
| 4. “आँ आँ” इति | क्रन्दनध्वनिः | “आँ आँ” एक रोने की ध्वनि है। |
| 5. सुस्वादूनि | व्यञ्जनानि | स्वादिष्ट चीजें = व्यंजन। |
८. घटनाक्रमेण वाक्यानि पुनः लिखत (क्रम से) –
(वाक्यों को घटनाओं के सही क्रम में फिर से लिखो।)
(क) भिक्षुकञ्च तद्भोजितवान्। (उन्होंने भिखारी को भोजन कराया।)
(ख) प्रफुल्लचन्द्ररायः गोपबन्धुम् उत्कलमणिः इति उपाधिना सम्मानितवान्। (प्रफुल्लचंद्र राय ने गोपबंधु को उत्कलमणि की उपाधि से सम्मानित किया।)
(ग) गोपबन्धुः अश्रुपूर्णनयनोऽभवत् । (गोपबंधु की आँखें आँसुओं से भर गईं।)
(घ) अतिथयो हस्तपादं क्षालयित्वा आसनेषु उपविष्टवन्तः। (अतिथियों ने हाथ-पैर धोकर आसनों पर बैठ गए।)
(ङ) दिनत्रयात् किमपि न भुक्तम्। (तीन दिन से कुछ भी नहीं खाया गया।)
उत्तरम्:
(घ) अतिथयो हस्तपादं क्षालयित्वा आसनेषु उपविष्टवन्तः। (अतिथियों ने हाथ-पैर धोकर आसनों पर बैठ गए।)
(ङ) दिनत्रयात् किमपि न भुक्तम्। (तीन दिन से कुछ भी नहीं खाया गया।)
(ग) गोपबन्धुः अश्रुपूर्णनयनोऽभवत्। (गोपबंधु की आँखें आँसुओं से भर गईं।)
(क) भिक्षुकञ्च तद्भोजितवान्। (उन्होंने भिखारी को भोजन कराया।)
(ख) प्रफुल्लचन्द्ररायः गोपबन्धुम् उत्कलमणिः इति उपाधिना सम्मानितवान्। (प्रफुल्लचंद्र राय ने गोपबंधु को उत्कलमणि की उपाधि से सम्मानित किया।)



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