प्रणम्यो देशभक्तोऽयं गोपबन्धुर्महामनाः
(यह गोपबन्धु, महान मन वाला देशभक्त, वंदन के योग्य है।)
अभ्यासात् जायते सिद्धिः
१. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तरं लिखत
(क) समाज – दिनपत्रिकायाः प्रतिष्ठाता कः? (‘समाज’ दैनिक समाचार-पत्र का संस्थापक कौन था?)
उत्तरम्: गोपबन्धुः (गोपबंधु)
(ख) गोपबन्धुः कस्मै स्वभोजनं दत्तवान्? (गोपबंधु ने अपना भोजन किसे दिया?)
उत्तरम्: भिक्षुकाय (भिखारी को)
(ग) मरणासन्नः कः आसीत्? (मरणासन्न कौन था?)
उत्तरम्: पुत्रः (पुत्र)
(घ) गोपबन्धुः केन उपाधिना सम्मानितः अभवत्? (गोपबंधु को किस उपाधि से सम्मानित किया गया?)
उत्तरम्: उत्कलमणिः (उत्कलमणि)
(ङ) गोपबन्धुः कति वर्षाणि कारावासं प्राप्तवान्? (गोपबंधु को कितने वर्षों तक कारावास मिला?)
उत्तरम्: द्वौ (दो)
२. एकवाक्येन उत्तरं लिखत
(क) गोपबन्धुः किमर्थम् अश्रुपूर्णनयनः अभवत्?
उत्तरम्: मित्रस्य मरणं ज्ञात्वा गोपबन्धुः अश्रुपूर्णनयनः अभवत्।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु आँसू भरी आँखों वाले क्यों हो गए?
उत्तर: अपने मित्र की मृत्यु जानकर गोपबन्धु की आँखें आँसुओं से भर गईं।
(ख) कीदृशं पुत्रं विहाय गोपबन्धुः समाजसेवाम् अकरोत्?
उत्तरम्: रोगपीडितं पुत्रं विहाय गोपबन्धुः समाजसेवाम् अकरोत्।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु ने किस प्रकार के पुत्र को छोड़कर समाजसेवा की?
उत्तर: गोपबन्धु ने रोगग्रस्त पुत्र को छोड़कर समाजसेवा की।
(ग) गोपबन्धोः कृते “उत्कलमणिः” इति उपाधिः किमर्थं प्रदत्ता?
उत्तरम्: समाजसेवायाम् अग्रणीभावेन कार्यं कृत्वा गोपबन्धोः कृते “उत्कलमणिः” इति उपाधिः प्रदत्ता।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु को “उत्कलमणि” की उपाधि क्यों दी गई?
उत्तर: समाजसेवा में अग्रणी कार्य करने के कारण गोपबन्धु को “उत्कलमणि” की उपाधि दी गई।
(घ) गोपबन्धुः कुत्र जन्म लब्धवान्?
उत्तरम्: गोपबन्धुः ओडिशाराज्ये जन्म लब्धवान्।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु ने कहाँ जन्म लिया?
उत्तर: गोपबन्धु ने ओडिशा राज्य में जन्म लिया।
(ङ) गोपबन्धुः सर्वदा केषाम् उपयोगं कृतवान्?
उत्तरम्: गोपबन्धुः सर्वदा जनहिताय स्वजीवनस्य उपयोगं कृतवान्।
हिंदी अनुवाद:
प्रश्न: गोपबन्धु ने सदा किसके लिए अपने जीवन का उपयोग किया?
उत्तर: गोपबन्धु ने सदा जनहित के लिए अपने जीवन का उपयोग किया।
३. कोष्ठके दत्तानि पदानि उपयुज्य वाक्यानि रचयत
सेवाम्, सुस्वादूनि, सहायताम्, स्वदेशवस्त्राणि, अन्यतमः
(क) ————————————————————
(ख) ————————————————————
(ग) ————————————————————-
(घ) ————————————————————-
(ङ) ————————————————————-
उत्तरम्:
(क) सेवाम् – गोपबन्धुः सर्वदा समाजसेवायै सेवाम् अकरोत्।
हिंदी अनुवाद: गोपबन्धु ने सदा समाज की सेवा की।
(ख) सुस्वादूनि – माता सुस्वादूनि भोजनानि पचति।
हिंदी अनुवाद: माँ स्वादिष्ट भोजन पकाती हैं।
(ग) सहायताम् – विपत्तौ मित्रात् सहाय्यताम् अपेक्षितव्यम्।
हिंदी अनुवाद: संकट में मित्र से सहायता की अपेक्षा करनी चाहिए।
(घ) स्वदेशवस्त्राणि – बालेन स्वदेशवस्त्राणि धारितानि।
हिंदी अनुवाद: बालक ने देशी वस्त्र पहने।
(ङ) अन्यतमः – गोपबन्धुः देशसेवकानाम् अन्यतमः आसीत्।
हिंदी अनुवाद: गोपबन्धु देशसेवकों में से एक प्रमुख थे।
४. चित्रं दृष्ट्वा पञ्च वाक्यानि रचयत —
(क) ……………………………………………….
(ख) ……………………………………………….
(ग) ……………………………………………….
(घ) ……………………………………………….
(ङ) ……………………………………………….
उत्तरम्:
(१) गोपबन्धुः जलप्लावपीडितान् सहायते। (गोपबंधु बाढ़ पीड़ितों की मदद करते हैं।)
(२) सः छात्रान् शिक्षति। (वह छात्रों को पढ़ाते हैं।)
(३) गोपबन्धुः स्वदेशी वस्त्र धारयति। (गोपबंधु स्वदेशी वस्त्र पहनते हैं।)
(४) सः भिक्षुकाय भोजनं ददाति। (वह भिखारी को भोजन देता है।)
(५) गोपबन्धुः दयावान् अस्ति। (गोपबंधु दयालु हैं।)
५. समुचितेन पदेन श्लोकं पूरयत
(क) ———————— मम लीयतां तनुः
(ख) उत्कलमणिरित्याख्यः प्रसिद्धो ————————–
(ग) स्वदेशलोकास्तदनु ———————– नु
(घ) स्वराज्यमार्गे यदि ———————,
(ङ)———————-परिपूरितास्तु सा
उत्तरम्:
(क) स्वदेशभूमौ मम लीयतां तनुः
हिंदी अनुवाद: मेरे शरीर को स्वदेश की भूमि में विलीन हो जाना चाहिए।
(ख) उत्कलमणिरित्याख्यः प्रसिद्धो लोकसेवकः
हिंदी अनुवाद: उत्कलमणि के नाम से प्रसिद्ध लोकसेवक।
(ग) स्वदेशलोकास्तदनु प्रयान्तु नु
हिंदी अनुवाद: देशवासी मेरे पीछे चलें।
(घ) स्वराज्यमार्गे यदि गर्तमालिका
हिंदी अनुवाद: स्वतंत्रता के मार्ग में यदि गड्ढों की माला हो।
(ङ) ममास्थिमांसैः परिपूरितास्तु सा
हिंदी अनुवाद: मेरे अस्थियों और मांस से वे गड्ढे भर जाएँ।
६. उदाहरणानुसारं क्रियापदं स्त्रीलिङ्गे परिवर्तयत
(यथा – गतवान् = गतवती)
संस्कृत (पुंलिङ्ग) | स्त्रीलिङ्ग रूप | हिन्दी अनुवाद |
---|---|---|
(क) प्राप्तवान् | प्राप्तवती | प्राप्त हुई |
(ख) उपविष्टवान् | उपविष्टवती | बैठी हुई |
(ग) भुक्तवान् | भुक्तवती | भोजन कर चुकी |
(घ) कृतवान् | कृतवती | किया हुआ |
(ङ) गृहीतवान् | गृहीतवती | ग्रहण किया हुआ |
७. समुचितेन पदेन सह स्तम्भौ मेलयत
संस्कृत (स्तम्भ अ) | संस्कृत (स्तम्भ इ) | हिन्दी अनुवाद |
---|---|---|
1. समाजः | दिनपत्रिका | ‘समाज’ एक समाचार-पत्र (अखबार) है। |
2. ममास्थिमांसैः | परिपूरितास्तु | मेरी हड्डियाँ और मांस से भरे हुए हों। |
3. उत्कलमणिः | गोपबन्धुः | ‘उत्कलमणि’ उपाधि गोपबन्धु को दी गई थी। |
4. “आँ आँ” इति | क्रन्दनध्वनिः | “आँ आँ” एक रोने की ध्वनि है। |
5. सुस्वादूनि | व्यञ्जनानि | स्वादिष्ट चीजें = व्यंजन। |
८. घटनाक्रमेण वाक्यानि पुनः लिखत (क्रम से)
(क) भिक्षुकञ्च तद्भोजितवान्। (उन्होंने भिखारी को भोजन कराया।)
(ख) प्रफुल्लचन्द्ररायः गोपबन्धुम् उत्कलमणिः इति उपाधिना सम्मानितवान्। (प्रफुल्लचंद्र राय ने गोपबंधु को उत्कलमणि की उपाधि से सम्मानित किया।)
(ग) गोपबन्धुः अश्रुपूर्णनयनोऽभवत् । (गोपबंधु की आँखें आँसुओं से भर गईं।)
(घ) अतिथयो हस्तपादं क्षालयित्वा आसनेषु उपविष्टवन्तः। (अतिथियों ने हाथ-पैर धोकर आसनों पर बैठ गए।)
(ङ) दिनत्रयात् किमपि न भुक्तम्। (तीन दिन से कुछ भी नहीं खाया गया।)
उत्तरम्:
(ङ) दिनत्रयात् किमपि न भुक्तम्।
(घ) अतिथयो हस्तपादं क्षालयित्वा आसनेषु उपविष्टवन्तः।
(ग) गोपबन्धुः अश्रुपूर्णनयनोऽभवत्।
(क) भिक्षुकञ्च तद्भोजितवान्।
(ख) प्रफुल्लचन्द्ररायः गोपबन्धुम् उत्कलमणिः इति उपाधिना सम्मानितवान्।
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