Notes For All Chapters – संस्कृत Class 8
मञ्जुलमञ्जूषा सुन्दरसुरभाषा
(मनोहारी भाषा की सुंदर मणि-मण्डली)
१. पाठस्य परिचयः
- संस्कृतभाषा प्राचीनभारतीयसाहित्यस्य, संस्कृतेः च आधारभूतभाषा अस्ति।
- एषा भाषा सुन्दरसुरभाषा (सुन्दर + देवों की भाषा) इति प्रसिद्धा।
- ऋषयः, मुनयः, महाकवयः संस्कृतभाषां पल्लवितां, पोषितां च कृतवन्तः।
- संस्कृतम् न केवलं धार्मिके क्षेत्रे, किन्तु विज्ञान, गणित, खगोल, आयुर्वेद, दर्शन, कला, संगीत, नाट्य, इत्यादिषु अपि योगदानं कृतवती।
हिन्दी अनुवाद
१. पाठस्य परिचयः → पाठ का परिचय
- संस्कृत भाषा प्राचीन भारतीय साहित्य और संस्कृति की आधारभूत भाषा है।
- यह भाषा “सुन्दर सुरभाषा” (सुन्दर देवों की भाषा) के नाम से प्रसिद्ध है।
- ऋषि, मुनि और महाकवि संस्कृत भाषा को पल्लवित और पोषित करते रहे।
- संस्कृत केवल धार्मिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि विज्ञान, गणित, खगोल, आयुर्वेद, दर्शन, कला, संगीत और नाट्य में भी योगदान करती है।
२. संस्कृतभाषायाः विशेषताः (संस्कृत भाषा की विशेषताएँ)
(क) धार्मिक-आध्यात्मिक योगदानम्
- वेदाः – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।
- उपनिषदः – तत्त्वज्ञानं, आत्मविद्या।
- स्मृतयः, धर्मशास्त्राणि – मनुस्मृति, याज्ञवल्क्यस्मृति इत्यादयः।
- पुराणानि – भागवतपुराणम्, विष्णुपुराणम्, शिवपुराणम् इत्यादयः।
- महाकाव्यानि – वाल्मीकिनः रामायणम्, व्यासस्य महाभारतम्।
हिन्दी अनुवाद
(क) धार्मिक-आध्यात्मिक योगदान
- वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।
- उपनिषद – आत्मविद्या और तत्त्वज्ञान।
- स्मृतियाँ और धर्मशास्त्र – मनुस्मृति, याज्ञवल्क्यस्मृति आदि।
- पुराण – भागवतपुराण, विष्णुपुराण, शिवपुराण।
- महाकाव्य – वाल्मीकि की रामायण और व्यास का महाभारत।
(ख) साहित्यिक योगदानम् (साहित्यिक योगदान)
- महाकवयः – कालिदासः (अभिज्ञानशाकुन्तलम्, मेघदूतम्, कुमारसम्भवः), बाणभट्टः (हर्षचरितम्), भवभूति (उत्तररामचरितम्)।
संस्कृतसाहित्ये नवरसाः –
शृङ्गारः (प्रेम)
हास्यं (हास्य/विनोदः) हँसी
करुणा (विषादः) दुःख
रौद्रं (क्रोधः) क्रोध
वीरः (शौर्यम्) शौर्य
भयानकः (भीतिः) भय
बीभत्सः (विकृति-घृणा) घृणा
अद्भुतः (आश्चर्यम्) आश्चर्य
शान्तः (शान्ति/समाधिः)। शांति
अलंकारों से समृद्ध संस्कृत साहित्य अत्यन्त मनोहर है।
(ग) वैज्ञानिक योगदानम्
- आयुर्वेदः – चरकः, सुश्रुतः।
- गणितम् – आर्यभटः (शून्यस्य परिकल्पना), भास्कराचार्यः।
- खगोलः – ग्रहगणना, नक्षत्रज्ञानम्।
- नाट्यशास्त्रम् – भरतमुनिः।
- योगशास्त्रम् – पतञ्जलिः।
हिन्दी अनुवाद
वैज्ञानिक योगदान
- आयुर्वेद – चरक और सुश्रुत।
- गणित – आर्यभट (शून्य का सिद्धांत), भास्कराचार्य।
- खगोल – ग्रहों की गणना और नक्षत्रों का ज्ञान।
- नाट्यशास्त्र – भरतमुनि।
- योगशास्त्र – पतञ्जलि।
(घ) सांस्कृतिक योगदानम्
- संस्कृतम् – भारतीयसंस्कृतेः मूलम्।
- संस्कृतशब्दानां उच्चारणे श्रुतिसुखम् अनुभवति।
- अलङ्कारयुक्तं संस्कृतम् साहित्यं मनोहरम्।
हिन्दी अनुवाद
सांस्कृतिक योगदान
- संस्कृत भारतीय संस्कृति का मूल है।
- संस्कृत शब्दों का उच्चारण करने से कानों को सुख और आनंद मिलता है।
- अलंकारयुक्त संस्कृत साहित्य मन को मोह लेता है।
३. संस्कृतभाषायाः गौरवम्
ज्ञानपेटिका – विविधविषयकज्ञानस्य भण्डारः।
देवभाषा – देवपूजायाम्, मन्त्रेषु च प्रयुक्ता।
जननीभाषा – प्रायः सर्वाः भारतीयभाषाः संस्कृतजन्याः।
गुरुभाषा – अन्यभाषाः संस्कृतात् शिक्षां लभन्ते।
विश्वविजयी – भारतीयसंस्कृतेः रक्षिका, मानवजीवनस्य प्रेरिका।
हिन्दी अनुवाद
संस्कृत भाषा का गौरव
ज्ञानपेटिका – संस्कृत विविध प्रकार के ज्ञान का भण्डार है।
देवभाषा – देवपूजा और मन्त्रों में प्रयुक्त।
जननीभाषा – अधिकांश भारतीय भाषाएँ संस्कृत से उत्पन्न हुईं।
गुरुभाषा – अन्य भाषाएँ संस्कृत से शिक्षा पाती हैं।
विश्वविजयी – यह भाषा संस्कृति की रक्षक और मानव जीवन की प्रेरणा है।
४. व्याकरणसम्बद्धः अंशः (समासः)
(क) परिभाषा
परस्परसम्बद्धानां सार्थकपदानाम् एकपदीभावः समासः।
(ख) समासभेदाः
अव्ययीभावः – उदाहरणम्: यथाशक्ति।
तत्पुरुषः – उदाहरणम्: सुरभाषा (सुराणां भाषा)।
कर्मधारयः – उदाहरणम्: मञ्जुलभाषा (मधुरा भाषा)।
द्विगुः – उदाहरणम्: पञ्चवटी।
द्वन्द्वः – उदाहरणम्: रामलक्ष्मणौ।
बहुव्रीहिः – उदाहरणम्: पीताम्बरः (यस्य पीतोऽम्बरः अस्ति सः)।
(ग) पाठे प्रयुक्ताः समासाः
सुरभाषा = सुराणां भाषा
पोषणक्षमता = पोषणस्य क्षमता
नवरसरुचिरा = नवरसैः रुचिरा
वचनातीता = वचनं अतीता
हिन्दी अनुवाद
(क) परिभाषा → परिभाषा
परस्पर जुड़े सार्थक शब्दों का एक पद बनना ही समास कहलाता है।
(ख) समासभेदाः → समास के भेद
अव्ययीभाव – उदाहरण: यथाशक्ति।
तत्पुरुष – उदाहरण: सुरभाषा (सुरों की भाषा)।
कर्मधारय – उदाहरण: मञ्जुलभाषा (मधुर भाषा)।
द्विगु – उदाहरण: पञ्चवटी।
द्वन्द्व – उदाहरण: रामलक्ष्मणौ।
बहुव्रीहि – उदाहरण: पीताम्बर (जिसका वस्त्र पीला है)।
(ग) पाठे प्रयुक्ताः समासाः → पाठ में प्रयुक्त समास
सुरभाषा = देवों की भाषा
पोषणक्षमता = पालन की क्षमता
नवरसरुचिरा = नवरसों से युक्त
वचनातीता = वाणी से परे
५. संस्कृतश्लोकाः (प्रशस्तयः)
मातृभूमिः सदा सेव्या मातृभाषा तथैव च।
भारतं मातृभूमिर्नः मातृभाषा हि संस्कृतम्॥
हिन्दी अनुवाद
→ मातृभूमि की सदा सेवा करनी चाहिए और मातृभाषा की भी। भारत हमारी मातृभूमि है और संस्कृत हमारी मातृभाषा है।
भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा।
विहाय संस्कृतं नास्ति संस्कृतिः संस्कृताश्रिता॥
हिन्दी अनुवाद
→ भारत की दो प्रतिष्ठाएँ हैं – संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति। संस्कृत को छोड़कर संस्कृति का अस्तित्व नहीं है, क्योंकि संस्कृति संस्कृत पर आधारित है।
पुरुषाः संस्कृताः सन्तु महिलाः सन्तु संस्कृताः।
संस्कृतेन विचारेण राष्ट्रं भातु सुसंस्कृतम्॥
हिन्दी अनुवाद
→ पुरुष संस्कारी हों, महिलाएँ संस्कारी हों और संस्कृत विचारों से राष्ट्र सुसंस्कृत होकर प्रकाशित हो।
६. निष्कर्षः
संस्कृतभाषा = केवलं प्राचीनभाषा न,
अपि तु आधुनिके जीवनक्षेत्रे अपि उपयुक्ता।
सा साहित्ये,
संस्कृतेः संरक्षणे,
विज्ञानविकासे,
धर्मे,
संस्कारेषु च अनिवार्या।
हिन्दी अनुवाद
निष्कर्ष
संस्कृत केवल प्राचीन भाषा ही नहीं है, बल्कि –
साहित्य और संस्कृति की आत्मा है,
ज्ञान-विज्ञान की धरोहर है,
धर्म और दर्शन की आधारभूत भाषा है,
मानव जीवन के लिए प्रेरणा है।
वास्तव में संस्कृत – भारतीय संस्कृति की आत्मा और सम्पूर्ण विश्व की धरोहर है।
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