मञ्जुलमञ्जूषा सुन्दरसुरभाषा
१. अधः प्रदत्तानां प्रश्नानां एकपदेन उत्तरं लिखत।
(क) सुन्दरसुरभाषा कस्य वचनातीता ? (सुंदर-सुगंधित भाषा किसकी वाणी से परे है?)
उत्तरम् – पोषणक्षमतायाः। (पालन-पोषण की क्षमता से।)
(ख) संस्कृतभाषा कुत्र विजयते ? (संस्कृत भाषा कहाँ विजय प्राप्त करती है?)
उत्तरम् – धरायाम्। (पृथ्वी पर।)
(ग) संस्कृतभाषा कस्य आशा ? (संस्कृत भाषा किसकी आशा है?)
उत्तरम् – जीवनस्य। (जीवन की।)
(घ) संस्कृते कति रसाः सन्ति ? (संस्कृत में कितने रस होते हैं?)
उत्तरम् – नवरसाः। (नौ रस।)
(ङ) कस्याः ध्वनिश्रवणेन सुखं वर्धते ? (किसकी ध्वनि को सुनकर सुख बढ़ता है?)
उत्तरम् – संस्कृतभाषायाः। (संस्कृत भाषा की।)
२. अधः प्रदत्तानां प्रश्नानां पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत।
(क) संस्कृतभाषा केषां जीवनस्य आशा अस्ति ? (संस्कृत भाषा किनके जीवन की आशा है?)
उत्तरम् – संस्कृतभाषा वेदव्यासवाल्मीकि-मुनीनां, कालिदासबाणादिकवीनां, पौराणिकसामान्यजनानां च जीवनस्य आशा अस्ति। (संस्कृत भाषा वेदव्यास, वाल्मीकि जैसे मुनियों, कालिदास, बाण आदि कवियों तथा पौराणिक व सामान्य जनों के जीवन की आशा है।)
(ख) केषां विचाराः जनान् अभिप्रेरयन्ति ? (किनके विचार लोगों को प्रेरित करते हैं?)
उत्तरम् – वेदविषयवेदान्तविचाराः जनान् अभिप्रेरयन्ति। (वेद और वेदान्त विषयक विचार लोगों को प्रेरित करते हैं।)
(ग) कैः रसैः समृद्धा साहित्यपरम्परा विराजते ? (किन रसों से समृद्ध साहित्य परंपरा शोभायमान होती है?)
उत्तरम् – नवरसैः समृद्धा साहित्यपरम्परा विराजते। (नौ रसों से समृद्ध साहित्य परंपरा शोभायमान होती है।)
(घ) संस्कृतभाषा केषु शास्त्रेषु विहरति ? (संस्कृत भाषा किन शास्त्रों में विचरण करती है?)
उत्तरम् – संस्कृतभाषा वैद्यव्योमशास्त्रादिषु शास्त्रेषु विहरति। (संस्कृत भाषा चिकित्सा, खगोल आदि शास्त्रों में विचरण करती है।)
(ङ) संस्कृतभाषायाः कानि कानि सम्बोधनपदानि अत्र प्रयुक्तानि ? (संस्कृत भाषा के कौन-कौन से संबोधन शब्द यहाँ प्रयोग हुए हैं?)
उत्तरम् – अयि, मातः, भगिनि इत्येतानि सम्बोधनपदानि अत्र प्रयुक्तानि। (“अयि”, “मातः”, “भगिनि” जैसे संबोधन शब्द यहाँ प्रयुक्त हुए हैं।)
३. रेखाङ्कितपदानि आश्रित्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(क) मुनिगणाः “संस्कृतभाषायाः” विकासं कृतवन्तः। (मुनियों ने संस्कृत भाषा की उन्नति की।)
प्रश्न: मुनिगणाः कस्य विकासं कृतवन्तः? (मुनियों ने किसकी उन्नति की?)
(ख) सामान्यजनानां जीवनं “काव्यैः” प्रभावितम् अस्ति। साधारण लोगों का जीवन काव्यों से प्रभावित है।)
प्रश्न: सामान्यजनानां जीवनं किम् प्रभावितम् अस्ति? (साधारण लोगों का जीवन क्या प्रभावित करता है?)
(ग) कवयः अपि “उपादेयानि” काव्यानि रचितवन्तः। (कवियों ने भी उपयोगी काव्य रचे।)
प्रश्न: कवयः अपि किम् काव्यानि रचितवन्तः? (कवियों ने कौन से काव्य रचे?)
(घ) संस्कृतभाषा “पृथिव्यां” विहरति। (संस्कृत भाषा पृथ्वी पर विचरण करती है।)
प्रश्न: संस्कृतभाषा क्व विहरति? (संस्कृत भाषा कहाँ विचरण करती है?)
(ङ) संस्कृतभाषा “विविधभाषाः” परिपोषयति। (संस्कृत भाषा विविध भाषाओं को पोषित करती है।)
प्रश्न: संस्कृतभाषा काश्चन भाषाः परिपोषयति? (संस्कृत भाषा किन-किन भाषाओं को पोषित करती है?)
(च) वेद-वेदाङ्गादीनि गभीराणि “शास्त्राणि” सन्ति। (वेद और वेदांग आदि गंभीर शास्त्र हैं।)
प्रश्न: वेद-वेदाङ्गादीनि गभीराणि किम् सन्ति? (वेद और वेदांग आदि गंभीर क्या हैं?)
४. अधः प्रदत्तानां पदानाम् उदाहरणानुसारं विभक्तिं वचनं च लिखत-
यथा – मातः सम्बोधनम् एकवचनम्
पदम् | विभक्तिः | वचनम् |
---|---|---|
तव (तुम्हारा / तुम्हारी) | षष्ठी (सम्बन्धः) | एकवचनम् |
मञ्जूषा (पेटी / संदूक / ज्ञान का भंडार) | प्रथमा (कर्ता) | एकवचनम् |
संस्कृतिः (संस्कृति) | प्रथमा (कर्ता) | एकवचनम् |
जनानाम् (लोगों का / जनों का) | षष्ठी (सम्बन्धः) | बहुवचनम् |
जीवनस्य (जीवन का) | षष्ठी (सम्बन्धः) | एकवचनम् |
धरायाम् (पृथ्वी पर) | सप्तमी (अधिकरण) | एकवचनम् |
शास्त्रेषु (शास्त्रों में) | सप्तमी (अधिकरण) | बहुवचनम् |
५. अधोलिखितानां पद्यांशानां यथायोग्यं मेलनं कुरुत –
कवर्ग: | खवर्गः |
(क) अयि मातस्तव पोषणक्षमता | स्मृतिहितवरदे सरसविनोदे |
(ख) वेदव्यास – वाल्मीकि -मुनीनां | विजयते धरायाम् |
(ग) पौराणिक-सामान्यजनानाम् | मम वचनातीता, सुन्दरसुरभाषा |
(घ) श्रुतिसुखनिनदे सकलप्रमोदे | कालिदासबाणादिकवीनाम् |
(ङ) वैद्यव्योम-शास्त्रादिविहारा | जीवनस्य आशा, सुन्दरसुरभाष |
उत्तरम् –
कवर्गः (अर्धपद्य) | खवर्गः (मिलान योग्य अर्धपद्य) | हिंदी अनुवाद (पूर्ण पद्य का) |
---|---|---|
(क) अयि मातस्तव पोषणक्षमता | मम वचनातीता, सुन्दरसुरभाषा | हे माता! तुम्हारी पालन-पोषण करने की क्षमता मेरी वाणी से परे है। |
(ख) वेदव्यास – वाल्मीकि -मुनीनां | कालिदासबाणादिकवीनाम् | यह भाषा वेदव्यास, वाल्मीकि मुनियों और कालिदास-बाण जैसे कवियों की है। |
(ग) पौराणिक-सामान्यजनानाम् | जीवनस्य आशा, सुन्दरसुरभाषा | पौराणिक और सामान्य जनों के जीवन की आशा है – यह सुंदर और मधुर भाषा। |
(घ) श्रुतिसुखनिनदे सकलप्रमोदे | स्मृतिहितवरदे सरसविनोदे | हे वह भाषा जो वेदों के श्रवण से सुख देती है, स्मृति से कल्याण और रस से आनंद देती है। |
(ङ) वैद्यव्योम-शास्त्रादिविहारा | विजयते धरायाम् | जो चिकित्सा, खगोल और अन्य शास्त्रों में विचरण करती है – वह धरती पर विजयी है। |
६. उदाहरणानुसारम् अधः प्रदत्तानां पदानाम् एकपदेन अर्थं लिखत—
यथा, देवस्य आलयः = ‘देवालयः
(क) सुराणां भाषा = सुरभाषा (देवों की भाषा)
(ख) सुन्दरी सुरभाषा = सुन्दरसुरभाषा (सुंदर और दिव्य भाषा)
(ग) नवरसैः रुचिरा = नवरसरुचिरा (नव रसों से सुशोभित भाषा)
(घ) पोषणस्य क्षमता = पोषणक्षमता (पालन-पोषण की शक्ति)
(ङ) मञ्जुला भाषा = मञ्जुलभाषा (मधुर या मनोहर भाषा)
७. पेटिकातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
कालिदासबाणादि, आशा, संस्कृतिः, विजयते, मम, वेदविषय, मञ्जुलमञ्जूषा, सकलप्रमोदे
(यथा) मुनिवर–विकसित–कविवर–विलसित– मञ्जुलमञ्जूषा सुन्दरसुरभाषा।
(क) अयि मातः तव पोषणक्षमता मम वचनातीता।
👉 हिंदी अर्थ – हे माँ! तेरी पालन-पोषण की क्षमता मेरी वाणी से परे है।
(ख) वेदव्यास–वाल्मीकि–मुनीनां कालिदासबाणादि कवीनाम्।
👉 हिंदी अर्थ – वेदव्यास, वाल्मीकि मुनियों तथा कालिदास, बाण आदि कवियों की।
(ग) पौराणिक–सामान्य–जनानां जीवनस्य आशा।
👉 हिंदी अर्थ – पौराणिक व सामान्य जनों के जीवन की आशा।
(घ) श्रुतिसुखनिनदे सकलप्रमोदे स्मृतिहितवरदे सरसविनोदे।
👉 हिंदी अर्थ – वेदों की मधुर ध्वनि में, सबमें प्रसन्नता देने वाली, स्मृति की हितकारी वरदायिनी।
(ङ) गति–मति–प्रेरक–काव्य–विशारदे, तव संस्कृतिः एषा सुन्दरसुरभाषा।
👉 हिंदी अर्थ – गति-बुद्धि प्रेरक, काव्यशास्त्र की विदुषी, तेरी यह संस्कृति सुंदर-सुगंधित भाषा है।
(च) नवरस–रुचिरालङ्कृतिधारा वेदविषय–वेदान्तविचारा।
👉 हिंदी अर्थ – नव रसों से युक्त अलंकारों की धारा, वेद-विषय और वेदान्त विचारों से भरी।
(छ) वैद्य–व्योम–शास्त्रादि–विहारा विजयते धरायाम्, सुन्दरसुरभाषा।
👉 हिंदी अर्थ – चिकित्सा और अंतरिक्ष शास्त्रों में विचरण करती हुई यह सुंदर भाषा धरती पर विजय प्राप्त करती है।
८. अधोलिखितविकल्पेषु प्रसङ्गानुसारम् अर्थं चिनुत-
(क) “मञ्जुलमञ्जूषा” इत्यस्य अर्थः कः? (‘मञ्जुलमञ्जूषा’ का अर्थ क्या है?)
उत्तरम् – (iii) मनोहररूपेण संकलिता (मनोहर रूप से संकलित (ज्ञान की सुंदर पेटिका))
(ख) सुन्दरसुरभाषा केषां जीवनस्य आशा उच्यते? (सुंदर-सुगंधित भाषा किसके जीवन की आशा कही गई है?)
उत्तरम् – (iii) पौराणिक-सामान्यजनानाम् (पौराणिक और सामान्य जनों के जीवन की।)
(ग) सुन्दरसुरभाषा कुत्र विजयते? (सुंदर-सुगंधित भाषा कहाँ विजय प्राप्त करती है?)
उत्तरम् – (iii) धरायाम् (धरती पर (पृथ्वी पर)।)
(घ) सुन्दरसुरभाषायां किं नास्ति? (सुंदर-सुगंधित भाषा में क्या नहीं है?)
उत्तरम् – (iv) अशुद्धिः (अशुद्धि।)
(ङ) कविः सुन्दरसुरभाषां केन पदेन सम्बोधयति? (कवि सुंदर-सुगंधित भाषा को किस शब्द से संबोधित करता है?)
उत्तरम् – (ii) मातः (हे माता!)
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