Summary For All Chapters – संस्कृत Class 8
ञ्जुलमञ्जूषा सुन्दरसुरभाषा
📘 Summary in Sanskrit
अस्मिन् पाठे संस्कृतभाषायाः गौरवम्, माधुर्यम्, ऐतिहासिकमहत्त्वम्, चिरस्थायित्वं च निरूपितम्। पाठः प्रारभ्यते संवादरूपेण, यत्र अनया तथा अलका इत्यौ भगिन्यौ गृहसमीपे उपविष्टे संस्कृतसप्ताहस्य अवसरं विषये चर्चा कुर्वेते। अनया उक्तवती यत् विद्यालये गीतगायनप्रतियोगिता, संस्कृतकाव्यपाठः, निबन्धलेखनम्, प्रश्नोत्तरी, इत्यादयः कार्यक्रमाः आयोज्यन्ते। अलका ताम् आमन्त्रयति यत् सा अपि संस्कृतगीतगायनप्रतियोगितायां भागं गृह्णातु।
अनन्तरं कविः संस्कृतभाषायाः स्तुत्यर्थम् पद्यानि पठयति। कविना संस्कृतभाषा मुनिवरविकसित (ऋषिमुनिभिः विकसित), कविवरविलसित (महाकविभिः अलंकृत), मञ्जुलमञ्जूषा (मधुरशब्दभण्डाररूपा), सुन्दर-सुरभाषा (देवभाषास्वरूपा) इति विशेषणैः अलंकृता।
संस्कृतभाषायाः विशेषाः पाठे क्रमशः वर्णिताः —
भारतीयभाषाणां जननी — संस्कृत एव असंख्यभारतीयभाषाणां मूलम्।
ऋषि-मुनि-कवि-रचना — वाल्मीकि, व्यास, कालिदास, बाणभट्टादयः अमरग्रन्थान् रचयामासुः।
साहित्यसमृद्धिः — एषा भाषा नवरसैः, अलंकारैः, उपमाभिः, काव्यशोभायुक्ता।
वाङ्मयवैविध्यम् — वेद, उपनिषद्, पुराण, स्मृतिः, ज्योतिषम्, वैद्यकशास्त्रम्, व्योमशास्त्रम् इत्यादीनां अपारसम्भारः।
श्रुतिसुखदा — उच्चारणे मधुरत्वं, श्रवणेन आनन्दप्रदानम्।
संस्कृतिप्रेरिका — एषा भाषा भारतीयसंस्कृतेः जीवनदायिनी, प्रेरणास्रोतः च।
अन्ते कविः उद्घोषयति यत् —
“धरायाम् विजयते संस्कृतभाषा” — संस्कृतभाषा केवलं भारतस्य न, अपि तु विश्वस्य गौरवभूषणा अस्ति। तस्या कीर्ति: सर्वत्र व्याप्यते।
📗 Summary in Hindi
यह पाठ संस्कृत भाषा के गौरव, सौन्दर्य और महत्व को स्पष्ट करता है। शुरुआत में अनया और अलका नाम की दो बहनें बातचीत कर रही हैं। उनके विद्यालय में संस्कृत सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसमें गीतगायन प्रतियोगिता, काव्यपाठ, निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी आदि कार्यक्रम हैं। अलका, अनया को संस्कृत गीतगायन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आमंत्रित करती है।
इसके बाद कवि संस्कृत भाषा की प्रशंसा में सुंदर पद्य सुनाता है। वह संस्कृत को—
ऋषियों द्वारा विकसित (मुनिवरविकसित),
महान कवियों द्वारा अलंकृत (कविवरविलसित),
मनोहर शब्दों का भण्डार (मञ्जुलमञ्जूषा),
सुन्दर देवभाषा (सुन्दर-सुरभाषा) के रूप में चित्रित करता है।
पाठ में संस्कृत के मुख्य गुण बताए गए हैं:
यह भारतीय भाषाओं की जननी है।
मुनियों और कवियों ने इसे समृद्ध बनाया — जैसे वाल्मीकि, वेदव्यास, कालिदास, बाणभट्ट आदि।
इसमें नवरस, अलंकार, और अद्भुत साहित्य का भण्डार है।
इसमें वेद, उपनिषद, पुराण, आयुर्वेद, खगोल, ज्योतिष जैसे ज्ञान का अपार भंडार है।
यह श्रवण में मधुर और सुखद है।
यह भारतीय संस्कृति की प्रेरणा स्रोत है।
अन्त में कवि कहता है कि संस्कृत भाषा धरती पर सर्वत्र विजयशाली है — यह केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की धरोहर और गौरव है।
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