Notes For All Chapters – संस्कृत Class 8
कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? कोऽरुक् ?
कौन रुका? कौन रुका? कौन रुका?
१. पाठस्य नामः
कोऽरुक् ? (कः निरोगी ?)
हिन्दी अनुवाद
१. पाठ का नाम
कोऽरुक् ? (कौन निरोगी है ?)
२. पाठसारः
- अस्मिन् पाठे आयुर्वेदस्य महत्त्वम् प्रतिपादितम्।
- धन्वन्तरिः देवः, आयुर्वेदस्य आदिदेवता, शुकरूपेण भारतभूमौ भ्रमन्, सर्वान् पृच्छति – “कोऽरुक् ?” = “कः निरोगी ?”
वाग्भटवैद्यः उत्तरं दत्तवान् –
- हितभुक् (जो हितकरं भोजनं करोति)
- मितभुक् (जो यथामात्रया भोजनं करोति)
- ऋतुभुक् (जो ऋतूनां अनुसारं भोजनं करोति)
- एते एव निरोगत्वस्य कारणानि।
हिन्दी अनुवाद
२. पाठ का सारांश
- इस पाठ में आयुर्वेद और स्वस्थ जीवनशैली का महत्व बताया गया है।
- भगवान धन्वन्तरि ने तोते का रूप लेकर भारत में विचरण किया और लोगों से पूछा – “कौन निरोगी है?”
अंत में वैद्य वाग्भट ने उत्तर दिया –
- हितभुक् – जो हितकर और स्वास्थ्यकर भोजन करता है।
- मितभुक् – जो सीमित मात्रा में भोजन करता है।
- ऋतुभुक् – जो ऋतु के अनुसार भोजन करता है।
- यही निरोगी (अरुक्) कहलाता है।
३. मुख्यबिन्दवः
(क) आहारनियमाः
- अतीवोष्णं भोजनं स्वास्थ्याय अहितकरम्।
- गुरुद्रव्यं (भारी भोजन) अल्पमात्रया एव सुपाच्यं भवति।
- लघुद्रव्यं (हल्का भोजन) अतिकायं खदति चेत् रोगजनकं भवति।
- ऋतूनुकूलं भोजनं बलवर्धकं, वर्णप्रदं, आयुष्यम्।
हिन्दी अनुवाद
(क) आहार के नियम
- बहुत गरम भोजन हानिकारक है।
- भारी भोजन थोड़ी मात्रा में खाने से सुपाच्य है।
- हल्का भोजन भी अधिक मात्रा में खाने से हानिकारक हो जाता है।
- ऋतु के अनुसार भोजन बल और सौन्दर्य बढ़ाता है।
(ख) स्वास्थ्यरक्षणसूत्राणि (धन्वन्तरिणा प्रदत्तानि)
- प्रातःकाले व्यायामः अनिवार्यः।
- नित्यं दन्तधावनम् (दाँतों की स्वच्छता)।
- स्वच्छजलेन स्नानम्।
- बुभुक्षायामेव भोजनम् (भूख लगने पर ही खाना)।
हिन्दी अनुवाद
(ख) स्वास्थ्य रक्षा के सूत्र (धन्वन्तरि का संदेश)
- सुबह उठकर व्यायाम करो।
- प्रतिदिन दाँत साफ करो।
- स्वच्छ जल से स्नान करो।
- केवल भूख लगने पर भोजन करो।
(ग) गीता-निर्दिष्टः आहारभेदः
सात्त्विकः आहारः – आयुः, बलं, स्वास्थ्यं, सुखं च वर्धयति। (दूध, फल, ताजे अन्नादयः)
राजसिकः आहारः – अतिकटु, अति-अम्ल, अति-लवणयुक्तः; रोगदः, दुःखदः।
तामसिकः आहारः – बासी, अमेध्यं, अवशिष्टं; आलस्य-वर्धकः।
हिन्दी अनुवाद
(ग) गीता के अनुसार आहार का वर्गीकरण
सात्त्विक आहार – दूध, फल, ताजा अन्न आदि, जो आयु, बल, स्वास्थ्य और प्रसन्नता बढ़ाते हैं।
राजसिक आहार – तीखा, खट्टा, नमकीन आदि, जो रोग और दुःख देते हैं।
तामसिक आहार – बासी, जूठा, अपवित्र भोजन, जो आलस्य और तन्द्रा बढ़ाता है।
(घ) विशेषण-विशेष्यप्रयोगः
विशेषणं सदा विशेष्यस्य लिङ्गं, वचनं, विभक्तिं च अनुसरति।
उदाहरणानि –
मधुरां वाणीम्
उत्तमाः वैद्याः
हिन्दी अनुवाद
(घ) विशेषण-विशेष्य प्रयोग
विशेषण शब्द हमेशा विशेष्य के लिंग, वचन, विभक्ति के अनुसार होता है।
जैसे – “मधुरां वाणीम्”, “उत्तमाः वैद्याः”।
४. स्मरणीयश्लोकाः (सारः)
1. हितभुक् श्लोकः (चरकसंहितातः) – “तच्च नित्यं प्रयुञ्जीत स्वास्थ्यं येनानुवर्तते …”
👉 स्वास्थ्यकरं आहारं सेवनं एव आरोग्यस्य कारणम्।
👉 मनुष्य को ऐसा आहार नित्य करना चाहिए जिससे उसका स्वास्थ्य बना रहे।
➡️ अर्थात् स्वास्थ्यकर भोजन ही निरोगी जीवन का कारण है।
2. मितभुक् श्लोकः – “अल्पादाने गुरूणां च …”
👉 भारी भोजन अल्पमात्रया हितकरं, हल्का भोजन अधिकमात्रया अहितकरम्।
भारी (गुरु) भोजन यदि थोड़ी मात्रा में लिया जाए तो पच जाता है, किन्तु हल्का (लघु) भोजन भी यदि अधिक मात्रा में लिया जाए तो रोग उत्पन्न कर देता है।
➡️ अर्थात् भोजन हमेशा संयमित मात्रा में करना चाहिए।
3. ऋतुभुक् श्लोकः – “तस्याशिताद्यादाहारात् बलं वर्णश्च वर्धते …”
👉 ऋतु-अनुकूल आहारः बलं, वर्णं च वर्धयति।
मनुष्य जो आहार ऋतु के अनुसार करता है, उससे उसके शरीर का बल और वर्ण (रंग-रूप/आभा) बढ़ता है।
➡️ अर्थात् ऋतु-अनुकूल आहार बल और सौन्दर्य बढ़ाता है।
4. स्वास्थ्यरक्षणश्लोकः – “व्यायामः प्रातरुत्थाय …”
👉 प्रातः व्यायामः, दन्तधावनम्, स्नानम्, भूक्षुधा भोजनम् – आरोग्यस्य मूलम्।
प्रातः उठकर व्यायाम करना, प्रतिदिन दाँत साफ करना, स्वच्छ जल से स्नान करना और केवल भूख लगने पर भोजन करना – यही स्वास्थ्य की रक्षा के उपाय हैं।
➡️ अर्थात् व्यायाम, स्वच्छता और संयम ही स्वास्थ्य के मूल आधार हैं।
5. सर्वे भवन्तु सुखिनः …
👉 सर्वजनानां स्वास्थ्य-कल्याणकामना।
सभी लोग सुखी हों, सभी निरोग हों, सभी का कल्याण हो – यही मंगलकामना है।
➡️ अर्थात् सर्वजन के स्वास्थ्य और कल्याण की प्रार्थना।
५. संस्कृतशब्दाः – अर्थाः
अरुक् = निरोगः
हितभुक् = स्वास्थ्यकरं भोजनं कर्ता
मितभुक् = यथामात्रया भोजनं कर्ता
ऋतुभुक् = ऋतूनां अनुसारं भोजनं कर्ता
गुरुद्रव्यं = भारी पदार्थः
लघुद्रव्यं = सुपाच्यपदार्थः
सात्त्विकः = शुद्धः, आरोग्यकरः
राजसिकः = तीव्रस्वभावः, रोगजनकः
तामसिकः = आलस्यजनकः
हिन्दी अनुवाद
२. संस्कृत शब्द – हिन्दी अर्थ
अरुक् = निरोग, स्वस्थ
हितभुक् = स्वास्थ्यकर भोजन करने वाला
मितभुक् = संयमित (मात्रानुसार) भोजन करने वाला
ऋतुभुक् = ऋतु के अनुसार भोजन करने वाला
गुरुद्रव्यं = भारी पदार्थ
लघुद्रव्यं = हल्का / सुपाच्य पदार्थ
सात्त्विकः = शुद्ध, आरोग्यकर
राजसिकः = तीखा-खट्टा, रोगकारक
तामसिकः = आलस्य बढ़ाने वाला
६. निष्कर्षः
स्वास्थ्यरक्षणाय हितभुक्, मितभुक्, ऋतुभुक् च भवितव्यम्।
आहारशुद्धिः एव जीवनस्य मूलाधारः।
स्वच्छता, व्यायामः, संयमः च निरोगजीवनस्य अनिवार्यं साधनम्।
हिन्दी अनुवाद
३. निष्कर्ष (हिन्दी में)
स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मनुष्य को हितभुक्, मितभुक् और ऋतुभुक् होना चाहिए।
शुद्ध आहार ही जीवन की असली नींव है।
स्वच्छता, व्यायाम और संयम – यही निरोग जीवन के अनिवार्य साधन हैं।
Leave a Reply