अभ्यासात् जायते सिद्धिः
१. अधोलिखितान् प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तरत |
(क) शुकरूपं कः धृतवान्? (तोते का रूप किसने धारण किया?)
उत्तरम् – धन्वन्तरिः (भगवान धन्वंतरि ने।)
(ख) धन्वन्तरिः (शुकः) कुत्र उपविश्य ध्वनिम् अकरोत्? (धन्वंतरि (तोता) कहाँ बैठकर आवाज़ करने लगा?)
उत्तरम् – वृक्षे (वृक्ष पर।)
(ग) अन्ते शुकः कस्य आश्रमस्य समीपं गतवान्? (अंत में वह तोता किसके आश्रम के पास गया?)
उत्तरम् – वाग्भटस्य (वाग्भट के आश्रम के पास।)
(घ) ऋतवः कति सन्ति? (ऋतुएँ कितनी होती हैं?)
उत्तरम् – षट् (छह (6) ऋतुएँ।)
(ङ) वाग्भटः शुकस्य रहस्यं केभ्यः उक्तवान्? (वाग्भट ने तोते का रहस्य किसे बताया?)
उत्तरम् – शिष्येभ्यः (शिष्यों को।)
२. पट्टिकातः उचितानि पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
चरकस्य, कुटीरसमीपं, भारतवर्षे, आयुर्वेदज्ञानेन, अतिमात्रं
(क) भारतवर्षे जनाः कथं निरामयाः भवन्ति?
भारतवर्ष में लोग कैसे निरोग रहते हैं?
(ख) अन्ते सः वैद्यस्य वाग्भटस्य कुटीरसमीपं गतवान्।
अंत में वह वैद्य वाग्भट के आश्रम के पास गया।
(ग) तव उत्कृष्टेन आयुर्वेदज्ञानेन अहम् अतीव सन्तुष्टः अस्मि।
तुम्हारे उत्कृष्ट आयुर्वेद ज्ञान से मैं अत्यंत संतुष्ट हूँ।
(घ) महर्षेः चरकस्य नाम भवन्तः श्रुतवन्तः स्युः।
तुमने महर्षि चरक का नाम अवश्य सुना होगा।
(ङ) लघुद्रव्याणि अतिमात्रं सेवनेन हानिकराणि जायन्ते।
हल्के पदार्थ भी यदि अधिक मात्रा में खाए जाएँ तो हानिकारक हो जाते हैं।
३. अधोलिखितानां प्रश्नानां पूर्णवाक्येन उत्तराणि लिखत
(क) मधुरां वाणीं श्रुत्वा चिकित्सानिरतः वाग्भटः किम् अकरोत्? (मधुर आवाज सुनकर वैद्य वाग्भट ने क्या किया?)
उत्तरम् – मधुरां वाणीं श्रुत्वा वाग्भटः प्राङ्गणम् आगत्य सर्वासु दिक्षु अपश्यत्। (मधुर आवाज़ सुनकर वाग्भट प्रांगण में आए और चारों दिशाओं में देखने लगे।)
(ख) वाग्भटः झटिति किम् अकरोत्? (वाग्भट ने तुरंत क्या किया?)
उत्तरम् – वाग्भटः झटिति तस्मै विहगाय मधुराणि फलानि समर्पितवान्। (वाग्भट ने तुरंत उस पक्षी को मीठे फल अर्पित किए।)
(ग) छात्राः पुनः जिज्ञासया आचार्यं किम् अपृच्छन्? (छात्रों ने फिर जिज्ञासावश आचार्य से क्या पूछा?)
उत्तरम् – छात्राः पुनः आचार्यं अपृच्छन् – “हितभुक्, मितभुक्, ऋतुभुक् इति – एतेषां कः आशयः?” (छात्रों ने फिर जिज्ञासा से पूछा – “हितभुक्, मितभुक्, ऋतुभुक् — इनका क्या अर्थ है?”)
(घ) भगवान् धन्वन्तरिः अस्माकं कृते संक्षेपेण किं प्रदत्तवान्? (भगवान धन्वंतरि ने हमारे लिए संक्षेप में क्या प्रदान किया?)
उत्तरम् – भगवान् धन्वन्तरिः अस्माकं कृते स्वास्थ्यरक्षणाय सूत्ररूपेण सन्देशम् दत्तवान्। (भगवान धन्वंतरि ने हमारे लिए स्वास्थ्य रक्षा हेतु सूत्र रूप में संदेश दिया।)
(ङ) ऋषयः नित्यं कां प्रार्थनां कुर्वन्ति? (ऋषि लोग प्रतिदिन कौन सी प्रार्थना करते हैं?)
उत्तरम् – ऋषयः नित्यं “सर्वे भवन्तु सुखिनः…” इत्यादि प्रार्थनां कुर्वन्ति। (ऋषि लोग प्रतिदिन “सभी सुखी हों…” ऐसी प्रार्थना करते हैं।)
पाठात् यथोचितानि विशेषणपदानि विशेष्यपदानि वा चिन्त्वा रिक्तस्थानानि पूरयत —
विशेषणम् (विशेषण) | विशेष्यम् (जिसकी विशेषता है) | हिंदी अर्थ |
---|---|---|
विविधनाम् | व्याधीनाम् | विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ |
मनोहरम् | शुकरूपम् | सुंदर तोते का रूप |
विशाले | प्राङ्गणे | विशाल प्रांगण में |
चिकित्सानिरतः | वाग्भटः | चिकित्सा में लगे हुए वाग्भट |
मधुराणि | फलानि | मीठे फल |
सुप्रसिद्धस्य | वैद्यस्य | प्रसिद्ध वैद्य का |
महर्षेः | चरकस्य | महर्षि चरक का |
आयुर्वेदविद् | वैद्याः | आयुर्वेद को जानने वाले वैद्य |
प्रख्यातस्य | वृक्षे | प्रसिद्ध वृक्ष पर |
मधुरा | वाणीम् | मधुर वाणी |
लौकिकः | उत्तरम् | उचित उत्तर |
समुचितम् | खगः | सामान्य (संसारिक) पक्षी |
आयुर्वेदज्ञस्य | शिक्षायाः | आयुर्वेद संबंधी शिक्षा |
सात्त्विकम् | भोजनम् | सात्त्विक भोजन |
५. पाठं पठित्वा अधोलिखितपट्टिकातः पदानि चित्वा उचितसञ्चिकायां पूरयत-
लौकिकः, व्याधीनाम्, देवः, वृक्षे, त्रीणि, उत्तमस्य, वाणीम्, विस्मितः,
मधुरया, प्रश्नान्, पूज्यः, खगः, विशाले, शुकम्, वाग्भटः
विशेषणपदानि (Adjectives) | विशेष्यपदानि (Nouns) |
---|---|
लौकिकः | व्याधीनाम् |
मधुरया | वाणीम् |
विस्मितः | वाग्भटः |
उत्तमस्य | देवः |
पूज्यः | शुकम् |
विशाले | वृक्षे |
त्रीणि | प्रश्नान् |
खगः |
६. अधोलिखितानि वाक्यानि पठित्वा तेन सम्बद्धं श्लोकं पाठात् चित्वा लिखत-
(क) अस्माभिः नित्यं व्यायामः, स्नानं, दन्तधावनं, बुभुक्षायाञ्च भोजनं कर्तव्यम्।
(हमें प्रतिदिन व्यायाम, स्नान, दाँतों की सफाई और भूख लगने पर भोजन करना चाहिए।)
उत्तरम् :
अस्माभिः नित्यकाले व्यायामः, स्नानम्, दन्तधावनं च कर्तव्यं, बुभुक्षायां भोजनं च आवश्यकं।
(हमें प्रतिदिन व्यायाम, स्नान, दांतों की सफाई और भूख लगने पर भोजन करना चाहिए।)
(ख) अस्माभिः हितकरः आहारः सेवनीयः येन विकाराणां शमनं स्वास्थ्यस्य च रक्षणं भवेत्।
(हमें ऐसा लाभकारी भोजन करना चाहिए जिससे रोगों का नाश हो और स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।)
उत्तरम् :
येन विकाराणां शमनं स्वास्थ्यस्य च रक्षणं भवति, तादृशः हितकरः आहारः अस्माभिः सेवनीयः।
(हमें ऐसा लाभकारी भोजन करना चाहिए जिससे रोगों का नाश हो और स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।)
(ग) ऋतोः अनुसारं भोजनेन बलस्य वर्णस्य च अभिवृद्धिः भवति।
(ऋतु के अनुसार भोजन करने से बल और रंग (तेज) की वृद्धि होती है।)
उत्तरम् :
ऋतूनां अनुसारं भोजनं कुर्वन् जनः बलवर्णयोः अभिवृद्धिं प्राप्नोति।
(जो व्यक्ति ऋतुओं के अनुसार भोजन करता है, उसे बल और तेज (रंग) की वृद्धि प्राप्त होती है।)
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