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कण्टकेनैव कण्टकम् Question Answer Sanskrit Chapter 5 Class 8 संस्कृत Ruchira

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कण्टकेनैव कण्टकम्

Solutions For All Chapters Sanskrit Class 8

अभ्यासः 


प्रश्न: 1. एकपदेन उत्तरं लिखत-

(क) व्याधस्य नाम किम् आसीत्? – शिकारी का नाम क्या था?

उत्तर:  चञ्चलः (चंचल)

(ख) चञ्चलः व्याघ्रं कुत्र दृष्टवान्? – चंचल ने बाघ को कहाँ देखा?

उत्तर:  वने (जाले) – (जंगल में)

(ग) कस्मै किमपि अकार्यं न भवति। – किसे कुछ भी करना नहीं होता?

उत्तर:  क्षुधार्ताय (भूख से पीड़ित व्यक्ति को)

(घ) बदरी-गुल्मानां पृष्ठे का निलीना आसीत्? – बदरी और गुल्मा के पीछे कौन छुपा था?

उत्तर:  लोमशिका (लोमशिका नामक व्यक्ति)

(ङ) सर्वः किं समीहते? – सभी क्या चाहते हैं?

उत्तर:  स्वार्थम् (अपने स्वार्थ को)

(च) नि:सहायो व्याधः किमयाचत? – बिना सहारे के शिकारी क्या मांगता है?

उत्तर:  प्राणभिक्षाम् (अपनी जान की भीख)


प्रश्नः 2. पूर्ण वाक्येन उत्तरत-

(क) चञ्चलेन वने किं कृतम्? – चंचल ने जंगल में क्या किया?

उत्तर: चंचलेन वने जालं विस्तारितम् (चंचल ने जंगल में जाल बिछाया)

(ख) व्याघ्रस्य पिपासा कथं शान्ता अभवत्? – बाघ की प्यास कैसे बुझी?

उत्तर: व्याघ्रस्य पिपासा जलं पीत्वा शान्ता अभवत् (बाघ की प्यास पानी पीकर बुझी)

(ग) जलं पीत्वा व्याघ्रः किम् अवदत्? – पानी पीने के बाद बाघ ने क्या कहा?

उत्तर: जलं पीत्वा व्याघ्रः अवदत्-‘साम्प्रतं अहं बुभुक्षितोऽस्मि, इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि (पानी पीने के बाद बाघ ने कहा-अब मैं भूखा हूँ, अब मैं तुम्हें खाऊँगा)

(घ) चञ्चलः ‘मातृस्वस:!’ इति को सम्बोधितवान्? – चंचल ने ‘मातृस्वसः!’ किसे संबोधित किया?

उत्तर: चंचलः ‘मातृस्वसः!’ इति लोमशिकाम् सम्बोधितवान् (चंचल ने ‘मातृस्वसः!’ लोमशिका को संबोधित किया)

(ङ) जाले पुनः बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याधः किम् अकरोत्? – जाल में फिर से बंधे हुए बाघ को देखकर शिकारी ने क्या किया?

उत्तर: जाले पुनः बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याधः प्रसन्नः भूत्वा गृहं प्रत्यावर्तत (जाल में फिर से बंधे हुए बाघ को देखकर शिकारी प्रसन्न होकर घर वापस चला गया)


प्रश्नः 3.अधोलिखितानि वाक्यानि कः/का कं/कां प्रति कथयति-

(निम्नलिखित वाक्यों को किसने, किसको कहे/किसके लिए कहे-)

उत्तरम्:


प्रश्नः 4. रेखांकित पदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणम्-

(क) व्याधः व्याघ्रं  जालात्  बहिः निरसारयत्। (शिकारी ने बाघ को जाल से बाहर निकाला।)

उत्तर: व्याधः व्याघ्र  कस्मात्  बहिः निरसारयत्? (शिकारी ने बाघ को क्यों जाल से बाहर निकाला?)

(ख) चञ्चलः  वृक्षम्  उपगम्य अपृच्छत्। (चंचल ने पेड़ के पास जाकर पूछा।)

उत्तर: चञ्चलः  कम्  उपगम्य अपृच्छत्? (चंचल ने किसके पास जाकर पूछा?)

(ग) व्याघ्रः  लोमशिकायै  निखिला कथां न्यवेदयत्। (बाघ ने लोमशिका को सारी कहानी सुनाई।)

उत्तर: व्याघ्रः  कस्यै  निखिला कथां न्यवेदयत्? (बाघ ने किसे सारी कहानी सुनाई?)

(घ) मानवाः  वृक्षाणां  छायायां विरमन्ति। (मानव पेड़ों की छाया में विश्राम करते हैं।)

उत्तर: मानवाः  केषां  छायायां विरमन्ति? (मानव किस की छाया में विश्राम करते हैं?)

(ङ) व्याघ्रः  नद्याः  जलेन व्याधस्य पिपासामशमयत्। (बाघ ने नदी के पानी से शिकारी की प्यास बुझाई।)

उत्तर: व्याघ्रः  कस्याः  जलेन व्याधस्य पिपासामशमयत्? (बाघ ने किस के पानी से शिकारी की प्यास बुझाई?)


प्रश्नः 5. मजूषातः पदानि चित्वा कथां पूरयत-

एकस्मिन् वने एकः ……………………. व्याघ्रः आसीत्। सः एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्धः अभवत्। सः बहुप्रयास:: ……………………. किन्तु जालात् मुक्तः नाभवत्। ……………………. तत्र एकः मूषकः समागच्छत्। बद्धं व्याघ्र ……………………. सः तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्धः। अहं त्वां ……………………. इच्छामि। तच्छुत्वा व्याघ्रः ……………………. अवदत्-अरे! त्वं ……………………. जीवः मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि ……………………. अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषकः ……………………. लघुदन्तैः तज्जालस्य ……………………. कृत्वा तं व्याघ्र बहिः कृतवान्।।

उत्तरम्:

  • वृद्धः (बूढ़ा)
  • कृतवान् (किया)
  • अकस्मात् (अचानक)
  • दृष्ट्वा (देखकर)
  • मोचयितुम् (मुक्त करना)
  • साट्टहासम् (हंसते हुए)
  • क्षुद्रः (छोटा)
  • तर्हि (तब)
  • स्वकीयैः (अपने)
  • कर्तनम् (काटना)

Hindi Translation

एक वन में एक वृद्ध व्याघ्र (बाघ) रहता था। एक दिन वह शिकारी द्वारा फैलाए गए जाल में फंस गया। उसने बहुत प्रयास किए, लेकिन वह जाल से मुक्त नहीं हो सका। अचानक वहाँ एक चूहा आ गया। उसने फंसे हुए व्याघ्र को देखा। तब चूहे ने कहा, “अहो! तुम जाल में फंसे हुए हो। मैं तुम्हें मुक्त करना चाहता हूँ।” यह सुनकर व्याघ्र हंसते हुए बोला, “अरे! तुम जैसे छोटे जीव से मेरी मदद होगी? यदि तुम मुझे मुक्त कर दोगे तो मैं तुम्हें नहीं मारूँगा।” तब चूहे ने अपने छोटे दाँतों से उस जाल को काटकर व्याघ्र को बाहर निकाला।


प्रश्नः 6.
यथानिर्देशमुत्तरत-(निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-)

उत्तरम्:

(क) अस्मिन् वाक्ये ‘सर्वाम्’ विशेषणपदम् अस्ति।
(ख) अत्र ‘अहम्’ इति सर्वनामपदं ‘चंचलाय’ प्रयुक्तम्।
(ग) अस्मिन् वाक्ये ‘सर्व:’ पदं कर्तृपदम् अस्ति।
(घ) इति वाक्ये ‘सहसा’ पदम् अव्ययपदम् अस्ति।
(ङ) अस्मिन् वाक्ये विज्ञापन’ पदं क्रियापदम् अस्ति। अस्य पदस्य परिचय वर्तते

उपसर्गः – वि, धातुः – ज्ञा, प्रत्ययः – णिच्, लकारः – लोट् लकारः,
पुरुषः – मध्यम पुरुषः, वचनम् – एकवचनम्

Hindi Translation

(क) इस वाक्य में ‘सर्वाम्’ विशेषण पद है।
(ख) यहाँ ‘अहम्’ सर्वनाम पद ‘चंचलाय’ के लिए प्रयुक्त है।
(ग) इस वाक्य में ‘सर्व:’ पद कर्ता है।
(घ) इस वाक्य में ‘सहसा’ अव्यय पद है।
(ङ) इस वाक्य में ‘विज्ञापन’ शब्द क्रिया पद है।


प्रश्नः 7.
(अ) उदाहरणानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत- (उदाहरण के अनुसार रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)

उत्तरम्:


प्रश्नः 7.
(आ) धातुं प्रत्ययं च लिखत-(धातु और प्रत्यय लिखिए-)

उत्तरम्:

दृश् + तुमुन्, कृ + अनीयर्, पा + तुमुन्, खाद् + तुमुन्, कृ + क्त्वा।


अतिरिक्तः अभ्यासः


प्रश्न: 1.
पाठांशम् पठित्वा तदाधारितान् प्रश्नान् उत्तरत-(पाठांश पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-)

आसीत् कश्चित् चञ्चलो नाम व्याधः। पक्षिमृगादीनां ग्रहणेन सः स्वीयां जीविका निर्वाहयति स्म॥ एकदा सः वने जालं विस्तीर्य गृहम् आगतवान्। अन्यस्मिन् दिवसे प्रात:काले यदा चञ्चलः वनं गतवान् तदा सः दृष्टवान् यत् तेन विस्तारिते जाले दौर्भाग्याद् एकः व्याघ्रः बद्धः आसीत्। सोऽचिन्तयत्, ‘व्याघ्रः मां खादिष्यति अतएव पलायनं करणीयम्।’

Hindi Translation – एक बार की बात है, एक व्याध (शिकारी) था जिसका नाम चञ्चल था। वह पक्षियों और जानवरों को पकड़कर अपनी जीविका चलाता था। एक दिन उसने जंगल में जाल बिछाया और घर वापस चला गया। अगले दिन सुबह जब चञ्चल जंगल गया, तो उसने देखा कि उसके बिछाए जाल में दुर्भाग्यवश एक बाघ फंस गया था। उसने सोचा, “बाघ मुझे खा जाएगा, इसलिए मुझे भागना चाहिए।”

 

I. एकपदेन उत्तरत- (एक पद में उत्तर दीजिए-)

1. चञ्चलो नाम कः आसीत्?  (चंचल कौन था?)
2. सः केषां ग्रहणेन जीविका निर्वाहयति स्म?  (वह किसका शिकार करके अपनी जीविका चलाता था?)
3. सः वने किं विस्तृतवान्?  (उसने जंगल में क्या बिछाया?)
4. व्याघ्रः कस्मिन् बद्धः?  (बाघ कहाँ फंसा था?)

उत्तरम्

1. व्याधः (शेर)
2. पक्षिमृगादीनाम् (पक्षियों और जानवरों का)
3. जालम् (जाल)
4. जाले (जाल में)


II. पूर्णवाक्येन उत्तरत-(पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-)

1. व्याधः कदा व्याघ्रं जाले बद्धम् दृष्टवान्?  (व्याध ने कब बाघ को जाल में फंसा हुआ देखा?)
2. व्याघ्रं बद्धं दृष्ट्वा व्याधः किम् अचिन्तयत्?  (बाघ को जाल में फंसा देखकर व्याध ने क्या सोचा?)

उत्तरम्

1. अन्यस्मिन् दिवसे प्रात:काले यदा व्याधः वनं गतवान् तदा सः व्याघ्रं जाले बद्धं दृष्टवान्।

(दूसरे दिन प्रात:काल जब व्याध जंगल में गया, तब उसने बाघ को जाल में फंसा हुआ देखा।)

2. व्याधः अचिन्तयत्-व्याघ्रः मां खादिष्यति अत एव पलायनं करणीयम् इति।

(व्याध ने सोचा- “बाघ मुझे खा जाएगा, इसलिए मुझे भागना चाहिए।”)


III. भाषिककार्यम्-(भाषा-कार्य)

‘आसीत् कश्चित् चञ्चलो नाम व्याधः’ इति वाक्ये
1. ‘आसीत्’ क्रियापदस्य कर्ता क:? ……………………….(कश्चित्, चञ्चल, व्याध:)
2. ‘एकः व्याघ्र:’-अत्र किं विशेषणम्? ……………………….
3. पर्यायम् लिखत-अरण्ये = ……………………….

उत्तरम्

1. व्याधः
2. एकः
3. वने

4. विभक्तिवचनम् लिखत्

(i) दौर्भाग्यात् = ………………………. ……………………….

(ii) अन्यस्मिन् = ………………………. ……………………….

उत्तरम्

(i) पञ्मी एकवचनम्
(ii) सप्तमी एकवचनम्।


5. ‘सः वने जालं विस्तीर्य गृहम् आगतवान्’–इति वाक्ये किं किं कर्मपदम्?

(i) ……………………….
(ii) ……………………….

6. उपसर्ग चित्वा लिखत

(1) विस्तीर्य = ………………………..
(ii) निर्वाहयति = ………………………..
(iii) आगतवान् = ……………………….

7. अनयोः पदयोः कः धातुः? विस्तीर्य, विस्तारिते- ………………………. (स्तर्, स्तृ, विस्तृ)

उत्तरम्

5. (i) जालम्
(ii) गृहम्
6. (i) वि (ii) निः/निर्
(iii) आ


प्रश्न: 2.
पूर्णवाक्येन अधोदत्ता प्रश्नान् उत्तरत- (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सम्पूर्ण वाक्य में दीजिए-)

1. जाले बद्धः व्याघ्रः व्याधम् किमवदत्? (जाल में फंसा बाघ व्याध से क्या कहा?)
2. जनाः नदीजले किं किं कुर्वन्ति? (लोग नदी के जल में क्या करते हैं?)
3. जनाः वृक्षेभ्यः कथं कष्टं ददति? (लोग पेड़ों को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं?)
4. चञ्चलः लोमशिकायै किम् असूचय? (चंचल ने लोमशिका को क्या बताया?)

उत्तरम्:

1. जाले बद्धः व्याघ्रः व्याधम् अवदत्-भो मानव! कल्याणं ते भवतु। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि तर्हि अहं त्वां न हनिष्यामि इति।
2. जनाः नदी-जले स्नानं कुर्वन्ति, वस्त्राणि प्रक्षालयन्ति, मलमूत्रादिकं च विसृजन्ति।
3. जनाः वृक्षान् कुठारैः प्रहत्य तेभ्यः कष्टं ददति।
4. व्याघः लोमशिकायै असूचयत्-मया अस्य व्याघ्रस्य प्राणाः रक्षिताः परम् एषः मामेव खादितुम् इच्छति इति।

Hindi Translation

  • जाल में फंसा बाघ व्याध से बोला- “भो मानव! तुम्हें कल्याण मिले। अगर तुम मुझे मुक्त करोगे, तो मैं तुम्हें नहीं मारूंगा।”
  • लोग नदी के जल में स्नान करते हैं, कपड़े धोते हैं, और मल-मूत्र आदि छोड़ते हैं।
  • लोग पेड़ों को कुल्हाड़ी से काटकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
  • बाघ ने लोमशिका से कहा- “मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि इस बाघ की जान मेरे द्वारा सुरक्षित है, लेकिन वह मुझे खाना चाहता है।”

प्रश्न: 3.
कः/का कम्/काम् प्रति कथयति? (कौन किससे कहता/कहती है?)

उत्तरम्:


प्रश्न: 4.
(क) पदानि पृथक् कुरुत-(पदों को पृथक् कीजिए-)

1. जलमानीय = ………………….. + …………………..
2. द्रष्टुमिच्छामि = ………………….. + …………………..
3. प्राणभिक्षामिव = ………………….. + …………………..
4. समाचरत् = ………………….. + …………………..
5. एवमेव = ………………….. + …………………..

उत्तरम्:

1. जलम् + आनीय
2. द्रष्टुम् + इच्छति
3. प्राणभिक्षाम् + इव
4. सम् + आचरत् ।
5. एवम् + एव


(ख) सन्धि विच्छेद वा कुरुत-(संधि अथवा संधि-विच्छेद कीजिए-)

1. न्यवेदयत् = ………………….. + …………………..
2. प्र + अविशत् = ………………….. + …………………..
3. कः + चित् = ………………….. + …………………..
4. तदनन्तरम् = ………………….. + …………………..
5. सोऽचिन्तयत् = ………………. + …………………..

उत्तरम्:

1. नि + अवेदयत्।
2. प्राविशत्
3. कश्चित्
4. तत् + अनन्तरम् ।
5. सः + अचिन्तयत् ।


प्रश्न: 5.
अधोदत्तानि वाक्यानि घटनाक्रमेण योजयत- (निम्नलिखित वाक्यों को घटनाक्रम के अनुसार लगाइए-)

1. व्याधः जालं प्रासारयत्।।
2. व्याधः लोमशिकार्य निखिल कथां न्यवेदयत्।
3. सर्वः स्वार्थं समीहते।
4. सा अवदत्-बाढ़म्। अहं पुनः व्याघ्र जाले बद्धं द्रष्टुम् इच्छामि।
5. लोमशिका व्याघ्रम् अवदत्-सत्यं त्वया भणितम्।
6. लोमशिका अवदत्-पुनः कूर्दनं कृत्वा दर्शय इति।
7. नि:सहायः भूत्वा सः प्राणभिक्षामिव अयाचत।
8. व्याघ्रः तं वृत्तान्तं दर्शयितुम् पुनः जाले प्राविशत्।

उत्तरम्:

1. व्याधः लोमशिकायै निखिल कथां निवेदितवान्।
2. सा अवदत्-बाढ़म्! अहं पुनः व्याघ्रं जाले बद्धं द्रष्टुम् इच्छामि।
3. व्याधः जालं प्रासारयत्।।
4. व्याघ्रः तं वृत्तान्तं दर्शयितुं पुनः जाले प्राविशत्।।
5. लोमशिका अवदत्-पुनः कूर्दनं कृत्वा दर्शय इति।
6. नि:सहायः भूत्वा सः प्राणिभिक्षामिव अयाचत।
7. लोमशिका व्याघ्रम् अवदत्-सत्यम् त्वया भणितम्।
8. सर्वः स्वार्थं समीहते।

Hindi Translation

  • शिकारी ने लोमशिका को पूरी कहानी सुनाई।
  • उसने कहा – “अरे! मैं फिर से बाघ को जाल में फंसा हुआ देखना चाहता हूँ।”
  • शिकारी ने जाल को फैलाया।
  • बाघ उसे घटना दिखाने के लिए फिर से जाल में प्रवेश किया।
  • लोमशिका ने कहा – “फिर से कूदकर दिखाओ।”
  • बेबस होकर उसने जीवों से भिक्षा मांगने की तरह याचना की।
  • लोमशिका ने बाघ से कहा – “सच है, तुमने सही कहा।”
  • सभी अपनी स्वार्थ के लिए प्रयास करते हैं।

बहुविकल्पीयप्रश्नाः


प्रश्न: 1.
प्रदत्तविकल्पेभ्यः उचितं पदं चित्वा वाक्यपूर्ति कुरुत-(दिए गए विकल्पों से उचित शब्द चुनकर वाक्यपूर्ति कीजिए-)

1. ………………….. स्वार्थं समीहते। (सर्वम् / सर्वः/ सर्वे)
2. व्याघ्रस्य पिपासा ………………….. अभवत्। (शान्तम् / शान्तः/ शान्ता)
3. पुत्री ………………….. नमति।। (मात्रम् / मातरम् / मातारम्)
4. अनुज: ज्येष्ठां …………………..• प्राणमत्। स्वसरम / स्वसृम् / स्वसारम्)
5. व्याधः व्याघ्र ………………….. बहिः निरसारयत् (नि:+असारतय्)। (जालेन / जालम् / जालात्)
6. संम्प्रति पुनः पुनः ………………….. कृत्वा दर्शय।। (कूर्दनम् / क्रीडनम् / धावनम्!)

उत्तरम्:

सर्वः – सभी

शान्ता – शांत

मातरम् – मातृ (माँ)

स्वसारम् – बहन

जालात् – जाल से

कूर्दनम् – कूर्दन (किसी चीज को कुचलने की क्रिया)

 

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