Main Menu
  • School
    • Close
    • CBSE English Medium
    • CBSE Hindi Medium
    • UP Board
    • Bihar Board
    • Maharashtra Board
    • MP Board
    • Close
  • English
    • Close
    • English Grammar for School
    • Basic English Grammar
    • Basic English Speaking
    • English Vocabulary
    • English Idioms & Phrases
    • Personality Enhancement
    • Interview Skills
    • Close
  • Sarkari Exam Prep
    • Close
    • All Govt Exams Preparation
    • MCQs for Competitive Exams
    • Notes For Competitive Exams
    • NCERT Syllabus for Competitive Exam
    • Close
  • Study Abroad
    • Close
    • Study in Australia
    • Study in Canada
    • Study in UK
    • Study in Germany
    • Study in USA
    • Close
रसायन विज्ञान Class 12 || Menu
  • MCQ Rasayan Vigyan Class 12
  • Notes Rasayan Vigyan Class 12
  • Question Answer Rasayan Vigyan Class 12
  • Books Rasayan Vigyan Class 12
  • Important Questions Rasayan Vigyan Class 12
  • Previous Year Papers Rasayan Vigyan Class 12
  • Sample Papers Rasayan Vigyan Class 12
  • Rasayan Vigyan Class 12

Rasayan Vigyan Class 12 Chapter 3 रसायन विज्ञान Important Questions

Advertisement

रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 1: रासायनिक अभिक्रियाओं की दर को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।

उत्तर:

रासायनिक अभिक्रियाओं की दर को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक निम्नलिखित हैं:

अभिकारकों की सांद्रता (Concentration of Reactants): रासायनिक अभिक्रिया की दर अभिकारकों की सांद्रता पर निर्भर करती है। यदि अभिकारकों की सांद्रता अधिक होती है, तो अणुओं के बीच टक्कर की संभावना बढ़ जाती है, जिससे अभिक्रिया की दर भी बढ़ जाती है।

तापमान (Temperature): तापमान बढ़ाने से अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है। तापमान बढ़ने पर अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे उनकी टक्कर की तीव्रता और प्रभावशीलता बढ़ जाती है। इसलिए, उच्च तापमान पर अभिक्रिया तेजी से होती है।

उत्प्रेरक (Catalyst): उत्प्रेरक एक ऐसा पदार्थ है जो अभिक्रिया की दर को बढ़ा देता है, लेकिन स्वयं अभिक्रिया के दौरान स्थायी रूप से परिवर्तित नहीं होता है। उत्प्रेरक अभिक्रिया के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है, जिसमें सक्रियण ऊर्जा कम होती है।

दाब (Pressure): गैसों की अभिक्रियाओं में दाब का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। जब दाब बढ़ाई जाती है, तो गैसों के अणुओं के बीच की दूरी कम हो जाती है, जिससे टक्कर की संभावना बढ़ जाती है और अभिक्रिया की दर भी बढ़ जाती है।

प्रकृति और अवस्था (Nature and State of Reactants): अभिकारकों की प्रकृति और उनकी अवस्था (ठोस, द्रव, गैस) भी अभिक्रिया की दर को प्रभावित करती है। ठोस अभिकारकों के लिए, उनकी सतह क्षेत्र का भी महत्व होता है। जितनी बड़ी सतह, उतनी ही तेज अभिक्रिया।

प्रश्न 2: रासायनिक अभिक्रिया की आदेश (Order of Reaction) और आणविकता (Molecularity) में क्या अंतर है? उदाहरण देकर समझाइए।

उत्तर:

रासायनिक अभिक्रिया की आदेश और आणविकता दोनों अभिक्रिया की दर से संबंधित हैं, लेकिन इनमें अंतर है:

आदेश (Order): रासायनिक अभिक्रिया की आदेश वह गुण है जो यह बताता है कि किसी अभिक्रिया की दर अभिकारकों की सांद्रता के प्रति कितनी संवेदनशील है। इसे प्रयोगात्मक रूप से निर्धारित किया जाता है और यह पूर्णांक या भिन्नांक हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एक अभिक्रिया का दर नियम है: Rate = k [A]^2 [B]^1, तो इस अभिक्रिया की कुल आदेश 3 होगी।

आणविकता (Molecularity): आणविकता उस संख्या को दर्शाती है कि एक प्राथमिक (elementary) अभिक्रिया में कितने अभिकारक अणु टकराते हैं। यह हमेशा एक पूर्णांक होता है और 1 से 3 के बीच हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एक अभिक्रिया में दो अणु टकराकर उत्पाद बनाते हैं, तो उसकी आणविकता 2 होगी।

उदाहरण: ध्यान दें कि एक जटिल (complex) अभिक्रिया का आदेश और आणविकता समान नहीं हो सकती हैं। जैसे, यदि एक अभिक्रिया दो चरणों में पूरी होती है और पहले चरण की दर सबसे धीमी होती है, तो यह चरण पूरे अभिक्रिया की दर को नियंत्रित करता है, जिसे दर निर्धारण चरण (rate-determining step) कहते हैं। इसकी आणविकता से अभिक्रिया की आदेश तय होती है।

प्रश्न 3: पहले आदेश (First Order) और शून्य आदेश (Zero Order) अभिक्रियाओं की दर समीकरण (Rate Equation) की व्याख्या करें।

उत्तर:

पहले आदेश और शून्य आदेश अभिक्रियाओं की दर समीकरणों का अध्ययन महत्वपूर्ण है:

पहला आदेश (First Order) अभिक्रिया:

दर समीकरण: Rate = k[A]
यहाँ, दर सीधे अभिकारक की सांद्रता [A] के अनुपात में होती है।
आधे जीवन का सूत्र (Half-Life): t1/2 = 0.693/k

उदाहरण: \(N_2O_5\) का विघटन, जहाँ दर समीकरण है: Rate = k[N_2O_5]

शून्य आदेश (Zero Order) अभिक्रिया:

दर समीकरण: Rate = k
यहाँ, दर अभिकारक की सांद्रता पर निर्भर नहीं होती, और स्थिर रहती है।
आधे जीवन का सूत्र: t1/2 = [A]0 / 2k

उदाहरण: \(NH_3\) का विघटन प्लेटिनम सतह पर, जहाँ दर समीकरण है: Rate = k

इन समीकरणों की व्याख्या से यह स्पष्ट होता है कि पहले आदेश की अभिक्रियाओं में दर अभिकारक की सांद्रता पर निर्भर होती है जबकि शून्य आदेश की अभिक्रियाओं में दर सांद्रता से स्वतंत्र होती है।

प्रश्न 4: रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए आर्हेनियस समीकरण (Arrhenius Equation) का महत्व और इसका गणितीय रूप क्या है?

उत्तर:

आर्हेनियस समीकरण रासायनिक अभिक्रियाओं की दर पर तापमान के प्रभाव को समझाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह समीकरण बताता है कि तापमान में वृद्धि से अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है। आर्हेनियस समीकरण निम्नलिखित रूप में होता है:

जहाँ:

k = दर स्थिरांक (Rate Constant)
A = आर्हेनियस कारक या प्री-एक्स्पोनेंशियल फैक्टर (Arrhenius Factor)
Ea = सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy)
R = गैस स्थिरांक (Gas Constant)
T = तापमान (Temperature) केल्विन (Kelvin) में

महत्व:

तापमान का प्रभाव: आर्हेनियस समीकरण से यह स्पष्ट होता है कि तापमान बढ़ने से दर स्थिरांक भी बढ़ता है, जिससे अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है।
सक्रियण ऊर्जा: इस समीकरण से यह भी ज्ञात होता है कि सक्रियण ऊर्जा जितनी कम होगी, अभिक्रिया उतनी ही तेज होगी।
प्रयोगात्मक डेटा का मिलान: आर्हेनियस समीकरण का उपयोग करके विभिन्न तापमानों पर प्राप्त किए गए दर स्थिरांक का प्रयोगात्मक डेटा से मिलान किया जा सकता है, जिससे सक्रियण ऊर्जा और आर्हेनियस कारक का निर्धारण किया जा सकता है।

प्रश्न 5: रासायनिक गतिकी में टक्कर सिद्धांत (Collision Theory) की व्याख्या करें और इसे आर्हेनियस समीकरण से कैसे संबंधित किया जाता है?

उत्तर:

टक्कर सिद्धांत यह प्रस्तावित करता है कि रासायनिक अभिक्रिया तब होती है जब दो अणु टकराते हैं और उनमें पर्याप्त ऊर्जा होती है ताकि वे अपने बंधनों को तोड़ सकें और नए उत्पाद बना सकें।

मुख्य बिंदु:

टक्कर आवृत्ति (Collision Frequency): टक्कर सिद्धांत के अनुसार, रासायनिक अभिक्रिया की दर टक्कर आवृत्ति (Z) और उन टक्करों के प्रभावशील अंश पर निर्भर करती है जो सक्रियण ऊर्जा से अधिक ऊर्जा के साथ होती हैं।

प्रभावशील टक्कर (Effective Collision): केवल वे टक्करे प्रभावी होती हैं जो पर्याप्त ऊर्जा (सक्रियण ऊर्जा) और उचित ओरिएंटेशन (Orientation) के साथ होती हैं।

टक्कर सिद्धांत और आर्हेनियस समीकरण:

आर्हेनियस समीकरण में \(e −\frac{Ea}{RT}\) वह भाग है जो उन अणुओं का अनुपात दर्शाता है जिनके पास पर्याप्त सक्रियण ऊर्जा होती है।

टक्कर सिद्धांत के अनुसार, Z और प्रभावशीलता के उत्पाद को आर्हेनियस समीकरण में A (आर्हेनियस कारक) द्वारा दर्शाया जाता है।

प्रश्न 6:पहले और शून्य आदेश अभिक्रियाओं की अर्ध-आयु (Half-life) का विश्लेषण करें और इसके उपयोग के उदाहरण दें।

उत्तर:

अर्ध-आयु वह समय होता है जिसमें किसी अभिकारक की सांद्रता उसके प्रारंभिक मान के आधे तक घट जाती है।

प्रश्न 7: किसी प्रतिक्रिया की क्रम (Order) और अणुविकता (Molecularity) में क्या अंतर है? उदाहरण देकर समझाइए।

उत्तर:

क्रिया की क्रम (Order):

प्रतिक्रिया की क्रम वह संख्या होती है जो यह दर्शाती है कि अभिक्रिया की दर पर अभिकारकों की सांद्रता का कितना प्रभाव पड़ता है। यह क्रम अभिकारकों की सांद्रता पर आधारित होता है और इसे प्रयोगात्मक रूप से निर्धारित किया जाता है। क्रम पूर्णांक, शून्य, या भिन्नांक हो सकता है।

उदाहरण: प्रतिक्रिया A + B → उत्पाद के लिए, यदि दर समीकरण है: \(Rate = k[A]^2B]^1,\) तो कुल क्रम 3 होगा।

अणुविकता (Molecularity):

अणुविकता किसी प्राथमिक (elementary) प्रतिक्रिया में एक साथ टकराने वाले अभिकारक अणुओं की संख्या को दर्शाती है। यह हमेशा पूर्णांक होती है और इसे केवल प्राथमिक अभिक्रियाओं के लिए परिभाषित किया जा सकता है।

उदाहरण: \(2HI(g) → H_2(g) + I_2(g)\) के लिए, अणुविकता 2 है क्योंकि दो HI अणु एक साथ टकराते हैं।

अंतर:

क्रम: यह प्रतिक्रिया की दर पर निर्भर करता है और इसे प्रयोग से निर्धारित किया जाता है। यह भिन्नांक या शून्य हो सकता है।
अणुविकता: यह एक प्राथमिक अभिक्रिया के अभिकारक अणुओं की संख्या पर निर्भर करती है और हमेशा पूर्णांक होती है।

प्रश्न 8: रासायनिक गतिकी में शून्य क्रम (Zero Order) प्रतिक्रिया का वर्णन करें और इसका उदाहरण दें।

उत्तर:

शून्य क्रम (Zero Order) प्रतिक्रिया:

शून्य क्रम की प्रतिक्रिया में, प्रतिक्रिया की दर अभिकारक की सांद्रता पर निर्भर नहीं करती है। दर स्थिरांक (k) ही दर को नियंत्रित करता है।

दर समीकरण:\(Rate = k[A]^0 = k\)

अर्ध-आयु (Half-Life): शून्य क्रम प्रतिक्रिया की अर्ध-आयु निम्नलिखित होती है: \(t1/2 = \frac{[A]0}{2K}\)

उदाहरण:

\(NH_3\) का विघटन प्लेटिनम सतह पर एक शून्य क्रम प्रतिक्रिया है। उच्च दबाव पर, सतह अभिकारक के अणुओं से पूरी तरह से संतृप्त हो जाती है, और प्रतिक्रिया की दर स्वतंत्र हो जाती है।

व्याख्या: शून्य क्रम की प्रतिक्रिया में, जब तक सतह अभिकारक के अणुओं से संतृप्त रहती है, प्रतिक्रिया की दर परिवर्तन नहीं होती। जैसे ही सतह संतृप्त होती है, दर स्थिरांक k द्वारा निर्धारित होती है, जो कि अभिकारक की सांद्रता पर निर्भर नहीं करती।

प्रश्न 9: प्रभावी टकराव (Effective Collisions) और अभिक्रियात्मक उर्जा (Activation Energy) के बीच संबंध की व्याख्या करें।

उत्तर:

प्रभावी टकराव (Effective Collisions):

प्रभावी टकराव वे टकराव होते हैं जो प्रतिक्रिया के उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। इसके लिए अभिकारक अणुओं के बीच सही उर्जा और सही ओरिएंटेशन का होना आवश्यक है।

अभिक्रियात्मक उर्जा (Activation Energy):

यह वह न्यूनतम ऊर्जा होती है जो अभिकारक अणुओं के बीच प्रभावी टकराव के लिए आवश्यक होती है, जिससे वे प्रतिक्रिया कर सकते हैं और उत्पाद बना सकते हैं।

संबंध:

प्रभावी टकराव और अभिक्रियात्मक उर्जा के बीच गहरा संबंध है। केवल वही टकराव प्रभावी होते हैं जो अभिक्रियात्मक उर्जा से अधिक ऊर्जा के साथ होते हैं। यह अभिक्रिया की दर को निर्धारित करता है।

उदाहरण: \(H_2\) और \(I_2\) की प्रतिक्रिया में, टकराव की आवृत्ति बहुत अधिक है, लेकिन केवल वे टकराव प्रभावी होते हैं जिनमें अभिकारक अणुओं के पास पर्याप्त अभिक्रियात्मक उर्जा होती है। इसलिए, उच्च तापमान पर जब अणुओं की गतिज उर्जा बढ़ती है, तो प्रभावी टकराव की संख्या बढ़ जाती है और अभिक्रिया की दर भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 10: आधुनिक रासायनिक गतिकी में ठोस उत्प्रेरक (Solid Catalyst) का महत्व क्या है?

उत्तर:

ठोस उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रियाओं की दर बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, विशेषकर औद्योगिक प्रक्रियाओं में।

महत्व:

अभिक्रिया की दर में वृद्धि: ठोस उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ाते हैं और उत्पादन की दक्षता में सुधार करते हैं।

उच्च सतह क्षेत्र: ठोस उत्प्रेरक का उच्च सतह क्षेत्र होता है, जो अधिक अभिकारकों को सतह पर बांधने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है।

वैकल्पिक मार्ग: ठोस उत्प्रेरक एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है जिसमें अभिक्रियात्मक उर्जा कम होती है, जिससे अभिक्रिया तीव्र होती है।

विशिष्टता: ठोस उत्प्रेरक अक्सर विशिष्ट अभिक्रियाओं के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं, जिससे उत्पाद की शुद्धता और गुणवत्ता में सुधार होता है।

उदाहरण:

हेबर प्रक्रिया में अमोनिया उत्पादन के लिए लोहा (Fe) का ठोस उत्प्रेरक के रूप में उपयोग होता है, जो नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के बीच प्रतिक्रिया की दर को बढ़ाता है।
क्रैकिंग प्रक्रिया में अलुमिनोसिलिकेट्स का उपयोग किया जाता है, जो पेट्रोलियम उत्पादों को विभाजित करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 11: गतिकीय नियंत्रण और ऊष्मागतिकीय नियंत्रण (Kinetic and Thermodynamic Control) के बीच अंतर समझाइए।

उत्तर:

गतिकीय नियंत्रण (Kinetic Control):

गतिकीय नियंत्रण के तहत, अभिक्रिया का उत्पाद उस मार्ग से बनता है जो सबसे तेजी से होता है, भले ही वह ऊष्मागतिकीय दृष्टि से स्थिर हो या न हो। यह अभिक्रिया की दर से संबंधित है।
जब तापमान कम होता है या प्रतिक्रिया का समय कम होता है, तब गतिकीय नियंत्रण प्रमुख होता है।

ऊष्मागतिकीय नियंत्रण (Thermodynamic Control):

ऊष्मागतिकीय नियंत्रण के तहत, अभिक्रिया का उत्पाद वह होता है जो ऊष्मागतिकीय दृष्टि से सबसे स्थिर होता है, भले ही उसकी प्राप्ति का मार्ग धीमा हो।
जब तापमान अधिक होता है या प्रतिक्रिया का समय लंबा होता है, तब ऊष्मागतिकीय नियंत्रण प्रमुख होता है।

अंतर:

गतिकीय नियंत्रण में उत्पाद जल्दी बनता है, लेकिन वह स्थिर हो यह आवश्यक नहीं है।
ऊष्मागतिकीय नियंत्रण में उत्पाद स्थिर होता है, लेकिन बनने में समय लग सकता है।

उदाहरण:

गतिकीय नियंत्रण में, 1,2-आडिशन उत्पाद और ऊष्मागतिकीय नियंत्रण में, 1,4-आडिशन उत्पाद का निर्माण होता है।

प्रश्न 12: रासायनिक गतिकी में अणविकता (Molecularity) का क्या महत्व है?

उत्तर:

अणविकता (Molecularity):

अणविकता किसी प्राथमिक (elementary) अभिक्रिया में टकराने वाले अभिकारकों की संख्या को दर्शाती है। यह अभिक्रिया के चरणों की जटिलता को दर्शाती है।

महत्व:

प्राथमिक अभिक्रियाएँ: अणविकता से यह ज्ञात होता है कि अभिक्रिया कितनी सरल या जटिल है। एक सरल अभिक्रिया में अणविकता 1 या 2 हो सकती है, जबकि जटिल अभिक्रिया में यह 3 या अधिक हो सकती है।

अभिक्रिया की दर: अणविकता से यह निर्धारित होता है कि अभिक्रिया की दर के लिए कितने अणुओं का टकराव आवश्यक है।

अभिक्रिया का मार्ग: अणविकता से यह भी समझा जा सकता है कि अभिक्रिया कितने चरणों में होती है। यदि अणविकता 1 है, तो अभिक्रिया सरल है और एक ही चरण में पूरी होती है।

उदाहरण:

\(H_2 + I_2 → 2HI\) के लिए अणविकता 2 है, क्योंकि इसमें दो अभिकारक अणु शामिल हैं।

\(2NO + O_2 → 2NO_2\) के लिए अणविकता 3 है, क्योंकि इसमें तीन अभिकारक अणु शामिल हैं।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

सभी कक्षा के अध्याय के प्रश्न उत्तर in Hindi PDF Download

सभी Kaksha के Paath के Prashn Uttar, Objective Question, सैंपल पेपर, नोट्स और प्रश्न पत्र Download Free in PDF for Hindi Medium

क्लास की बुक (पुस्तक), MCQ, नोट्स, एनसीईआरटी समाधान इन हिंदी पीडीएफ – PDF FREE Download

सभी पाठ के एनसीईआरटी समाधान, सैंपल पेपर, नोट्स, प्रश्न पत्र के मुफ्त पीडीएफ डाउनलोड करे

Advertisement

Maharashtra Board Marathi & English Medium

Just Launched! Access Maharashtra Board Exam MCQs, Previous Year Papers, Textbooks, Solutions, Notes, Important Questions, and Summaries—available in both Marathi and English mediums—all in one place Maharashtra Board

Android APP

सरकारी Exam Preparation

Sarkari Exam Preparation Youtube

CBSE – दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान & हरियाणा Board हिंदी माध्यम

कक्षा 6 to 8 हिंदी माध्यम
कक्षा 9 & 10 हिंदी माध्यम
कक्षा 11 हिंदी माध्यम

State Board

यूपी बोर्ड 6,7 & 8
बिहार बोर्ड हिंदी माध्यम

CBSE Board

Mathematics Class 6
Science Class 6
Social Science Class 6
हिन्दी Class 6
सामाजिक विज्ञान कक्षा 6
विज्ञान कक्षा 6

Mathematics Class 7
Science Class 7
SST Class 7
सामाजिक विज्ञान कक्षा 7
हिन्दी Class 7

Mathematics Class 8
Science Class 8
Social Science Class 8
हिन्दी Class 8

Mathematics Class 9
Science Class 9
English Class 9

Mathematics Class 10
SST Class 10
English Class 10

Mathematics Class XI
Chemistry Class XI
Accountancy Class 11

Accountancy Class 12
Mathematics Class 12

Learn English
English Through हिन्दी
Job Interview Skills
English Grammar
हिंदी व्याकरण - Vyakaran
Microsoft Word
Microsoft PowerPoint
Adobe PhotoShop
Adobe Illustrator
Learn German
Learn French
IIT JEE

Study Abroad

Study in Australia: Australia is known for its vibrant student life and world-class education in fields like engineering, business, health sciences, and arts. Major student hubs include Sydney, Melbourne, and Brisbane. Top universities: University of Sydney, University of Melbourne, ANU, UNSW.

Study in Canada: Canada offers affordable education, a multicultural environment, and work opportunities for international students. Top universities: University of Toronto, UBC, McGill, University of Alberta.

Study in the UK: The UK boasts prestigious universities and a wide range of courses. Students benefit from rich cultural experiences and a strong alumni network. Top universities: Oxford, Cambridge, Imperial College, LSE.

Study in Germany: Germany offers high-quality education, especially in engineering and technology, with many low-cost or tuition-free programs. Top universities: LMU Munich, TUM, University of Heidelberg.

Study in the USA: The USA has a diverse educational system with many research opportunities and career advancement options. Top universities: Harvard, MIT, Stanford, UC Berkeley.

Privacy Policies, Terms and Conditions, About Us, Contact Us
Copyright © 2025 eVidyarthi and its licensors. All Rights Reserved.