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रसायन विज्ञान Class 12 || Menu
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Rasayan Vigyan Class 12 Chapter 9 रसायन विज्ञान Important Questions

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ऐमीन

प्रश्न 1: अमाइन (Amines) क्या होते हैं? उनके प्रकारों और भौतिक गुणों पर चर्चा करें।

उत्तर:

अमाइन वह कार्बनिक यौगिक हैं जो अमोनिया (\(NH_3\)) के हाइड्रोजन परमाणु के स्थान पर एक या अधिक अल्किल या एरिल समूहों द्वारा प्रतिस्थापित होते हैं। इनका सामान्य सूत्र
\(R-NH_2, R_2-NH\) या \(R_3-N\) होता है, जहाँ R अल्किल या एरिल समूह को दर्शाता है।

अमाइन के प्रकार:

प्राथमिक अमाइन (Primary Amines):

ये अमाइन वे होते हैं जिनमें अमोनिया के एक हाइड्रोजन परमाणु को अल्किल या एरिल समूह से प्रतिस्थापित किया गया होता है। जैसे, \(CH_3-NH_2\) (मिथाइलअमाइन)।

माध्यमिक अमाइन (Secondary Amines):

ये अमाइन वे होते हैं जिनमें अमोनिया के दो हाइड्रोजन परमाणु अल्किल या एरिल समूह से प्रतिस्थापित होते हैं। जैसे, \((CH_3)O_2NH\) (डाइमेथाइलअमाइन)।

तृतीयक अमाइन (Tertiary Amines):

ये अमाइन वे होते हैं जिनमें अमोनिया के तीनों हाइड्रोजन परमाणु अल्किल या एरिल समूह से प्रतिस्थापित होते हैं। जैसे, \((CH_3)O_3N\) (ट्राइमेथाइलअमाइन)।

भौतिक गुण:

ब्वॉइलिंग पॉइंट:

प्राथमिक अमाइन का बॉइलिंग पॉइंट सबसे अधिक होता है, जबकि तृतीयक अमाइन का सबसे कम। यह उनके अणुओं के बीच हाइड्रोजन बॉन्डिंग की उपस्थिति के कारण होता है।

घुलनशीलता:

निचले अल्काइल अमाइन पानी में घुलनशील होते हैं क्योंकि वे पानी के अणुओं के साथ हाइड्रोजन बॉन्ड बना सकते हैं। जैसे-जैसे अल्काइल समूह का आकार बढ़ता है, घुलनशीलता घटती जाती है।

गंध:

निचले अल्काइल अमाइन में मत्स्य गंध होती है, जबकि एरिल अमाइन आमतौर पर रंगहीन होते हैं लेकिन हवा के संपर्क में आने पर रंगीन हो सकते हैं।

प्रश्न 2: डायज़ोनियम लवण (Diazonium Salts) क्या होते हैं? उनके संश्लेषण और रासायनिक प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करें।

उत्तर:

डायज़ोनियम लवण ऐसे यौगिक होते हैं जिनका सामान्य सूत्र \(R-N_2 ^+X^-\) होता है, जहाँ R एरिल समूह और \(X^-\) एक एनियन ( जैसे
\(Cl^-, Br^-, HSO^-_4\)) होता है। इन्हें “डायज़ोनियम समूह” कहा जाता है और ये उच्च स्थिरता वाले होते हैं।

संश्लेषण:

डायज़ोनियम लवण का निर्माण प्राथमिक एरोमेटिक अमाइन (जैसे, एनिलीन) को नाइट्रस एसिड (\(HNO_2\)) के साथ 273-278 K पर प्रतिक्रिया कराकर किया जाता है। नाइट्रस एसिड, सोडियम नाइट्राइट और हाइड्रोक्लोरिक एसिड के मिलाने से उत्पन्न होता है।

रासायनिक प्रतिक्रियाएँ:

हैलाइड या साइनाइड आयन के साथ प्रतिस्थापन:

क्यूप्रस (\(Cu^+\)) आयन की उपस्थिति में डायज़ोनियम लवण के साथ \(Cl^-,Br^-, या CN^-\) आयन प्रतिक्रिया कर सकते हैं। इसे सैंडमेयर अभिक्रिया (Sandmeyer Reaction) कहा जाता है।

फ्लोरीन के साथ प्रतिस्थापन:

जब डायज़ोनियम क्लोराइड को फ्लोरीबोरिक एसिड (\(HBF_4\)) के साथ गर्म किया जाता है, तो एरिल फ्लोराइड बनता है।

हाइड्रॉक्सिल समूह के साथ प्रतिस्थापन:

283 K तापमान पर, डायज़ोनियम लवण जलयोजन से फिनोल में परिवर्तित हो जाता है।

संयोजन प्रतिक्रिया (Coupling Reaction):

डायज़ोनियम लवण फिनोल या एनिलीन के साथ मिलकर रंगीन आजो यौगिकों का निर्माण करते हैं, जो रंगों के रूप में उपयोग होते हैं।

महत्व:

डायज़ोनियम लवणों का प्रयोग सुगंधित यौगिकों के निर्माण में महत्वपूर्ण होता है, विशेष रूप से जब एरिल फ्लोराइड, आयोडाइड, साइनाइड और हाइड्रॉक्सिल यौगिकों की आवश्यकता होती है, जो प्रत्यक्ष प्रतिस्थापन द्वारा नहीं बन सकते।

प्रश्न 3: अमाइन के रासायनिक गुणों पर विस्तार से चर्चा करें।

उत्तर:

अमाइन के रासायनिक गुण उनके अमोनिया के समान बेसिक चरित्र और नाइट्रोजन परमाणु पर स्थित अवशिष्ट इलेक्ट्रॉन जोड़ी पर निर्भर करते हैं।

मुख्य रासायनिक गुण:

क्षारीय स्वभाव (Basic Character):

अमाइन क्षारीय होते हैं और अम्लों के साथ अभिक्रिया करके अमाइन लवण (\(RNH_3 ^+X^-\)) बनाते हैं।

उदाहरण: \(RNH_2 + HCl → RNH^+_3Cl^-\)

पानी में अमाइन के बेसिक चरित्र का मापन \(pK_b\) मूल्य से किया जाता है। अल्काइल अमाइन अमोनिया से अधिक बेसिक होते हैं क्योंकि अल्काइल समूह +I प्रभाव के कारण नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ाते हैं। एरिल अमाइन में यह गुण कम होता है क्योंकि एरिल समूह इलेक्ट्रॉन खींचने वाले होते हैं।

एल्काइलेशन (Alkylation):

अमाइन एल्काइल हैलाइड्स के साथ अभिक्रिया करते हैं और उच्च श्रेणी के अमाइन बनाते हैं। यह अभिक्रिया न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन होती है।

उदाहरण: \(RNH_2 + R’X → R_2NH + HX\)

एसिलेशन (Acylation):

प्राथमिक और माध्यमिक अमाइन एसिड क्लोराइड या एनहाइड्राइड के साथ अभिक्रिया करके अमाइड्स का निर्माण करते हैं।

उदाहरण: \(RNH_2 + R’COCl → RNHCO-R’ + HCl\)

यह अभिक्रिया पाइरीडीन जैसे एक मजबूत बेस की उपस्थिति में होती है जो HCl को हटाकर अभिक्रिया को आगे बढ़ाता है।

कार्बिलमाइन प्रतिक्रिया (Carbylamine Reaction):

प्राथमिक अमाइन क्लोरोफार्म और क्षारीय के साथ गरम करने पर आइसोसाइनाइड (Carbylamine) बनाते हैं। इस अभिक्रिया का उपयोग प्राथमिक अमाइन की पहचान के लिए किया जाता है।

उदाहरण: \(RNH_2 + CHCl_3 + 3KOH → RNC + 3KCl + 3H_2O\)

नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया (Reaction with Nitrous Acid):

प्राथमिक एलिफैटिक अमाइन नाइट्रस अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर अस्थायी एलिफैटिक डायज़ोनियम लवण और फिर अल्कोहल का निर्माण करते हैं।
एरिल अमाइन नाइट्रस अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर स्थायी एरील डायज़ोनियम लवण बनाते हैं जो कई प्रकार के सुगंधित यौगिकों के संश्लेषण में उपयोग होते हैं।

उदाहरण: \(C_6H_5NH_2 + NaNO_2 + HCl → C_6H_5N^+_2Cl^- + NaCl + H_2O\)

प्रश्न 4: अमाइन की अम्लीयता (Acidity) और बेसिकता (Basicity) के बीच अंतर स्पष्ट करें। इसके अलावा, अमाइन और अल्कोहल के बीच अम्लीयता की तुलना करें।

उत्तर:

अमाइन और अल्कोहल दोनों में एक इलेक्ट्रोनगेटिव परमाणु (नाइट्रोजन और ऑक्सीजन) होता है जो हाइड्रोजन के साथ बॉन्ड बनाता है। इन यौगिकों की अम्लीयता और बेसिकता उनके आणविक संरचना और इलेक्ट्रोन वितरण पर निर्भर करती है।

अमाइन की बेसिकता:

अमाइन एक बेसिक यौगिक हैं क्योंकि उनके नाइट्रोजन परमाणु पर एक अवशिष्ट इलेक्ट्रॉन जोड़ी होती है जो प्रोटोन (\(H^+\)) के साथ बंध सकती है।

अल्काइल अमाइन में अल्काइल समूह के +I प्रभाव के कारण इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ता है, जिससे इनकी बेसिकता बढ़ जाती है।

उदाहरण: \(RNH_2 + HCl → RNH^+_3Cl^-\)

अमाइन की अम्लीयता:

अमाइन बहुत कमजोर अम्ल होते हैं और इनकी अम्लीयता अल्कोहल से भी कम होती है क्योंकि नाइट्रोजन की इलेक्ट्रोनगेटिविटी ऑक्सीजन से कम होती है।
अमाइन को आसानी से प्रोटोन नहीं खो सकते, जिससे इनकी अम्लीयता कम होती है।

अमाइन और अल्कोहल की अम्लीयता की तुलना:

अल्कोहल की अम्लीयता अमाइन से अधिक होती है क्योंकि ऑक्सीजन की इलेक्ट्रोनगेटिविटी नाइट्रोजन से अधिक होती है। ऑक्सीजन प्रोटोन को आसानी से खो सकती है, जिससे अल्कोहल अधिक अम्लीय होते हैं।

उदाहरण: \(ROH → RO^- + H^+\)

इस प्रकार, अमाइन और अल्कोहल की अम्लीयता और बेसिकता उनके इलेक्ट्रोनगेटिव तत्वों और इलेक्ट्रॉन वितरण के आधार पर भिन्न होती है।

प्रश्न 5:हॉफमैन ब्रॉमामाइड डिग्रेडेशन प्रतिक्रिया क्या है? इसका उपयोग अमाइन संश्लेषण में कैसे किया जाता है?

उत्तर:

हॉफमैन ब्रॉमामाइड डिग्रेडेशन प्रतिक्रिया एक महत्वपूर्ण रासायनिक प्रक्रिया है जिसका उपयोग प्राथमिक अमाइन के संश्लेषण में किया जाता है। इस प्रतिक्रिया में एक अमाइड का ब्रॉमीन और सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया द्वारा एक कार्बन परमाणु कम वाला प्राथमिक अमाइन बनता है।

हॉफमैन ब्रॉमामाइड डिग्रेडेशन प्रतिक्रिया:

\(RCONH_2 + Br_2 + 4NaOH → RNH_2 + Na_2CO_3 + 2H_2O\)

 

महत्वपूर्ण बिंदु:

इस अभिक्रिया में अमाइड से एक कार्बन कम वाला अमाइन प्राप्त होता है।
यह प्रतिक्रिया अल्काइल और एरिल अमाइन दोनों के निर्माण के लिए उपयोगी है, लेकिन इसका मुख्य उपयोग प्राथमिक अमाइन के लिए होता है।
इस अभिक्रिया के माध्यम से बनने वाले अमाइन का उपयोग औद्योगिक और जैविक संश्लेषण में व्यापक रूप से किया जाता है।

प्रश्न 6: डायज़ोनियम लवण के उपयोग और उनके महत्व पर विस्तार से चर्चा करें।

उत्तर:

डायज़ोनियम लवण (Diazonium Salts) रासायनिक यौगिकों का एक महत्वपूर्ण वर्ग है, विशेषकर एरील डायज़ोनियम लवण, जो कार्बनिक रसायन विज्ञान में कई महत्वपूर्ण यौगिकों के निर्माण में उपयोग किए जाते हैं। इनका सामान्य सूत्र  \(ArN_2⁺X⁻\) होता है, जहाँ Ar एरिल समूह और \(X⁻\) एक एनियन होता है।

उपयोग:

सुगंधित यौगिकों का निर्माण:

डायज़ोनियम लवण से प्राप्त एरील हाइड्रोक्साइड, एरील हैलाइड, एरील साइनाइड, और एरील फ्लोराइड जैसे यौगिकों का निर्माण संभव होता है, जो सीधे प्रतिस्थापन विधियों द्वारा नहीं बनाए जा सकते।

उदाहरण: बेन्जीन डायज़ोनियम क्लोराइड (\(C_6H_5N_2^+Cl^-\)) का उपयोग करके फिनोल (\(C_6H_5OH\)) का निर्माण किया जा सकता है:

\(C_6H_5N_2^+Cl^- + H_2O → C_6H_5OH + N_2 + HCl\)

आज़ो रंगों का निर्माण (Azo Dyes):

डायज़ोनियम लवण का उपयोग आज़ो यौगिकों के निर्माण में होता है, जो उद्योग में महत्वपूर्ण रंगों के रूप में उपयोग होते हैं। आज़ो यौगिकों का निर्माण डायज़ोनियम लवण की फिनोल या एनिलीन के साथ संयोजन प्रतिक्रिया द्वारा होता है।

उदाहरण: बेन्जीन डायज़ोनियम क्लोराइड \(C_6H_5N_2^+Cl^-\) की फिनोल (\(C_6H_5OH\)) के साथ प्रतिक्रिया द्वारा पारा-हाइड्रॉक्सीआजोबेन्ज़ीन

(\(C_6H_5-N=N-C_6H_4-OH\)) का निर्माण होता है, जो एक रंगीन यौगिक है।

संधानीय प्रतिक्रिया (Coupling Reactions):

डायज़ोनियम लवण का उपयोग सुगंधित यौगिकों में नए समूह जोड़ने के लिए किया जाता है। ये प्रतिक्रिया विशेष रूप से इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन प्रक्रिया के रूप में होती है, जहाँ डायज़ोनियम समूह N₂⁺ एक अच्छा लीविंग समूह होता है।

उदाहरण: डायज़ोनियम लवण का उपयोग नाइट्रोबेन्ज़ीन या एथाइलबेन्ज़ीन जैसे यौगिकों में नाइट्रो, फ्लूरो, क्लोरो, या ब्रोमो समूह जोड़ने के लिए किया जा सकता है।

महत्व:

डायज़ोनियम लवण रासायनिक उद्योग में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, विशेष रूप से रंजक, दवाओं, और कीटनाशकों के निर्माण में।
यह यौगिक उन सुगंधित यौगिकों के निर्माण में भी उपयोगी होते हैं जो पारंपरिक विधियों द्वारा सीधे नहीं बनाए जा सकते।
इस प्रकार, डायज़ोनियम लवण कार्बनिक रसायन विज्ञान में विभिन्न संश्लेषण विधियों के लिए बहुमूल्य उपकरण होते हैं।

प्रश्न 7: अमाइन के उत्पादन की विधियाँ कौन-कौन सी हैं? इन विधियों में प्रयुक्त रासायनिक प्रतिक्रियाओं का वर्णन करें।

उत्तर:

अमाइन का उत्पादन विभिन्न विधियों द्वारा किया जा सकता है, जिनमें से कुछ मुख्य विधियाँ निम्नलिखित हैं:

(1) नाइट्रो यौगिकों का अपचयन (Reduction of Nitro Compounds):

नाइट्रो यौगिकों (\(RNO_2\)) को हाइड्रोजन गैस और धात्विक उत्प्रेरक (जैसे, निकेल, पैलेडियम, या प्लेटिनम) की उपस्थिति में अपचयन करके अमाइन में बदला जा सकता है।

उदाहरण: \(RNO_2 + 3H_2 → RNH_2 + 2H_2O\)

(2) एल्काइल हैलाइड्स का अमोनोलिसिस (Ammonolysis of Alkyl Halides):

एल्काइल हैलाइड (RX) को अमोनिया (\(NH_3\)) के साथ गरम करने पर अमोनोलिसिस की प्रक्रिया द्वारा प्राथमिक अमाइन प्राप्त होता है।

इस प्रक्रिया में R-X बंध को अमोनिया द्वारा तोड़ा जाता है, जिससे अमाइन बनता है।

उदाहरण: \(RX + NH_3 → RNH_2 + HX\)

(3) नाइट्राइल्स का अपचयन (Reduction of Nitriles):

नाइट्राइल्स (RCN) का अपचयन करने पर प्राथमिक अमाइन प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया में लिथियम एल्युमिनियम हाइड्राइड (\(LiAlH_4\)) या हाइड्रोजन गैस का उपयोग किया जाता है।

उदाहरण: \(RCN + 4H_2 → RCH_2NH_2\)

(4) गैब्रियल फ्थालिमाइड संश्लेषण (Gabriel Phthalimide Synthesis):

इस विधि में फ्थालिमाइड (\(C_6H_4(CO)_2NH\)) को एल्काइल हैलाइड के साथ प्रतिक्रिया कराकर प्राथमिक अमाइन बनाया जाता है।

यह विधि एरोमेटिक अमाइन के उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं होती, क्योंकि एरील हैलाइड्स फ्थालिमाइड के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते।

उदाहरण: \(C_6H_4(CO)_2NH + RBr → RNH_2\)

(5) हॉफमैन ब्रॉमामाइड डिग्रेडेशन प्रतिक्रिया (Hoffmann Bromamide Degradation Reaction):

इस विधि में अमाइड (RCONH₂) को ब्रॉमीन और सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ प्रतिक्रिया कराकर अमाइन प्राप्त किया जाता है।

उदाहरण: \(RCONH_2 + Br_2 + 4NaOH → RNH_2 + Na_2CO_3 + 2NaBr + 2H_2O\)

इन विधियों के माध्यम से अमाइन का उत्पादन किया जा सकता है, जो विभिन्न उद्योगों में महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक के रूप में उपयोग किए जाते हैं।

प्रश्न 8: गैब्रियल फ्थालिमाइड संश्लेषण क्या है? यह प्रक्रिया प्राथमिक अमाइन के निर्माण में क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर:

गैब्रियल फ्थालिमाइड संश्लेषण एक रासायनिक प्रक्रिया है जो विशेष रूप से प्राथमिक अमाइन के निर्माण के लिए उपयोग की जाती है। इस प्रक्रिया में फ्थालिमाइड को एक एल्काइल हैलाइड के साथ गरम किया जाता है, जिससे एक प्राथमिक अमाइन का निर्माण होता है।

गैब्रियल फ्थालिमाइड संश्लेषण की प्रक्रिया:

फ्थालिमाइड (\(C_6H_4(CO)_2NH\)) को एथेनॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम किया जाता है: यह पोटैशियम फ्थालिमाइड (\(C_6H_4(CO)_2NK\)) का निर्माण करता है।

पोटैशियम फ्थालिमाइड को एल्काइल हैलाइड (R-X) के साथ गरम किया जाता है: यह प्रतिक्रिया एक सब्स्टीट्यूटेड फ्थालिमाइड (\(C_6H_4(CO)_2NR\)) का निर्माण करती है।

इसके बाद, इस सब्स्टीट्यूटेड फ्थालिमाइड को क्षारीय हाइड्रोलाइसिस के द्वारा हाइड्रोलाइज किया जाता है: यह प्रक्रिया प्राथमिक अमाइन (\(RNH_2\)) को मुक्त करती है।

उदाहरण:

\(C_6H_4(CO)_2NH + KOH → C_6H_4(CO)_2NK + H_2O\) \(C_6H_4(CO)_2NK + RBr → C_6H_4(CO)_2NR + KBr\) \(C_6H_4(CO)_2NR + NaOH → RNH_2 + C_6H_4(COONa)_2\)

महत्व:

प्राथमिक अमाइन का चयनात्मक निर्माण: इस प्रक्रिया का मुख्य लाभ यह है कि यह विशेष रूप से प्राथमिक अमाइन का निर्माण करती है और माध्यमिक या तृतीयक अमाइन नहीं बनते, जिससे चयनात्मकता प्राप्त होती है।

आर्यल अमाइन के निर्माण में असफल: इस प्रक्रिया का उपयोग केवल एलिफैटिक अमाइन के निर्माण के लिए किया जा सकता है क्योंकि एरिल हैलाइड्स फ्थालिमाइड के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।

व्यापक उपयोग: गैब्रियल फ्थालिमाइड संश्लेषण का उपयोग रसायन विज्ञान में व्यापक रूप से किया जाता है, विशेषकर तब जब विशिष्ट प्राथमिक अमाइन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 9: अमाइन और नाइट्रस अम्ल के बीच अभिक्रिया के परिणामस्वरूप बनने वाले उत्पादों की चर्चा करें। किस प्रकार की अमाइन किस प्रकार के उत्पाद का निर्माण करती हैं?

उत्तर:

अमाइन की नाइट्रस अम्ल (\(HNO_2\)) के साथ अभिक्रिया उनके प्रकार के अनुसार भिन्न उत्पाद बनाती है। यह अभिक्रिया अमाइन के प्रकार (प्राथमिक, माध्यमिक, या तृतीयक) और उनके संरचना पर निर्भर करती है।

प्राथमिक अमाइन:

एलिफैटिक प्राथमिक अमाइन:

एलिफैटिक प्राथमिक अमाइन नाइट्रस अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करके अस्थिर एलिफैटिक डायज़ोनियम लवण का निर्माण करती है, जो जल्दी ही विघटित होकर अल्कोहल और नाइट्रोजन गैस का निर्माण करता है।

उदाहरण: \(RNH_2 + HNO_2 → R-N^+_2Cl^- → ROH + N_2 + HCl\)

एरिल प्राथमिक अमाइन:

एरिल प्राथमिक अमाइन नाइट्रस अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करके स्थिर एरील डायज़ोनियम लवण का निर्माण करती है, जो विभिन्न सुगंधित यौगिकों के निर्माण में उपयोग होता है।

उदाहरण: \(C_6H_5NH_2 + NaNO_2 + HCl → C_6H_5N^+_2Cl^- + NaCl + H_2O\)

माध्यमिक अमाइन:

माध्यमिक अमाइन नाइट्रस अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करके N-नाइट्रोसो अमाइन (R₂N-NO) का निर्माण करती है।

उदाहरण: \(R_2NH + HNO_2 → R_2N-NO + H_2O\)

तृतीयक अमाइन:

तृतीयक अमाइन नाइट्रस अम्ल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करती हैं क्योंकि इनमें कोई H-अणु नहीं होता है जो N₂ के रूप में अलग हो सके।

प्रश्न 10: अमाइन की एसिलेशन प्रतिक्रिया क्या है? यह प्रतिक्रिया अमाइन के पहचान और पृथक्करण में कैसे सहायक होती है?

उत्तर:

अमाइन की एसिलेशन प्रतिक्रिया एक महत्वपूर्ण रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें अमाइन को एसिड क्लोराइड या एनहाइड्राइड के साथ प्रतिक्रिया कराकर अमाइड का निर्माण किया जाता है। यह प्रक्रिया अमाइन के पहचान और उनके बीच भेदभाव के लिए उपयोग की जाती है।

एसिलेशन प्रतिक्रिया:

प्राथमिक और माध्यमिक अमाइन: ये अमाइन एसिड क्लोराइड या एनहाइड्राइड के साथ न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन प्रतिक्रिया में भाग लेते हैं, जहाँ अमाइन का हाइड्रोजन परमाणु एसिल समूह से प्रतिस्थापित होता है, जिससे अमाइड बनता है।

उदाहरण: \(RNH_2 + R’COCl → RNHCO-R’ + HCl\)

तृतीयक अमाइन: तृतीयक अमाइन में हाइड्रोजन परमाणु नहीं होता है, इसलिए ये एसिलेशन प्रतिक्रिया में भाग नहीं लेती हैं।

पहचान और पृथक्करण में उपयोग:

हिन्सबर्ग टेस्ट: एसिलेशन प्रतिक्रिया का उपयोग हिन्सबर्ग टेस्ट में किया जाता है, जो प्राथमिक, माध्यमिक, और तृतीयक अमाइन के बीच भेदभाव करने के लिए होता है। इस टेस्ट में, प्राथमिक अमाइन एसिलेशन करके एक सॉल्यूबल अमाइड बनाते हैं, जबकि माध्यमिक अमाइन एक इनसॉल्यूबल अमाइड बनाते हैं, और तृतीयक अमाइन प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।

उदाहरण: प्राथमिक अमाइन बेंजीनसुल्फोनिक क्लोराइड (\(C_6H_5SO_2Cl\)) के साथ प्रतिक्रिया कर N-सुल्फोनामाइड बनाते हैं, जो अल्कली में घुलनशील होता है। माध्यमिक अमाइन से बनने वाला N,N-डिसुल्फोनामाइड इनसॉल्यूबल होता है।

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