Main Menu
  • School
    • Close
    • CBSE English Medium
    • CBSE Hindi Medium
    • UP Board
    • Bihar Board
    • Maharashtra Board
    • MP Board
    • Close
  • English
    • Close
    • English Grammar for School
    • Basic English Grammar
    • Basic English Speaking
    • English Vocabulary
    • English Idioms & Phrases
    • Personality Enhancement
    • Interview Skills
    • Close
  • Sarkari Exam Prep
    • Close
    • All Govt Exams Preparation
    • MCQs for Competitive Exams
    • Notes For Competitive Exams
    • NCERT Syllabus for Competitive Exam
    • Close
  • Study Abroad
    • Close
    • Study in Australia
    • Study in Canada
    • Study in UK
    • Study in Germany
    • Study in USA
    • Close
हिन्दी Class 12 || Menu
  • MCQ Hindi Class 12
  • Important Questions Hindi Class 12
  • Notes Hindi Class 12
  • Sample Papers Hindi Class 12
  • Solutions Hindi Class 12
  • Books Hindi Class 12
  • Previous Year Papers Hindi Class 12
  • Marking Scheme Hindi Class 12
  • Hindi Class 12

हिन्दी पहलवान की ढोलक Question Answer Class 12 Chapter 13 Aroh

Advertisement

Solutions For All Chapters Aroh Class 12

पाठ के साथ

प्रश्न 1.
कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्ट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।

उत्तर:
कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में अद्भुत तालमेल था। ढोल बजते ही लुट्टन की रगों में खून दौड़ने लगता था। उसे हर थाप में नए दाँव-पेंच सुनाई पड़ते थे। ढोल की आवाज उसे साहस प्रदान करती थी। ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में निम्नलिखित तालमेल था

धाक-धिना, तिरकट तिना – दाँव काटो, बाहर हो जाओ।
चटाक्र-चट्-धा – उठा पटक दे।
धिना-धिना, धिक-धिना — चित करो, चित करो।
ढाक्र-ढिना – वाह पट्ठे।
चट्-गिड-धा – मत डरना। ये ध्वन्यात्मक शब्द हमारे मन में उत्साह का संचार करते हैं।

प्रश्न 2.
कहानी के किस-किस मोड़ पर लुटेन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर:
लुट्न पहलवान का जीवन उतार-चढ़ावों से भरपूर रहा। जीवन के हर दुख-सुख से उसे दो-चार होना पड़ा। सबसे पहले उसने चाँद सिंह पहलवान को हराकरे राजकीय पहलवान का दर्जा प्राप्त किया। फिर काला खाँ को भी परास्त कर अपनी धाक आसपास के गाँवों में स्थापित कर ली। वह पंद्रह वर्षों तक अजेय पहलवान रहा। अपने दोनों बेटों को भी उसने राजाश्रित पहलवान बना दिया। राजा के मरते ही उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। विलायत से राजकुमार ने आते ही पहलवान और उसके दोनों बेटों को राजदरबार से अवकाश दे दिए। गाँव में फैली बीमारी के कारण एक दिन दोनों बेटे चल बसे। एक दिन पहलवान भी चल बसा और उसकी लाश को सियारों ने खा लिया। इस प्रकार दूसरों को जीवन संदेश देने वाला पहलवान स्वयं खामोश हो गया।

प्रश्न 3.
लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है?

उत्तर:
पहलवान ने ढोल को अपना गुरु माना और एकलव्य की भाँति हमेशा उसी की आज्ञा का अनुकरण करता रहा। ढोल को ही उसने अपने बेटों का गुरु बनाकर शिक्षा दी कि सदा इसको मान देना। ढोल लेकर ही वह राज-दरबार से रुखसत हुआ। ढोल बजा-बजाकर ही उसने अपने अखाड़े में बच्चों-लड़कों को शिक्षा दी, कुश्ती के गुर सिखाए। ढोल से ही उसने गाँव वालों को भीषण दुख में भी संजीवनी शक्ति प्रदान की थी। ढोल के सहारे ही बेटों की मृत्यु का दुख पाँच दिन तक दिलेरी से सहन किया और अंत में वह भी मर गया। यह सब देखकर लगता है कि उसका ढोल उसके जीवन का संबल, जीवन-साथी ही था।

प्रश्न 4.
गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?

उत्तर:
ढोलक की आवाज़ सुनकर लोगों में जीने की इच्छा जाग उठती थी। पहलवान नहीं चाहता था कि उसके गाँव का कोई आदमी अपने संबंधी की मौत पर मायूस हो जाए। इसलिए वह ढोल बजाता रहा। वास्तव में ढोल बजाकर पहलवान ने अन्य ग्रामीणों को जीने की कला सिखाई। साथ ही अपने बेटों की अकाल मृत्यु के दुख को भी वह कम करना चाहता था।

प्रश्न 5.
ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था।
अथवा
पहलवान की ढोलक की उठती गिरती आवाज़ बीमारी से दम तोड़ रहे ग्रामवासियों में संजीवनी का संचार कैसे करती है?

उत्तर
महामारी की त्रासदी से जूझते हुए ग्रामीणों को ढोलक की आवाज संजीवनी शक्ति की तरह मौत से लड़ने की प्रेरणा देती थी। यह आवाज बूढ़े-बच्चों व जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य उपस्थित कर देती थी। उनकी स्पंदन शक्ति से शून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। ठीक है कि ढोलक की आवाज में बुखार को दूर करने की ताकत न थी, पर उसे सुनकर मरते हुए प्राणियों को अपनी आँखें मूंदते समय कोई तकलीफ़ नहीं होती थी। उस समय वे मृत्यु से नहीं डरते थे। इस प्रकार ढोलक की आवाज गाँव वालों को मृत्यु से लड़ने की प्रेरणा देती थी।

प्रश्न 6.
महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?

उत्तर:
महामारी ने सारे गाँव को बुरी तरह से प्रभावित किया था। लोग सुर्योदय होते ही अपने मृत संबंधियों की लाशें उठाकर गाँव के श्मशान की ओर जाते थे ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके। सूर्यास्त होते ही सारे गाँव में मातम छा जाता था। किसी न किसी बच्चे, बूढ़े अथवा जवान के मरने की खबर आग की तरह फैल जाती थी। सारा गाँव श्मशान घाट बन चुका था।

प्रश्न 7.
कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वारा
विशेष सम्मान दिया जाता था।
(क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?
(ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?
(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?

उत्तर:
(क) कुश्ती या दंगल पहले लोगों व राजाओं के प्रिय शौक हुआ करते थे। राजा पहलवानों को सम्मान देते थे, परंतु आज स्थिति बदल गई है। अब पहले की तरह राजा नहीं रहे। दूसरे, मनोरंजन के अनेक साधन प्रचलित हो गए हैं।

(ख) कुश्ती की जगह अब अनेक आधुनिक खेल प्रचलन में हैं; जैसे-क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस, शतरंज, फुटबॉल आदि।

(ग) कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कुश्ती की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा सकती साथ-साथ पहलवानों को उचित प्रशिक्षण तथा कुश्ती को बढ़ावा देने हेतु मीडिया का सहयोग लिया जा सकता है।

प्रश्न 8.
आंशय स्पष्ट करें आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।

उत्तर:
लेखक ने इस कहानी में कई जगह प्रकृति का मानवीकरण किया है। यह गद्यांश भी प्रकृति का मानवीकरण ही है। यहाँ लेखक के कहने का आशय है कि जब सारा गाँव मातम और सिसकियों में डूबा हुआ था तो आकाश के तारे भी गाँव की दुर्दशा पर आँसू बहाते प्रतीत होते हैं। क्योंकि आकाश में चारों ओर निस्तब्धता छाई हुई थी। यदि कोई तारा अपने मंडल से टूटकर पृथ्वी पर फैले दुख को बाँटने आता भी था तो वह रास्ते में विलीन (नष्ट) हो जाता था। अर्थात् वह पृथ्वी तक पहुँच नहीं पाता था। अन्य सभी तारे उसकी इस भावना को नहीं समझते थे। वे तो केवल उसका मजाक उड़ाते थे और उस पर हँस देते थे।

प्रश्न 9.
पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

मानवीकरण के अंश

औधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।
आशय-रात का मानवीकरण किया गया है। ठंड में ओस रात के आँसू जैसे प्रतीत होते हैं। वे ऐसे लगते हैं मानो गाँव वालों की पीड़ा पर रात आँसू बहा रही है।
तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे। आशय-तारों को हँसते हुए दिखाकर उनका मानवीकरण किया गया है। वे मजाक उड़ाते प्रतीत होते हैं।
ढोलक लुढ़की पड़ी थी। आशय-यहाँ पहलवान की मृत्यु का वर्णन है। पहलवान व ढोलक का गहरा संबंध है। ढोलक का बजना पहलवान के जीवन का पर्याय है।

पाठ के आसपास

प्रश्न 1.
पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आप ऐसी किसी अन्य आपद स्थिति की कल्पना करें और लिखें कि आप ऐसी स्थिति का सामना कैसे करेंगे/करेंगी?

उत्तर:
पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति का चित्रण किया गया है। आजकल ‘स्वाइन फ्लू’ जैसी बीमारी से आम जनता में दहशत है। मैं ऐसी स्थिति में निम्नलिखित कार्य करूंगा

  1. लोगों को स्वाइन फ्लू के विषय में जानकारी दूँगा।
  2. स्वाइन फ्लू के रोगियों को उचित इलाज करवाने की सलाह दूँगा।
  3. जुकाम व बुखार के रोगियों को घर में रहने तथा मास्क लगाने का परामर्श दूँगा।
  4. मरीजों की जाँच में सहायता करूंगा।

प्रश्न 2.
ढोलक की थाप मृत गाँव में संजीवनी भरती रहती थी-कला और जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिए।

उत्तर:
कला और जीवन का गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। कला जीवन को जीने का ढंग सिखाती है। व्यक्ति का जीवन आनंदमय बना रहे इसके लिए कला बहुत ज़रूरी है। यह कई रूपों में हमारे सामने आती है; जैसे नृत्य कला, संगीत कला, चित्रकला आदि। कला जीवन की प्राण शक्ति है। कला के बिना जीवन की कल्पना करना बेमानी लगता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
हर विषय, क्षेत्र, परिवेश आदि के कुछ विशिष्ट शब्द होते हैं। पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली का बहुतायत प्रयोग हुआ है। उन शब्दों की सूची बनाइए। साथ ही नीचे दिए गए क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले कोई पाँच-पाँच शब्द बताइए –
चिकित्सा, क्रिकेट, न्यायालय, या अपनी पसंद का कोई क्षेत्र

 
उत्तर:

  • चिकित्सा – अस्पताल, नर्स, डॉक्टर, टीका, पथ्य, औषधि, जाँच।
  • क्रिकेट – बैट, गेंद, विकेट, छक्का, चौका, क्लीन बोल्ड।
  • न्यायालय – जज, वकील, नोटिस, जमानत, अपील, साक्षी, केस।
  • शिक्षा – पुस्तक, अध्यापक, विद्यार्थी, स्कूल, बोर्ड, पुस्तकालय।

पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली सूची
कसरत, धुन, थाप, दांवपेंच, पठान, पहलवान, बच्चू, शेर का बच्चा, चित, दाँव काटो, मिट्टी के शेर, चारों खाने चित, आली आदि।

प्रश्न 2.
पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न केवल भाषाई सर्जनात्मकता को बढ़ावा देता है बल्कि कथ्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों, वाक्यांशों के स्थान पर किन्हीं अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवतः वह अर्थगत चमत्कार और भाषिक सौंदर्य उद्घाटित न हो सके। कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं –

  • फिर बाज की तरह उस पर टूट पड़ा।
  • राजा साहेब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए।
  • पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।

उत्तर:
उसकी पहलवानी के किस्से दूर-दराज के गाँवों में मशहूर थे। अच्छे से अच्छा पहलवान भी उससे हार जाता। यदि कोई उसे ललकारने की हिम्मत करता तो वह उस पर बाज की तरह टूट पड़ता। उसकी पहलवानी के चर्चे राजा साहब के कानों तक भी पहुँची। राजा साहब ने उसकी पहलवानी पर प्रसन्न होकर उसे नकद इनाम दिया और आजीवन राजमहल में रख लिया। इस प्रकार राजा, साहब की स्नेह दृष्टि ने उसकी प्रसिधि में चार चाँद लगा दिए। वह और अधिक मन लगाकर पहलवानी करने लगा। पहलवान की स्त्री ने उसी जैसे दो पहलवान बेटों को पैदा किया। दुर्भाग्य से वह स्वर्ग सिधार गई। इन दोनों बेटों को भी उसने दंगल में उतारने का निर्णय ले लिया। उसके दोनों बेटों ने भी अपने बाप की लाज रखी।

प्रश्न 3.
जैसे क्रिकेट में कमेंट्री की जाती है वैसे ही कुश्ती की कमेंट्री की गई है? आपको दोनों में क्या समानता और अंतर – दिखाई पड़ता है?

उत्तर:

  1. क्रिकेट में बल्लेबाज, क्षेत्ररक्षण व गेंदबाजी का वर्णन होता है, जबकि कुश्ती में दाँव-पेंच का।
  2. क्रिकेट में स्कोर बताया जाता है, जबकि कुश्ती में चित या पट का।
  3. कुश्ती में प्रशिक्षित कमेंटेटर निश्चित नहीं होते, जबकि क्रिकेट में प्रशिक्षित कमेंटेटर होते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या यह कहानी रेणु’ को आंचलिक कहानीकार बनाती है?

उत्तर:
यह कहानी निर्विवाद रूप से रेणु’ को आंचलिक कहानीकार बना देती है। ग्रामीण अंचल का इतना यथार्थ और मार्मिक चित्रण पहले शायद नहीं हुआ। ग्रामीण लोक कलाएँ किस तरह विलुप्त होती जा रही हैं इसका चित्रण उन्होंने किया है। यह कहानी पुरानी सत्तात्मक व्यवस्था के टूटने के साथ-साथ लोक कलाओं में आ रही रुकावट का चित्रण करती है। बदलते ग्रामीण परिवेश का यथार्थ अंकन करती यह कहानी रेणु’ को आंचलिक कहानीकारों की श्रेणी में खड़ा कर देती है।

प्रश्न 2.
लुट्टन पहलवान की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में लिखिए।

उत्तर:
लुट्टन के माता-पिता की मृत्यु नौ साल में ही हो चुकी थी। उसकी शादी हो चुकी थी। उसकी विधवा सास ने उसे पाला और पोसा। वह अपनी सास के यहाँ कसरत करते-करते बड़ा हो गया। इसी कारण वह पहलवानी में जोर आजमाइश करने लगा।

प्रश्न 3.
गाँव में फैली बीमारी से उत्पन्न गाँव की दशा का चित्रण कहानीकार ने किस प्रकार किया है? 

उत्तर:
गाँव में महामारी ने पाँव पसार लिए थे। चारों ओर मौत का भयानक तांडव फैला था। रेणु’ लिखते हैं कि सियारों का क्रंदन और चेचक की डरावनी आवाज़ कभी-कभी निस्तब्धता को अवश्य भंग कर देती थी। गाँव की झोपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज़ ‘हरे राम, हे भगवान! की टेर अवश्य सुनाई पड़ती थी। बच्चे कभी-कभी निर्बल कंठों से माँ-माँ पुकारकर रो पड़ते थे।

प्रश्न 4.
जब मैनेजर और सिपाहियों ने लुट्टन पहलवान को चाँद सिंह से लड़ने से मना कर दिया तो लुट्टन ने क्या कहा?

उत्तर:
मैनेजर और सिपाहियों की बातें सुनकर लुट्न सिंह गिड़गिड़ाने लगा। वह राजा साहब के सामने जा खड़ा हुआ। उसने कहा दुहाई सरकार, पत्थर पर माथा पटककर मर जाऊँगा लेकिन लडूंगा अवश्य सरकार, वह कहने लगा-लड़ेंगे सरकार हुकुम हो सरकार।

प्रश्न 5.
कहानी की संवाद योजना कैसी है? बताइए।

उत्तर:
फणीश्वर नाथ रेणु’ की सभी कहानियों में संवाद योजना देखते ही बनती है। उनकी संवाद योजना चुस्त, सार्थक और प्रभाव उत्पन्न करने वाली है। संवादों के माध्यम से कहानीकार ने पात्रों की मानसिक और चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कर दिया है। लुट्न पहलवान की मन:स्थिति का अंकन निम्न संवाद में हुआ है“दुकानदारों को चुहल करने की सूझती। हलवाई अपनी दुकान पर बुलाता-“पहलवान काका। ताजा रसगुल्ला बना है, जरा नाश्ता कर लो पहलवान बच्चों की-सी स्वाभाविक हँसी हँसकर कहता “अरे तनी मनी काहे। ले आव डेढ़ सेर और बैठ जाता” राजा साहब की विशेषता का उल्लेख इस संवाद में हुआ है।” राजा साहब दस रुपए का नोट देकर कहने लगे-जाओ मेला देखकर घर जाओ… “नहीं, सरकार लड़ेंगे हुकुम हो सरकार।

प्रश्न 6.
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के संदेश को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर:
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में व्यवस्था के बदलने के साथ लोककला व इसके कलाकार के अप्रासांगिक हो जाने की कहानी है। राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना सिर्फ व्यक्तिगत सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जमीनी पुरानी व्यवस्था के पूरी तरह उलट जाने और उस पर सभ्यता के नाम पर एक दम नयी व्यवस्था के आरोपित हो जाने का प्रतीक है। यह ‘भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने की समस्या है जो लुट्टन पहलवान को लोक कलाकर के आसन से उठाकर पेट भरने के लिए हायतौबा करने वाली निरीहता की भूमि पर पटक देती है।

प्रश्न 7.
राजा साहब ने लुट्टन को क्यों सहारा दिया था? अंत में उसकी दुर्गति होने का क्या कारण था? 
अथवा
पहलवान लुट्टन सिंह को राजा साहब की कृपादृष्टि कब प्राप्त हुई ? वह उन सुविधाओं से वंचित कैसे हो गया? 

उत्तर:
लुट्टन ने बचपन से ही कुश्ती सीखी। उसने चाँद पहलवान को हरा दिया। श्यामनगर के मेले के दंगल में उसने यह चमत्कार दिखाया। राजा साहब ने उसे आश्रय दिया। इसके बाद उसने सभी नामी पहलवानों को हरा दिया। अब वह दर्शनीय जीव बन गया था। पंद्रह साल तक वह राजदरबार में रहा। उसने दोनों बेटों को भी पहलवानी में उतारा। राजा साहब के मरने के बाद नए राजा को घुड़सवारी में रुचि थी। उसने पहलवान व उसके बेटों को राजदरबार से निकाल दिया। अब वह गाँव आकर रहने लगा। यहाँ उसे भोजन भी मुश्किल से मिलना था। महामारी ने उसके बेटों को लील लिया। उनके चार-पाँच दिन बाद वह भी मर गया।

प्रश्न 8.
लुट्टन से राज पहलवान लुट्टन सिंह बन जाने के बाद की दिनचर्या पर प्रकाश डालिए? 
अथवा
पहलवान लुट्टन के सुख-चैन भरे दिनों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। 

उत्तर:
लुट्टन की कीर्ति राज पहलवान बन जाने के बाद दूर-दूर तक फैल गई। राजा ने उसे दरबार में रखा। पौष्टिक भोजन व राजा की स्नेह दृष्टि से उसने सभी नामी पहलवानों को हरा दिया। वह दर्शनीय जीव बन गया। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोगा पहनकर अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह चलता था। हलवाई उसे मिठाई खिलाते थे।

प्रश्न 9.
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के आधार पर बताइए कि महामारी फैलने पर चिकित्सा और देखरेख के अभाव में ग्रामीणों की दशा कैसी हो जाती थी। पहलवान की ढोलक उनकी सहायता किस प्रकार करती थी? 

उत्तर:
महामारी फैलने पर गाँव में चिकित्सा और देखरेख के अभाव में ग्रामीणों की दशा दयनीय हो जाती थी। लोग दिन भर खाँसते कराहते रहते थे। रोज दो-चार व्यक्ति मरते थे। दवाओं के अभाव में उनकी मृत्यु निश्चित थी। शरीर में शक्ति नहीं रहती थी। पहलवान की ढोलक मृतप्राय शरीरों में आशा व जीवंतता भरती थी। वह संजीवनी शक्ति का कार्य करती थी।

प्रश्न 10.
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में किस प्रकार पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया गया है? लिखिए। 
उत्तर:
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में पुरानी और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया है। पुरानी व्यवस्था में राजदरबार लोक कलाकारों को संरक्षण प्रदान करता था। उनके सहारे ये जीवित रहते थे, परंतु नई व्यवस्था में विलायती दृष्टिकोण को अपनाया गया। लोक कलाकार हाशिए पर चले गए।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

CBSE Delhi Question Answer of Chapters in PDF

Free Sample Papers and Previous Years' Question Papers for CBSE Exams from the Official CBSE Academic Website (CBSE.nic.in) in Delhi, Rajasthan, Uttar Pradesh and Bihar

सभी कक्षा के अध्याय के प्रश्न उत्तर in Hindi PDF Download

सभी Kaksha के Paath के Prashn Uttar, Objective Question, सैंपल पेपर, नोट्स और प्रश्न पत्र Download Free in PDF for Hindi Medium

क्लास की बुक (पुस्तक), MCQ, नोट्स, एनसीईआरटी समाधान इन हिंदी पीडीएफ – PDF FREE Download

सभी पाठ के एनसीईआरटी समाधान, सैंपल पेपर, नोट्स, प्रश्न पत्र के मुफ्त पीडीएफ डाउनलोड करे

Advertisement

Maharashtra Board Marathi & English Medium

Just Launched! Access Maharashtra Board Exam MCQs, Previous Year Papers, Textbooks, Solutions, Notes, Important Questions, and Summaries—available in both Marathi and English mediums—all in one place Maharashtra Board

Android APP

सरकारी Exam Preparation

Sarkari Exam Preparation Youtube

CBSE – दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान & हरियाणा Board हिंदी माध्यम

कक्षा 6 to 8 हिंदी माध्यम
कक्षा 9 & 10 हिंदी माध्यम
कक्षा 11 हिंदी माध्यम

State Board

यूपी बोर्ड 6,7 & 8
बिहार बोर्ड हिंदी माध्यम

CBSE Board

Mathematics Class 6
Science Class 6
Social Science Class 6
हिन्दी Class 6
सामाजिक विज्ञान कक्षा 6
विज्ञान कक्षा 6

Mathematics Class 7
Science Class 7
SST Class 7
सामाजिक विज्ञान कक्षा 7
हिन्दी Class 7

Mathematics Class 8
Science Class 8
Social Science Class 8
हिन्दी Class 8

Mathematics Class 9
Science Class 9
English Class 9

Mathematics Class 10
SST Class 10
English Class 10

Mathematics Class XI
Chemistry Class XI
Accountancy Class 11

Accountancy Class 12
Mathematics Class 12

Learn English
English Through हिन्दी
Job Interview Skills
English Grammar
हिंदी व्याकरण - Vyakaran
Microsoft Word
Microsoft PowerPoint
Adobe PhotoShop
Adobe Illustrator
Learn German
Learn French
IIT JEE

Study Abroad

Study in Australia: Australia is known for its vibrant student life and world-class education in fields like engineering, business, health sciences, and arts. Major student hubs include Sydney, Melbourne, and Brisbane. Top universities: University of Sydney, University of Melbourne, ANU, UNSW.

Study in Canada: Canada offers affordable education, a multicultural environment, and work opportunities for international students. Top universities: University of Toronto, UBC, McGill, University of Alberta.

Study in the UK: The UK boasts prestigious universities and a wide range of courses. Students benefit from rich cultural experiences and a strong alumni network. Top universities: Oxford, Cambridge, Imperial College, LSE.

Study in Germany: Germany offers high-quality education, especially in engineering and technology, with many low-cost or tuition-free programs. Top universities: LMU Munich, TUM, University of Heidelberg.

Study in the USA: The USA has a diverse educational system with many research opportunities and career advancement options. Top universities: Harvard, MIT, Stanford, UC Berkeley.

Privacy Policies, Terms and Conditions, About Us, Contact Us
Copyright © 2025 eVidyarthi and its licensors. All Rights Reserved.