सजीव जगत में विविधता
प्रश्न 1: प्रकृति की सैर का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: प्रकृति की सैर का उद्देश्य छात्रों को पौधों और जानवरों की सुंदरता और विविधता का अनुभव कराना था। इस सैर के दौरान छात्रों ने विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों का अवलोकन किया और उनकी विशेषताओं को समझा।
प्रश्न 2: पौधों में पाए जाने वाले तने किस प्रकार के हो सकते हैं?
उत्तर: पौधों में पाए जाने वाले तने निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं:
- कोमल तने: ये छोटे और हरे रंग के होते हैं, जैसे टमाटर के पौधे का तना।
- कठोर तने: ये मोटे, भूरे रंग के और लकड़ी जैसे होते हैं, जैसे आम के पेड़ का तना।
- झाड़ीदार तने: ये तने छोटे होते हैं, लेकिन कठोर और भूरे रंग के होते हैं, जैसे गुलाब की झाड़ी का तना।
प्रश्न 3: विभिन्न प्रकार की जड़ों के क्या प्रकार होते हैं?
उत्तर: जड़ों के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
- मूसला जड़: इसमें एक मुख्य जड़ होती है, जिससे छोटी-छोटी जड़ें निकलती हैं, जैसे सरसों के पौधे की जड़।
- झकड़ा जड़: इसमें समान मोटाई की कई जड़ें होती हैं, जो एक साथ गुच्छों में निकलती हैं, जैसे घास की जड़।
प्रश्न 4: पत्तियों में वशरा-विन्यास (venation) के कौन से प्रकार होते हैं?
उत्तर: पत्तियों में वशरा-विन्यास के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
- जालकारूपी वशरा-विन्यास: इसमें पत्तियों में जाल जैसी संरचना होती है, जैसे गड़ुहल की पत्ती।
- समांतर वशरा-विन्यास: इसमें पत्तियों में समांतर रेखाएँ होती हैं, जैसे केले और घास की पत्तियाँ।
प्रश्न 5: पौधों और जंतुओं के समूह कैसे बनते हैं?
उत्तर: पौधों और जंतुओं के समूह उनकी समानताओं और भिन्नताओं के आधार पर बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, पौधों को उनकी ऊँचाई, तने की प्रकृति और पत्तियों की संरचना के आधार पर समूहित किया जा सकता है। इसी प्रकार, जंतुओं को उनकी गतियों, रहने के स्थान, और भोजन की आदतों के आधार पर समूहित किया जा सकता है।
प्रश्न 6: ऊँट की मरुस्थलीय विशेषताएँ क्या होती हैं?
उत्तर: मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले ऊँट में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं:
- लंबे पैर और चौड़े खुर, जो उन्हें रेत में चलने में सहायक होते हैं।
- ऊँट के कूबड़ में वसा संग्रहीत होती है, जो भोजन की कमी के समय में काम आती है।
- उनके शरीर में पसीना नहीं निकलता और गोबर सूखा होता है, जिससे वे कम पानी में भी जीवित रह सकते हैं।
प्रश्न 7: पौधों की जड़ और पत्ती के वशरा-विन्यास में क्या संबंध होता है?
उत्तर: आमतौर पर, जिन पौधों में जालकारूपी वशरा-विन्यास होता है, उनमें मूसला जड़ होती है, जबकि जिन पौधों में समांतर वशरा-विन्यास होता है, उनमें झकड़ा जड़ होती है।
प्रश्न 8: विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में पौधे और जंतु कैसे भिन्न होते हैं?
उत्तर: विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में पाए जाने वाले पौधे और जंतु वहां की पर्यावरणीय स्थितियों के अनुसार अनुकूलित होते हैं। जैसे मरुस्थलीय क्षेत्र के पौधे और जंतु कम पानी और अत्यधिक गर्मी के अनुकूल होते हैं, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों के पौधे और जंतु ठंड के अनुकूल होते हैं।
प्रश्न 9: जंतुओं की गति के प्रकार क्या होते हैं और उनके लिए कौन-कौन से अंगों का उपयोग होता है?
उत्तर: जंतुओं में गति के विभिन्न प्रकार होते हैं और इसके लिए वे अपने शरीर के विभिन्न अंगों का उपयोग करते हैं:
- चलना (Walking): जैसे बकरी, जो अपने पैरों का उपयोग करती है।
- उड़ना (Flying): जैसे कबूतर, जो अपने पंखों का उपयोग करता है।
- तैरना (Swimming): जैसे मछली, जो अपने पंखों (fins) का उपयोग करती है।
- रेंगना (Crawling): जैसे कीट, जो अपने पैरों का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 10: पौधों की विविधता में पत्तियों के वशरा-विन्यास और तनों की विशेषताओं का क्या योगदान है?
उत्तर: पौधों की विविधता को समझने के लिए पत्तियों के वशरा-विन्यास और तनों की विशेषताएं महत्वपूर्ण हैं। विभिन्न प्रकार के वशरा-विन्यास पौधों की पहचान और उनके समूह बनाने में सहायता करते हैं। इसी प्रकार, तनों की कठोरता, रंग, और मोटाई के आधार पर पौधों के समूह बनाए जाते हैं।
प्रश्न 11: प्रकृति की सैर के दौरान छात्रों ने कौन-कौन सी गतिविधियाँ कीं?
उत्तर: प्रकृति की सैर के दौरान छात्रों ने विभिन्न प्रकार के पौधों और जंतुओं का अवलोकन किया। उन्होंने पत्तियों की आकृतियाँ, जड़ों के प्रकार, और तनों की विशेषताओं को देखा और समझा। इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न पक्षियों की आवाजों को सुना और उनकी नकल करने का प्रयास किया।
प्रश्न 12: पौधों के समूह कैसे बनाए जाते हैं?
उत्तर: पौधों के समूह उनके तने की प्रकृति, ऊँचाई, पत्तियों के वशरा-विन्यास और जड़ों के प्रकार के आधार पर बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, जिन पौधों के तने कठोर और ऊँचे होते हैं, उन्हें वृक्ष कहा जाता है, जबकि कोमल तने वाले पौधों को शाक कहा जाता है।
प्रश्न 13: मरुस्थलीय पौधों और जंतुओं में क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर: मरुस्थलीय पौधों में मोटे और मांसल तने होते हैं जो जल को संग्रहीत कर सकते हैं। मरुस्थलीय जंतुओं, जैसे ऊँट, में लंबी गर्दन और पैर होते हैं जो उन्हें गरम रेत में चलने में सहायता करते हैं। इसके अलावा, इनका शरीर कम पसीना छोड़ता है जिससे वे जल की कमी में भी जीवित रह सकते हैं।
प्रश्न 14: जंतुओं के समूह कैसे बनाए जा सकते हैं?
उत्तर: जंतुओं के समूह उनकी गमन विधि, आकार, रहने के स्थान, और भोजन की आदतों के आधार पर बनाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, तैरने वाले जंतु, उड़ने वाले जंतु, और जमीन पर चलने वाले जंतुओं को अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जा सकता है।
प्रश्न 15: पत्तियों में वशरा-विन्यास के प्रकार और उनकी पहचान कैसे की जा सकती है?
उत्तर: पत्तियों में वशरा-विन्यास के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
- जालकारूपी वशरा-विन्यास: इसमें पत्तियों की नसें जाल की तरह फैली होती हैं। जैसे – गड़ुहल की पत्तियाँ।
- समांतर वशरा-विन्यास: इसमें पत्तियों की नसें समांतर रूप से फैली होती हैं। जैसे – घास और केले की पत्तियाँ।
प्रश्न 16: पौधों और जंतुओं की जैव विविधता का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर: पौधों और जंतुओं की जैव विविधता का संरक्षण आवश्यक है क्योंकि यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैव विविधता विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के बीच सहयोग और सह-अस्तित्व को सुनिश्चित करती है, जिससे पृथ्वी पर जीवन बना रहता है।
प्रश्न 17: मूसला जड़ और झकड़ा जड़ में क्या अंतर होता है?
उत्तर:
- मूसला जड़: इसमें एक मुख्य जड़ होती है, जो गहरी और मोटी होती है। मुख्य जड़ से कई छोटी जड़ें निकलती हैं। उदाहरण – सरसों।
- झकड़ा जड़: इसमें कई समान मोटाई की जड़ें होती हैं, जो गुच्छों में एकत्र होती हैं। ये जड़ें तने के आधार से निकलती हैं। उदाहरण – घास।
प्रश्न 18: मरुस्थलीय ऊँट के कूबड़ का क्या महत्व है?
उत्तर: मरुस्थलीय ऊँट के कूबड़ में वसा संग्रहीत होती है, जो भोजन की कमी के समय में ऊँट को जीवित रहने में सहायता करती है। कूबड़ में संग्रहीत वसा ऊर्जा के रूप में ऊँट के शरीर में उपयोग की जाती है, जिससे ऊँट को लंबे समय तक बिना भोजन और पानी के जीवित रहने में मदद मिलती है।
प्रश्न 19: जीव-जंतुओं की विविधता उनके आवास के अनुसार कैसे बदलती है?
उत्तर: जीव-जंतु अपने आवास की पर्यावरणीय स्थितियों के अनुसार अनुकूलित होते हैं। उदाहरण के लिए, मरुस्थलीय क्षेत्र के जंतु, जैसे ऊँट, में जल संचय करने की क्षमता होती है, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों के जंतुओं के शरीर में बर्फ और ठंड को सहने के लिए विशेष संरचनाएँ होती हैं।
प्रश्न 20: विभिन्न परितंत्रों में पाए जाने वाले पौधे और जंतु किस प्रकार एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं?
उत्तर: विभिन्न परितंत्रों में पौधे और जंतु एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। उदाहरण के लिए, वृक्ष पक्षियों और जानवरों को आश्रय और भोजन प्रदान करते हैं, जबकि जानवर बीजों का प्रसार करके वृक्षों की वृद्धि में सहायता करते हैं। इस प्रकार, वे एक-दूसरे के अस्तित्व के लिए आवश्यक होते हैं।
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