ताप एवं उसका मापन
लांबोक और उसकी बड़ी बहन फिबान
- स्थान: लांबोक और उसकी बड़ी बहन फिबान शिलांग में रहते हैं।
- घटना: एक दिन दोनों भाई-बहन विद्यालय से घर आते हैं और देखते हैं कि उनके माता-पिता काम पर गए हुए हैं।
- बीमारी का संकेत: लांबोक अपनी बहन से कहता है कि उसे ज्वर का आभास हो रहा है।
- ताप मापन: फिबान लांबोक का माथा छूकर जाँच करती है और उसे लगता है कि लांबोक को ज्वर हो सकता है। इसके पश्चात वह अलमारी से तापमापी (थर्मामीटर) निकालती है।
- ताप मापन विधि: फिबान तापमापी का अग्रभाग (टिप) साबुन और जल से धोकर लांबोक का ताप मापती है।
- परिणाम: तापमापी का परिणाम देखकर उसे राहत मिलती है कि लांबोक का शरीर ताप सामान्य है।
- तापमापी को पुनः व्यवस्थित करना: फिबान तापमापी का अग्रभाग फिर से धोकर उसे सही स्थान पर वापस रख देती है।
- परामर्श: फिबान अपने भाई को विद्यालय की वर्दी बदलकर भोजन करने और कुछ समय आराम करने की सलाह देती है।
गरम या ठंडा? - अनुभव: हम अपने अनुभव से जानते हैं कि कुछ वस्तुएं अन्य वस्तुओं की तुलना में अधिक गरम या ठंडी होती हैं।
- उदाहरण: ग्रीष्मकाल में नल का जल मटके के जल की अपेक्षा अधिक गरम होता है।
- स्पर्श इंद्रिय: स्पर्श इंद्रिय से हमें गरम या ठंडे का आभास होता है, लेकिन क्या यह हमेशा सही होता है? इसे जाँचने की आवश्यकता है।
क्रियाकलाप 7.1— गरम और ठंडा का अनुभव
- तैयारी: तीन बड़े पात्र लीजिए और उन्हें ‘क’, ‘ख’, और ‘ग’ नाम दीजिए।
- जल की स्थिति: पात्र ‘क’ में गरम जल, पात्र ‘ख’ में नल का जल, और पात्र ‘ग’ में बर्फ डालकर ठंडा किया गया जल रखें।
- प्रारंभिक अनुमान: पहले अनुमान लगाएँ कि यदि आप अपना दाहिना हाथ गरम जल (पात्र ‘क’) और बायाँ हाथ ठंडे जल (पात्र ‘ग’) में डालेंगे और फिर दोनों हाथ एक साथ नल के जल (पात्र ‘ख’) में डालेंगे, तो क्या अनुभव होगा।
- परिणाम और तुलना: यह जाँचने के बाद देखें कि आपके अनुभव और प्रारंभिक अनुमान में क्या समानता या अंतर है।
ताप और उसका मापन
- परिचय: किसी वस्तु की गरमाहट या ठंडक का विश्वसनीय माप उस वस्तु का ताप है। ताप मापन के लिए तापमापी (थर्मामीटर) का उपयोग किया जाता है।
- प्रकार: तापमापी के दो प्रकार होते हैं—ज्वरमापी (डॉक्टरी थर्मामीटर) और प्रयोगशाला तापमापी।
- डॉक्टरी थर्मामीटर: यह मानव शरीर के ताप को मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
डॉक्टरी थर्मामीटर का उपयोग
- ताप मापन की विधि:
- थर्मामीटर का अग्रभाग साबुन और जल से धोएं।
- थर्मामीटर को रीसेट बटन दबाकर पुनः स्थापित करें।
- थर्मामीटर को जीभ के नीचे रखें और बीप ध्वनि आने तक प्रतीक्षा करें।
- थर्मामीटर को निकालकर अंकीय ताप मापन देखें।
- ताप मापने के बाद थर्मामीटर का अग्रभाग पुनः धोकर साफ करें।
- सावधानियाँ:
- तापमापी का उपयोग उसके निर्देशानुसार ही करें।
- थर्मामीटर के अग्रभाग को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
- थर्मामीटर को पकड़ते समय उसके अग्रभाग को नहीं पकड़ना चाहिए।
ताप मापक्रम
- मापक्रम: सामान्यतः ताप मापने के लिए सेल्सियस, फारेनहाइट, और केल्विन मापक्रम का उपयोग किया जाता है।
- परिवर्तन: सेल्सियस को केल्विन में बदलने के लिए—केल्विन स्केल पर तापमान = सेल्सियस स्केल पर तापमान + 273.15
- मात्रक:
- ताप का SI मात्रक केल्विन है।
- ताप मात्रकों के नाम सेल्सियस, फारेनहाइट, और केल्विन उनके वैज्ञानिकों के नाम पर रखे गए हैं।
ताप का वैज्ञानिक मापन
- विविध मापक्रम: ताप का मापन करने के लिए विभिन्न मापक्रमों का उपयोग होता है जैसे कि सेल्सियस, फारेनहाइट, और केल्विन।
- विषय में और भी जानें: ताप मापक्रमों को वैज्ञानिकों के नाम पर रखा गया है, जैसे—सेल्सियस, फारेनहाइट, और केल्विन।
प्रयोगशाला तापमापी
परिचय:
- प्रयोगशाला तापमापी का स्वरूप: यह एक काँच की बंद मुँह वाली लंबी, संकरी, और एकसमान व्यास की नली होती है। इस नली के एक सिरे पर बल्ब होता है जिसमें द्रव भरा होता है। ताप में परिवर्तन के साथ द्रव स्तंभ नली में बढ़ता या घटता है।
- स्केल: नली के साथ-साथ सेल्सियस स्केल अंकित होता है। ताप मापन के लिए द्रव स्तंभ का शीर्षस्तर और स्केल का मेल देखा जाता है।
प्रयोगशाला तापमापी का द्रव:
- प्रयोगशाला तापमापी में प्रयुक्त द्रव: प्रयोगशाला तापमापी में सामान्यतः एल्कोहल (लाल रंग से मिश्रित) या पारा (मर्करी) होता है।
- द्रव का चयन: यह द्रव ताप में परिवर्तन के साथ अपना आकार बदलता है, जिससे ताप मापने में मदद मिलती है।
क्रियाकलाप 7.3— अवलोकन:
- ताप-परिसर ज्ञात करना: प्रयोगशाला तापमापी का न्यूनतम और अधिकतम ताप मापने की क्षमता को समझा जाता है। उदाहरण के लिए, एक तापमापी का परिसर -10 °C से 110 °C हो सकता है।
प्रयोगशाला तापमापी से मापन की विधि:
- अवलोकन और परिकलन: दो बड़े चिह्नों के मध्य तापांतर और छोटे भागों की संख्या का अवलोकन करके तापमापी के छोटे भाग का मान ज्ञात किया जाता है। यह तापमापी का अल्पतम ताप मापने की क्षमता निर्धारित करता है।
- उपयोग में सावधानियाँ: प्रयोगशाला तापमापी का उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि यह टूट न जाए। इसे बल्ब से नहीं पकड़ा जाना चाहिए।
ताप मापने की सही विधि:
- मापन की स्थिति: जब तापमापी जल में डुबोई जाती है, तो इसका बल्ब बीकर की तली या दीवारों को स्पर्श नहीं करना चाहिए और इसे उर्ध्वाधर रखा जाना चाहिए।
- ताप मापने का समय: ताप मापने के लिए तब तक प्रतीक्षा की जानी चाहिए जब तक कि द्रव स्तंभ चढ़ना बंद न हो जाए।
क्रियाकलाप 7.5— माप करना:
- माप विधि: प्रयोगशाला तापमापी को गुनगुने जल में डुबोया जाता है और द्रव स्तंभ का स्तर देखा जाता है। जल का ताप मापने के बाद तापमापी को जल से बाहर निकालते ही द्रव स्तंभ का स्तर गिरने लगता है।
- मापन की शुद्धता: तापमापी का पाठ्यांक तभी नोट करना चाहिए जब बल्ब जल में डूबा हो।
क्रियाकलाप 7.6— तुलनात्मक अध्ययन:
- ताप तुलना: विभिन्न विद्यार्थियों द्वारा लिए गए उबलते जल के ताप के पाठ्यांकों की तुलना की जाती है। इसके बाद यह देखा जाता है कि ताप मापने की विधि में अंतर होने से मापन में भी अंतर आ सकता है।
वायु का ताप
परिचय:
- कक्ष-तापमापी: ये तापमापी कक्ष के ताप का मापन करते हैं और सामान्यतः विद्यालय की प्रयोगशालाओं, चिकित्सकों के क्लीनिक, और अस्पतालों में लगाए जाते हैं।
मौसम पूर्वानुमान:
- वायु ताप का मापन: प्रत्येक दिन के अधिकतम और न्यूनतम वायु ताप की जानकारी मौसम पूर्वानुमान में दी जाती है।
क्रियाकलाप 7.7— विश्लेषण:
- ताप विश्लेषण: दस दिनों तक किसी स्थान के वायु तापमान का विश्लेषण किया जाता है, जिसमें अधिकतम और न्यूनतम तापमान की तुलना की जाती है।
अन्ना मणि की जानकारी:
- भारतीय वैज्ञानिक: अन्ना मणि एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक थीं जिन्हें ‘भारत की मौसम विदुषी’ कहा जाता है। उन्होंने मौसम-मापन उपकरणों का आविष्कार और निर्माण किया, जिससे भारत की अन्य राष्ट्रों पर निर्भरता कम हुई।
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