जल की विविध अवस्थाओं की यात्रा
ग्रीष्मकाल की दोपहर में आवी और थिरव का अनुभव
- शिकंजी का आनंद: ग्रीष्मकाल की दोपहर में आवी और थिरव शिकंजी का आनंद ले रहे थे, जिसमें बर्फ मिली हुई थी। बर्फ देखकर थिरव के मन में जल और बर्फ की प्रकृति के बारे में विचार आने लगे।
- बर्फ और जल की तुलना: थिरव सोचने लगा कि बर्फ और जल एक ही पदार्थ के दो रूप हैं। वह बर्फ को ठोस मानता है और इसे हाथों से पकड़ सकता है, जबकि जल को इस तरह नहीं पकड़ा जा सकता। इस विचार के अनुसार, ये दोनों अलग-अलग पदार्थ हैं।
- आवी का दृष्टिकोण: आवी के विचार थिरव से अलग थे। उसने थिरव से यह जानना चाहा कि क्या जल और बर्फ वास्तव में अलग-अलग पदार्थ हैं, या वे एक ही पदार्थ के रूप हैं।
जल की विविध अवस्थाओं की यात्रा
- क्रियाकलाप 8.1 – बर्फ का अवलोकन: एक क्रियाकलाप के दौरान, कप में बर्फ का टुकड़ा रखा गया और देखा गया कि बर्फ धीरे-धीरे जल में परिवर्तित हो गई। इससे यह निष्कर्ष निकला कि बर्फ और जल एक ही पदार्थ के दो रूप हैं, जिन्हें अवस्थाएँ कहा जाता है। जल बहता है जबकि बर्फ नहीं, यह उनके व्यवहार में अंतर है।
जल के वाष्पीकरण की प्रक्रिया
- क्रियाकलाप 8.2 – जल का विलुप्त होना: एक सुबह, आवी और थिरव ने देखा कि विद्यालय के खेल मैदान में गड्ढों में भरा हुआ जल शाम तक कम हो गया। उन्होंने इस पर विचार किया कि जल कहाँ गया। जल वाष्प में परिवर्तित होकर विलुप्त हो गया।
- जल वाष्प और वाष्पीकरण: जब जल गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है, तो उसे जल वाष्प कहते हैं। यह प्रक्रिया सामान्य तापमान पर भी लगातार होती रहती है।
उदाहरण – वाष्पीकरण के अन्य रूप
- डोसा बनाते समय: जब डोसा बनाने के दौरान तवे पर जल छिड़का जाता है, तो वह भाप में बदल जाता है। यह भाप वास्तव में जल वाष्प है।
- अन्य उदाहरण: गीले कपड़े, पोंछा लगे फर्श और शरीर के पसीने का सूखना वाष्पीकरण के अन्य उदाहरण हैं।
एक और रहस्य
- शिकंजी बनाने का निर्णय: अगले दिन आवी, थिरव, और उनके मित्रों ने शिकंजी बनाने का फैसला किया। उन्होंने काँच के गिलास में ठंडा जल और बर्फ के टुकड़े डाले। कुछ समय बाद, उन्होंने गिलास की बाहरी सतह पर कुछ अजीब देखा।
क्रियाकलाप 8.3 – काँच के गिलास का अवलोकन:
- एक काँच के गिलास में ठंडा जल लें और उसमें बर्फ के टुकड़े डालें।
- इसे पाँच मिनट तक बिना हिलाए-डुलाए रखें और इसका अवलोकन करें।
- गिलास की बाहरी सतह पर जल की बूँदें दिखाई देंगी, जो प्रारंभ में छोटी होती हैं और फिर बड़ी बूँदों में परिवर्तित हो जाती हैं।
क्रियाकलाप 8.4 – मापन और विश्लेषण
अवलोकन और मापन:
- ठंडे जल और बर्फ से भरे काँच के गिलास को तौलें और हर पाँच मिनट पर तराजू की रीडिंग लें।
- 30 मिनट तक के आँकड़े एकत्रित करें और तालिका 8.2 में अंकित करें।
- यदि डिजिटल तराजू की रीडिंग बढ़ती है, तो यह जल वाष्प के संघनन का संकेत हो सकता है।
संघनन की पुष्टि:
- गिलास की सतह पर जल की बूँदों का बनना संघनन के कारण हो सकता है, न कि जल के रिसाव के कारण।
संशोधन और निष्कर्ष:
- गिलास पर जल के स्तर को चिह्नित करें और देखें कि क्या जल का स्तर घट रहा है। यदि जल का स्तर समान रहता है, तो यह साबित होता है कि जल रिसाव नहीं हो रहा है और गिलास की बाहरी सतह पर जल संघनन के कारण जमा हो रहा है।
जल की विभिन्न अवस्थाएँ
- जल की अवस्थाएँ:जल तीन प्रमुख अवस्थाओं में पाया जाता है: ठोस, द्रव, और गैस। ठोस अवस्था में जल बर्फ के रूप में होता है, द्रव अवस्था में यह पानी कहलाता है, और गैसीय अवस्था में इसे जल वाष्प कहा जाता है।
जल की अवस्थाओं में परिवर्तन:
- ठोस से द्रव में: बर्फ को गर्म करने पर यह पिघलकर पानी (द्रव) में बदल जाती है।
- द्रव से गैस में: पानी को और गर्म करने पर यह जल वाष्प (गैस) में परिवर्तित हो जाता है
क्रियाकलाप 8.5 – जल की विभिन्न अवस्थाओं की पहचान
बर्फ का परीक्षण:
- एक पात्र में बर्फ का टुकड़ा डालकर उसे एक अन्य आकार के पात्र में स्थानांतरित करें। बर्फ का आकार नहीं बदलता है।
जल का परीक्षण:
- पानी को एक पात्र से दूसरे में डालें। पानी अपने नए पात्र का आकार ले लेता है और उसमें बहने की क्षमता होती है।
जल वाष्प का परीक्षण:
- जल वाष्प फैलकर समस्त उपलब्ध स्थान में फैल जाती है और यह दिखने में अदृश्य रहती है।
जल की अवस्थाओं के गुण
ठोस अवस्था (बर्फ):
- आकार: अपना आकार बनाए रखती है, चाहे किसी भी पात्र में रखी जाए।
- बहने की क्षमता: बर्फ नहीं बहती।
- फैलने की क्षमता: बर्फ फैलती नहीं है।
द्रव अवस्था (जल):
- आकार: जिस पात्र में रखी जाती है, उसका आकार ले लेती है।
- बहने की क्षमता: पानी बहता है।
- फैलने की क्षमता: पानी में फैलने की क्षमता होती है।
गैसीय अवस्था (जल वाष्प):
- आकार: निश्चित आकार नहीं होता, यह समस्त उपलब्ध स्थान में फैल जाती है।
- बहने की क्षमता: जल वाष्प फैल जाती है।
- फैलने की क्षमता: जल वाष्प समस्त स्थान में फैलने की क्षमता रखती है।
अन्य उदाहरण
ठोस से द्रव में परिवर्तन:
- जैसे बर्फ से पानी, मोमबत्ती का मोम, और शीतकाल में नारियल तेल का ठोस में बदलना।
द्रव से ठोस में परिवर्तन:
- जैसे पानी का बर्फ में बदलना, मोम का ठंडा होकर ठोस में परिवर्तित होना।
क्रियाकलाप 8.6 – जल की अवस्थाओं के संबंध की जाँच
अवस्थाओं के बीच संबंध:
- जल के ठोस, द्रव, और गैसीय अवस्थाओं के बीच संबंध को समझने के लिए, बॉक्स में दिए गए शब्दों का उपयोग करके विभिन्न अवस्थाओं का चित्रण करें। उदाहरण के लिए, बर्फ से पानी और पानी से जल वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रियाएँ।
जल को तीव्र या धीमी गति से कैसे वाष्पित किया जा सकता है?
वाष्पीकरण का परिचय:
- वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें जल द्रव अवस्था से गैसीय अवस्था में परिवर्तित होता है। इस प्रक्रिया की तीव्रता को विभिन्न परिस्थितियों द्वारा प्रभावित किया जा सकता है।
वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाली परिस्थितियाँ:
- गरम और ठंडे दिन: गरम दिन में वाष्पीकरण तेज होता है, जबकि ठंडे दिन में वाष्पीकरण की गति धीमी होती है।
- हवा की तीव्रता: तेज हवा वाले दिनों में वाष्पीकरण की गति बढ़ जाती है।
- पानी का अनावृत क्षेत्र: अधिक क्षेत्रफल वाला जल तेजी से वाष्पित होता है।
क्रियाकलाप 8.7 – जल के वाष्पीकरण की तीव्रता का अन्वेषण
क्रियाकलाप का विवरण:
- एक छोटी बोतल के ढक्कन में और एक प्लेट में समान मात्रा में जल लें।
- दोनों को समान परिस्थितियों में रखें और यह देखे कि किसमें जल तेजी से वाष्पित होता है।
- परिणाम: प्लेट में जल तेजी से वाष्पित होगा क्योंकि इसका अनावृत क्षेत्र अधिक है।
वाष्पीकरण की तीव्रता को प्रभावित करने वाली अन्य परिस्थितियाँ
परिवर्तित और समान स्थितियाँ:
- विभिन्न परिस्थितियों का परीक्षण करें, जैसे जल को धूप में या छाया में रखना, हवा के तीव्रता के साथ वाष्पीकरण की गति की जाँच करना।
- तालिका 8.5 में अपने अवलोकनों और निष्कर्षों को अंकित करें।
क्रियाकलाप 8.8 – सूर्य और छाया में जल का वाष्पीकरण
क्रियाकलाप का विवरण:
- दो समान बोतलों के ढक्कनों में समान मात्रा में जल रखें।
- एक ढक्कन को सूर्य के प्रकाश में और दूसरे को छाया में रखें।
- प्रत्येक 15 मिनट पर जल के वाष्पीकरण की गति का अवलोकन करें
निष्कर्ष:
- सूर्य के प्रकाश में रखा जल अधिक तेजी से वाष्पित होता है।
- तेज हवा वाले दिनों में वाष्पीकरण की गति बढ़ जाती है, जबकि बरसात के दिनों में वाष्पीकरण धीमा हो जाता है क्योंकि वायुमंडल में पहले से ही अधिक आर्द्रता होती है।
वाष्पीकरण की तीव्रता बढ़ाने के तरीके
जल्दी कपड़े सुखाने के उपाय:
- कपड़ों को तेज धूप या तेज हवा में सुखाना।
- बरसात के दिनों में कपड़ों को हवा की तीव्रता वाली जगह पर रखना ताकि वे तेजी से सूख सकें।
शीतलन प्रभाव
मिट्टी के मटके में जल का ठंडा होना:
- आवी ने देखा कि मिट्टी के मटके में रखा जल ठंडा रहता है, जबकि स्टेनलेस स्टील के बर्तन में जल ठंडा नहीं होता। इसका कारण यह है कि मिट्टी का मटका जल को वाष्पित करता है, जिससे शीतलन प्रभाव उत्पन्न होता है। वाष्पीकरण के कारण जल की ऊष्मा बाहर निकल जाती है, जिससे पानी ठंडा हो जाता है।
शीतलन प्रभाव के अन्य उदाहरण:
- ग्रीष्मकाल में फर्श और छत पर जल का छिड़काव: यह भी शीतलन प्रभाव का एक उदाहरण है, जहां वाष्पीकरण के कारण सतह ठंडी हो जाती है।
- सैनिटाइजर का उपयोग: हाथों पर सैनिटाइजर लगाने पर भी ठंडक महसूस होती है, क्योंकि सैनिटाइजर का वाष्पीकरण होता है, जो शीतलन प्रभाव उत्पन्न करता है।
क्रियाकलाप 8.9 – मिट्टी के गमलों से कूलर बनाना
मिट्टी के गमलों से कूलर बनाने की प्रक्रिया:
- सामग्री: दो विभिन्न आकार के मिट्टी के गमले, रेत, जल, गीली जूट की बोरी।
- प्रक्रिया: बड़े गमले में रेत भरें, उसमें छोटे गमले को रखें, और दोनों के बीच में रेत डालें। रेत को गीला रखें और छोटे गमले को ढक्कन या गीली जूट की बोरी से ढक दें।
- अवलोकन: 4-5 घंटे बाद गमलों के अंदर ठंडक उत्पन्न होती है। गमलों में रखे फल और सब्जियाँ अधिक समय तक ताजा रहती हैं।
शीतलन प्रभाव के अन्य उदाहरण और अध्ययन
सराही का उपयोग:
- ग्रीष्मकाल में सराही का उपयोग जल को ठंडा रखने के लिए किया जाता है। यह भी शीतलन प्रभाव का एक उदाहरण है, जहां मिट्टी के बर्तन से जल का वाष्पीकरण होता है और जल ठंडा हो जाता है।
8.7 बादल कैसे वर्षा करते हैं?
संघनन की प्रक्रिया:
- वायुमंडल में जल वाष्प ठंडी होकर जल की छोटी बूँदों में परिवर्तित हो जाती है। ये बूँदें आपस में मिलकर बड़ी बूँदें बनाती हैं, जो बाद में वर्षा के रूप में धरती पर गिरती हैं।
वर्षा और अन्य रूप:
- विशेष परिस्थितियों में जल की बूँदें ओले या हिम के रूप में भी गिर सकती हैं।
क्रियाकलाप 8.10 – बादलों के निर्माण में धूल के कणों की भूमिका
प्रक्रिया:
- एक खाली बोतल में जल डालें, ढक्कन बंद करें और बोतल को बार-बार दबाएँ और छोड़ें। इसके बाद बोतल में जल के ऊपर धुंधला सा बादल बनेगा, जो जल वाष्प के संघनन से बनता है। धूल के छोटे कणों के चारों ओर जल वाष्प संघनित होती है, जिससे बादल का निर्माण होता है।
जल चक्र और संरक्षण
जल चक्र:
- जल महासागरों से वाष्पित होकर वायुमंडल में जाता है और फिर वर्षा, ओले या हिम के रूप में वापस पृथ्वी पर आता है। जल चक्र पृथ्वी पर जल का संतुलन बनाए रखता है।
जल संरक्षण की आवश्यकता:
- पृथ्वी पर उपलब्ध जल का एक छोटा सा भाग ही मनुष्यों के उपयोग के योग्य है। जल की बढ़ती माँग के कारण जल की कमी हो रही है, इसलिए जल का बुद्धिमानी से उपयोग करना आवश्यक है।
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