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विज्ञान Notes Science Class 6 Chapter 9 Jigyasa

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दैनिक जीवन में पृथक्करण विधियां

परिचय

  • मल्ली और वल्ली गरमी की छुट्टियों को लेकर उत्साहित हैं।
  • माता-पिता ने भारत के विभिन्न भागों में रह रहे मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने की योजना बनाई है।
  • हरियाणा में नानी जी का घर पहला पड़ाव है।
  • अनाजों को साफ करने की प्रक्रिया को देखकर बच्चों की जिज्ञासा बढ़ती है।

अनाज की सफाई प्रक्रिया (हस्त चयन)

  • अनाजों में से कंकड़ और भसूी निकालने की प्रक्रिया का परिचय।
  • मल्ली और वल्ली की नानी जी उन्हें समझाती हैं कि ये अनाज पकाने योग्य बनाने के लिए किया जाता है।
  • कबीर के दोहे द्वारा इस प्रक्रिया का महत्व समझाया गया है।
  • चित्रात्मक विवरण: चित्र 9.1 और चित्र 9.2

अनाज से दाने अलग करना (थ्रेशिंग)

  • गेहूँ के पलूों से दाने अलग करने की प्रक्रिया को मामा जी द्वारा समझाया गया।
  • किसान द्वारा पलूों को पीटकर दाने अलग किए जाते हैं।
  • इस प्रक्रिया को थ्रेशिंग कहा जाता है।

ओसाई (विनोइग)

  • हवा द्वारा भारी और हल्के अवयवों को अलग करने की विधि।
  • गेहूँ के दानों और भसूी को अलग करने के लिए इस प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है।
  • तकनीकी विकास के परिणामस्वरूप थ्रेशर मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा है।

चालन और निस्यंदन (फिल्ट्रेशन)

  • आटे में से चोकर और कंकड़ निकालने के लिए चालनी का प्रयोग।
  • चाय से चाय की पत्त‍ियाँ अलग करने की प्रक्रिया निस्यंदन द्वारा।
  • निस्तारण और अवसादन विधियों के साथ निस्यंदन की तुलना।

नमक का उत्पादन (वाष्पीकरण विधि)

  • समुद्र के जल से नमक प्राप्त करने की प्रक्रिया।
  • वाष्पीकरण से जल सूखकर नमक शेष रह जाता है।
  • क्रियाकलाप 9.2 के माध्यम से नमक के विलयन से नमक अलग करने का तरीका समझाया गया है।

मिश्रणों से अवयवों को अलग करने की अन्य विधियाँ

  • ठोस और द्रव मिश्रण से अवयवों को अलग करने के विभिन्न तरीके।
  • मथना, चुंबकीय पृथक्करण, और फिल्टर-पत्र के प्रयोग का विवरण।
  • रसोई में प्रयोग होने वाले उपकरणों के उदाहरण।

व्यावहारिक गतिविधियाँ और पर्यावरण संरक्षण

  • मल्ली और वल्ली की यात्रा के दौरान सीखी गई विभिन्न विधियों का उपयोग।
  • क्रियाकलाप 9.6 द्वारा पृथक्करण की प्रक्रियाओं को खेल के रूप में समझाने का प्रयास।
  • पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण से संबंधित जागरूकता बढ़ाने के लिए कविता की रचना।

क्रियाकलाप 9.1—मँगफूली से छिलके अलग करना

  • मँगफूली के दानों को हथेलियों के बीच रगड़ने से छिलके अलग हो जाते हैं।
  • मँगफूली के छिलकों को हवा में उड़ाकर भारी और हल्के भागों को अलग करने की विधि दिखाई गई।
  • किसान भी इसी प्रकार भूसों को अनाज से अलग करने के लिए पारंपरिक तरीके जैसे सूप का उपयोग करते हैं।

ओसाई (विनोइंग) विधि

  • ओसाई या विनोइंग प्रक्रिया द्वारा भारी और हल्के अवयवों को हवा की दिशा में उड़ाकर अलग किया जाता है।
  • किसान इस विधि का उपयोग गेहूँ के दाने और भूसों को अलग करने के लिए करते हैं।
  • चित्र 9.4 के माध्यम से दिखाया गया है कि हवा किस प्रकार अनाज और भूसों को अलग करती है।

चालन (सिफ्टिंग) विधि

  • आटे से चोकर और छोटे कंकड़ों को चालनी द्वारा अलग किया जाता है।
  • चालनी के छिद्रों के आकार के अनुसार बड़े कण चालनी में रह जाते हैं और बारीक कण नीचे गिर जाते हैं।
  • चालन की विधि का उपयोग तब किया जाता है जब ठोसों के मिश्रण में कणों का आकार भिन्न होता है।

नमक का उत्पादन (वाष्पीकरण विधि)

  • नमक समुद्र के जल से प्राप्त होता है, जिसे उथले गड्ढों में रखकर वाष्पीकरण की प्रक्रिया द्वारा निकाला जाता है।
  • समुद्री जल के वाष्पीकरण के बाद ठोस नमक शेष रह जाता है, जिसे शोधित कर साधारण नमक प्राप्त किया जाता है।
  • साबरमती आश्रम में दांडी यात्रा के संदर्भ में नमक उत्पादन की जानकारी दी गई है।

अन्य विधियाँ और उदाहरण

  • वल्ली द्वारा चावल से भूसी अलग करने के प्रयास को समझाया गया है।
  • रेत से कंकड़ और पत्थर अलग करने के लिए चालनी का उपयोग उदाहरण के रूप में दिया गया है।
  • यह समझाया गया है कि तकनीकी विकास के कारण थ्रेशर मशीनें भी अब थ्रेशिंग और विनोइंग दोनों कार्य एक साथ करती हैं।

क्रियाकलाप 9.2—अवलोकन और रचनात्मकता

प्रारंभिक तैयारी:

  • एक कटोरी या पात्र को आधा जल से भरें।
  • उसमें दो से तीन चम्मच नमक डालें और अच्छी तरह हिलाएं जब तक कि नमक घुलकर विलयन न बन जाए।

प्रयोग:

  • एक काले या गहरे रंग का मोटा कागज का टुकड़ा लें।
  • उस कागज पर नमक के विलयन की कुछ बूंदें डालें (चित्र 9.7 क)।
  • इस प्रयोग से आप कागज पर अपने पसंद की कोई भी कलाकृति बना सकते हैं।

परिणाम:

  • विलयन सूखने के बाद कागज पर धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
  • कागज पर क्या बचा है? इसे छूकर आप नमक की उपस्थिति महसूस कर सकते हैं।
  • यह जांचने का प्रयास करें कि पानी कहाँ लुप्त हो गया है।
  • इस क्रियाकलाप से यह समझाने का प्रयास किया गया है कि जल की वाष्पीकरण प्रक्रिया से पानी गायब हो जाता है और नमक शेष रह जाता है।

क्रियाकलाप 9.3—नमक के विलयन की जाँच

प्रारंभिक तैयारी:

  • एक चीनी मिट्टी की डिश में क्रियाकलाप 9.2 से तैयार किया गया नमक का विलयन लें।
  • यदि चीनी मिट्टी की डिश उपलब्ध नहीं है, तो किसी अन्य उपयुक्त पात्र का उपयोग किया जा सकता है।

प्रयोग:

  • विलयन को गरम करें और तब तक उबालें जब तक कि सारा जल उड़ न जाए (चित्र 9.8 में दिखाया गया है)।
  • चीनी मिट्टी की डिश को ठंडा होने दें।

परिणाम:

  • ठंडा होने के बाद, देखें कि डिश में क्या बचा है।
  • नमक की उपस्थिति को अपनी अंगुलियों से रगड़कर महसूस करें।

अवसादन और निस्तारण विधि

प्रस्तावना:

  • मल्ली और वल्ली अपने दादा-दादी जी से मिलने के लिए पुडुचेरी जाते हैं, जहाँ वे अपने पुराने पड़ोसी मित्र बालन से मिलते हैं।

प्रयोग:

  • चाय बनाने के दौरान दादा जी द्वारा चाय की पत्तियों को अलग करने के तरीके पर चर्चा की जाती है।
  • चाय के बर्तन को स्थिर छोड़ने और फिर धीरे-धीरे कप में डालने से चाय की पत्तियाँ नीचे बैठ जाती हैं।

परिणाम:

  • इस प्रक्रिया को अवसादन (सेडीमेंटेशन) कहते हैं, जबकि जल को तिरछा करके हटाने की प्रक्रिया निस्तारण (डीकेंटेशन) कहलाती है।
  • निस्तारण की प्रक्रिया से पूरी तरह से चाय की पत्तियाँ अलग नहीं होतीं, इसलिए इसे पूरी तरह उपयुक्त विधि नहीं कहा जा सकता।

क्रियाकलाप 9.4—निस्यंदन (फिल्ट्रेशन) का प्रयोग

शुरुआत:

फिल्टर-पत्र का निर्माण:

  • चित्र 9.10 के अनुसार एक फिल्टर-पत्र लें और उसे एक शंकु (कोन) के आकार में मोड़ें।
  • एक शंक्वाकार फ्लास्क पर रखी कीप (फनल) के अंदर इस शंकु को रखें।

प्रयोग:

मटमैले पानी का उपयोग:

  • कीप में मटमैला पानी डालें (चित्र 9.11)।
  • ध्यान दें कि पानी कीप से होकर शंक्वाकार फ्लास्क में नीचे एकत्रित हो जाएगा।

परिणाम:

अवलोकन:

  • देखिए कि क्या मिट्टी के कण फिल्टर-पत्र से होकर निकलते हैं या नहीं।
  • फिल्टर-पत्र पर मिट्टी के कण अवशेष के रूप में रह जाते हैं, जबकि शंक्वाकार फ्लास्क में निस्यंद के रूप में स्वच्छ जल एकत्रित होता है।

क्रियाकलाप 9.5—जल के निस्यंदन का मॉडल बनाना

प्रस्तावना:

  • वल्ली अपनी दादी जी के साथ प्रकृति की सैर पर जाती है और तालाब से थोड़ा जल एकत्रित करती है, जिसमें कुछ अवांछित पदार्थ पाए जाते हैं।
  • वल्ली कम लागत की सामग्रियों का उपयोग करके जल के निस्यंदन के लिए एक कार्यकारी मॉडल बनाने का प्रयास करती है।

मॉडल निर्माण:

  • जल में मौजूद अवांछित पदार्थों को हटाने के लिए एक सरल निस्यंदन मॉडल की योजना बनाई जाती है और इसका निर्माण किया जाता है।

नदी में मछली पकड़ने का अनुभव और निस्यंदन की विधि

प्रस्तावना:

  • मल्ली और वल्ली अपने दादा जी और उनके मित्र ओट्टुक्कम के साथ पास की नदी में नौका विहार के लिए जाते हैं।
  • ओट्टुक्कम मछुआरे हैं और वे मछली पकड़ने के लिए जाल का उपयोग करते हैं।

निस्यंदन की समानता:

  • वल्ली को मछली पकड़ने की विधि से निस्यंदन की प्रक्रिया का स्मरण होता है, जहां मछली जाल में फँस जाती हैं और पानी बाहर निकल जाता है।
  • वह समझती है कि मछली पकड़ने की यह विधि निस्यंदन की प्रक्रिया के समान है।

टी-बैग का निर्माण और विकास

टी-बैग का विकास:

  • पहले टी-बैग रेशम जैसे मुलायम कपड़ों से बनाए जाते थे, जो चाय की पत्तियों को रोकने और जल को आर-पार निकलने की क्षमता रखते थे।
  • बाद में, जाली या मलमल के कपड़े का उपयोग शुरू हुआ और अंततः, फिल्टर-पत्र का उपयोग होने लगा जिससे आजकल अधिकांश टी-बैग बनाए जाते हैं।

दही मथने की प्रक्रिया:

  • मल्ली और वल्ली जब भोपाल में मौसी के घर जाते हैं, तो एक ढाबे में छाछ पीते समय मथने की प्रक्रिया को चित्र के माध्यम से समझते हैं।
  • मथने से मक्खन और छाछ को अलग किया जाता है, जिसमें मक्खन हल्का होने के कारण ऊपर तैरता है जबकि छाछ नीचे रह जाती है।

चुंबकीय पृथक्करण:

  • शिलांग में वे एक बढ़ई को लकड़ी का द्वार बनाते देखते हैं, जिसके दौरान कुछ लोहे की कीलें लकड़ी के बुरादे में गिर जाती हैं।
  • वे चुंबक का उपयोग करके लोहे की कीलों को बुरादे से अलग करने की प्रक्रिया को देखते हैं। इस विधि को चुंबकीय पृथक्करण कहा जाता है।

प्रदूषण और पर्यावरण जागरूकता

प्रदूषण के मुद्दे:

  • वल्ली और मल्ली एक कविता के माध्यम से नदी और महासागरों में प्रदूषण के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
  • कविता में समुद्री जीवों को प्लास्टिक के कारण होने वाले नुकसान को दर्शाया गया है, जिससे पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

क्रियाकलाप 9.6—खेल-खेल में पृथक्करण विधियों का अभ्यास

प्रस्तावना:

  • यह क्रियाकलाप छात्रों को खेल-खेल में पदार्थों के पृथक्करण की विभिन्न विधियों को समझाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

वाक्यांशों की तैयारी:

कागज की छोटी पर्चियों पर निम्नलिखित वाक्यांश लिखें:

  • दालों से छोटे कंकड़ पथक करना।
  • दही मथकर मक्खन प्राप्त करना।
  • पके हुए दलिये या पोहे से हरी मिर्च निकालना।
  • तरबूज से बीज निकालना।
  • निर्माण सामग्री के मिश्रित ढेर से लकड़ी के बुरादे और लोहे की कीलों को पथक करना।
  • माला बनाने के लिए विभिन्न फूलों के ढेर में से गेंदे के फूल चुनना।
  • रेत से कंकड़ पथक करना।
  • चावल के आटे में से नारियल के टुकड़े पथक करना।
  • पानी से तेल पथक करना।
  • नमक के विलयन से नमक पथक करना।

विभिन्न विधियों का उपयोग:

  • आजकल पनुर्चक्रणकर्ता (रिसाइक्लर) अपशिष्ट के ढेर से लोहे की वस्तुओं को अलग करने के लिए विद्युत चुंबक का उपयोग करते हैं।
  • कई उद्योगों में अपशिष्ट सामग्री में लोहे की कतरनों को क्रेन में लगे चुंबक से अलग किया जाता है।
  • इन लोहे की कतरनों का पुनर्चक्रण करके उन्हें पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

टीम आधारित गतिविधि:

  • दो टोकरियाँ लें, प्रत्येक टोकरियाँ उन दो प्रयोजनों को प्रदर्शित करती हैं, जिनके लिए हम पदार्थों का पृथक्करण करते हैं।
  • छात्रों को दो दलों में विभाजित करें और देखें कि कौन-सा दल अधिकतम सही प्रविष्टियाँ प्रस्तुत करता है।

मुख्य शब्द:

  • मथना, अन्वेषण करना, चुंबकीय पृथक्करण, हस्त चयन, निस्यंदन, निष्कर्ष निकालना, जाँच करना, निस्तारण, वाष्पीकरण, मिश्रण, अवसादन, छानना, थ्रेशिंग, ओसाई, योजना बनाना, प्रयोग करना, अवलोकन।

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