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दीपकम् Class 7 Chapter 1 हिंदी में अनुवाद Deepakam Sanskrit NCERT

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वन्दे भारतमातरम्


19

पुत्र: माँ! हम विभिन्न कार्यक्रमों में, आकाशवाणी पर, और स्कूल में ‘वन्दे मातरम्’ गीत को कई जगह सुनते हैं। लेकिन इसका अर्थ नहीं जानते। माँ! इसका क्या अर्थ है?

पुत्री: यह गीत किसने लिखा, यह भी मेरी जिज्ञासा है।

माता: बच्चों! महान देशभक्त बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1882 में ‘आनंदमठ’ नामक उपन्यास लिखा था। ‘वन्दे मातरम्’ गीत उसी उपन्यास में है। ‘वन्दे मातरम्’ का अर्थ है कि ‘मैं माता की वंदना करता हूँ’।

हिंदी में अनुवाद

पुत्री: माँ! यह गीत किस भाषा में है?

माता: पुत्री! यह गीत संस्कृत और बांग्ला दोनों भाषाओं में है।

पुत्र: माँ! इस गीत में वर्णित विषय क्या है?

माता: पुत्र! इस गीत में भारत माता के स्वरूप का रमणीय वर्णन है।

21

हिंदी में अनुवाद

पुत्र: माँ! इस गीत की क्या विशेषता है?

माता: बच्चों! स्वतंत्रता आंदोलन में सभी देशभक्त इस गीत को मंत्र की तरह गाते थे। अब भी इस गीत को सुनकर और गाकर हम सभी भारतीय प्रेरित होते हैं।

पुत्री: माँ! ‘वन्दे मातरम्’ गीत का अर्थ और इतिहास कितना महान है, यह तो सचमुच है।

पुत्र: माँ! हम अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में भी कुछ जानना चाहते हैं।

माता: अच्छा, अब हम भारत माता और तिरंगे ध्वज के बारे में जानेंगे।


एषा अस्माकं वत्सला भारतमाता । अहो अस्माकं भारतमातुः माहात्म्यम् ! साक्षात् पर्वतराज हिमालयः मुकुटरूपेण अस्याः, मस्तके शोभते। अस्याः चरणौ प्रक्षालयति स्वयं रत्नाकरः समुद्रः । भारतभूमौ महेन्द्रः, मलयः, सह्यः, रैवतकः, विन्ध्यः, अरावलिः इत्यादयः श्रेष्ठाः पर्वताः विराजन्ते । अत्रैव गङ्गा, यमुना, सरस्वती, सिन्धुः ब्रह्मपुत्रः, गण्डकी, महानदी, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी इत्यादयः पवित्राः नद्यः प्रवहन्ति । नद्यः अपि अस्माकं मातरः इव ।

हिंदी में अनुवाद

यह हमारी स्नेहमयी भारत माता है। अहो, हमारी भारत माता की महिमा! साक्षात् पर्वतराज हिमालय मुकुट के रूप में इसके मस्तक पर शोभित है। इसके चरणों को स्वयं समुद्र स्नेहपूर्वक धोता है। भारत भूमि में महेंद्र, मलय, सह्याद्रि, रैवतक, विंध्य, अरावली इत्यादि श्रेष्ठ पर्वत शोभायमान हैं। इसमें गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, गंडकी, महानदी, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी इत्यादि पवित्र नदियाँ प्रवाहित होती हैं। नदियाँ भी हमारी माताओं के समान हैं।


अयोध्या, मथुरा, हरिद्वारम् काशी, काञ्ची, अवन्तिका, वैशाली, द्वारिका, पुरी, गया, प्रयागः, पाटलीपुत्रं विजयनगरम् इन्द्रप्रस्थ, सोमनाथः अमृतसरः इत्यादीनि मङ्गलानि तीर्थक्षेत्राणि नगराणि च भारतभूमौ एव सुशोभन्ते । एतेषां तीर्थक्षेत्राणां धूलिं ललाटे स्थापयितुं विविधेभ्यः प्रदेशेभ्यः असंख्याः जनाः आगच्छन्ति ।

हिंदी में अनुवाद

अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवंतिका, वैशाली, द्वारिका, पुरी, गया, प्रयाग, पाटलिपुत्र, विजयनगर, इंद्रप्रस्थ, सोमनाथ, अमृतसर इत्यादि मंगलमय तीर्थक्षेत्र और नगर भारत भूमि में ही सुशोभित हैं। इन तीर्थक्षेत्रों की धूल को माथे पर लगाने के लिए विदेशों और देशों से असंख्य लोग आते हैं।


भारतमातुः हस्ते विलसति

त्रिवर्णयुतः राष्ट्रध्वजः। अहो अस्य

शोभा ! अस्मिन् राष्ट्रध्वजे केशरः,

श्वेतः, हरितः च वर्णाः विराजन्ते ।

ध्वजस्य मध्ये सुन्दरं नीलवर्णं चक्रमपि

शोभते । ध्वजे विराजमानाः वर्णाः

चक्रं च विशिष्टं सन्देशं प्रयच्छन्ति ।

हिंदी में अनुवाद

भारत माता के हाथ में तिरंगे युक्त राष्ट्रीय ध्वज शोभित है। अहो, इसकी शोभा! हमारे राष्ट्रीय ध्वज में केसरिया, श्वेत, और हरित रंग शोभायमान हैं। ध्वज के मध्य में सुंदर गहरे नीले रंग का चक्र भी शोभित है। ध्वज में शोभायमान रंग और चक्र विशेष संदेश देते हैं।


 

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त्रिवर्णध्वजस्य ऊर्ध्वभागे विराजते

केशरवर्णः। एषः वर्णः त्यागपरम्परायाः

शौर्यपरम्परायाः च सूचकः अस्ति।

ये भारतमातुः आजीवनं सेवां कृतवन्तः,

देशस्य स्वतन्त्रतां प्राप्तुं सहर्षं स्वप्राणान्

अर्पितवन्तः च, तेषां वीराणां बलिदानं

सूचयति एषः वर्णः । ‘जयतु सैनिकः ‘

इति वक्तुम् अस्मान् प्रेरयति ध्वजस्थित:

अयं केशरवर्णः ।

हिंदी में अनुवाद

तिरंगे ध्वज के ऊपरी भाग में केसरिया रंग शोभित है। यह रंग त्यागपरायणता और शौर्यपरायणता का सूचक है। जो लोग भारत माता की आजीवन सेवा करते रहे और देश की स्वतंत्रता के लिए सहर्ष अपने प्राण अर्पित किए, उन वीरों के बलिदान को यह रंग दर्शाता है। जय हो सैनिक की! इस प्रकार कहने के लिए यह केसरिया रंग ध्वज में प्रेरित करता है।


कृषकबान्धवाः अस्माकं भारतभूमिं सर्वदा स्व-स्वेदबिन्दुभिः सिञ्चन्ति । एतेषां परिश्रमेण एव भारतभूमिः हरितवर्णमयी समृद्धा सस्यश्यामला च सञ्जाता। भारतमातुः समृद्धेः एषा आभा हरितवर्णरूपेण अस्माकं राष्ट्रध्वजे विराजते । ‘जयतु कृषकः’ इति वक्तुम् अस्मान् प्रेरयति ध्वजस्थितः एषः हरितवर्णः ।

हिंदी में अनुवाद

हमारे भारत भूमि के किसान भाई हमेशा अपने पसीने की बूंदों से इसे सींचते हैं। उनके परिश्रम से ही भारत भूमि हरित रंगमयी, समृद्ध, और फसलों से युक्त सुसज्जित हुई है। भारत माता की समृद्धि की यह आभा हरित रंग के रूप में हमारे राष्ट्रीय ध्वज में शोभित है। ‘जय हो किसान की!’ यह कहने के लिए ध्वज में यह हरित रंग प्रेरित करता है।


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मध्ये स्थितः श्वेतवर्णः शान्तेः सत्यस्य च द्योतकः अस्ति । अणुशास्त्रे, सङ्गणकशास्त्रे, चिकित्साशास्त्रे, अन्तरिक्षशास्त्रे, आयुधशास्त्रे इत्यादिषु विज्ञानस्य विभिन्नेषु क्षेत्रेषु भारतीयैः वैज्ञानिकैः महत् यशः प्राप्तम् अस्ति । वैज्ञानिकानां तत् धवलं यशः धवलवर्णरूपेण राष्ट्रध्वजस्य मध्ये विलसति । भारतीयं विज्ञानं शान्तिं प्रगतिं सुरक्षां च परिपोषयति । ‘जयतु वैज्ञानिकः’ इति वक्तुम् अस्मान् प्रेरयति ध्वजमध्यस्थः अयं धवलवर्णः।

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हिंदी में अनुवाद

मध्य में स्थित श्वेत रंग शांति और सत्य का सूचक है। परमाणु विज्ञान, संगणक विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, आयुर्वेद विज्ञान इत्यादि विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय वैज्ञानिकों ने महान यश प्राप्त किया है। वैज्ञानिकों का वह यश श्वेत रंग के रूप में राष्ट्रीय ध्वज के मध्य में शोभित है। भारतीय विज्ञान शांति, प्रगति, और सुरक्षा को पोषित करता है। ‘जय हो वैज्ञानिक की!’ यह कहने के लिए ध्वज में यह श्वेत रंग प्रेरित करता है।


ध्वजे विराजमानस्य घननीलवर्णस्य चक्रस्य नाम धर्मचक्रम् इति। अस्मिन् चक्रे चतुर्विंशतिः अराः सन्ति । एतत् चक्रं ‘चलनीयं कर्तव्यपथे वै, न विरम, सततं चल’ इति भावं बोधयति। सूर्यः विरामं विना नित्यं सञ्चरति । नदी कष्टानि सहमाना अपि ध्येयं प्रति नित्यं प्रवहति । इदं चक्रं ‘जीवने श्रान्तेः, आलस्यस्य प्रमादस्य च स्थानं न भवतु’ इति सन्देशं प्रयच्छति।

वयं सर्वेऽपि धन्याः यत् अस्यां पवित्रभूम्यां जन्म प्राप्तवन्तः । वयं पवित्रायाः भारतमातुः

नित्यं वन्दनं कुर्मः अस्याः गौरववर्धनार्थं च प्रयत्नं कुर्मः । आगच्छन्तु मिलित्वा सर्वे गायामः

वयं बालका भारतभक्ताः

वयं बालिका भारतभक्ताः ।

वयं हि सर्वे भारतभक्ताः

पृथ्वीं स्वर्गं जेतुं शक्ताः ॥

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हिंदी में अनुवाद

ध्वज में शोभायमान गहरे नीले रंग के चक्र को पूर्वचक्र कहते हैं। इस चक्र में चौबीस तीलियाँ हैं। यह चक्र ‘कर्तव्य पथ पर चलते रहो, न रुको, सतत चलते रहो’ इस भाव को व्यक्त करता है। सूर्य बिना रुके नित्य संचरित करता है। नदी कष्टों को सहन करते हुए भी अपने लक्ष्य की ओर नित्य प्रवाहित होती है। यह चक्र ‘जीवित भारत; आलस्य और असावधानी का स्थान न हो’ ऐसा संदेश देता है।

हम सभी धन्य हैं कि हम इस पवित्र भूमि में जन्मे। हम पवित्र…

भारत माता की नित्य वंदना करें और इसके गौरव की प्राप्ति के लिए प्रयास करें। आओ, बिना रुके सभी गाएँ:

हम बच्चे भारत के बच्चे, हम बालिकाएँ भारत की, हम सभी भारत के बच्चे, पृथ्वी पर स्वर्ग जीतने में समर्थ।

Comments

  1. krupali jani says:
    July 31, 2025 at 2:10 pm

    Good explanation 😃

    Reply
  2. Ayushi Ahlawat says:
    July 29, 2025 at 9:46 am

    It was very good 👍😊 and helpful to me.

    Thank you

    Regards

    Reply
  3. Krishna PATEWAR says:
    July 21, 2025 at 10:57 am

    This is very good and best website for my sanskrit notes

    Reply
  4. Maahi Rana says:
    July 18, 2025 at 2:18 pm

    Very nice explaination👍

    Reply
  5. Nikita Goswami says:
    July 17, 2025 at 1:35 pm

    Please also try to make questions and answers in hindi also bcoz for students it is difficult to understand sanskrit

    Reply

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