दशमः कः ?
शिक्षक – अरे, आप सब ! पिछले सप्ताह (जो) संस्कृत – ओलम्पियाड परीक्षा हुई। उसमें किसने भाग लिया?
छात्रा – श्रीमान जी ! हम सबने भाग लिया।
शिक्षक – वहाँ पहले स्थान पर कौन आया ?
छात्र – श्रीमान जी ! विद्याधर ने पहला स्थान प्राप्त किया।
शिक्षक – स्वागत है, स्वागत है, तो दूसरा कौन ?
छात्र – श्रीमान जी ! वह प्रीति है ।
शिक्षक – अरे वाह, बहुत सुन्दर! उसका भी स्वागत है। तो तीसरे स्थान पर कौन (लड़का / लड़की) है?
छात्र – श्रीमान जी ! तीसरा स्थान हेमलता ने प्राप्त किया।
शिक्षक – अच्छा, उसका भी स्वागत है। और किसी ने भी कोई स्थान प्राप्त किया है क्या?
छात्रा – श्रीमान जी ! मैं पाँचवें स्थान पर हूँ ।
छात्र – श्रीमान जी ! मैं चौथे स्थान पर हूँ ।
छात्रा – श्रीमान जी ! मैं नौवें स्थान पर हूँ ।
शिक्षक – ओह, बहुत अच्छा। आप सबके लिए बहुत – बहुत आशीर्वाद । तो आप सब में से दसवाँ कौन है ?
छात्र – श्रीमान ! दसवें के विषय में हम सब नहीं जानते हैं।
शिक्षक – चिन्ता मत करो। हम आज दसवें के विषय में एक कहानी पढ़ते हैं।
एकदा दश बालकाः स्नानाय नदीम् अगच्छन्। ते नदीजले चिरं स्नानम् अकुर्वन्। ततः ते तीर्त्वा पारं गताः। तदा तेषां नायकः अपृच्छत् – अपि सर्वे बालकाः नदीम् उत्तीर्णाः? तदा कश्चित् बालकः सर्वान् पङ्क्तौ स्थापयित्वा अगणयत् – एकं, द्वे, त्रीणि, चत्वारि, पञ्च, षट्, सप्त, अष्ट, नव इति। सः आत्मानं न अगणयत्। अतः सः अवदत् – अरे वयं नव एव स्मः भोः! दशमः नास्ति। अपरः अपि बालकः पुनः आत्मानं त्यक्त्वा अन्यान् बालकान् अगणयत्। तदा अपि नव एव आसन्। अतः ते निश्चयम् अकुर्वन् यत् दशमः नद्यां मग्नः। ते विषण्णाः तूष्णीम् अतिष्ठन्।
हिंदी अनुवाद
एक बार दस बालक स्नान करने के लिए नदी पर गए। उन्होंने नदी के जल में देर तक स्नान किया। इसके बाद वे नदी को पार करके दूसरी ओर गए। तब उनके नेता ने पूछा – क्या सभी बालक नदी को पार कर गए हैं? तब एक बालक ने सभी को पंक्ति में खड़ा करके गिना – एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ। उसने स्वयं को नहीं गिना। इसलिए उसने कहा – अरे, हम तो केवल नौ ही हैं, भाई! दसवाँ नहीं है। एक अन्य बालक ने भी फिर से स्वयं को छोड़कर बाकी बालकों को गिना। तब भी केवल नौ ही थे। इसलिए उन्होंने निश्चय किया कि दसवाँ बालक नदी में डूब गया। वे उदास होकर चुपचाप खड़े रहे।
तदा कश्चित् पथिकः तत्र आगच्छत्। सः तान् बालकान् दुःखितान् दृष्ट्वा अपृच्छत् – अयि बालकाः! युष्माकं दुःखस्य कारणं किम्? बालकानां नायकः अकथयत् “वयं दश बालकाः स्नातुम् आगताः। इदानीं नव एव स्मः। एकः नद्यां मग्नः” इति। पथिकः तान् अगणयत्। तत्र दश बालकाः तु आसन्। सः नायकम् आदिशत् त्वं बालकान् गणय। सः नव बालकान् एव अगणयत्। तदा पथिकः अवदत् – दशमः त्वम् असि इति। तत् श्रुत्वा सर्वे प्रहृष्टाः भूत्वा अकथयन् – दशमः प्राप्तः दशमः प्राप्तः इति। ततः सर्वे मिलित्वा आनन्देन गृहम् अगच्छन्।
हिंदी अनुवाद
तब एक पथिक वहाँ आया। उसने उन बालकों को दुखी देखकर पूछा – अरे बालकों! तुम्हारे दुख का कारण क्या है? बालकों के नेता ने बताया, “हम दस बालक स्नान करने आए थे। अब हम केवल नौ ही हैं। एक नदी में डूब गया।” पथिक ने उन्हें गिना। वहाँ दस बालक तो थे। उसने नेता को आदेश दिया कि तुम बालकों को गिनो। उसने फिर भी केवल नौ बालकों को ही गिना। तब पथिक ने कहा – दसवाँ तुम ही हो। यह सुनकर सभी प्रसन्न हो गए और बोले – दसवाँ मिल गया, दसवाँ मिल गया। इसके बाद सभी एक साथ खुशी-खुशी घर गए।
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