दशमः कः ?
सारांश
पाठस्य परिचयः
दशमः पाठः “दश” इति नाम्ना सप्तम्यां कक्षायां संस्कृतभाषायां संख्यावाचकशब्दानां गणनाविषयकं च सरलं शिक्षणं ददाति। एषः पाठः एकया रोचकया कथया प्रारभति, यत्र दश बालकाः नदीं स्नातुं गच्छन्ति। गणनायां भ्रमः समुद्भवति, येन छात्राः संख्याशब्दान्, तेषां प्रयोगं, क्रमवाचकशब्दं च सौम्यं रीति सिखन्ति। पाठस्य उद्देश्यः बालकान् संख्याशब्दानां सरलं प्रयोगे निपुणं कर्तुं, तेषां अर्थं, रूपं च बोधयितुं च अस्ति।
हिंदी अनुवाद
पाठ का परिचय
दसवां पाठ “दश” कक्षा सात के लिए संस्कृत भाषा में संख्यावाचक शब्दों और गणना से संबंधित सरल शिक्षा देता है। यह पाठ एक रोचक कथा से शुरू होता है, जिसमें दस बालक नदी में स्नान करने जाते हैं। गणना में भूल होती है, जिसके द्वारा छात्र संख्यावाचक शब्द, उनके प्रयोग और क्रमवाचक शब्द आसानी से सीखते हैं। पाठ का उद्देश्य बच्चों को संख्यावाचक शब्दों के सरल प्रयोग में निपुण बनाना और उनके अर्थ व रूप समझाना है।
कथासारः
एकदा दश बालकाः नदीं स्नातुं गताः। ते नद्यां जलक्रीडां कृत्वा तीरं प्रापुः। तदा तेषां नायकः अपृच्छत् – सर्वं बालकाः नदीं तीर्णाः किम्? एकः बालकः स्वं विना अन्यान् अगणयत् – एकं, द्वे, त्रीणि, चत्वारि, पञ्च, षट्, सप्त, अष्ट, नव इति। सः स्वं न अगणयत्, अतः अवदत् – वयं नव एव स्मः, एकः नद्यां मग्नः। अपरः बालकः पुनः स्वं त्यक्त्वा अगणयत्, तदापि नव एव प्राप्तम्। सर्वे दुःखिताः मेनिरे यत् एकः नद्यां मग्नः। तदा पथिकः आगत्य तान् दुःखितान् दृष्ट्वा कारणं पृच्छति। नायकः कथति यत् वयं दश स्मः, अधुना नव एव। पथिकः सर्वान् गणति, दश संनादति। सः नायकं प्रति अवदत् – त्वं दशमः असि। सर्वं हृष्टाः “दशमः प्राप्तः” इति संनादति, आनन्देन गृहं गताः। एषा कथा गणनायां सावधानतां स्वस्य समावेशस्य च महत्त्वं दर्शति।
हिंदी अनुवाद
कथा का सार
एक बार दस बालक नदी में स्नान करने गए। उन्होंने नदी में खूब खेला और फिर किनारे पर पहुंचे। तब उनके नायक ने पूछा कि क्या सभी बालक नदी पार कर आए हैं। एक बालक ने खुद को छोड़कर बाकियों को गिना – एक, दो, तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ। उसने खुद को नहीं गिना, इसलिए बोला कि हम केवल नौ हैं, एक नदी में डूब गया। दूसरे बालक ने भी खुद को छोड़कर गिना, तब भी नौ ही आए। सभी ने सोचा कि एक बालक नदी में डूब गया। वे दुखी होकर चुप हो गए। तभी एक पथिक आया और उन्हें दुखी देखकर कारण पूछा। नायक ने बताया कि हम दस थे, अब नौ हैं। पथिक ने सभी को गिना और दस पाए। उसने नायक से कहा – तुम ही दसवें हो। सभी खुश होकर बोले “दसवां मिल गया” और आनंद से घर लौटे। यह कथा गणना में सावधानी और खुद को शामिल करने के महत्व को दर्शाती है।
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