अध्यापिका – बच्चो! इस चित्र को देखो। क्या यह मनोहर है ?
छात्र – हाँ, आचार्या! बहुत मनोहर है।
अध्यापिका – यह स्थान कहाँ है, आप सब जानते हैं क्या?
छात्रा – नहीं आचार्या!
अध्यापिका – ध्यान से देखो। यह स्थान हमारे देश का कोई सुन्दर द्वीप है। इसके विषय में आज कुछ जानते हैं।
अध्यापिका – (भारतस्य मानचित्रे अण्डमान-द्वीपसमूहं दर्शयन्ती) एषः भारतस्य अष्टसु केन्द्रशासितप्रदेशेषु अन्यतमः अण्डमान-द्वीपसमूहः अस्ति।एतस्य राजधानी ‘श्रीविजयपुरम्’ अस्ति। पूर्वम् आङ्ग्लशासनेन अस्य नाम ‘पोर्ट ब्लेयर्’ इति दत्तम् आसीत्।
हिन्दी: अध्यापिका – (भारत के नक्शे पर अण्डमान-द्वीपसमूह दिखाते हुए) यह भारत के आठ केन्द्रशासित प्रदेशों में से एक अण्डमान-द्वीपसमूह है। इसकी राजधानी ‘श्रीविजयपुरम’ है। पहले अंग्रेजी शासन में इसका नाम ‘पोर्ट ब्लेयर’ दिया गया था।
सर्वे उत्साहिताः बालाः – महोदये! वयम् एतस्य विषये किञ्चित् अधिकं जानकारी इच्छामः।
हिन्दी: सभी उत्साहित बच्चे – महोदया! हम इसके बारे में थोड़ा और जानना चाहते हैं।
अध्यापिका – अस्तु। भोः सूर्यांश! भवान् किमपि वक्तुम् इच्छति? इतिप्रतिभाति।
हिन्दी: अध्यापिका – ठीक है। सूर्यांश! लगता है तुम कुछ कहना चाहते हो?
सूर्यांश: – सत्यं महोदये! ह्यः भवती एतस्य पाठस्य विषये सङ्केतं दत्तवती। तदा अहं गृहं गत्वा जालपुटे एतस्य अन्वेषणम् अकरवम्।
हिन्दी: सूर्यांश – सत्य है, महोदया! कल आपने इस पाठ के बारे में संकेत दिया था। तब मैं घर जाकर इंटरनेट पर इसके बारे में खोजा।
अध्यापिका – समीचीनं सूर्यांश! भवान् किम् अन्विष्टवान् तत्र?
हिन्दी: अध्यापिका – बहुत अच्छे, सूर्यांश! तुमने वहाँ क्या पाया?
सूर्यांश: – महोदये! रामायणकाले अस्य द्वीपस्य नाम ‘हण्डुकमान्’ आसीत्। एषः शब्दः प्रायः ‘हनूमान्’ इति शब्दस्य परिवर्तितं रूपम्। प्रथमशताब्द्याम् अस्य नाम ‘अगादेमन्’ इति आसीत्। ततः परं ‘अङ्गादेमन्’ जातम् इति सर्वकारस्य आधिकारिक जालपुटे अहं दृष्टवान्।
हिन्दी: सूर्यांश – महोदया! रामायण काल में इस द्वीप का नाम ‘हण्डुकमान’ था। यह शब्द संभवतः ‘हनुमान’ शब्द का परिवर्तित रूप है। पहली शताब्दी में इसका नाम ‘अगादेमन’ था। इसके बाद यह ‘अंगादेमन’ हो गया, ऐसा मैंने सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर देखा।
दीपेश: – अहो! अस्य नाम्नः इतिहासः अद्भुतः अस्ति।
हिन्दी: दीपेश – वाह! इसके नाम का इतिहास तो अद्भुत है।
किन्नु खलु भारतस्य इतिहासे अस्य द्वीपस्य काचित् विशिष्टा भूमिका अस्ति?
हिन्दी: लेकिन क्या भारत के इतिहास में इस द्वीप की कोई विशेष भूमिका है?
अध्यापिका: – आम्, महती भूमिका अस्ति अस्य द्वीपस्य।
हिन्दी: अध्यापिका – हाँ, इस द्वीप की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
दीपा – कीदृशी भूमिका महोदये! कृपया सूचयतु।
हिन्दी: दीपा – कैसी भूमिका, महोदया! कृपया बताइए।
अध्यापिका – अस्मिन् द्वीपे ‘सेल्युलर्’ इति कारागारम् अस्ति।
हिन्दी: अध्यापिका – इस द्वीप पर ‘सेल्यूलर’ नामक कारागार है।
अस्य कारागारस्य अपरं नाम ‘कालापानी’ इत्यपि अस्ति।
हिन्दी: इस कारागार का दूसरा नाम ‘कालापानी’ भी है।
सुधीरः – (साश्चर्यम्) आचार्ये! अस्य कः अभिप्रायः?
हिन्दी: सुधीर – (आश्चर्य से) आचार्य जी! इसका क्या अर्थ है?
सुरेखा – ‘कालापानी’ इति शब्दं श्रुत्वा एव भीतिः भवति।
हिन्दी: सुरेखा – ‘कालापानी’ शब्द सुनकर ही डर लगता है।
अध्यापिका – सत्यमेव। भारतस्य स्वातन्त्र्यार्थं युद्धरतानां क्रान्तिकारिणां दमनार्थं ब्रिटिशजनैः निर्मितं त्रितलात्मकम् एतत् कारागारम्।
हिन्दी: अध्यापिका – बिल्कुल सत्य। भारत की स्वतंत्रता के लिए युद्धरत क्रांतिकारियों के दमन के लिए अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह त्रितल वाला कारागार है।
अत्रैव महान् देशभक्तः स्वातन्त्र्यवीरः सावरकरः मातृभूमेः रक्षणाय दश वर्षाणि यावत् कल्पनातीतं घोरं कष्टं सोढवान्।
हिन्दी: यहीं पर महान देशभक्त स्वतंत्रता वीर सावरकर ने मातृभूमि की रक्षा के लिए दस वर्षों तक अकल्पनीय कठोर कष्ट सहे।
मुकुन्दः – अहो! धन्याः ते स्वातन्त्र्यवीराः। तेषां बलिदानेन एव वयं सुखेन जीवामः।
हिन्दी: मुकुंद – वाह! धन्य हैं वे स्वतंत्रता वीर। उनके बलिदान से ही हम सुख से जी रहे हैं।
सूर्यांश: – आचार्ये! एतत् स्थानं ‘यूनेस्को’-संस्थायाः वैश्विकसम्पदः सूच्याम् अपि संरक्षितम्।
हिन्दी: सूर्यांश – आचार्य जी! यह स्थान ‘यूनेस्को’ की विश्व धरोहर सूची में भी संरक्षित है।
ऋचा – महोदये! किम् अस्मिन् द्वीपे जनाः अपि निवसन्ति?
हिन्दी: ऋचा – महोदया! क्या इस द्वीप पर लोग भी रहते हैं?
अध्यापिका – आम्, तत्र काश्चन अण्डमानी, ओङ्गी, जारवा, सेण्टिनली इत्यादयः विशिष्टाः जनजातयः निवसन्ति।
हिन्दी: अध्यापिका – हाँ, वहाँ कुछ विशिष्ट जनजातियाँ जैसे अण्डमानी, ओंगी, जारवा, सेंटिनली आदि रहती हैं।
अण्डमानी-ओङ्गी-जारवा-जनजातीनाम् आजीविकायै सर्वकारः नारिकेलस्य उद्यानानां निर्माणम् अकरोत्।
हिन्दी: अण्डमानी, ओंगी, और जारवा जनजातियों की आजीविका के लिए सरकार ने नारियल के बागानों का निर्माण किया।
सेण्टिनली-जनजातीयाः समाजात् दूरे तिष्ठन्ति।
हिन्दी: सेंटिनली जनजाति समाज से दूर रहती है।
तेषां जनसंख्या अपि स्वल्पा एव।
हिन्दी: उनकी जनसंख्या भी बहुत कम है।
सुरुचिः – महोदये! अत्र भ्रमणाय विशिष्टानि स्थानानि कानि?
हिन्दी: सुरुचि – महोदया! वहाँ घूमने के लिए विशेष स्थान कौन-से हैं?
अध्यापिका – भवत्सु कोऽपि अस्मिन् विषये कथयितुम् इच्छति?
हिन्दी: अध्यापिका – आप में से कोई इस विषय में बताना चाहता है?
राजर्षिः – आम् महोदये! अहं वक्तुम् इच्छामि।
हिन्दी: राजर्षि – हाँ, महोदया! मैं बताना चाहता हूँ।
अहम् एकदा पित्रा सह भ्रमणाय तत्र अगच्छम्।
हिन्दी: मैं एक बार अपने पिता के साथ वहाँ घूमने गया था।
वयं तत्र सर्वत्र प्रकृतेः हारित्यं नीलसमुद्रं च दृष्टवन्तः।
हिन्दी: हमने वहाँ हर जगह प्रकृति की हरियाली और नीला समुद्र देखा।
वयं महात्मगान्धि-मरीन-राष्ट्रियम् उद्यानम्, नॉर्थ-बे-द्वीपम्, समुद्रिका-नौसेना-समुद्रीय-सङ्ग्रहालयं, कालापत्थर-तटम्, विजयनगर-तटं च दृष्टवन्तः।
हिन्दी: हमने महात्मा गांधी मरीन राष्ट्रीय उद्यान, नॉर्थ बे द्वीप, समुद्रिका नौसेना समुद्री संग्रहालय, कालापत्थर तट, और विजयनगर तट देखा।
तत्र भारतस्य समुद्रतटेषु राधानगर-तटस्य अत्यन्तं विशिष्टं स्थानम् अस्ति।
हिन्दी: वहाँ भारत के समुद्र तटों में राधानगर तट का अत्यंत विशेष स्थान है।
तत्रत्यः श्वेतरेणुः, नीलं निर्मलं जलं, पारदर्शि समुद्रतलं च अविस्मरणीयम् अस्ति।
हिन्दी: वहाँ की सफेद रेत, नीला निर्मल जल, और पारदर्शी समुद्र तल अविस्मरणीय है।
अध्यापिका — उत्तमम्, राजर्षे! किं भवान् स्वराजद्वीपं दृष्टवान्?
हिन्दी: अध्यापिका – बहुत अच्छे, राजर्षि! क्या तुमने स्वराजद्वीप देखा?
राजर्षिः — न स्मरामि महोदये!
हिन्दी: राजर्षि – मुझे याद नहीं, महोदया!
अध्यापिका — स्वराजद्वीपे एलीफेण्टा-तटे, नॉर्थ-बे-अन्तरीपे च सिन्धुतलविहारं स्कूबाडाइविङ्ग्, स्नॉर्कलिङ्ग् इत्यादयः विविधाः गतिविधयः चलन्ति।
हिन्दी: अध्यापिका – स्वराजद्वीप पर एलिफेंटा तट, नॉर्थ बे अंतरीप में समुद्र तल विहार, स्कूबा डाइविंग, स्नॉर्कलिंग आदि विविध गतिविधियाँ होती हैं।
समुद्रस्य अन्तर्भागः विविधवर्णैः मत्स्यैः कच्छपैः अन्यैः जलचरैः प्रवालशृङ्खलाभिः च अलङ्कृतः इव दृश्यते।
हिन्दी: समुद्र का आंतरिक भाग विभिन्न रंगों के मछलियों, कछुओं, अन्य जलचरों और प्रवाल शृंखलाओं से सजा हुआ-सा दिखता है।
छात्राः — महोदये! अण्डमान-जनाः आजीविकार्थं किं कुर्वन्ति?
हिन्दी: छात्र – महोदया! अण्डमान के लोग आजीविका के लिए क्या करते हैं?
अध्यापिका — तत्र मुक्तामालाः, शुक्तिशिल्पानि, नारिकेल-शिल्पानि, उपस्कराः च इत्यादीनाम् उत्पादनेन वाणिज्येन च तेषाम् आजीविका चलति।
हिन्दी: अध्यापिका – वहाँ मोती की मालाएँ, सीप के शिल्प, नारियल के शिल्प, और उपकरण आदि के उत्पादन और व्यापार से उनकी आजीविका चलती है।
केचन कृषिकार्येण मत्स्यव्यापारेण च जीविकां निर्वहन्ति।
हिन्दी: कुछ लोग कृषि कार्य और मत्स्य व्यापार से जीविका चलाते हैं।
छात्राः — आचार्ये! अस्य वर्णनं श्रुत्वा चित्राणि च दृष्ट्वा अस्माकं मनसि तत्र भ्रमणाय उत्सुकता जागरिता।
हिन्दी: छात्र – आचार्य जी! इसका वर्णन सुनकर और चित्र देखकर हमारे मन में वहाँ घूमने की उत्सुकता जाग उठी है।
अध्यापिका — अस्तु, वयम् अवश्यमेव तत्र शैक्षिक भ्रमणार्थं गमिष्यामः।
हिन्दी: अध्यापिका – ठीक है, हम अवश्य ही वहाँ शैक्षिक भ्रमण के लिए जाएँगे।
अधुना वयं मिलित्वा गायामः –
हुतात्मनां पूततपःस्थलीयं
विनायकादिस्तुतिभाजनानाम्।
स्वराष्ट्रधर्मं नन् शिक्षयन्ती
सुदर्शनीया भुवि तीर्थकल्पा ॥
हिन्दी: अब हम सब मिलकर गाएँ – हुतात्माओं की पवित्र तपोभूमि, विनायक आदि के स्तुतियों के पात्रों की। स्वराष्ट्र धर्म की शिक्षा देने वाली, पृथ्वी पर तीर्थ के समान सुंदर।
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