मित्राय नमः
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वयम् अभ्यासं कुर्मः
१. अधोलिखितानांप्रश्नानाम्उत्तराणि एकपदेन लिखन्तु -
(क) शुभं भवतु इति कः वदति? (“शुभं भवतु” ऐसा कौन कहता है?)
उत्तर: आचार्या(आचार्या)
(ख) योगिता आचार्यां किं शिक्षयतु इति वदति? (योगिता आचार्य से क्या सिखाने को कहती है?)
उत्तर: सूर्यनमस्कारम्( सूर्यनमस्कार)
(ग) सूर्यनमस्कारः कतीनाम् आसनानां समाहारः अस्ति? (सूर्य नमस्कार कितने आसनों का समूह है?)
उत्तर:द्वादश(बारह)
(घ) केषु सूर्यनमस्कारः श्रेष्ठः? (किनके लिए सूर्य नमस्कार श्रेष्ठ है?)
उत्तर:सर्वेषु(सभी)
(ङ) सूर्यनमस्कारेण जनाः कीदृशं शरीरं प्राप्नुवन्ति? (सूर्य नमस्कार से लोग कैसा शरीर प्राप्त करते हैं?)
उत्तर: स्वस्थम्(स्वस्थ)
२. अधोलिखितानांप्रश्नानाम्उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखन्तु -
(क)सर्वे छात्राः आचार्यां किं पृच्छन्ति?(सभी छात्र आचार्य से क्या पूछते हैं?)
उत्तर: सर्वे छात्राः आचार्यां पृच्छन्ति यत् किम् अद्य भवान् अस्मान् योगासनं शिक्षयति।
(सभी छात्र आचार्य से पूछते हैं कि क्या आज आप हमें योगासन सिखाएंगे।)
(ख) सूर्यनमस्कारः इत्यनेन कः आशयः?( सूर्य नमस्कार से क्या उद्देश्य है?)
उत्तर: सूर्यनमस्कारः इत्यनेन शारीरिकं, मानसिकम्, आध्यात्मिकं च बलं वर्धति।
(सूर्य नमस्कार से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक बल बढ़ता है।)
(ग) आचार्या कं श्लोकं पाठयति?(आचार्या कौन सा श्लोक पढ़ाती है?)
उत्तर: आचार्या श्लोकं पाठयति यत् “आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते।”
(आचार्या यह श्लोक पढ़ाती है: “आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते।”)
(घ) सूर्यनमस्कारस्य प्रथमः मन्त्रः कः?(सूर्य नमस्कार का पहला मंत्र कौन सा है?)
उत्तर:सूर्यनमस्कारस्य प्रथमः मन्त्रः “ॐ मित्राय नमः” इति अस्ति।
( सूर्य नमस्कार का पहला मंत्र “ॐ मित्राय नमः” है।)
(ङ) सूर्यनमस्कारेण कीदृशं बलं वर्धते? (सूर्य नमस्कार से कैसा बल बढ़ता है?)
उत्तर: सूर्यनमस्कारेण शारीरिकं, मानसिकम्, आध्यात्मिकं च बलं वर्धति।
(सूर्य नमस्कार से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक बल बढ़ता है।)
३. पाठात् समुचितं पदं चित्वा अधः रिक्तस्थानानि पूरयन्तु –
(क) प्रत्येकस्मात् सूर्यनमस्कारात् पूर्वम् एकः मन्त्रः भवति।
अनुवाद: प्रत्येक सूर्य नमस्कार से पहले एक मंत्र होता है।
(ख) वयं प्रतिदिनं सूर्यनमस्कारं करवाम।
अनुवाद: हम प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं।
(ग) स्वस्थं शरीरं, स्वस्थं मनः च प्राप्नवाम।
अनुवाद: हम स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन प्राप्त करते हैं।
(घ) एकेन श्लोकेन सूर्यनमस्कारस्य बहूनि प्रयोजनानि वदामि।
अनुवाद: एक श्लोक से मैं सूर्य नमस्कार के अनेक लाभ बताता हूँ।
(ङ) आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
अनुवाद: जो प्रतिदिन सूर्य के नमस्कार करते हैं।
४. पाठे विद्यमानानां ‘नमः’ युक्तशब्दानां सङ्ग्रहं कृत्वा लिखन्तु –
(यथा – मित्राय नमः)
क्रम | संस्कृत (नमः युक्त शब्द) | हिंदी अनुवाद (अर्थ सहित) |
---|---|---|
(क) | मित्राय नमः। | मित्र (सूर्य) को नमस्कार। |
(ख) | रवये नमः। | रवि (प्रकाश देनेवाले) को नमस्कार। |
(ग) | सूर्याय नमः। | सूर्य को नमस्कार। |
(घ) | भानवे नमः। | भानु (प्रकाशमान) को नमस्कार। |
(ङ) | खगाय नमः। | आकाश में गमन करनेवाले को नमस्कार। |
(च) | पूष्णे नमः। | पोषण करनेवाले को नमस्कार। |
(ज) | हिरण्यगर्भाय नमः। | स्वर्ण गर्भ (सृष्टिकर्ता) को नमस्कार। |
(झ) | मरीचये नमः। | किरणोंवाले को नमस्कार। |
(ञ) | आदित्याय नमः। | आदित्य (कश्यप ऋषि के पुत्र) को नमस्कार। |
(ट) | सवित्रे नमः। | सविता (जीवनदाता) को नमस्कार। |
५. उदाहरणानुसारं कोष्ठकात् पदानि स्वीकृत्य वाक्यानि रचयन्तु –
(शब्दकोश से पद लेकर वाक्य बनाइए – जैसे: अग्नये नमः।)
हिंदी अनुवाद –
उदाहरण के अनुसार कोष्ठक में दिए गए शब्दों से वाक्य बनाइए।जैसे – अग्नये नमः। (अग्नि को नमस्कार।)
क्रम | संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
---|---|---|
(क) | आचार्याय नमः। | आचार्य (गुरु) को नमस्कार। |
(ख) | त्रिवर्णध्वजाय नमः। | तिरंगे झंडे को नमस्कार। |
(ग) | जनकाय नमः। | पिता को नमस्कार। |
(घ) | वृक्षाय नमः। | वृक्ष को नमस्कार। |
(ङ) | देव्यै नमः। | देवी को नमस्कार। |
(च) | भगिन्यै नमः। | बहन को नमस्कार। |
(ज) | मातामह्यै नमः। | नानी (मातामही) को नमस्कार। |
(झ) | जनन्यै नमः। | जननी (माँ) को नमस्कार। |
(ञ) | पृथिव्यै नमः। | पृथ्वी को नमस्कार। |
(ट) | नद्यै नमः। | नदी को नमस्कार। |
६. कोष्ठके विद्यमानानां शब्दानां चतुर्थी-विभक्तेः रूपाणि प्रयुज्य वाक्यानि पुनः लिखन्तु –
(जैसे – सैनिकः “देश” जीवनं प्रयच्छति। ⇒ सैनिकः देशाय जीवनं प्रयच्छति।)
हिंदी अनुवाद:
कोष्ठक में दिए गए शब्दों को चतुर्थी विभक्ति में प्रयोग करके वाक्य दोबारा लिखिए।
क्रम | मूल वाक्य | चतुर्थी रूप सहित वाक्य | हिंदी अनुवाद |
---|---|---|---|
(क) | माता “याचक” वस्त्रं ददाति। | माता याचकाय वस्त्रं ददाति। | माता याचक को वस्त्र देती है। |
(ख) | पौत्रः “पितामही” औषधं ददाति। | पौत्रः पितामह्यै औषधं ददाति। | पौत्र दादी को औषधि देता है। |
(ग) | अहं “भगिनी” उपायनं ददामि। | अहं भगिन्यै उपायनं ददामि। | मैं बहन को उपहार देता हूँ। |
(घ) | पिता “सेविका” वेतनं ददाति। | पिता सेविकायै वेतनं ददाति। | पिता नौकरानी को वेतन देते हैं। |
(ङ) | त्वं “मित्र” पुष्पं ददासि। | त्वं मित्राय पुष्पं ददासि। | तुम मित्र को फूल देते हो। |
(च) | देवः “भक्त” आशीर्वादं ददाति। | देवः भक्ताय आशीर्वादं ददाति। | भगवान भक्त को आशीर्वाद देते हैं। |
(छ) | आरक्षकः “चोर” दण्डं ददाति। | आरक्षकः चोराय दण्डं ददाति। | पुलिसवाला चोर को दंड देता है। |
“७. उदाहरणानुसारं माता कस्मै / कस्यै धनं ददाति इति कोष्ठके विद्यमानानि पदानि उपयुज्य लिखन्तु –
(क) माता पुत्र्यै धनं ददाति।
अनुवाद: माता बेटी को धन देती है।
(ख) माता पुत्राय धनं ददाति।
अनुवाद: माता पुत्र को धन देती है।
(ग) माता पाचिकायै धनं ददाति।
अनुवाद: माता रसोइया (पाक करने वाली) को धन देती है।
(घ) माता आपणिकाय धनं ददाति।
अनुवाद: माता दुकानदार को धन देती है।
(ङ) माता याचकाय धनं ददाति।
अनुवाद:माता भिखारी को धन देती है।
(च) माता पितामह्यै धनं ददाति।
अनुवाद: माता दादी को धन देती है।
८. उदाहरणानु सारंरिक्तस्थानानि पूरयन्तु -
यथा – गणेश : गणेशाय – गणेशाभ्याम् – गणेशेभ्यः
क्रम | शब्द | एकवचन (द्वितीया/चतुर्थी) | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|---|
(क) | भक्तः | भक्ताय | भक्ताभ्याम् | भक्तेभ्यः |
(ख) | सेविका | सेविकायै | सेविकाभ्याम् | सेविकाभ्यः |
(ग) | अनुजा | अनुजायै | अनुजाभ्याम् | अनुजाभ्यः |
(घ) | गृहिणी | गृहिण्यै | गृहिणीभ्याम् | गृहिणीभ्यः |
(ङ) | कुमारी | कुमार्यै | कुमारीभ्याम् | कुमारिभ्यः |
(च) | वन | वनाय | वनाभ्याम् | वनेभ्यः |
(छ) | मित्र | मित्राय | मित्राभ्याम् | मित्रेभ्यः |
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