न लभ्यते चेत्आम्लं द्राक्षाफलम्
१. प्रश्न: शृगालः कुत्र वसति?
उत्तरम्: शृगालः वनं गत्वा कदाचित् कुप्यति।
हिन्दी: लोमड़ी कहाँ रहती है?
→ जंगल में।
२. प्रश्न: शृगालस्य मुखे कदा रसः जायते?
उत्तरम्: द्राक्षाफलानि दृष्ट्वा तस्य मुखे रसः जायते।
हिन्दी: लोमड़ी के मुँह में कब लार आती है?
→ जब वह अंगूर देखती है।
३. प्रश्न: द्राक्षाफलानि कुत्र दृश्यन्ते?
उत्तरम्: द्राक्षालतायाम् उपरि दृश्यन्ते।
हिन्दी: अंगूर कहाँ दिखाई देते हैं?
→ बेल के ऊपर।
४. प्रश्न: शृगालः द्राक्षाफलानि कथं प्राप्नोति?
उत्तरम्: सः तानि न प्राप्नोति।
हिन्दी: क्या लोमड़ी अंगूर पाती है?
→ नहीं, वह नहीं पाती।
५. प्रश्न: शृगालः अन्ते किं वदति?
उत्तरम्: आम्लं द्राक्षाफलम्।
हिन्दी: अंत में लोमड़ी क्या कहती है?
→ अंगूर खट्टे हैं।
६. प्रश्न: कथायाः मुख्यः पात्रं कः अस्ति?
उत्तरम्: शृगालः।
हिन्दी: कहानी का मुख्य पात्र कौन है?
→ लोमड़ी।
७. प्रश्न: कथा का प्रसिद्धा अस्ति?
उत्तरम्: एषा कथा मातृभाषायाम् अपि श्रूयते।
हिन्दी: यह कहानी कैसे प्रसिद्ध है?
→ यह सभी की मातृभाषा में सुनी जाती है।
८. प्रश्नः: शृगालः द्राक्षाणां स्वभावं कथं वर्णयति?
उत्तरम्: तानि आम्लानि इति वदति।
हिन्दी: लोमड़ी अंगूर के स्वाद को कैसे बताती है?
→ वह कहती है कि वे खट्टे हैं।
९. प्रश्नः: शृगालः किं कारणं विना फलं न प्राप्नोति?
उत्तरम्: यः जनः प्रयत्नं न करोति, सः फलं न प्राप्नोति। शृगालः अपि किञ्चित् प्रयत्नं कृत्वा फलं प्राप्नुम् इच्छति, परं फलं न प्राप्त्वा तस्य स्वादं दूषयति।
हिन्दी: लोमड़ी को प्रयास न करने के कारण फल क्यों नहीं मिलता?
→ जो प्रयास नहीं करता, उसे फल नहीं मिलता। लोमड़ी भी थोड़ा प्रयास करती है, और फल न मिलने पर कहती है कि वह खट्टा है।
१०. प्रश्नः: शृगालस्य व्यवहारः कथं बालानां शिक्षां ददाति?
उत्तरम्: शृगालः स्वविफलतायाः कारणं स्वयं न स्वीकरोति। अनेन अस्माकं ज्ञायते यत् असफलतायाः दोषं अन्यत्र आरोपयितुं न युक्तं।
हिन्दी: लोमड़ी का व्यवहार बच्चों को क्या सिखाता है?
→ असफलता के लिए दूसरों को दोष देना उचित नहीं है।
११. प्रश्नः: शृगालः कः-कः प्रयासः करोति?
उत्तरम्: सः पुनः पुनः उत्पतति, फलं प्राप्नोति इति अपेक्षया।
हिन्दी: लोमड़ी क्या-क्या प्रयास करती है?
→ वह बार-बार कूदती है, इस आशा में कि फल मिल जाए।
१२. प्रश्नः: शृगालः किमर्थं फलं प्राप्नोति न?
उत्तरम्: तस्य प्रयत्नः अल्पः अस्ति।
हिन्दी: लोमड़ी को फल क्यों नहीं मिलता?
→ क्योंकि उसका प्रयास पर्याप्त नहीं था।
१३. प्रश्नः: बालाः कथां कथं पठन्ति?
उत्तरम्: बालाः गानरूपेण कथां अभिनयं कृत्वा पठन्ति।
हिन्दी: बच्चे इस कहानी को कैसे पढ़ते हैं?
→ गाकर और अभिनय करके।
१४. प्रश्नः: एषा कथा अस्मान् किम् शिक्षयति?
उत्तरम्: अस्माकं प्रयासः सदा प्रबलः भवेत्। असफलतायाः दोषं फलस्य गुणे स्थापयितुं न उचितम्।
हिन्दी: यह कहानी हमें क्या सिखाती है?
→ हमें निरंतर प्रयास करना चाहिए और असफलता का दोष किसी और पर नहीं लगाना चाहिए।
१५. प्रश्नः: कथायाः शीर्षकस्य अर्थं स्पष्टतया वर्णयत।
उत्तरम्: “न लभ्यते चेत् आम्लं द्राक्षाफलम्” इत्यस्य अर्थः – यदि फल नहीं मिलता, तो उसे दोष न दो।
हिन्दी: कहानी के शीर्षक का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
→ अगर कोई चीज़ नहीं मिलती, तो उसे दोषी (जैसे खट्टा) न ठहराओ।
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