न लभ्यते चेत् आम्लं द्राक्षाफलम
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वयम् अभ्यासं कुर्मः
१. एकः शृगालः इति गीतस्य साभिनयं कक्षायां गानं कुर्वन्तु।
(‘एक शृगाल’ नामक गीत को अभिनय के साथ कक्षा में गायें।)
२. अधः प्रदत्तानां प्रश्नानाम् एकपदेन पदद्वयेन वा उत्तरं लिखन्तु
(क) कः वने गच्छति? (कौन जंगल में जाता है?)
उत्तर: शृगालः(लोमड़ी)
(ख) शृगालः कां पश्यति? (लोमड़ी किसे देखती है?)
उत्तर: द्राक्षालताम् ( अंगूर की बेल)
(ग) शृगालस्य मुखे किं जायते? (लोमड़ी के मुँह में क्या उत्पन्न होता है?)
उत्तर:रसः (लार)
(घ) शृगालः किं पश्यति? (लोमड़ी क्या देखती है?)
उत्तर: द्राक्षाफलम् (अंगूर)
(ङ) द्राक्षाफलं कुत्र दृश्यते?(अंगूर कहाँ दिखाई देता है?)
उत्तर: उपरि (ऊपर )
(च) किं शृगालः पुनः पुनः उत्पत्तिः? (आम् / न)
(क्या लोमड़ी बार-बार उछलती है? (हाँ / नहीं))
उत्तर: आम् ( हाँ)
(छ) किं शृगालः द्राक्षाफलं प्राप्नोति? (आम् / न)
(क्या लोमड़ी अंगूर प्राप्त करती है? (हाँ / नहीं))
उत्तर: न ( नहीं)
३.अधः प्रदत्तानां प्रश्नानां पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखन्तु-
(क) शृगालः कथं वन गच्छति? (लोमड़ी जंगल में कैसे जाती है?)
उत्तर: शृगालः पिपासया बुभुक्षया च वन गच्छति।
(लोमड़ी प्यास और भूख के कारण जंगल में जाती है।)
(ख) वने गत्वा शृगालस्य किं जायते? (जंगल में जाकर लोमड़ी को क्या होता है?)
उत्तर: वने गत्वा शृगालस्य श्रमः स्वेदः तृषा च जायते।
(जंगल में जाकर लोमड़ी को थकान, पसीना और प्यास होती है।)
(ग) शृगालः द्राक्षाफलं कुत्र पश्यति? (लोमड़ी अंगूर को कहाँ देखती है?)
उत्तर: शृगालः द्राक्षाफलं द्राक्षालतायां उपरि पश्यति।
(लोमड़ी अंगूर को अंगूर की बेल पर ऊपर देखती है।)
(घ) द्राक्षाफलं दृष्ट्वा कस्य मुखे रसः जायते?
(अंगूर देखकर किसके मुँह में लार उत्पन्न होती है?)
उत्तर: द्राक्षाफलं दृष्ट्वा शृगालस्य मुखे रसः जायते।
(अंगूर देखकर लोमड़ी के मुँह में लार उत्पन्न होती है।)
(ङ) अन्ते शृगालः किं वदति? (अंत में लोमड़ी क्या कहती है?)
उत्तर: अन्ते शृगालः “आम्लं द्राक्षाफलम्” इति वदति।
(अंत में लोमड़ी कहती है, “अंगूर खट्टा है।”)
४. उपरि प्रदत्तां मञ्जूषां दृष्ट्वा रिक्तस्थानेषु उचितक्रियापदानि लिखन्तु-
(क) वन्दते (धातुः: वन्द् – लट् लकार, आत्मनेपदी)
पुरुषः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
---|---|---|---|
प्रथमः | वन्दते | वन्देते | वन्दन्ते |
मध्यमः | वन्दसे | वन्देथे | वन्दध्वे |
उत्तमः | वन्दे | वन्दावहे | वन्दामहे |
(ख) पलायते (धातुः: पलाय् – लट् लकार, आत्मनेपदी)
पुरुषः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
---|---|---|---|
प्रथमः | पलायते | पलायेते | पलायन्ते |
मध्यमः | पलायसे | पलायेथे | पलायध्वे |
उत्तमः | पलाये | पलायावहे | पलायामहे |
(ग) जायते (धातुः: जन् – लट् लकार, आत्मनेपदी)
पुरुषः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
---|---|---|---|
प्रथमः | जायते | जायेते | जायन्ते |
मध्यमः | जायसे | जायेथे | जायध्वे |
उत्तमः | जाये | जायावहे | जायामहे |
५. उदाहरणानुसारम् एकवचनरूपं दृष्ट्वा द्विवचन-बहुवचनरूपाणि लिखन्तु –
धातुः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
कम्प् | कम्पते | कम्पेते | कम्पन्ते |
वर्ध् | वर्धते | वर्धेते | वर्धन्ति |
वर्त | वर्तसे | वर्तेथे | वर्तध्वे |
प्र + काश् | प्रकाशते | प्रकाशेते | प्रकाशन्ति |
वन्द् | वन्दे | वन्दावहे | वन्दामहे |
याच् | याचते | याचेते | याचन्ति |
लज्ज् | लज्जसे | लज्जेथे | लज्जध्वे |
वीक्ष् | वीक्षते | वीक्षेते | वीक्षन्ति |
सेव् | सेवे | सेवावहे | सेवामहे |
वन्द् | वन्दसे | वन्देथे | वन्दध्वे |
शुभ् | शोभते | शोभेते | शोभन्ति |
६. उदाहरणानुसारं वाक्यद्वयं लिखन्तु- (उदाहरण के अनुसार दो-दो वाक्य लिखिए-)
यथा – शत्रुः (पलाय्) → शत्रुः पलायते। ( शत्रु भागता है।)
चोराः (पलाय्) → चोराः पलायन्ते। (चोर भागते हैं।)
(क) वृक्षः (वर्ध्) → वृक्षः वर्धते। ( वृक्ष बढ़ता है।)
बाला: (वर्ध) →बालाः वर्धन्ते।( बच्चे बढ़ते हैं।)
(ख) छात्रः (वन्द्) → छात्रः वन्दते। (छात्र नमस्कार करता है। )
भक्ताः (वन्द) → भक्ताः वन्दन्ते। (भक्त नमस्कार करते हैं।)
(ग) वैद्यः (वीक्ष्) → वैद्यः वीक्षते।( वैद्य देखता है।)
प्रेक्षकाः (वीक्ष)→ प्रेक्षकाः वीक्षन्ते।( दर्शक देखते हैं।)
(घ) कर्मचारी (सेव्) → कर्मचारी सेवते। (कर्मचारी सेवा करता है।)
महिलाः (सेव) → महिलाः सेवन्ते। (महिलाएँ सेवा करती हैं।)
(ङ) वृक्षः (कम्प्) → वृक्षः कम्पते (वृक्ष काँपता है।)
ऋणाः (कम्प )→ रुग्णाः कम्पन्ते। (रोगी काँपते हैं।)
७. उदाहरणं दृष्ट्वा वाक्यानि उचितरूपैः पूरयन्तु –
(उदाहरण देखकर वाक्यों को उचित रूपों से भरिए।)
क्रमांक | संस्कृत वाक्य (रिक्त स्थान सहित) | पूर्ण वाक्य (उत्तर सहित) | हिन्दी अनुवाद |
---|---|---|---|
(क) | शुनकं दृष्ट्वा बालकस्य भयं (जाय्) | शुनकं दृष्ट्वा बालकस्य भयं जायते | कुत्ते को देखकर बच्चे को डर लगता है। |
(ख) | मूषकः मार्जारं दृष्ट्वा (पलाय्) | मूषकः मार्जारं दृष्ट्वा पलायते | चूहा बिल्ली को देखकर भाग जाता है। |
(ग) | रात्रिकाले मार्गदीपाः (प्रकाश्) | रात्रिकाले मार्गदीपाः प्रकाशन्ते | रात के समय सड़क के दीपक जलते हैं। |
(घ) | अहं देवं (वन्द्) | अहं देवं वन्दे | मैं भगवान की वंदना करता हूँ। |
(ङ) | त्वं किमर्थं (लज्ज्) | त्वं किमर्थं लज्जसे | तुम किसलिए शर्माते हो? |
(च) | वयं देशं (सेव्) | वयं देशं सेवामहे | हम देश की सेवा करते हैं। |
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