हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः
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वयम् अभ्यासं कुर्मः
१. अधोलिखितानि वाक्यानि पठित्वा ‘आम्’ अथवा ‘न’ इति वदन्तु लिखन्तु च –
(क) किं वयं पृथिव्याः पुत्राः पुत्र्यः च स्मः? (क्या हम पृथ्वी की संतानें हैं?)
उत्तर: आम्। (‘हाँ’)
(ख) किं रत्नम् अन्विष्यति? (क्या रत्न खोजते हैं?)
उत्तर: न। (‘नहीं’)
(ग) किं शीलं श्रेष्ठम् आभूषणम् अस्ति? (क्या शील सर्वोत्तम आभूषण है?)
उत्तर: आम्। (‘हाँ’)
(घ) किं शरीरम् आद्यं धर्मसाधनम्? (क्या शरीर धर्म का पहला साधन है?)
उत्तर: आम्। (‘हाँ’)
(ङ) किं गुणानां सर्वदा एव आदरः भवति? (क्या गुणों का हमेशा आदर होता है?)
उत्तर: आम्। (‘हाँ’)
(च) किं क्रियाशीलः एव विद्वान् भवति? (क्या केवल क्रियाशील व्यक्ति ही विद्वान होता है?)
उत्तर: आम्। (‘हाँ’)
(छ) किम् अस्माभिः केवलं मनोरञ्जकानि वाक्यानि वक्तव्यानि?
(क्या हमें केवल मनोरंजक बातें ही करनी चाहिए?)
उत्तर: न। (‘नहीं’)
(ज) यः सदा सुखम् इच्छति, किं सः विद्यां प्राप्नोति?
(जो सदा सुख चाहता है, क्या वह विद्या प्राप्त करता है?)
उत्तर: न। (‘नहीं’)
२. पाठस्य आधारेण अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखन्तु –
क) आद्यं धर्मसाधनं किम्? (धर्म का पहला साधन क्या है?)
उत्तर: शरीरम्। (शरीर)
(ख) कीदृशं वचः मा ब्रूहि? (कैसे वचन मत बोलो?)
उत्तर: दीनम्। (दयनीय / हीन)
(ग) श्रेष्ठम् आभूषणं किम् अस्ति? (सबसे श्रेष्ठ आभूषण क्या है?)
उत्तर: शीलम्। (चरित्र)
(घ) सर्वेषां मनुष्याणां माता का अस्ति? (सभी मनुष्यों की माता कौन है?)
उत्तर: भूमिः। (पृथ्वी)
(ङ) रत्नानाम् अन्वेषणं के कुर्वन्ति? (रत्नों की खोज कौन करता है?)
उत्तर: ग्राहकाः। (ग्राहक)
३. पाठस्य आधारेण अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखन्तु –
(क) कः विद्वान् अस्ति?( विद्वान कौन है?)
उत्तर: यः क्रियावान् पुरुषः सः विद्वान् अस्ति। (जो व्यक्ति क्रियाशील है, वही विद्वान है।)
(ख) गुणिषु पूजास्थानं किम्?( गुणवानों में पूजनीय क्या है?)
उत्तर: गुणिषु गुणाः पूजास्थानं भवति। (गुणवानों में गुण पूजनीय होते हैं।)
(ग) कः विद्यां न प्राप्नोति?(कौन विद्या प्राप्त नहीं करता?)
उत्तर: यः सदा सुखम् इच्छति सः विद्यां न प्राप्नोति। (जो सदा सुख चाहता है, वह विद्या प्राप्त नहीं करता।)
(घ) मनुष्यः विद्याम् अर्थं च कथं साधयेत्?(मनुष्य विद्या और धन कैसे प्राप्त करे?)
उत्तर: मनुष्यः क्षणशः विद्यां कणशः च अर्थं साधयेत्।
(मनुष्य को प्रत्येक क्षण से विद्या और प्रत्येक कण से धन प्राप्त करना चाहिए।)
(ङ) कीदृशं वचनं दुर्लभम्?( कैसा वचन दुर्लभ है?)
उत्तर: हितं मनोहारि च वचनं दुर्लभं भवति। (हितकारी और मनोहारी वचन दुर्लभ होता है।)
४. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुर्वन्तु –
संख्या | वाक्य (Sanskrit Sentence) | प्रश्न (Question) |
---|---|---|
(क) | शीलं परं भूषणम्। | किं परं भूषणम् अस्ति? |
(ख) | मनुष्यः पृथिव्याः सन्तानः अस्ति। | कस्याः सन्तानः मनुष्यः अस्ति? |
(ग) | गुणिषु लिङ्गं वयः च न महत्त्वपूर्णम्। | कुत्र लिङ्गं वयः च न महत्त्वपूर्णम्? |
(घ) | हितकारकं मनोहारि च वचः दुर्लभं भवति। | किम् दुर्लभं भवति? |
५. पाठ के आधार पर उदाहरणानुसार उपयुक्त मिलान करें –
संस्कृत वाक्यांश (Sanskrit) | मिलान (Match) | हिन्दी अनुवाद (प्रश्न) |
---|---|---|
(क) क्षणशः कणशः साधयेत् | विद्याम् अर्थं च | क्षण-क्षण व कण-कण से किसे प्राप्त किया जा सकता है? |
(ख) सर्वश्रेष्ठम् आभूषणम् | शीलम् | सबसे श्रेष्ठ आभूषण क्या है? |
(ग) रत्नं न अन्विष्यति, तत् | मृग्यते | रत्न खोज नहीं करता, तो वह क्या किया जाता है? |
(घ) आद्यं धर्मसाधनम् | शरीरम् | सबसे पहला धर्म का साधन क्या है? |
(ङ) हितकारकं मनोहारि च वचः | दुर्लभम् | हितकारी व मनोहर वचन कैसा होता है? |
(च) पूजास्थानम् | गुणाः | पूजा योग्य कौन होता है? |
६. पाठात् अधोलिखितानां पदानां समानार्थकपदानि चित्वा लिखन्तु –
(पाठ के आधार पर नीचे लिखे शब्दों के समानार्थी शब्द चुनकर लिखिए):
क्रम | शब्द (Sanskrit) | समानार्थकपद (Synonym from lesson) | हिन्दी अनुवाद (प्रश्न) |
---|---|---|---|
(क) | सुतः | पुत्रः | ‘सुत’ शब्द का समानार्थक शब्द क्या है? |
(ख) | प्रथमम् | आगमः | ‘प्रथम’ शब्द का समानार्थक शब्द क्या है? |
(ग) | धनम् | अर्थम् | ‘धन’ शब्द का समानार्थक शब्द क्या है? |
(घ) | अवस्था | वयः | ‘अवस्था’ शब्द का समानार्थक शब्द क्या है? |
(ङ) | वचनम् | वचः | ‘वचन’ शब्द का समानार्थक शब्द क्या है? |
(च) | आचरणम् | शीलम् | ‘आचरण’ शब्द का समानार्थक शब्द क्या है? |
७. उदाहरणानुसारम् अधोलिखितेषु वाक्येषु रेखाङ्कितपदानां विभक्तिं निर्दिशन्तु –
(उदाहरण के अनुसार, नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों की विभक्ति लिखिए):
क्रम | वाक्य (Sanskrit) | विभक्ति (Vibhakti) | हिन्दी अनुवाद (प्रश्न) |
---|---|---|---|
(क) | माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः । | षष्ठी विभक्तिः | “पृथिव्याः” किस विभक्ति में है? |
(ख) | गुणाः पूजास्थानं गुणिषु न च लिङ्गं न च वयः । | सप्तमी विभक्तिः | “गुणिषु” किस विभक्ति में है? |
(ग) | शीलं परं भूषणम्। | द्वितीया विभक्तिः | “शीलं” किस विभक्ति में है? |
(घ) | क्षणशः कणशश्चैव विद्याम् अर्थं च साधयेत्। | द्वितीया विभक्तिः | “विद्याम्” और “अर्थं” किस विभक्ति में हैं? |
(ङ) | सुखार्थिनः कुतो विद्या कुतो विद्यार्थिनः सुखम्। | षष्ठी विभक्तिः | “सुखार्थिनः” और “विद्यार्थिनः” किस विभक्ति में हैं? |
(च) | हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः । | द्वितीया विभक्तिः | “वचः” किस विभक्ति में है? (विशेष – “वचः” द्वितीया एकवचन पुल्लिङ्ग असाधारण रूप है) |
८. यत्र अग्रे स्वरः अस्ति तत्र अनुस्वारस्य स्थाने ‘म्’ लिखित्वा वाक्यानि पुनः लिखन्तु –
(जहाँ अगले अक्षर में स्वर हो, वहाँ अनुस्वार की जगह “म्” लिखकर वाक्य दोबारा लिखिए):
क्रम | मूल वाक्य (With अनुस्वारं) | शुद्ध वाक्य (With म्) | हिन्दी अनुवाद |
---|---|---|---|
(क) | न रत्नं अन्विष्यति । | न रत्नम् अन्विष्यति । | रत्न खोज नहीं करता है। |
(ख) | शरीरं आद्यं खलु धर्मसाधनम् । | शरीरम् आद्यं खलु धर्मसाधनम् । | शरीर ही पहला धर्म का साधन है। |
(ग) | वयं अद्यतनं पाठं पठामः । | वयम् अद्यतनम् पाठम् पठामः । | हम आज का पाठ पढ़ते हैं। |
(घ) | त्वं अस्माकं गृहं आगच्छ । | त्वम् अस्माकम् गृहम् आगच्छ । | तुम हमारे घर आओ। |
(ङ) | अहं एकं प्रश्नं प्रष्टुं इच्छामि । | अहम् एकम् प्रश्नम् प्रष्टुम् इच्छामि । | मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। |
(च) | गुणं अर्जयितुं अधिकं प्रयत्नं करोतु । | गुणम् अर्जयितुम् अधिकम् प्रयत्नम् करोतु । | गुण प्राप्त करने के लिए अधिक प्रयास करे। |
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