1. परिचय
- किसी देश की जनसंख्या केवल भार नहीं है, बल्कि यह देश की परिसंपत्ति (Asset) बन सकती है।
- जब लोगों में शिक्षा, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश किया जाता है, तो वे देश की मानव पूँजी (Human Capital) में परिवर्तित हो जाते हैं।
- मानव पूँजी वह ज्ञान, कौशल और उत्पादकता का भंडार है जो व्यक्ति में निहित होता है।
- शिक्षित, प्रशिक्षित और स्वस्थ व्यक्ति अधिक उत्पादन कर सकता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
- मानव पूँजी निर्माण उसी प्रकार है जैसे भौतिक पूँजी निर्माण (जैसे मशीन, भवन आदि)।
2. मानव संसाधन क्या है?
- मानव संसाधन से तात्पर्य है – देश के कार्यरत लोगों की उत्पादन क्षमता।
- यह भूमि, श्रम या पूँजी की तरह एक संसाधन है, परंतु इनसे अधिक महत्वपूर्ण है।
- क्योंकि मनुष्य ही अन्य संसाधनों का उपयोग करने की क्षमता रखता है।
- जनसंख्या को अगर शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से विकसित किया जाए तो वह दायित्व (liability) नहीं बल्कि परिसंपत्ति (asset) बन जाती है।
3. मानव पूँजी में निवेश
- मानव पूँजी में निवेश शिक्षा, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से किया जाता है।
- ऐसा निवेश व्यक्ति और समाज – दोनों के लिए लाभदायक होता है।
- शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान और कौशल देती है।
- स्वास्थ्य सेवाएँ उसे कार्य करने की शक्ति और दीर्घायु प्रदान करती हैं।
- निवेश का लाभ – उच्च आय, अधिक उत्पादकता और समाज की समृद्धि।
उदाहरण:
भारत की हरित क्रांति और सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति मानव पूँजी के श्रेष्ठ उपयोग के उदाहरण हैं।
4. मानव पूँजी बनाम अन्य पूँजी
| पहलू | मानव पूँजी | भौतिक पूँजी |
|---|---|---|
| स्वरूप | ज्ञान, कौशल, स्वास्थ्य | मशीन, उपकरण, भवन |
| उपयोग | अन्य संसाधनों का उपयोग करती है | स्वयं उपयोग नहीं कर सकती |
| निवेश पर प्रतिफल | शिक्षा और स्वास्थ्य से दीर्घकालिक लाभ | मशीन आदि से सीमित लाभ |
5. दो उदाहरण – “सकल” और “विलास”
सकल की कहानी
- 12 वर्षीय सकल पढ़ाई में रुचि रखता था।
- माता-पिता ने उसे स्कूल भेजा और आगे चलकर कंप्यूटर कोर्स कराया।
- उसने मेहनत से कोर्स पूरा किया, एक प्राइवेट फर्म में नौकरी पाई और नया सॉफ्टवेयर बनाया।
- उसे पदोन्नति और अधिक आय मिली।
- शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश ने उसे परिसंपत्ति बनाया।
विलास की कहानी
- 11 वर्षीय विलास गरीब परिवार से था।
- पिता की मृत्यु के बाद माँ मछलियाँ बेचकर परिवार पालती थी।
- विलास गठिया रोग से पीड़ित था, शिक्षा नहीं मिली।
- माँ के बीमार होने पर वही मछलियाँ बेचने लगा।
- उसका जीवन गरीबी में बीता, कोई सुधार नहीं हुआ।
➡️ निष्कर्ष:सकल शिक्षित और स्वस्थ था – वह मानव पूँजी बना।विलास अशिक्षित और अस्वस्थ था – वह दायित्व बन गया।
6. मानव पूँजी निर्माण का प्रभाव
- शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश भविष्य में अधिक प्रतिफल देता है।
- शिक्षित माता-पिता अपने बच्चों पर भी निवेश करते हैं – सकारात्मक चक्र (Virtuous Cycle) बनता है।
- अशिक्षा और गरीबी दुष्चक्र (Vicious Cycle) पैदा करती हैं।
जापान का उदाहरण:
- जापान के पास प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं, फिर भी वह धनी देश है।
- कारण – लोगों में शिक्षा और स्वास्थ्य पर भारी निवेश।
- मानव पूँजी के विकास से जापान ने अन्य संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया।
7. पुरुषों और महिलाओं के आर्थिक क्रियाकलाप
🔹 तीन क्षेत्रक
- प्राथमिक क्षेत्रक – कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, खनन।
- द्वितीयक क्षेत्रक – उद्योग, विनिर्माण।
- तृतीयक क्षेत्रक – व्यापार, परिवहन, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि।
🔹 आर्थिक क्रियाएँ
- वे क्रियाएँ जिनसे व्यक्ति को आय या पारिश्रमिक प्राप्त होता है।
- उदाहरण: मछली बेचना, कारखाने में काम करना।
🔹 गैर-आर्थिक क्रियाएँ
- ऐसी क्रियाएँ जिनसे कोई भुगतान नहीं मिलता।
- उदाहरण: घर का काम, बच्चों की देखभाल।
🔹 महिलाओं की स्थिति
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारणों से महिलाओं का श्रम प्रायः गैर-आर्थिक कार्यों में लगता है।
- अधिकतर महिलाओं के पास कम शिक्षा और कौशल होता है।
- उन्हें कम वेतन, असुरक्षित और अस्थायी नौकरियाँ मिलती हैं।
- उच्च शिक्षा व कौशल वाली महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन और सम्मान मिलता है।
8. जनसंख्या की गुणवत्ता (Quality of Population)
जनसंख्या की गुणवत्ता निर्धारित होती है –
- साक्षरता दर
- जीवन प्रत्याशा
- कौशल निर्माण
साक्षर और स्वस्थ जनसंख्या देश की विकास दर को बढ़ाती है।
(A) शिक्षा
- शिक्षा व्यक्ति की उत्पादकता बढ़ाती है।
- यह राष्ट्रीय आय, संस्कृति और प्रशासन की कार्यकुशलता बढ़ाती है।
- भारत में शिक्षा पर व्यय बढ़ा है:
- 1951 में 151 करोड़ → 2020-21 में 99,300 करोड़ रुपये।
- जीडीपी का हिस्सा: 0.64% → 3.1%।
- साक्षरता दर 1951 में 18% → 2018 में 85%।
- पुरुषों की तुलना में महिलाओं की साक्षरता दर 16% कम।
- ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों की साक्षरता दर 14.2% अधिक।
- योजनाएँ:
- सर्वशिक्षा अभियान (SSA)
- मिड-डे मील योजना
- नवोदय विद्यालय
- सेतु-पाठ्यक्रम और स्कूल लौटो शिविर
(B) स्वास्थ्य
- स्वास्थ्य व्यक्ति की कार्य क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है:
- जीवन प्रत्याशा: 1951 → 32 वर्ष → 2016 → 69.4 वर्ष।
- शिशु मृत्यु दर: 1951 → 147 प्रति हजार → 2020 → 36 प्रति हजार।
- जन्म दर (2018): 20 प्रति हजार।
- मृत्यु दर (2018): 6.2 प्रति हजार।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र सक्रिय हैं।
- फिर भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ सीमित हैं।
9. बेरोज़गारी (Unemployment)
🔹 अर्थ:
जब व्यक्ति काम करने की इच्छा रखता है लेकिन उसे काम नहीं मिलता, तो वह बेरोज़गार कहलाता है।
🔹 श्रम बल:
15-59 वर्ष आयु वर्ग के लोग जो कार्य करने में सक्षम हैं।
🔹 प्रकार:
- मौसमी बेरोज़गारी – वर्ष के कुछ महीनों में काम न मिलना (कृषि क्षेत्र में सामान्य)।
- प्रच्छन्न बेरोज़गारी – अधिक लोग एक ही काम में लगे हों, लेकिन अतिरिक्त श्रमिकों की आवश्यकता न हो।
- शिक्षित बेरोज़गारी – शिक्षित युवाओं को रोजगार का अभाव।
🔹 प्रभाव:
- जनशक्ति की बर्बादी।
- गरीबी, निराशा और हताशा में वृद्धि।
- आर्थिक विकास की गति धीमी।
- बेरोज़गारी में वृद्धि मंदी का सूचक है।
🔹 विशेष स्थिति:
- भारत में अनेक लोग कम आय वाले कार्यों में लगे हैं, जिससे वे “नियोजित” दिखते हैं परंतु उनकी उत्पादकता कम होती है।
- कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोज़गारी व्यापक है।
- ग्रामीण क्षेत्रों से अधिशेष श्रमिक शहरों की ओर प्रवास करते हैं।
10. एक गाँव की कहानी
- गाँव के लोग आत्मनिर्भर थे, पर नए कार्य नहीं थे।
- एक परिवार ने बेटे को कृषि महाविद्यालय भेजा।
- उसने लौटकर नया हल तैयार किया जिससे उपज बढ़ी।
- गाँव में शिक्षक, दर्जी, इंजीनियर आदि नए कार्य सृजित हुए।
- गाँव समृद्ध हुआ और लोगों की जीवन गुणवत्ता सुधरी।
➡️ निष्कर्ष:शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य में सुधार से ही किसी समाज या गाँव का विकास संभव है।

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