अवलोकन
- निर्धनता स्वतंत्र भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
- इसमें निर्धनता की अवधारणा, कारण, प्रभाव, मापन, प्रवृत्तियाँ और निवारण उपायों की चर्चा की गई है।
- अंत में ‘मानव निर्धनता’ की अवधारणा पर बल दिया गया है।
1️⃣ निर्धनता का परिचय
- भारत में हर पाँचवाँ व्यक्ति निर्धन है।
- वर्ष 2011-12 में लगभग 27 करोड़ लोग निर्धनता में जी रहे थे।
- निर्धनता का अर्थ केवल पैसे की कमी नहीं, बल्कि बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति न हो पाना है – जैसे भोजन, कपड़ा, आश्रय, शिक्षा और स्वास्थ्य।
- महात्मा गांधी ने कहा था – भारत तभी सचमुच स्वतंत्र होगा जब सबसे निर्धन व्यक्ति भी मानवीय व्यथा से मुक्त होगा।
2️⃣ निर्धनता के विशिष्ट उदाहरण
(क) शहरी निर्धनता – रामसरन की कहानी
- झारखंड के रामसरन की मासिक आय लगभग ₹1500 है।
- पत्नी संता देवी नौकरानी का कार्य कर ₹800 कमाती है।
- परिवार 6 सदस्यों का है, कोई बच्चा स्कूल नहीं जाता।
- भोजन, वस्त्र, स्वास्थ्य और आवास की अत्यधिक कमी है।
(ख) ग्रामीण निर्धनता – लक्खा सिंह की कहानी
- उत्तर प्रदेश का लक्खा सिंह भूमिहीन है।
- खेतों में अस्थायी मजदूरी करता है – कभी 50 रुपये प्रतिदिन।
- परिवार में 8 सदस्य हैं, दो वक्त का भोजन भी कठिन है।
- स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा का अभाव।
👉 इन दोनों उदाहरणों से स्पष्ट है कि निर्धनता के कई आयाम हैं -भूमिहीनता, बेरोजगारी, निरक्षरता, कुपोषण, अस्वास्थ्यकर जीवन, बाल-श्रम आदि।
3️⃣ सामाजिक वैज्ञानिकों की दृष्टि में निर्धनता
- निर्धनता का आकलन केवल आय से नहीं, बल्कि सामाजिक कारकों से भी किया जाता है –
- निरक्षरता
- स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
- सुरक्षित जल और स्वच्छता की कमी
- रोजगार के अवसरों का अभाव
🔸 सामाजिक अपवर्जन
- निर्धनों को समाज की मुख्यधारा से अलग कर देना।
- उदाहरण: जाति-व्यवस्था के कारण अवसरों से वंचित रहना।
- यह निर्धनता का कारण और परिणाम दोनों हो सकता है।
🔸 असुरक्षा
- कुछ समुदायों या व्यक्तियों (जैसे विधवा, विकलांग व्यक्ति, पिछड़ी जातियाँ) के भविष्य में निर्धन बने रहने की संभावना।
- प्राकृतिक आपदाएँ, आतंकवाद आदि से ये समूह अधिक प्रभावित होते हैं।
4️⃣ निर्धनता रेखा (Poverty Line)
- निर्धनता का मापन आय या उपभोग के आधार पर किया जाता है।
- यदि किसी व्यक्ति की आय ‘न्यूनतम आवश्यकताओं’ से कम हो, तो वह निर्धन कहलाता है।
भारत में निर्धनता रेखा (2011-12)
- ग्रामीण क्षेत्र: ₹816 प्रति व्यक्ति प्रतिमाह
- शहरी क्षेत्र: ₹1000 प्रति व्यक्ति प्रतिमाह
- परिवार के लिए (5 सदस्य):
- ग्रामीण: ₹4080 प्रति माह
- शहरी: ₹5000 प्रति माह
आधार:
- न्यूनतम कैलोरी आवश्यकता –
- ग्रामीण: 2400 कैलोरी प्रतिदिन
- शहरी: 2100 कैलोरी प्रतिदिन
5️⃣ भारत में निर्धनता की प्रवृत्तियाँ
- 1993-94 → 45%
- 2004-05 → 37.2%
- 2011-12 → 22%➡ निर्धनता दर में निरंतर कमी आई है।
असुरक्षित समूह
- अनुसूचित जातियाँ (SC)
- अनुसूचित जनजातियाँ (ST)
- ग्रामीण कृषि श्रमिक
- शहरी अनियत मजदूर
- इनमें महिलाओं, वृद्धों और बच्चियों को अधिक कठिनाइयाँ होती हैं।
6️⃣ अंतर्राज्यीय असमानताएँ
- अधिक निर्धन राज्य: बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम
- कम निर्धन राज्य: केरल, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा
कारण:
- कृषि वृद्धि, भूमि सुधार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मानव संसाधन निवेश आदि में राज्यों की अलग-अलग सफलता।
7️⃣ वैश्विक निर्धनता परिदृश्य
- विश्व में निर्धनता 1990 के 36% से घटकर 2015 में 10% रह गई।
- चीन: 1981 → 88.3% से घटकर 2019 → 0.6%
- दक्षिण एशिया (भारत आदि): 2005 → 34% से घटकर 2014 → 15.2%
- सब-सहारा अफ्रीका: 2005 → 51% से घटकर 2018 → 40.2%
- लैटिन अमेरिका: 2005 → 10% से घटकर 2018 → 4%
🎯 संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य – 2030 तक सभी प्रकार की गरीबी समाप्त करना।
8️⃣ निर्धनता के कारण
- औपनिवेशिक शोषण – उद्योगों का पतन, आय में गिरावट।
- जनसंख्या वृद्धि – रोजगार और आय में कमी।
- कृषि पर निर्भरता – सीमित सिंचाई और असमान अवसर।
- आय असमानता – भूमि और संसाधनों का असमान वितरण।
- भूमि सुधारों का कमजोर क्रियान्वयन।
- अत्यधिक सामाजिक खर्च और ऋणग्रस्तता।
9️⃣ निर्धनता-निरोधी उपाय (सरकारी योजनाएँ)
🔸 1. मनरेगा (2005)
- हर ग्रामीण परिवार को 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित।
- एक-तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित।
- मजदूरी ₹168 – ₹281 प्रतिदिन (राज्य अनुसार)।
🔸 2. काम के बदले अनाज कार्यक्रम (2004)
- पिछड़े जिलों में बेरोजगार ग्रामीणों को मजदूरी के बदले अनाज दिया जाता है।
🔸 3. प्रधानमंत्री रोजगार योजना (1993)
- ग्रामीण युवाओं को लघु व्यवसाय हेतु सहायता।
🔸 4. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (1995)
- ग्रामीण व छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर।
🔸 5. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (1999)
- स्व-सहायता समूहों के माध्यम से बैंक ऋण + सरकारी सहायता।
🔸 6. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (2000)
- ग्रामीण स्वास्थ्य, शिक्षा, आश्रय, पेयजल और बिजली हेतु सहायता।
🔸 7. अंत्योदय अन्न योजना
- सबसे निर्धन परिवारों को अत्यंत सस्ती दर पर अनाज।
🔟 भावी चुनौतियाँ
- निर्धनता में कमी आई है, परंतु असमानता अभी भी बनी हुई है।
- आगामी वर्षों में निर्धनता उन्मूलन के लिए ज़रूरी है:
- आर्थिक संवृद्धि
- सर्वसुलभ प्राथमिक शिक्षा
- महिलाओं का सशक्तीकरण
- जनसंख्या नियंत्रण
- रोजगार सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा की पहुँच
1️⃣1️⃣ मानव निर्धनता की अवधारणा
- केवल आय की कमी नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आत्मसम्मान और समान अवसरों की कमी भी निर्धनता है।
- निर्धनता की यह परिभाषा निरंतर बदलती रहती है – इसे “मानव निर्धनता” कहा जाता है।

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