भूमिका
- भारत एक विशाल देश है जहाँ विविध स्थलाकृतियाँ (Relief Features) पाई जाती हैं।
- यहाँ पर्वत, मैदान, पठार, मरुस्थल, तटीय मैदान तथा द्वीप समूह सभी प्रकार की भू-आकृतियाँ मिलती हैं।
- यह विविधता भारत को भौतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध बनाती है।
- प्रायद्वीपीय पठार पृथ्वी की सतह का प्राचीनतम भाग है।
- हिमालय और उत्तरी मैदान हाल ही में बनी स्थलाकृतियाँ हैं।
- हिमालय एक युवा एवं अस्थिर पर्वत श्रृंखला है, जबकि प्रायद्वीपीय पठार स्थिर भूभाग है।
भारत की प्रमुख भौगोलिक आकृतियाँ (Main Physiographic Divisions)
भारत की स्थलरूपों को छह मुख्य वर्गों में बाँटा गया है –
- हिमालय पर्वत श्रृंखला
- उत्तरी मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- भारतीय मरुस्थल
- तटीय मैदान
- द्वीप समूह
1. हिमालय पर्वत श्रृंखला
परिचय
- भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित युवा वलित पर्वत श्रृंखला।
- पश्चिम से पूर्व तक 2,400 कि.मी. लंबाई में सिंधु से ब्रह्मपुत्र तक फैली हुई है।
- चौड़ाई: कश्मीर में 400 कि.मी., अरुणाचल प्रदेश में 150 कि.मी.
- यह एक अर्द्धवृत्ताकार (Semi-circular) आकार बनाती है।
- विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला – यह प्राकृतिक अवरोध भी है।
हिमालय के तीन समानांतर भाग (उत्तर से दक्षिण की ओर)
महान हिमालय (हिमाद्रि या आंतरिक हिमालय)
- सबसे उत्तरी एवं ऊँची श्रृंखला।
- औसत ऊँचाई: लगभग 6,000 मीटर।
- श्रृंखला बर्फ से ढकी रहती है, यहाँ से अनेक हिमानियाँ निकलती हैं।
- मुख्य शिखर:
शिखर देश ऊँचाई (मी.) माउंट एवरेस्ट नेपाल 8,848 कंचनजंगा भारत 8,598 धौलागिरि नेपाल 8,172 नंदा देवी भारत 7,817 नंगा पर्वत भारत 8,126
मध्य हिमालय (हिमाचल)
- हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित।
- ऊँचाई: 3,700 से 4,500 मीटर।
- चौड़ाई लगभग 50 कि.मी.
- श्रृंखलाएँ: पीर पंजाल (सबसे लंबी), धौलाधर, महाभारत श्रृंखला।
- घाटियाँ: कश्मीर घाटी, कांगड़ा, कुल्लू घाटी।
- प्रसिद्ध नगर: मसूरी, नैनीताल, रानीखेत।
शिवालिक (बाह्य हिमालय)
- सबसे दक्षिणी और नई श्रृंखला।
- ऊँचाई: 900 से 1,100 मीटर।
- चौड़ाई: 10 से 50 कि.मी.
- नदियों द्वारा लाए गए असंपिडित अवसादों से निर्मित।
- शिवालिक और हिमाचल के बीच की घाटियों को “दून” कहा जाता है।
- प्रमुख दून: देहरादून, कोटलीदून, पाटलीदून।
हिमालय का क्षेत्रीय वर्गीकरण (पश्चिम से पूर्व तक)
क्षेत्र | नदियों के बीच | नाम |
---|---|---|
सिंधु – सतलुज | पंजाब या कश्मीर हिमालय | |
सतलुज – काली | कुमाऊँ हिमालय | |
काली – तिस्ता | नेपाल हिमालय | |
तिस्ता – दिहांग | असम हिमालय |
पूर्वांचल पर्वत (Eastern Hills)
- ब्रह्मपुत्र के बाद हिमालय दक्षिण की ओर मुड़ता है।
- इसे पूर्वांचल पर्वत कहा जाता है।
- ये पर्वत बलुआ पत्थर (अवसादी शैल) से बने हैं।
- प्रमुख श्रृंखलाएँ: पटकाई, नागा, मिजो, मणिपुर पहाड़ियाँ।
2. उत्तरी मैदान
🔹 निर्माण
- सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों द्वारा लाए गए जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित।
- क्षेत्रफल: लगभग 7 लाख वर्ग कि.मी.
- लंबाई: लगभग 2,400 कि.मी., चौड़ाई: 240-320 कि.मी.
- अत्यंत उपजाऊ, घनी आबादी वाला क्षेत्र।
उपविभाजन
- पंजाब का मैदान – सिंधु और उसकी सहायक नदियों (झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) से बना।
- गंगा का मैदान – घग्घर से तिस्ता के बीच फैला; हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में।
- ब्रह्मपुत्र का मैदान – असम राज्य में स्थित।
आकृतिक भिन्नता के आधार पर
- भाबर – शिवालिक की ढाल पर कंकरीली पट्टी (8-16 कि.मी. चौड़ी)। नदियाँ यहाँ भूमिगत हो जाती हैं।
- तराई – भाबर के दक्षिण में दलदली व नम क्षेत्र; वन्य प्राणियों का निवास।
- भांगर – पुराने जलोढ़ से बना ऊँचा भाग; चूनेदार निक्षेप (कंकड़) पाए जाते हैं।
- खादर – नए जलोढ़ से बना क्षेत्र; हर वर्ष बाढ़ से पुनः बनता है, बहुत उपजाऊ।
3. प्रायद्वीपीय पठार
परिचय
- त्रिभुजाकार पठार; भारत का सबसे प्राचीन भूभाग।
- आग्नेय, रूपांतरित शैलों से निर्मित।
- गोंडवाना भूभाग का भाग।
भाग
- मध्य उच्चभूमि
- नर्मदा के उत्तर में।
- चंबल, सिंध, बेतवा, केन नदियाँ बहती हैं।
- विंध्य, सतपुड़ा, अरावली से घिरी हुई।
- क्षेत्र: बुंदेलखंड, बघेलखंड, छोटा नागपुर पठार।
- दक्कन का पठार
- नर्मदा के दक्षिण में; त्रिभुजाकार।
- पश्चिम में ऊँचा, पूर्व की ओर ढलान।
- उत्तर-पूर्व में मेघालय, कार्बी एंगलोंग, उत्तर कचार पहाड़ियाँ शामिल।
- गारो, खासी, जयंतिया श्रेणियाँ प्रमुख।
घाट
- पश्चिमी घाट – पश्चिमी तट के समानांतर, ऊँचे (900-1600 मी.) और सतत।
- दर्रे: थाल, भोर, पाल घाट।
- शिखर: अनाई मुडी (2695 मी.), डोडा बेटा (2633 मी.)।
- पूर्वी घाट – असतत, ऊँचाई लगभग 600 मी.; महानदी से नीलगिरी तक।
- सर्वोच्च शिखर: महेंद्रगिरि (1500 मी.)।
- दक्षिण-पश्चिम में शेवराय व जावेडी पहाड़ियाँ।
- प्रमुख नगर: ऊटी (उडगमंडलम्), कोडईकनाल।
अन्य विशेषताएँ
- काली मृदा (दक्कन ट्रैप) – ज्वालामुखी से बनी; अत्यंत उपजाऊ।
- अरावली पर्वतमाला – पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी सीमा पर; अत्यधिक पुरानी व अपरदित।
4. भारतीय मरुस्थल (थार मरुस्थल)
- अरावली के पश्चिम में फैला।
- वर्षा <150 मिमी; शुष्क जलवायु।
- बालू के टिब्बे (बरकान) अधिक पाए जाते हैं।
- प्रमुख नदी: लूनी।
- मानसून में ही अस्थायी नदियाँ बनती हैं।
- सीमित वनस्पति, रेतीला क्षेत्र।
5. तटीय मैदान
परिचय
- प्रायद्वीपीय पठार के किनारों पर संकीर्ण तटीय पट्टियाँ।
- पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी।
पश्चिमी तटीय मैदान
- कोंकण तट – मुंबई और गोवा के पास।
- कन्नड़ तट – मध्य भाग।
- मालाबार तट – दक्षिणी भाग।
पूर्वी तटीय मैदान
- महानदी से कावेरी तक फैला विस्तृत मैदान।
- उत्तरी भाग – उत्तरी सरकार तट।
- दक्षिणी भाग – कोरोमंडल तट।
- प्रमुख डेल्टा: महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी।
- चिल्का झील – ओडिशा में; भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील।
6. द्वीप समूह
(1) लक्षद्वीप द्वीप समूह
- अरब सागर में, केरल के तट के पास।
- प्रवाल (Coral) द्वीपों से बने।
- 1973 में नाम रखा गया “लक्षद्वीप”।
- क्षेत्रफल: लगभग 32 वर्ग कि.मी.
- मुख्यालय: कावरत्ती।
- पिटली द्वीप – निर्जन, पक्षी अभयारण्य।
(2) अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
- बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण तक फैले।
- अंडमान (उत्तर) और निकोबार (दक्षिण) दो भाग।
- निमज्जित पर्वत श्रृंखलाओं के शिखर माने जाते हैं।
- विषुवतीय जलवायु; घने जंगल।
- भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी – बैरेन द्वीप पर स्थित।
- सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण।
भारत की विविध स्थलरूपों का महत्त्व
क्षेत्र | विशेषता / उपयोग |
---|---|
हिमालय | जल, वन, खनिज स्रोत; नदियों की उत्पत्ति। |
उत्तरी मैदान | उपजाऊ भूमि; कृषि का आधार; जनसंख्या सघन। |
पठार | खनिजों का भंडार; औद्योगिक क्षेत्र। |
मरुस्थल | पर्यटन व ऊर्जा (सौर, पवन) क्षेत्र। |
तटीय मैदान | मत्स्य पालन, व्यापार, बंदरगाह। |
द्वीप समूह | सामरिक व जैविक विविधता का केंद्र। |
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