प्रस्तावना
- हमारे देश की जलवायु का अध्ययन करने से यह समझ आता है कि कभी अत्यधिक गर्मी, कभी ठंड और कभी वर्षा क्यों होती है।
- किसी क्षेत्र के पर्यावरण के तीन मुख्य तत्व हैं – स्थलाकृति, अपवाह (नदियाँ) और वायुमंडलीय अवस्था (जलवायु)।
- जलवायु किसी देश के वनस्पति, पशु, कृषि, वस्त्र, भोजन और मानव जीवन को बहुत प्रभावित करती है।
मौसम और जलवायु में अंतर
| तत्व | मौसम | जलवायु |
|---|---|---|
| समयावधि | कम समय (1 दिन या कुछ सप्ताह) | लम्बा समय (30 वर्ष या अधिक) |
| परिभाषा | किसी समय पर किसी स्थान की वायुमंडलीय अवस्था | लम्बे समय तक मौसम की अवस्थाओं का औसत |
| परिवर्तन | जल्दी-जल्दी बदलता है | धीरे-धीरे बदलता है |
| उदाहरण | आज बारिश हुई, कल धूप निकली | भारत की जलवायु मानसूनी है |
भारत की जलवायु की विशेषता
- भारत की जलवायु मानसूनी प्रकार की (Monsoon Type) है।
- “मानसून” शब्द अरबी शब्द ‘मौसिम’ से निकला है, जिसका अर्थ है “मौसम”।
- मानसून का अर्थ है – वर्ष के दौरान पवन की दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन।
- एशिया के दक्षिण और दक्षिण-पूर्व भागों में यह जलवायु पाई जाती है।
भारत में तापमान और वर्षा में भिन्नता
तापमान में अंतर:
- गर्मियों में:
- राजस्थान में तापमान लगभग 50°C।
- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में लगभग 20°C।
- सर्दियों में:
- द्रास (कश्मीर) में -45°C,
- तिरुवनंतपुरम (केरल) में 22°C।
- दिन और रात का अंतर:
- थार मरुस्थल में दिन का तापमान 50°C और रात का 15°C तक हो सकता है।
- केरल या अंडमान में दिन और रात का तापमान लगभग समान।
वर्षा में अंतर:
- मेघालय में वर्षा 400 सेमी से अधिक,
- लद्दाख और पश्चिमी राजस्थान में 10 सेमी से भी कम।
- अधिकांश वर्षा जून से सितंबर में होती है।
- तमिलनाडु तट पर वर्षा अक्टूबर-नवंबर में होती है।
भारत की जलवायु को नियंत्रित करने वाले प्रमुख कारक
- अक्षांश (Latitude):
- सूर्य की किरणों की तीव्रता अक्षांश पर निर्भर करती है।
- विषुवत वृत्त से दूर जाने पर तापमान घटता है।
- ऊँचाई (Altitude):
- ऊँचाई बढ़ने पर वायुमंडल विरल हो जाता है और तापमान घटता है।
- इसलिए पहाड़ियाँ गर्मी में भी ठंडी होती हैं।
- वायु दाब और पवन तंत्र (Pressure & Wind System):
- पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों के वायुदाब एवं पवन प्रवाह तापमान और वर्षा को प्रभावित करते हैं।
- समुद्र से दूरी (Distance from Sea):
- समुद्र के पास के स्थानों का तापमान संतुलित (कम गर्मी-सर्दी) होता है।
- अंदरूनी भागों में अत्यधिक गर्मी और ठंड होती है – इसे महाद्वीपीय जलवायु कहते हैं।
- महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents):
- गर्म या ठंडी धाराएँ तटीय जलवायु को प्रभावित करती हैं।
- स्थलाकृति या उच्चावच (Relief):
- पर्वत श्रृंखलाएँ ठंडी या गर्म हवाओं को रोकती हैं।
- पवनविमुख ढालें सूखी होती हैं, जबकि पवनमुखी ढालों पर वर्षा होती है।
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक (विशेष रूप से)
1. अक्षांश
- कर्क रेखा भारत के मध्य भाग से गुजरती है।
- दक्षिणी भाग उष्ण कटिबंधीय,उत्तरी भाग उपोष्ण कटिबंधीय है।
- इसलिए भारत में दोनों जलवायु की विशेषताएँ पाई जाती हैं।
2. ऊँचाई
- उत्तर में हिमालय (ऊँचाई लगभग 6000 मीटर) ठंडी हवाओं को रोकता है।
- इससे भारत में ठंड कम होती है।
3. वायु दाब और पवन तंत्र
- भारत उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनों के क्षेत्र में है।
- शीत ऋतु में उत्तर से ठंडी और शुष्क हवाएँ बहती हैं।
- ग्रीष्म ऋतु में निम्न दाब बनने पर हवाएँ दक्षिण-पश्चिम मानसून में बदल जाती हैं और वर्षा लाती हैं।
- कोरिआलिस बल (Coriolis Force) के कारण पवनें दिशा बदलती हैं।
भारत की मुख्य ऋतुएँ
1. शीत ऋतु (मध्य नवंबर – फरवरी)
- दिसंबर और जनवरी सबसे ठंडे महीने।
- उत्तर भारत में तापमान 10°C-15°C, दक्षिण में 24°C-25°C।
- उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें बहती हैं।
- महावट: शीत ऋतु की हल्की वर्षा जो रबी फसलों के लिए लाभदायक होती है।
- तमिलनाडु तट पर समुद्र से आने वाली हवाओं के कारण वर्षा होती है।
- उत्तर में कभी-कभी पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की वर्षा और हिमपात।
2. ग्रीष्म ऋतु (मार्च – मई)
- सूर्य की उत्तर की ओर गति के कारण तापमान बढ़ता है।
- मई में उत्तर-पश्चिम भारत में कम दाब का क्षेत्र बनता है।
- लू: दिन में चलने वाली गर्म, शुष्क और धूल भरी हवाएँ।
- काल वैशाखी: बंगाल में तेज आँधी और गरज-चमक वाली वर्षा।
- आम्र वर्षा (Mango Shower): केरल और कर्नाटक में मानसून से पहले होने वाली वर्षा जिससे आम जल्दी पकते हैं।
3. वर्षा ऋतु (जून – सितंबर)
- जून के प्रारंभ में दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन।
- ये हवाएँ हिंद महासागर से नमी लेकर आती हैं।
- पश्चिमी घाटों के पवनमुखी भागों में भारी वर्षा होती है (250 सेमी से अधिक)।
- मासिनराम (मेघालय) विश्व का सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान है।
- गंगा घाटी में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा घटती है।
- कभी-कभी मानसून में विराम (Breaks) आते हैं – कुछ दिन वर्षा नहीं होती।
- मानसून की अनिश्चितता के कारण कहीं बाढ़, कहीं सूखा।
4. मानसून की वापसी (अक्टूबर – नवंबर)
- सूर्य के दक्षिण की ओर जाने से मानसून की पवनें पीछे हटती हैं।
- तापमान बढ़ता है और आर्द्रता भी – इसे क्वार की उमस कहते हैं।
- चक्रवात – बंगाल की खाड़ी से उठते हैं और पूर्वी तट (उड़ीसा, आंध्र, तमिलनाडु) में भारी वर्षा लाते हैं।
- तमिलनाडु की अधिकांश वर्षा इसी ऋतु में होती है।
भारत में वर्षा का वितरण
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्र: पश्चिमी तट, उत्तर-पूर्वी भारत (400 सेमी से अधिक)।
- कम वर्षा वाले क्षेत्र: राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा (60 सेमी से कम)।
- मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र: देश का अधिकांश भाग।
- हिमपात: केवल हिमालय में।
परिणाम:
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्र – बाढ़ प्रभावित।
- कम वर्षा वाले क्षेत्र – सूखा प्रभावित।
मानसून – भारत की एकता का प्रतीक
- हिमालय ठंडी हवाओं से रक्षा करता है।
- समुद्र तापमान को संतुलित रखता है।
- मानसूनी वर्षा से कृषि, वनस्पति, त्यौहार, भोजन और जीवन की लय जुड़ी है।
- सभी भारतीय मानसून के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं।
- यही “मानसून की एकता” कहलाती है।

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